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'स्त्री को वस्तु की तरह देखना उसकी विशिष्टता, विविधता एवं समृद्धि से इनकार करना है। शताब्दियों से कमजोर चरित्र के रूप में वर्णित स्त्री दुर्गा सप्तशती में दिव्य शक्तियों का एकात्म स्वरूप है। उक्त विचार विशिष्ट कवि, चिंतक तथा मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति सचिव श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव ने व्यक्त किए।
वे कोलकाता के महाजाति सदन एनेक्सी में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दुर्गा सप्तशती लिंगभेद और देहाकर्षण के विरुद्ध विद्रोह है। ऐसे दौर में जब मातृत्व का बाजारीकरण हो रहा है, दुर्गा सप्तशती नारी-सम्मान का जीवंत उद्घोष है। समारोह के अध्यक्ष प्रतिष्ठित विद्वान ड़ॉ सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि दुर्गा विराट शक्ति का सम्पुंज हैं। भारतीय संस्कृति और वांग्मय में वैदिक काल से नारी की महाशक्ति की महिमा का उल्लेख है। कार्यक्रम में 'विचार प्रवाह' ग्रंथ का लोकार्पण भी
किया गया। -प्रतिनिधि
सबके साथ मित्रता है संघ-मंत्र
गत दिनों गुजरात के भावनगर,अकवाड़ा गुरुकुल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग (कच्छ विभाग, सौराष्ट्र विभाग तथा कर्णावती) का समापन समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम में अकवाड़ा गुरुकुल के मार्गदर्शक पू़ श्री विष्णु स्वामी तथा मुख्य अतिथि के रूप में वैज्ञानिक श्री महेश भाई गांधी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रा.स्व.संघ के गुजरात प्रांत के सह संपर्क प्रमुख डॉ. सुनील भाई बोरिसा ने कहा कि व्यक्ति निर्माण द्वारा राष्ट्र निर्माण अपनी संस्कृति रही है। उसी परंपरा को संघ ने पिछले 90 वषोंर् से व्यवहार में रखा है। संघ कार्य में किसी का विरोध नहीं है, बल्कि सबके साथ मित्रता ही संघ-मंत्र है।
उन्होंने कहा कि अपने देश में वर्तमान में आंतरिक सुरक्षा को लेकर राष्ट्रद्रोही कार्य, आतंकवाद, नक्सलवाद, बंगाल-केरल में सांस्कृतिक संगठनों पर अत्याचार आदि राजकीय सहयोग के कारण चल
रहे हैं।
संघ द्वारा किये जा रहे राष्ट्र जागृति के कार्य के विषय में कहा कि संघ द्वारा समाजोपयोगी विविध विषयों पर कार्य हो रहा है। विश्व शांति का आरंभ परिवार से ही होता है। समाज में एकता, बंधुता का निर्माण राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है जो समरसता के बिना संभव नहीं है।
(विसंकें, गुजरात)
'पत्रकारों को नहीं
सहन करना अन्याय'
पिछले दिनों गुजरात में देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक श्री मुकेशभाई मलकान, मुख्य वक्ता पद्मश्री विष्णुभाई पंड्या (अध्यक्ष, गुजरात साहित्य परिषद) तथा विसंकें, गुजरात के न्यासी हरेश भाई ठक्कर ने दीप प्रज्जवलन करके किया। इस अवसर पर श्री विष्णुभाई पंड्या ने कहा कि आज 21वीं सदी के युग में श्री नारद का आदर्श रखना एक कौतुक पैदा करता है। नारदजी के विषय में नारद पुराण में 25,000 श्लोक हैं। नारद जी सकल ब्रह्माण्ड की जानकारी रखते थे। उनसे पत्रकारों को सीखना होगा। अन्याय सहन न करना पत्रकारों का स्वभाव होना चाहिए।
-(विसंकें, गुजरात)
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