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गत दिनों लघु उद्योग भारती की जम्मू-कश्मीर इकाई द्वारा लद्दाख से छोटा कैलाश तक की रोमांचक एवं अभूतपूर्व यात्रा आयोजित की गई। यह यात्रा लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद् के सहयोग से संपन्न हुई। इसमें 10 राज्यों के 56 यात्रियों ने भाग लिया, जिनमें 40 पुरुष और 16 महिलाएं थीं। जम्मू-कश्मीर सरकार के लद्दाख मामलों के मंत्री शेरिंग दोरजे लाकरुक ने झंडी दिखाकर यात्रा को विदा किया। यात्री दुर्गम सड़क मार्ग से 325 किलोमीटर की यात्रा दस घंटे में पूरी कर सायंकाल भारत-चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव ‘डेमचोक’ पहुंचे। यात्रा मार्ग में स्थित तीन गांव ‘नियोमा’, ‘कूलगांव’ और ‘डेमचोक’ के ग्रामीणों ने यात्रियों का भावभीना स्वागत किया। कूलगांव के प्रधान ने बताया कि यह पहला अवसर है जब लद्दाख के बाहर से, भिन्न-भिन्न प्रांतों के लोग उनके गांव में आए हैं। सायंकाल 7 बजे हम लोग अपने आधार शिविर डेमचोक पहुंचे और तंबुओं में रात्रि विश्राम किया। इस क्षेत्र में लगभग 100 मीटर की दूरी से चीनी सैनिकों को गश्त लगाते हुए देखा जा सकता है। अगले दिन सब प्रात: सात बजे डेमचोक से छोटा कैलाश के लिए निकले। अत्यंत घुमावदार, संकरे एवं दुर्गम रास्ते पर 8 किलोमीटर चलकर हम 16,437 फुट की ऊंचाई पर स्थित छोटा कैलाश चोटी पर पहुंचे। यहां पर भारतीय सेना की चौकी है, जिसके पास ही एक शिव मंदिर है। इस मंदिर की देखरेख सेना के जवान करते हैं। तिब्बत में स्थित कैलाश यहां से अधिक दूर नहीं है। संभवत: अतीत में कभी यह कैलास यात्रा का मार्ग रहा होगा। भारतीय क्षेत्र में इसके अंतिम बिंदु होने से कदाचित इसे छोटा कैलास कहा गया। मंदिर दर्शन कर हम पुन: अपने आधार शिविर होते हुए सायंकाल तक लेह लौट आए। तब सिंधु उत्सव चल रहा था। प्रात: सभी ने इस उत्सव में भाग लिया और लेह के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया। सायंकाल सिंधु सांस्कृतिक केंद्र के सभागार में लघु उद्योग भारती, जम्मू-कश्मीर इकाई का सम्मेलन एवं यात्रा का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि लघु उद्योग भारती की इस यात्रा का महत्व आने वाले समय में प्रकट होगा। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल सहित अनेक वरिष्ठ लोग उपस्थित थे। सम्पत तोषनीवाल
‘एकल सुर : एकल ताल’ पर झूमे अमेरिकी
एकल अभियान से जुड़े नौ कथाकार इस साल फरवरी में अमेरिका गए थे। ये हैं सिक्किम से तीर्थचंद कौशिक, गुवाहाटी से प्रिया सहचरी, मध्य भारत से जोहन, महाकौशल से सुमित्रा, सिलचर से गीतमाला, हिमाचल से मीना कुमारी तथा झारखंड से दिलेश्वर, राधेश्याम और संदीप कुमार। इन कथाकारों ने अमेरिका के 27 राज्यों में लगभग छह महीने तक ‘एकल सुर : एकल ताल’ अभियान के अंतर्गत 50 से अधिक कार्यक्रम किए। सप्ताह में तीन दिन- शुक्रवार, शनिवार एवं रविवार को बड़े कार्यक्रम हुए। अनेक मंदिरों में भजन संध्या हुई एवं सत्संग प्रस्तुत किया गया। इन कार्यक्रमों से वहां रह रहे भारतीयों में अपनी संस्कृति के प्रति एक नया उत्साह जगा, तो एकल अभियान को भी बल मिला। हाल ही में ये कथाकार स्वदेश लौटे हैं। अमेरिका में भारतीय संस्कृति की गंगा बहाने के लिए इन कथाकारों को सम्मानित किया गया।
ल्ल प्रतिनिधि
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