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न्यूजीलैंड नए आईटी हब के रूप में उभर रहा है। राजधानी वेलिंगटन और ऑकलैंड को सिलिकॉन वैली के रूप में तैयार किया जा रहा है। करीब दस साल पहले भी न्यूजीलैंड ने आईटी हब बनाने की कोशिश की थी, लेकिन तब उसे सफलता नहीं मिली थी। इसके पीछे कई वजहें थीं, जिनमें सबसे बड़ी वजह दूरी थी। इसके अलावा, उसने कुछ बड़े वादे किए थे, जिन्हें पूरा नहीं किया। लेकिन उसका दूसरा प्रयास सफल होता दिख रहा है। इसमें बदलते वैश्विक परिदृश्य, खासकर अमेरिका की नई नीतियां उसके लिए उत्प्रेरक का काम कर रही हैं। अमेरिका में राजनीतिक माहौल, वीजा, आव्रजन, मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने जैसी घोषणाएं सिलिकॉन वैली के आईटी विशेषज्ञों को बेचैन कर रही हैं। उधर, यूरोप में ब्रेग्जिट के कारण लंदन से भी निवेशकों का मोह भंग हो रहा है। अब वे अनिश्चितता के माहौल से निकलना चाहते हैं। अमेरिकी विशेषज्ञ सैम आल्टमैन और स्कॉट नोलन भी मानते हैं कि न्यूजीलैंड में सिलिकॉन वैली के लिए जरूरी सारी सुविधाएं मौजूद हैं। दोनों ने कैलिफोर्निया के प्रसिद्ध स्टार्टअप हब सिलिकॉन वैली में वर्षों काम किया है। सैम आल्टमैन स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाली संस्था वाई कॉम्बिनेटर के अध्यक्ष हैं, जिसने बीते एक दशक में 700 से अधिक स्टार्टअप का वित्तपोषण किया है। वहीं, नोलन फाउंडर्स फंड नामक उद्यम पूंजी फर्म में साझीदार हैं और सैम आल्टमैन के सहयोगी हैं। फाउंडर्स फंड सिलिकॉन वैली की अग्रणी उद्यम पूंजी फर्म है। इन विशेषज्ञों के मुताबिक, न्यूजीलैंड में नवोन्मेष कंपनियां उभर रही हैं। उनका मानना है कि न्यूजीलैंड वैश्विक स्तर पर सिलिकॉन वैली के रूप में विकसित हो सकता है। अमेरिका में बढ़ते निवेशक और कारोबारी देश के बाहर ऐसे स्थानों की तलाश कर रहे हैं जहां निवेश किया जा सके। कई स्टार्टअप कंपनियों ने न्यूजीलैंड में रुचि दिखाई है, जिसका उसे फायदा मिल सकता है। ऐसे कई कारण हैं जिसके चलते बड़ी तादाद में सिलिकॉन वैली के बाहर स्टार्टअप लगाए जा रहे हैं। इनमें एक वजह यह है कि कैलिफोर्निया में रहना महंगा होता जा रहा है। इसके कारण कारोबारी दूसरी जगह तलाश रहे हैं। खास बात यह है कि न्यूजीलैंड में कारोबार को लेकर एक खुला माहौल है। वहां कंपनियां सहयोग करती हैं, विचार साझा करती हैं और यह बताने में संकोच नहीं करतीं कि वे क्या कर रही हैं। सिलिकॉन वैली का माहौल इतना खुला हुआ नहीं है। वहां बहुत सारे छोटे व्यवसायों में ऐसी बातों को गुप्त रखने की प्रवृत्ति है जो प्राय: उन्हें आगे बढ़ने से रोकती हैं।
सस्ता है कारोबार करना
न्यूजीलैंड को वैश्विक परिदृश्य, अमेरिका की नई नीतियों और वहां के राजनीतिक हालात का तो फायदा मिल ही रहा है, उसने खुद को नए निवेश के लिए तैयार भी किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सैन फ्रांसिस्को और कैलिफोर्निया में रहना जहां काफी महंगा हो गया है, वहीं वेलिंगटन और ऑकलैंड जैसे शहर अपेक्षाकृत काफी सस्ते हैं। न्यूजीलैंड के इन शहरों में किफायती दर पर जगह उपलब्ध है और रहन-सहन पर आने वाले अन्य खर्चे भी अनुकूल हैं। इसके अलावा, इस देश में कारोबार शुरू करने के लिए लंबी-चौड़ी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। यानी यहां कारोबार करना न केवल सस्ता, बल्कि बहुत आसान भी है। साथ ही, यह दुनिया का ऐसा देश है जहां भ्रष्टाचार बहुत कम है और लोगों का रहन-सहन उच्च स्तर का है। महत्वपूर्ण बात यह कि पूंजी लाभ पर कर नहीं लगता है। कुशल कर्मियों और उद्यमियों को अपेक्षाकृत वीजा भी आसानी से मिल जाता है। इन्हीं वजहों से निवेशक न्यूजीलैंड को कारोबार के लिहाज से ज्यादा अनुकूल मान रहे हैं और उनके लिए दूरी भी मायने नहीं रख रही है।
ग्लोबल ऑन्ट्रप्रेन्योर वीक के पूर्व सह निदेशक डेरेक हैंडली के अनुसार, न्यूजीलैंड दुनिया का सबसे खूबसूरत और मैत्रीपूर्ण देश है। यहां काम खत्म करके घर जाते हुए समुद्र या समुद्र तट को निहारना प्रेरणास्पद है जो आपको प्रकृति तथा जीवन की अहम चीजों के साथ पुन: संतुलित करता है। महत्वपूर्ण बात यह कि यहां कोई भी व्यक्ति जिंदगी को गंभीरता से नहीं लेता। यह एक अच्छी बात है। न्यूयॉर्क या हांगकांग जैसी वैश्विक राजधानियों में अधिकांश लोग जीवन को बेहद गंभीर बना लेते हैं तथा आम भावना और अच्छे व्यवहार के विपरीत गला-काट स्पर्धा करते हैं।
अमेरिका छोड़ रही कंपनियां
अमेरिका की कुछ कंपनियों ने न्यूजीलैंड में काम करना शुरू कर दिया है। अमेरिका में वीजा नियमों में सख्ती और बदलते माहौल के कारण आईटी विशेषज्ञ भी इस पर सोच-विचार कर रहे हैं। कई लोग तो सिलिकॉन वैली से ऑकलैंड में बस गए हैं और वहां अपनी कंपनियां शुरू कर ली हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, न्यूजीलैंड में मई महीने में 100 डेवेलपर्स को लाने का कार्यक्रम है, जिसके लिए 'वाइन देम, डाइन देम एंड ऑफर देम जॉब' अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कम से कम 2,500 आवेदन मिलने की उम्मीद की जा रही है। वहीं, 'लुक सी वेलिंगटन' कार्यक्रम के तहत 48,000 आवेदन मिले, जिनमें अधिकांश लोग गूगल, एमेजॉन, फेसबुक, एमआईटी और नासा से जुड़े हैं। वैसे इस कार्यक्रम का उद्देश्य अमेरिकी सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को आकर्षित करना था। लेकिन इसने भारतीयों को भी आकर्षित किया और उन्होंने अमेरिकियों को पीछे छोड़ दिया।
न्यूजीलैंड की नागरिकता हासिल करना भी मुश्किल नहीं है। शर्त यह है कि नागरिकता हासिल करने के लिए शुरुआती पांच वर्षों का 70 फीसदी समय न्यूजीलैंड में बिताना होगा। वैसे न्यूजीलैंड भी वही कर रहा है जो पहले अमेरिका ने किया। अमेरिका की तरह ही उसने दूसरे देशों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। न्यूजीलैंड में मौजूद बड़ी कंपनियों में से 50 फीसदी कंपनियां दूसरे देशों की हैं।
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