|
सोशल मीडिया – कश्मीर में बंद हो
कश्मीर में अर्द्धसैनिक बलों के साथ हो रही गुंडागर्दी के खिलाफ वे सब चुप रहेंगे जो किसी आतंकवादी पर कपटपूर्ण ढंग से मानव अधिकारों की बात कर मानवाधिकारों के उल्लंघन का ढिंढोरा पीटते हैं। आतंकवादियों के हर बार किसी विशेष समुदाय का होने पर भी कहते हैं कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता, जबकि स्पष्ट है कि आतंकवाद के 90 फीसदी मामलों में एक समुदाय विशेष के लोग ही लिप्त हैं। पर वे यह सब स्वीकार करने से कतराते हैं, क्योंकि इन लोगों ने चरित्र की पवित्रता को अपने तुच्छ स्वार्थों के वशीभूत उसे ताक पर रख दिया है। ऐसे लोग केवल अपना, अपनी पार्टी और समुदाय विशेष का ही भला देखते हैं। ऐसे लोग यदि उचित को अनुचित कहने में अपना भला देखते हैं, तो उसे अनुचित कहेंगे और यदि अनुचित को उचित कहने में फायदा है तो उसे उचित कहेंगे। ऐसे लोगों के लिए नैतिकता, मर्यादा और देशहित कोई मायने नहीं रखता। ऐसे लोग और पार्टियां सैनिकों के साथ कश्मीरी गुंडों द्वारा की गई अभद्रता पर चुप्पी साधने और मौन धारण करने के बाद तब तुरंत हरकत में आ गईं, जब एक कश्मीरी दहशतगर्द को उसके किए की सजा देने के लिए और कानून का शासन स्थापित करने के लिए सैन्य बलों द्वारा उसे जीप के आगे बांधकर घुमाया गया।
अगले ही दिन अखबारों में आ गया कि उसे इस तरह घुमाने से सियासत तेज हो गई है। शर्म है। लानत है। हमें पहचानना है ऐसे लोगों और ऐसी पार्टियों को जो स्वयं पंथ सापेक्ष एवं साम्प्रदायिक रहकर पंथनिरपेक्ष एवं सेक्युलर होने का ढोंग रचती हैं। ऐसे कारिंदों के कुत्सित कारनामों को आप यों समझिए कि ऐसे लोग एक आतंकी, पत्थरबाज, गुंडे, देशद्रोही या षड्यंत्रकारी का पक्ष लेते हैं, उन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध करवाते हैं। धन मुहैया करवाते हैं। एक समुदाय विशेष को दूसरे समुदाय की तुलना में विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं या विशेष छूट देते हैं तो भी ये लोग देशभक्त हैं, पंथनिरपेक्ष हैं एवं साम्प्रदायिक नहीं हैं। पर अगर दूसरा कोई इन सभी देशद्रोही हरकतों एवं नाइंसाफियों का विरोध करता है या इनके खिलाफ बोलता है तो वह इन पाखंडियों की नजर में देशद्रोही है, साम्प्रदायिक हंै एवं पंथनिरपेक्ष नहीं है। गजब है! आश्चर्यजनक है! उलटा चोर कोतवाल को डांटे! जरा विचार कीजिए। केवल सरकार से उम्मीद रखें और हम सोते रहें, केवल इसी से हमारा सुख, चैन, सुखद भाईचारा, सुरक्षा और विकास संभव नहीं है। हमारे जगने, सजग रहने और उचित-अनुचित, भले-बुरे में अंतर को पहचानकर उचित एवं भले को साथ या समर्थन देने से ही हमारा एवं हमारे देश का भला होगा, कल्याण होगा एवं विकास होगा। जय हिन्द! जय भारत!
यदि देशहित मरना पड़े, मुझको सहस्रों बार भी,
तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी,
हे ईश! भारतवर्ष में, शत बार मेरा जन्म हो,
और कारण सदा ही मृत्यु का, देशोपकार कर्म हो।
पुन: जय हिन्द! जय भारत!
(योगेश शर्मा की फेसबुक वॉल से)
घाटी में जहर फैलाते हैं सेकुलर
टिप्पणियाँ