‘योगमय बनाएं अपना जीवन’
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‘योगमय बनाएं अपना जीवन’

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Jul 3, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Jul 2017 11:27:56

‘‘योग जीवन पद्धति है। योग को जीवन में उतारकर योगमय जीवन बनाना चाहिए।’’ उक्त वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने दिया। वे गत दिनों लखनऊ के विश्व संवाद केन्द्र के अधीश सभागार में पाक्षिक पत्रिका ‘अवध प्रहरी’ के योग विशेषांक के विमोचन अवसर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गीता के अट्ठारह अध्यायों में योग है। हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने योग दिया। योग है क्या, इसे जानना आवश्यक है। अष्टांग योग में एक अंग आसन और एक प्राणायाम है। लेकिन इसके छह और अंग भी हैं। योग मन और शरीर को जोड़ता है। मन को केन्द्रित करना कठिन है। जब मन में सकारात्मकता हो, मन लोक कल्याण में लगे, तभी हम मन को एकाग्र कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि योग अभ्यास में हम आसन और प्राणायाम करते हैं, वह तो योग का आरम्भ है। हमें योग की पूर्णता के लिये प्रयास करना चाहिए। योग बड़े जगत में प्रवेश का द्वार खेलता है। यह मन पर नियंत्रण के अभ्यास से होगा। उन्होंने कहा कि भारत ने समस्त मानवता के लिये सदा-सर्वदा के लिए योग प्रदान किया है। इस पर हम भारतीयों और हिन्दुओं को गर्व होता है। विश्व में आज पर्यावरण के साथ गलत व्यवहार हो रहा है, यह भारत में भी हो रहा है। हमारे यहां पहले ऐसी जीवनचर्या नहीं थी। हर कार्यक्रम, उत्सव व मांगलिक अवसर पर हम पर्यावरण की चिंता करते थे। हम सबको फिर से उसी पद्धति की ओर लौटना होगा और पर्यावरण की रक्षा करनी होगी।          (विसंकें, लखनऊ )

‘विषमता में जीना सिखाता संघ’
‘‘हमारे महापुरुषों ने भारतवर्ष की सृष्टि को समरसता के सूत्रों में हमेशा से एकीकृत करने का प्रयोग किया है और वर्तमान में इसका प्रकटीकरण हमें देखाई देता है, एक स्वयंसेवक के अनुशासन में। हमारा पड़ोसी किस जाति का है, किसान है या मजदूर, वकील है या डॉक्टर, छात्र है या व्यापारी, नौकरी करता है या बेरोजगार, धनी है या निर्धन, शिक्षित है या अशिक्षित, ये सब बातें उस समय गौण हो जाती हैं, जब हम सब भाई की भावना के साथ संघ के प्रशिक्षण वर्ग में प्रवेश करते हैं और भारत माता हम सबकी माता है, इस भाव से समाज में आते हैं।’’ उक्त बातें राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख श्री गुणवंत सिंह कोठारी ने कहीं। वे पिछले दिनों ब्रजप्रांत के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के फतेहाबाद रोड स्थित कुंडौल ग्राम के स्प्रिंग फील्ड इंटर कॉलेज प्रांगण में समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ 92 वर्षों से समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में भारतीय जीवन मूल्यों को संबल देने, उनका संरक्षण करने तथा राष्टÑीय एकता-अखंडता को मजबूती प्रदान करने का कार्य सहज रूप से कर रहा है। चरित्र निर्माण के लिए शारीरिक परिश्रम बहुत आवश्यक है। व्यक्ति में आध्यात्मिक विषय के संस्कार होना भी आवश्यक है। संघ व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करता है और जीवन की विषमता में भी जीने की कला सिखाता है। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य आज देश की सीमाओं को लांघकर अंतरराष्टÑीय क्षितिज पर अपनी विशेष पहचान बनाने में समर्थ हुआ है। यह सब अपने देव-दुर्लभ कार्यकर्ताओं के बल पर हुआ है। ऐसे ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं का निर्माण संघ की दैनन्दिन शाखा और प्रशिक्षण वर्गों में होता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थी स्वयंसेवकों से कहा कि समाज में समरसता व सेवा कार्यो द्वारा राष्टÑ को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने के कार्य में जुटें, क्योंकि सामाजिक व्यवस्था में समरसता एक श्रेष्ठ तत्व है। समापन अवसर पर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के ब्रजप्रांत प्रचारक डॉ़ हरीश, वर्ग पालक राजपाल, प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख श्री सतीश सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।   (विसंकें, आगरा)

संघ का लक्ष्य छुआछूत मुक्त भारत
पिछले दिनों हरियाणा के भिवानी में 20 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का समापन समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संघ स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देकर राष्टÑनिर्माण के कार्य में लगा रहा है। संपूर्ण देश में प्रतिदिन लाखों स्वयंसेवक तथा राष्टÑ सेविका समिति की हजारों सेविकाएं राष्टÑ निर्माण में साधनारत हैं। उन्होंने कहा कि राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ एक सामाजिक संगठन है तथा देश की नींव को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहा है। बाहरी मैल को समाप्त करने के लिए पानी, साबुन, तेल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अंदरुनी मैल को समाप्त करने के लिए सत्संग व सत्कार्य जैसी संघ की विचारधारा से जुड़ना होता है। संघ की शाखा में देश प्रेम व देशवासियों के प्रति प्रेम के भाव दिए जाते हैं। सामाजिक समानता के लिए संघ में छुआछूत को दूर रखा जाता है, यहां सब भारतीय हंै तथा भारतीयता की भावना से एक साथ एक सूत्र में बंधे हैं। छुआछूत अधर्म है, पाप और अपराध है। छुआछूत मुक्त भारत संघ का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि संघ में सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका का निर्वहन करने के गुर भी दिए जाते है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब सुदामा मिलने गए तो उन्होंने सबसे पहले दूर खड़े सुदामा से गले लगकर उनकी समस्या का निवारण किया और अपने कुशल राजा होने का परिचय दिया था।        (विसंकें,भिवानी)

‘आपातकाल ने लोकतंत्र को घायल किया’
विश्व संवाद केन्द्र और उत्तरांचल उत्थान परिषद, देहरादून द्वारा पिछले दिनों डीएवी (पीजी) कॉलेज के दीनदयाल सभागार में ‘आपातकाल की यादें’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नैनीताल से सांसद श्री भगत सिंह कोश्यारी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि आपातकाल देश के लोकतंत्र पर काला धब्बा था। इस याद करना और नई पीढ़ी को यह बताना हम सबकी जिम्मेदारी है। आपातकाल ऐसी घटना थी, जिसको याद रखना इसलिए जरूरी है कि हमारी नई पीढ़ी को इस ऐतिहासिक घटना के विषय में जानकारी रहे और भविष्य में ऐसी कोई बुरी घटना ना घटे। जैसे, हिटलर को भूलना, हिटलर जैसे हजारों हिटलरों को पैदा करने का संकट मोल लेना हो सकता है। वैसे ही किसी भी ऐतिहासिक घटना को भूलना संकट मोल लेना है और नई पीढ़ी को उस जानकारी से दूर रखना है। उन्होंने कहा कि आपातकाल ने देश के लोकतंत्र को घायल किया, लेकिन जिस तरह से संघ के लोगों ने इसका अहिंसात्मक विरोध किया, उसने आपातकाल से ज्यादा देश के इतिहास को प्रभावित किया और देश के सामने एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया जो आने वाली पीढ़ियों को बहुत समय तक प्रभावित करेगा। विश्व संवाद केंद्र के निदेशक श्री विजय कुमार ने कहा कि 42 साल पहले 25 जून, 1975 को भारत के लोकतंत्र के इतिहास में एक घटना घटी, जिसे लोकतंत्र के लिए काला दिन कहा गया। इस दिन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल घोषित किया। लोकतंत्र की रक्षा के लिए ऐसी घटना का स्मरण नई पीढ़ी के लिए बहुत आवश्यक है।     (विसंकें,देहरादून)

सबकी चिंता करते स्वयंसेवक
गत दिनों जगन्नाथ पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सैंकड़ों स्वयंसेवकों ने उत्कल विप्पन सहायता समिति के साथ मिलकर यात्रा में सहभागी   भक्तजनों को प्राथमिक चिकित्सा से लेकर, एंबुलेंस, पीने का पानी एवं यातायात प्रबंधन सहित विभिन्न कार्यों में लगकर सेवाकार्य करने का दायित्व निभाया। इस दौरान संघ के वरिष्ठअधिकारी एवं स्वयंसेवक उपस्थित रहे।     पंचानन अग्रवाल

दुनिया का नेतृत्व करने की दिशा में भारत
‘‘वैज्ञानिक अनुसंधानों के मामले में भारत की आज पूरी दुनिया में धमक है। अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने के लिये अमेरिका अब भारत पर ही भरोसा करता है। दुनिया के 1,203 सरकारी अनुसंधान संगठनों में भारत की सीएसआईआर आज 12वें स्थान पर है।  इन सभी उपलब्धियों के साथ भारतीय वैज्ञानिक दुनिया की सबसे बड़ी टेलिस्कोप परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूरी दुनिया का नेतृत्व करने के लिए इसे भारत का ‘रिहर्सल’ कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।’’ यह कहना है केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का। वे पिछले दिनों नई दिल्ली के अनुसंधान भवन में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दिल्ली के प्रमुख पत्रकार संगठन, दिल्ली पत्रकार संघ (डीजेए) द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में बोल रहे थे। परिचर्चा में सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. गिरीश साहनी ने पत्रकारों के साथ खुलकर संवाद किया। दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह ने डॉ. हर्षवर्धन द्वारा शुरू किये गए पल्स पोलियो अभियान का स्मरण करते हुए कहा कि उनके इस प्रयास से आज भारत पोलियो मुक्त हो सका है। दिल्ली पत्रकार संघ के महासचिव प्रमोद कुमार ने डॉ. हर्षवर्धन को आश्वस्त किया कि उनके मंत्रालय द्वारा किये जा रहे जनोपयोगी अनुसंधानों को संघ जन-जन तक पहुंचाने में दिल्ली पत्रकार के सदस्य पूर्ण मनयोग से सहयोग करेंगे।       प्रतिनिधि

आपातकाल की पीड़ा अब भी है याद
़पिछले दिनों नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में
आपातकालीन संघर्ष समिति द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली के सह प्रांत संघचालक श्री आलोक कुमार ने ‘आपातकालीन संघर्ष कथा’ पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न गणमान्यजनों ने आपातकाल के दंश को न केवल याद किया बल्कि कई लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से केन्द्रीय मंत्री श्री विजय गोयल उपस्थित थे।     प्रतिनिधि

सुरेश शर्मा नहीं रहे
भारत प्रकाशन (दिल्ली) लिमिटेड के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक श्री सुरेश शर्मा का 25 जून को नई दिल्ली में निधन हो गया। वे रानीबाग स्थित अपने सोसायटी परिसर में एक मित्र से मिलकर घर लौट रहे थे कि अचानक गिर पड़े। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वे लगभग 72 वर्ष के थे, इसके बावजूद पूरी तरह स्वस्थ थे। उन्हें आज तक किसी प्रकार की दवाई खाने की जरूरत नहीं पड़ी थी। 9 जुलाई, 1945 को जन्मे श्री शर्मा 1967 में भारत प्रकाशन से जुड़े। वे कई दायित्वों को निभाते हुए 2005 में सेवानिवृत्त हुए थे। वे पूरी तरह भारत प्रकाशन को समर्पित थे। उनके कर्मण प्रयासों से संस्थान उत्तरोत्तर विकास पथ पर बढ़ता गया। उनके समर्पण को देखते हुए ही सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें 2009 तक भारत प्रकाशन की सेवा करने का अवसर दिया गया था। भारत प्रकाशन की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।            प्रतिनिधि   

‘पूंजीवाद से व्यक्ति विशेष के हित सधते हैं’
‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक समतामूलक छुआछूत और तमाम भेदभावों से मुक्त आर्थिक और सामाजिक रूप से सुदृढ़ राष्ट्र के निर्माण में अपनी स्थापना से निरंतर प्रयासरत है। एक शक्तिशाली और सामर्थ्यवान भारत विश्व में अपना सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सकता है और कमजोर एवं गरीब राष्ट्रों का सहारा बन सकता है।’’ उक्त बातें देश के प्रख्यात अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय संघचालक डॉ़ बजरंग लाल गुप्त ने कहीं। वे गत दिनों सहारनपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 20 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ़ हेडगेवार जी ने संघ के लिए तीन लक्ष्य निर्धारित किए थे। संघ की सोच और प्रयास है कि मंदिरों में सभी को प्रवेश मिले। किसी को भी जातीय और छोटे-बडेÞ के आधार पर मंदिरों में प्रवेश से वंचित ना रखा जाए। डॉ़ हेडगेवार चाहते थे कि पीने के पानी के स्रोतों पर सभी का समान रूप से अधिकार हो। नलों, कूपों और तालाबों से पानी लेने पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाए। समाज के सभी लोग जलस्रोतों का अधिकार पूर्वक इस्तेमाल करें और सभी हिंदुओं का अंतिम संस्कारस्थल एक ही हो। उन्होंने कहा कि पूंजीवाद से व्यक्ति विशेष के हित सधते हैं। पूंजीवाद व्यक्तियों के एकाधिकार और वर्चस्व को तो मजबूत करता है लेकिन समाज को उसका कोई लाभ नहीं मिलता। भारत के पहले 10 अमीरों और अंतिम 10 गरीबों के बीच पांच लाख प्रतिशत का अंतर है। इसलिए भारत को ऐसा नियोजन और आर्थिक सिद्धांत अपनाना होगा जो देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 40 फीसद से ज्यादा लोगों के जीवन में बदलाव ला सके। संघ का प्रयास है कि देश के लोग पुरुषार्थी बनें और भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर सके ताकि कोई भी दुश्मन राष्ट्र भारत की ओर आंख उठाने की हिम्मत ना उठा पाए।          सुरेंद्र सिंघल

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