संसद का सफलतम सत्र
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संसद का सफलतम सत्र

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Apr 17, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 17 Apr 2017 13:20:54

 

कामकाज की दृष्टि से लोकसभा का बजट सत्र न केवल मिसाल बना, बल्कि इस सत्र ने आजादी के बाद अब तक के सबसे बड़े कर सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किया। जीएसटी सहित 24 विधेयक

सदन में पेश किए गए जिसमें से 23 विधेयक पारित हुए

 

 मनोज वर्मा

आमतौर पर कहा जाता है कि संसद में काम कम और हंगामा अधिक होता है, लेकिन 16वीं लोकसभा के 11वें सत्र ने इस धारणा को तोड़ने का काम किया है। कामकाज की दृष्टि से लोकसभा का बजट सत्र न केवल मिसाल बना, बल्कि इस सत्र ने आजादी के बाद अब तक के सबसे बड़े कर सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किया। लिहाजा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा के बजट सत्र को अत्यंत सार्थक, उत्पादक और सांसदों की साख के अनुकूल बताया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में बजट सत्र को बेहद सफल करार देते हुए कहा कि संसद में सत्तापक्ष कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सफल रहा। इसलिए गरीबों और वंचितों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के लिए हमारे समक्ष यह स्वर्णिम अवसर है। यह समय अधिक से अधिक विकास और सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाने का है। वहीं, अधिकांश विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी माना कि कामकाज के लिहाज से संसद का बजट सत्र बेहतर रहा। इसे लोकसभा के सफलतम सत्रों में इसलिए भी गिना जा रहा है, क्योंकि संसद के इस बजट सत्र में मोदी सरकार ने अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही कई परंपराओं को इतिहास के पन्नों में समेटकर देश की अर्थव्यवस्था बदलने के लिए नई दिशा देने वाले कई ऐतिहासिक फैसले लिए। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि जीएसटी की दृष्टि से संसद का बजट सत्र 'भारतीय विधायिका का अनूठा अनुभव' रहा। 

असल में पिछले साल जुलाई में मोदी सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों को आवंटित होने वाले वार्षिक बजटीय प्रावधान को समय से लागू करने की दिशा में आम बजट को वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले संसद की मंजूरी लेने की दिशा में समय से पूर्व यानी 31 जनवरी को बजट सत्र बुलाया, जिसका सकारात्मक नतीजा एक इतिहास के रूप में सामने आया। देश के इतिहास में यह पहला मौका रहा, जब संसद ने बजट प्रक्रिया को नए वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल से पहले ही पूरा करके बजट आवंटन की प्रक्रिया को शुरू किया और देश को विकास की पटरी पर बरकरार रखने की परंपरा को जन्म दिया। इतना ही नहीं, देश के इतिहास में अलग से पेश होने वाले रेल बजट को पहली बार आम बजट में समायोजित किया गया। संसद के बजट सत्र के पहले चरण में हालांकि मोदी सरकार को नोटबंदी के कारण कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों के विरोध का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन दूसरे चरण में छिटपुट विरोध को छोड़कर संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों की भूमिका सकारात्मक रही और उन्होंने देश तथा जनहित के मुद्दों पर एकजुटता के साथ सरकार के फैसलों और विधायी कार्यों का समर्थन किया, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। दरअसल, सत्र के दौरान आम बजट पास होने के साथ जीएसटी से जुड़े विधेयक समेत 23 विधेयक पारित हुए तथा 29 बैठकों में करीब 177 घंटे तक कार्यवाही चली। सत्र के दौरान कुल 29 बैठकें हुईं जो 176 घंटे और 39 मिनट तक चली। इसमें से 7 बैठक पहले भाग में और 22 बैठक दूसरे भाग मे हुईं। इस सत्र के दौरान 24 सरकारी विधेयक सदन में पेश किए गए और कुल मिलाकर 23 विधेयक संसद से पारित हुए।

सरकार के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि 10 साल से भी ज्यादा समय से लटका हुआ जीएसटी बिल आखिरकार लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास हो गया। आर्थिक सुधारों की दिशा में जीएसटी बिल को मील का पत्थर माना जा रहा है। दावा है कि टैक्स को लेकर पूरे देश में क्रांतिकारी बदलाव होगा। जीएसटी को पूरे देश में लागू करने के लिए जरूरी तीन और विधेयक भी साथ में ही पास हो गए, जिसके बाद इसे लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। आजादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े कर सुधार जीएसटी के बाद बहुत से केंद्रीय तथा राज्यीय अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे।  'एक देश-एक कर' व्यवस्था स्थापित करने वाले जीएसटी से देश की आर्थिक वृद्घि में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है तथा माना जा रहा है कि इससे राजस्व का दायरा बढ़ जाएगा और कंपनियों की लागत कुछ कम होगी। राज्यसभा में शत्रु संपत्ति विधेयक पारित कराना भी सरकार की बड़ी उपलब्धि रही। यह विधेयक भी कई वषार्ें से लटका हुआ था।

बात जब कामकाज की होती है तो तुलना लोकसभा और राज्यसभा में कार्य की भी होती है। जैसा कि संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने बताया कि बजट सत्र में लोकसभा में 114 फीसदी और राज्यसभा में 92 फीसदी काम हुआ। गौरतलब है कि लोकसभा में जहां भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का बहुमत है, वहीं राज्यसभा में कांग्रेस और दूसरे भाजपा विरोधी दलों का बहुमत है। विपक्ष ने इस बार भी सरकार को राज्यसभा में बहुमत नहीं होने का एहसास करा दिया। मोदी सरकार द्वारा पहली बार देश के अन्य पिछड़ा वर्ग के हित में राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत सभी दलों के समर्थन से पारित कर दिया गया था। लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मांग पर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया। राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले संविधान (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा में रोके जाने पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैरानी जताते हुए विपक्षी दलों की मंशा पर सवाल खड़े किए और कहा कि जब इस विधेयक का मकसद पिछड़े वर्गों के फायदे से जुड़ा था, तब इसे राज्यसभा में क्यों रोका गया? यह बात उन्होंने भाजपा के ओबीसी वर्ग के सांसदों के समक्ष कही। इसके अलावा, राज्यसभा में 4-5 और ऐसे विधेयक अटके रह गए हैं जो लोकसभा से पारित होकर राज्यसभा में आए थे।

बहरहाल, राज्यसभा में विपक्ष की भूमिका बहस का मुद्दा है। एक सवाल यह भी उठ रहा है कि संसद के बजट सत्र में बेहतर कामकाज की एक वजह उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम भी रहे। जब संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार से यह पूछा गया कि क्या हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों की वजह से विपक्ष का मनोबल गिरने से सरकार का काम आसान हो गया तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि वे सहयोग के लिए विपक्ष को धन्यवाद देते हैं। यही सवाल पूछने पर कांग्रेस के प्रवक्ता पीएल पुनिया ने कहा, ''यह बात सही नहीं है।'' पुनिया कहना था कि जब-जब जरूरी हुआ, विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाया, सदन को स्थगित कराया और अपनी बात मनवाने पर सरकार को मजबूर किया। लेकिन देशहित के मामलों पर विपक्ष ने अड़ंगा नहीं लगाया। यह भी सच है। जाहिर है, भारतीय संसद और लोकतंत्र अब पहले से ज्यादा जनोन्मुखी हो गए हैं और विपरीत मत रखते हुए भी विपक्षी दल सरकार के साथ हैं। गति अच्छी है, बनी रहे यह बड़ी बात है।

*  बजट सत्र के दौरान 24 विधेयक हुए पेश

*  23 महत्वपूर्ण विधेयक पारित

*  जीएसटी से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयकों पर लगी मुहर

*  सत्र के दौरान 136 सवालों का मिला जबाव

*  सत्र के दौरान तय समय से 28 घंटे ज्यादा बैठे सांसद

*  व्यवधान के चलते 8 घंटे हुए बाधित

*  राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 10 घंटे से अधिक चर्चा

*  1 फरवरी को पेश हुआ आम बजट

*  इस बार अलग से पेश नहीं हुआ रेल बजट

*  आम बजट पर लोकसभा में 9 घंटे से अधिक चर्चा

*  रेल, कृषि, रक्षा, गृह मंत्रालय की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा

जीएसटी के लिहाज से संसद का बजट सत्र 'भारतीय विधायिका का अनूठा अनुभव' रहा। 

— अरुण जेटली, वित्त मंत्र

बजट सत्र अत्यंत सार्थक और उत्पादक वाला सत्र रहा, जो हमारी साख के लिए अनुकूल है। वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले बजट प्रक्रिया को पूरा करना सांसदों और संसद की उल्लेखनीय उपलब्धि रही। इससे जन कल्याणकारी कार्यों के लिए अप्रैल से धनराशि उपलब्ध हो गई।

— सुमित्रा महाजन, लोकसभा अध्यक्ष

विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाया, सदन को स्थगित कराया और अपनी बात मनवाने पर सरकार को मजबूर किया। लेकिन देशहित के मामलों पर विपक्ष ने अड़ंगा नहीं लगाया।              -पी.एल. पुनिया, कांग्रेस ी

हम संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सफल रहे। गरीबों और वंचितों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए हमारे समक्ष यह स्वर्णिम अवसर है। यह समय अधिक से अधिक विकास और सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाने का है।                                      — नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्र

बजट सत्र में लोकसभा में 114 फीसदी और राज्यसभा में 92 फीसदी काम हुआ।

—अनंत कुमार,

संसदीय कार्य मंत्री

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