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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों की एक नई राह तैयार की है। राष्टÑपति ट्रंप के साथ आतंकवाद के विरुद्ध साझा रणनीति बनाने पर सहमति होना बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है
प्रदीप सरदाना
नवरी 2017 में बराक ओबामा की जगह जब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला तब सभी के मन में इस बात की आशंका थी कि, क्या अब अमेरिका और भारत के बीच मधुर संबंध बने रहने वाले हैं। अधिकांश भारतीय ही नहीं, भारत में बसे अधिकांश एनआरआई और अमेरिकियों का भी मानना था कि नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच वैसे रिश्ते तो हो ही नहीं सकते, जैसे मोदी और ओबामा के बीच रहे थे। लेकिन गत 26 जून को मोदी और ट्रंप के बीच अमेरिका में हुई पहली मुलाकात ने सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी का जिस भव्यता और गर्मजोशी से स्वागत किया, वह अभूतपूर्व था। यूं बराक ओबामा ने भी नरेंद्र मोदी के स्वागत में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी थी। चाहे बात व्हाइट हाउस की हो या फिर वहां की जनता द्वारा मेडिसन स्क्वायर में किया गया वह स्वागत, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन फिर भी ट्रंप ने भारत और मोदी के बारे में जिस प्रकार अपने भाव और विचार व्यक्त किये, वे अकल्पनीय थे।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और मोदी सरीखे दो बड़े लोकतंत्रों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच परस्पर सौहार्द और विश्वास की अनुपम कड़ी स्थापित हो गई थी। फिर ओबामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आयु में 11 साल छोटे हैं। कुछ इस कारण भी दोनों के बीच सहजता का रिश्ता था। इसी के चलते मोदी उन्हें बराक कहकर संबोधित करते थे। लेकिन 26 जून को मोदी और ट्रंप की पहली मुलाकात से पहले दोनों नेताओं के बीच तीन बार फोन पर औपचारिक बात जरूर हुई थी। लेकिन पीछे पेरिस जलवायु समझौते से ट्रंप ने जिस प्रकार अमेरिका को अलग करते हुए भारत को लेकर जो तल्ख टिप्पणी की थी, उससे भारत-अमेरिकी संबंधों में एक तिरछी रेखा खिंचती दिखाई देने लगी थी। यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्रंप की कड़ी टिप्पणी का जवाब सख्त शब्दों में तुरंत दे दिया था।
यह सब देखते हुए भी लग रहा था कि मोदी और ट्रंप के रिश्ते मोदी और ओबामा के बीच संबंधों जैसे कतई नहीं हो सकते। फिर पहली मुलाकात में तो मोदी के बड़े स्वागत-सम्मान या किसी बड़ी बात की सम्भावना भी भला कैसे लगायी जा सकती थी। लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई छवि का ही परिणाम था कि दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नई गर्मजोशी देखने को मिली है। मोदी के साथ अपनी मुलाकात में ट्रंप काफी बदले- बदले नजर आये। इस दौरान दोनों का साथ 4 घंटे से अधिक का रहा। ट्रंप भी अपनी पूर्व छवि से उलट एकदम शांत, सहज और प्रसन्न दिखाई दिए। ऐसे ही नरेंद्र मोदी ने भी अपने सिद्धांतों के अनुकूल बराबरी वाला अपना अंदाज कायम रखा।
द्विपक्षीय वार्ता में डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी के साथ जिस तरह आतंकवाद, विशेषकर इस्लामी आतंकवाद का खात्मा करने की बात कही है, उससे यह साफ सन्देश जाता है कि ट्रंप पाकिस्तान की एक-एक नापाक हरकत से भली-भांति परिचित हैं। दोनों देश अब आतंकवाद और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सूचनाएं भी साझा करेंगे। अमेरिका से भारत को 19 ड्रोन भी प्राप्त होंगे। इसके साथ ही अनेक सामरिक और परस्पर सहयोग बढ़ाने के आयामों पर भी विस्तार से चर्चा हुई है। उधर मोदी के अमेरिका पहुंचने से कुछ देर पहले ही ट्रंप ने जिस प्रकार खूंखार पाक आतंकवादी हिज्बुल मुजाहिदीन के मुखिया सैयद सलाउद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया, उससे भी पाकिस्तान की आतंकी हरकतों के पर कतरने में सफलता मिलेगी। इस घोषणा के बाद सलाऊद्दीन की अमेरिका में स्थित संपत्ति भी जब्त हो सकेगी।
डोनाल्ड ट्रंप भारत को कितना महत्व देते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद बीते 6 महीनों में 31 राष्ट्राध्यक्षों ने उनसे भेंट की है। लेकिन ट्रंप ने किसी का भी ऐसा सत्कार नहीं किया था जैसा नरेंद्र मोदी का किया। यहां तक कि ट्रंप ने पहली बार नरेंद्र मोदी के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया। यह ही अपने आप में बड़ी बात है।
गत अप्रैल में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका गये थे तब ट्रंप ने उन्हें भी व्हाइट हाउस में भोज नहीं दिया था। नरेंद्र मोदी को दिया यह सम्मान दर्शाता है कि विश्व मानचित्र पर भारत का महत्व अब सबसे अधिक होने लगा है। फिर डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलेनिया के साथ जिस प्रकार व्हाइट हाउस के द्वार पर लाल गलीचे पर मोदी के आने के इंतजार में खड़े थे, वह अभूतपूर्व था। जो देश अपने सामने किसी को बड़ा नहीं समझता, उस देश का प्रमुख अपनी पत्नी के संग हमारे प्रधानमंत्री के आगमन और स्वागत की प्रतीक्षा कर रहा था। इस दृश्य को देख मोदी विरोधी और देश विरोधी लोगों के सीने पर सांप लोट गए होंगे।
स्वागत-सत्कार के अलावा ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत के बारे में जो कहा उससे दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात स्वर्णिम, ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बन गयी है जिसका जिक्र बरसों तक होता रहेगा। इसका श्रेय निश्चय ही नरेंद्र मोदी को जाता है। यह उनके अपने व्यक्तित्व, कार्यों, योजनाओं, परिश्रम, साफगोई और व्यवहार का ही प्रतिफल है कि ट्रंप पहली मुलाकात में ही मोदी के मुरीद बन गए।
यूं यह सर्वविदित है कि ट्रंप ने पिछले वर्ष अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही मोदी और भारत की जमकर प्रशंसा की थी। साथ ही मोदी के चुनाव प्रचार ‘अबकी बार मोदी सरकार’ की तर्ज पर ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा दिया था। अमेरिका में बहुत से लोगों का कहना है कि ट्रंप का यह नारा इतना प्रभावशाली सिद्ध हुआ कि हिलेरी क्लिंटन के पास आती अमेरिकी सत्ता उनसे दूर हो झटके से ट्रंप की झोली में पहुंच गयी। लेकिन ट्रंप जैसा व्यक्ति विजयी होकर, अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति बनने के बाद भी मोदी के गुण गाए, तो यह आश्चर्य से कम नहीं।
फिर ट्रंप के नरेंद्र मोदी को लेकर कहे गए कुछ कथन उन विपक्षी राजनीतिकों की नींद भी उड़ा गए जो हर बात पर मोदी का विरोध और उन्हें कोसने का काम करते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप का कहना था-‘‘मोदी एक महान प्रधानमंत्री हैं, उनका काम बेहद शानदार है। जिस तरह मोदी आर्थिक मोर्चे पर काम कर रहे हैं उसके लिए वे सम्मान के पात्र हैं।’’ यह बात उन सबके लिए नसीहत है जिन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थोें के चलते नरेंद्र मोदी के बारे में इस सच को मानने की बजाय अपनी आंखें मूंदी हुई हैं। ट्रंप का यह कहना भी इतिहास में दर्ज हो जाएगा कि ‘‘भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती के इतने मजबूत रिश्ते पहले कभी नहीं रहे। हम आज दोनों सोशल मीडिया में वर्ल्ड लीडर हैं। मोदी की उपलब्धियों को देख मैं उन्हें सलाम करता हूं।’’
निश्चय ही यह सब नरेंद्र मोदी के साथ ही भारत के हर नागरिक के लिए सम्मान और गौरव की बात है। यह प्रधानमंत्री के अथक परिश्रम, सूझ-बूझ और प्रयासों का परिणाम है कि जो अमेरिका भारत को महत्व नहीं देता था या जो नरेंद्र मोदी को लेकर संकीर्ण विचारधारा रखता था, आज वही अमेरिका मोदी के स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछा रहा है, भारत का गुणगान कर रहा है। यह सब देख सहज विश्वास होने लगा है कि भारत अब विश्वशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है। ल्ल
भारत के सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिए अपने सभी प्रमुख कार्यक्रमों और योजनाओं में हम अमेरिका को अपना प्रमुख साझीदार मानते हैं। नए भारत के लिए मेरे नजरिए और राष्टÑपति ट्रंप के मेकिंग अमेरिका ग्रेट अगेन में तालमेल हमारे सहयोग को नया आयाम देगा।
-नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
भारत और अमेरिका के बीच संबंध पहले कभी इतने मधुर नहीं रहे। मैं आपके (नरेन्द्र मोदी) साथ काम करने के लिए, हमारे देश में रोजगार सृजन के लिए, अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने के लिए तथा निष्पक्ष एवं पारस्परिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक हूं।
-डोनाल्ड ट्रंप, राष्टÑपति, अमेरिका
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