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यहूदी कई पीढ़ियों से भारत में रह रहे हैं। अनुमान है कि इस समय लगभग 6,000 यहूदी भारत में हैं और कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इनकी रगों में भारत का खून बहता है और दिल धड़कता है इस्रायल के लिए। नरेंद्र मोदी की इस्रायल यात्रा से दोनों देशों के संबंधों ने नई ऊंचाई छुई
विवेक शुक्ला
राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट के पास हुमायूं रोड पर जूदाह ह्याम सिनेगॉग (यहूदियों का पूजा स्थल) है। यह उत्तर भारत का एक मात्र सिनेगॉग है। दिल्ली में रहने वाले यहूदी परिवार नियमित रूप से यहां पूजा करने के लिए आते हैं। सिनेगॉग के रब्बी (पुजारी) एजकिल आइजेक मलेकर कहते हैं, ‘‘हम चाहते हैं कि भारत-इस्रायल के रिश्ते मधुर होते रहें। हम यहूदियों के लिए दोनों देश प्रिय हैं।’’
कुछ समय पहले तक यह सिनेगॉग अन्य पूजा स्थलों की तरह ही था, लेकिन अब आतंकवादी संगठनों के खतरों को देखते हुए इसके बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है। इस्रायल के वरिष्ठ नेता शिमोन पेरेज और वहां की नौसेना के प्रमुख वायस एडमिरल रेम रूतबर्ग इस सिनेगॉग में आए थे। उन दोनों ने दिल्ली में रहने वाले यहूदियों से बातचीत की थी। खान मार्किट के पास स्थित इस सिनेगॉग के एक तरफ होटल ताज मानसिंह है, तो उसके करीब ही संघ लोकसेवा आयोग और दूसरे सरकारी विभागों की इमारतें भी हैं। समीप में ही एक पुस्तकालय भी है। इसमें यहूदी मत से संबंधित पुस्तकें हैं। यहीं दिल्ली का यहूदी समाज बीच-बीच में मिलता रहता है। दिल्ली में बड़ी संख्या में भारतीय यहूदी परिवार रहते हैं। ये अधिकतर कॉर्पोरेट संसार से जुड़े हैं। वैसे भारत में करीब 6,000 यहूदी हैं।
भारत-इस्रायल संबंध
भारत-इस्रायल संबंधों की शुरुआत 17 सितंबर, 1950 को हुई थी। उसी समय भारत ने इस्रायल की स्थापना को मान्यता दी थी। 1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी स्थापित हो गए थे। यहूदी एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं। आज से करीब 4,000 साल पुराना यहूदी पंथ वर्तमान में इस्रायल का राष्टÑीय पंथ है।
मुंबई की आपाधापी से भरी जिंदगी में कुछ इस तरह की जगहें अभी बची हैं, जहां पर सन्नाटा पसरा रहता है, जहां जाकर लगता है कि जिंदगी की रफ्तार थम-सी गई है। हम बात कर रहे हैं मुंबई के महालक्ष्मी ज्यूइश सेमेटरी की। जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह मुंबई में यहूदियों का कब्रिस्तान है, जो करीब 90 साल पुराना है। हिन्दी फिल्मों के गुजरे दौर के मशहूर अभिनेता डेविड, अंग्रेजी के लेखक और कवि निजिम एजकिल और दूसरे कई यहूदी भी यहां दफन हैं। मुंबई में लगभग 1,000 यहूदी रहते हैं। पुणे शहर में भी काफी यहूदी रहते हैं। भारत में सर्वाधिक यहूदी महाराष्ट्र में रहते हैं।
रब्बी एजकिल आइजेक मलेकर को यकीन है कि भारत में रहने वाले हरेक यहूदी के खून में भारत और दिल में इस्रायल है। भारत के यहूदियों के लिए भारत से अच्छा कुछ नहीं है। एजकिल हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, हिब्रू बोल लेते हैं। मुहम्मद रफी उनके पसंदीदा गायक हैं। वे ‘बैजू बावरा’ फिल्म का मशहूर गीत ‘ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले’ गुनगुनाते हैं। एजकिल पहले महाराष्टÑ में रहते थे, लेकिन अब उनका परिवार दिल्ली वाला हो गया है।
इसलिए अक्सर वे खान मार्केट में घूमते हुए मिल जाएंगे। वे यू ट्यूब पर दिलीप कुमार और देवानंद की फिल्में देखना पसंद करते हैं। रात के समय सारा परिवार मराठी धारावाहिक भी देखता है। एजकिल के बेटे दक्षिणी दिल्ली के म्युजिक स्कूल में पढ़ाते हैं। वे बाबा रामदेव के भक्त हैं। बेटी शादी के बाद मुंबई में रहती है। दोनों बच्चे बाबा रामदेव के भक्त हैं और इस कारण शाकाहारी हैं। एजकिल कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्रायल यात्रा से पाकिस्तान और चीन सबसे अधिक परेशान होंगे। अब आने वाला समय बताएगा कि मोदी की इस्रायल यात्रा दोनों देशों के लिए विकास की राह पर किस रफ्तार से बढ़ती है।
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