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‘‘खालसा पंथ का महान इतिहास, कुर्बानियों एवं महान गौरव गाथाओं से भरा हुआ है। उस समय अगर श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज अपने परिवार का महान बलिदान न देते तो आज हम मानसिक एवं भौगोलिक स्थिति में गुलामी की जंजीरों से जकड़े होते। खालसा पंथ की विजय पूरे भारत वर्ष की विजय थी। आज हम उन्हीं के कारण खुली हवा में सांस ले रहे हैं। ऐसे महान गुरु की कुर्बानियों को हमारा शत-शत नमन।’’ उक्त बातें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने कहीं। वे पिछले दिनों नई दिल्ली के एनडीएमसी सभागार में संकल्प द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इस अवसर पर ‘पंजाब की विजय गाथाएं’ पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सिख संगत के मुख्य संरक्षक सरदार चिरंजीव सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन श्री अविनाश जायसवाल, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अवतार सिंह शास्त्री एवं संकल्प के अध्यक्ष श्री संतोष तनेजा, दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के उपाध्यक्ष सरदार हरमनजीत सिंह सहित अन्य गण मान्यजन उपस्थित थे।
प्रतिनिधि
नहीं रहे धम्मा वीरियो
पिछले दिनों अखिल भारतीय भिक्खु महासंघ के संघनायक और पूर्व राज्यसभा सदस्य श्री डॉ. धम्मा वीरियो का दिल्ली के एम्स में महानिर्वाण हो गया। वे 87 वर्ष के थे। डॉक्टर वीरियो 2002 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। साथ ही वे अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, आदिवासी आयोग के अध्यक्ष तथा भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड के सदस्य रहे। गौरतलब है कि डॉ. धम्मा वीरियो का जन्म 1929 में म्यांमार(बर्मा) में हुआ था । डॉ. वीरियो आजन्म सेवाव्रती रहे। सामाजिक कार्यों की ओर उनकी प्रवृत्ति बचपन से ही थी। दार्जिलिंग, सिक्किम में उन्होंने 3000 बच्चों के लालन-पालन की व्यवस्था की। आजादी के बाद सिक्किम के भारत में विलय में भी डॉ. वीरियो की महती भूमिका रही। प्रतिनिधि
विकास का श्रेष्ठतम मार्ग सहकारिता
‘‘भारत के समग्र विकास का श्रेष्ठतम मार्ग सहकारिता से होकर जाएगा, क्योंकि सहकारिता पिछड़े, गरीब, वंचित, बेरोजगार लोगों के आर्थिक उत्थान व स्वावलंबन का सशक्त माध्यम है। इन वर्गों के विकास के बिना एक समृद्ध राष्ट्र की कल्पना साकार नहीं हो सकती।’’ उक्त बातें सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन ने लखनऊ में विश्व संवाद केद्र द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में कहीं।
उन्होंने कहा कि समृद्ध भारत से सबल भारत के लिए सहकारिता के युगानुकूल नीति बनाकर वर्तमान परिवेशानुसार प्रक्रिया खड़ी कर, जनसामान्य में विश्वास जमाकर सहकारिता को फिर से स्थापित करें। क्योंकि यही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हमारा प्रयास सफल होगा। हमारा उद्देश्य समाज के वंचित, गरीब और उस तबके को राहत देना है जो वास्तव में इसकी ओर आस लगाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह वर्ष सहकार भारती के प्रेरणा पुरुष स्व. लक्ष्मणराव ईमानदार जी का जन्म शताब्दी वर्ष है। सहकार भारती इस वर्ष सभासदों के व्यापक जागरण व सहकारी संस्थाओं के संपर्क अभियान के साथ व्याख्यानमाला, सहकार चेतना यात्रा, सहकारिता मेला जैसे अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। (विसंकें,लखनऊ)
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