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''भारत को राष्ट्र के नाते आगे बढ़ने के लिये उसकी भारतीयता भी कायम रखने की आवश्यकता है। भारत एक महान राष्ट्र बने, यह सपना हर किसी भारतीय का होता है, परन्तु समाज के सामने अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करने की भी जरूरत होती है।'' उक्त वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। पिछले दिनों वे मुंबई में सुविख्यात चित्रकार वासुदेव कामत की षष्ठिपूर्ति के अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री भागवत ने इस अवसर पर चित्र प्रदर्शनी का भी लोकार्पण किया।
उन्होंने कहा कि कलाकार अपनी कला की अभिव्यक्ति स्वांत बने, सुखाय भाव से करता है। अपनी परंपरा के अनुसार कोई भी कला सत्यम् शिवम् सुंदरम् का दर्शन देने वाली होती है। कला का रसास्वाद जैसे समाज का आम आदमी लेता है, वैसा ही आनंद कलाकार को भी लेना चाहिये। ईश्वर ने मनुष्य को विचार शक्ति का वरदान दिया है। विश्व को उन्नतावस्था में लेकर जाने की क्षमता सिर्फ मनुष्य के पास है। हम सभी को इस क्षमता को कतृर्त्व का साथ देकर समाज को अर्पण करने का काम करना चाहिये। जिससे सभी लोग सुखी और संपन्न हो सकें। ल्ल मुंबई (विसंकें)
'छुआछूत अंग्रेजों द्वारा फैलाया गया षड्यंत्र'
पिछले दिनों जोधपुर में जनचेतना न्यास एवं नगर निगम द्वारा टाउनहाल में डॉ. भीमराव आंबेडकर की 126वीं जयंती पर कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक श्री इंदे्रश कुमार उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छुआछूत एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या है, इसे सामाजिक समरसता के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। जब डॉ. आंबेडकर का जन्म हुआ तब छुआछूत क्रूरता की चरम सीमा पर थी। बाबासाहेब ने हिन्दुओं का कन्वर्जन न हो, इसलिए भारतीय संस्कार एवं संस्कृति से जुड़े बौद्ध मत को स्वीकार कर करोड़ों हिन्दुओं को कन्वर्जन से बचाया। क्योंकि यहां जानते थे कि अस्पृश्यता को कभी धार्मिक, नैतिक व सामाजिक अनुमति नहीं थी। परंपरा नहीं थी। भारत में किसी को भी उसके जातीय नाम से पुराकने की यह परंपरा नहीं थी। यह तो षड्यंत्रपूर्वक अंग्रेजों द्वारा चलाई गई थी। लेकिन अब ऐसे षड्यंत्रों का यहां कोई भी स्थान नहीं है। इसलिए संघ सामाजिक समरसता हेतु प्रयासरत है। ल्ल प्रतिनिधि
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