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''सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल, ऐसी बस्तियां जहां पर अनुसूचित जाति के बन्धु रहते हैं, उनका विकास होना चाहिये। वहां सड़क, बिजली, पानी आदि सभी सुविधाएं होनी चाहिये।'' उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री वी़ भागय्या ने कहीं। वे समरसता मंच, जयपुर द्वारा
ड़ॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर सुश्रुत सभागार (मेडिकल आडिटोरियम) में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बाबासाहेब जगद्गुरु शंकराचार्य जैसे विद्वान थे। उनमें विवेकानन्द जैसी संवेदनाएं थीं। वे समाज सुधारक थे, शिक्षक थे, विधिवेत्ता व समाजशास्त्री थे। उनका व्यक्तित्व उच्च कोटि का था। हमें बाबासाहेब के सपनों को पूरा करने के लिये ऐसा समाज बनाना है, जहां कोई विषमता, अस्पृश्यता, भेदभाव आदि न हो। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस अधिकारी श्री बीएल आर्य ने बाबासाहेब के जीवन की चर्चा करते हुए उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज का अनुसूचित जाति का युवा वर्ग देख रहा है कि सामाजिक समरसता का क्या रूप होगा। लोग इनके विकास के लिये क्या कर रहे हैं। उन्हें सहानुभूति नहीं, सम्मानभूति चाहिये। सच्चे अथोंर् में समानता होनी चाहिये। मतभेद हो सकते हैं, मन भेद नहीं चाहिये।
लजयपुर (विसंकें.)
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