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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के वैचारिक अधिष्ठान पर हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीतिक दल के रूप में 1980 में भाजपा का गठन हुआ था। इसके 37वें स्थापना दिवस पर पार्टी के महामंत्री (संगठन) श्री रामलाल से संगठन, सरकार और जनता के बीच बढ़ती स्वीकार्यता पर पाञ्चजन्य के सम्पादक हितेश शंकर और आॅर्गनाइजर के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर ने विस्तृत बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं उसी बातचीत के प्रमुख अंश।
भाजपा अपने 37वें स्थापना दिवस पर लोकप्रियता और सांगठनिक नजरिए से नई ऊंचाई को छू रही है। केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के साथ अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जबरदस्त जीत तथा मणिपुर और गोवा में सरकार के गठन को आप कैसे देखते हैं?
सबसे अधिक लोकसभा सांसद। सबसे अधिक विधानसभा सदस्य। सबसे अधिक मुख्यमंत्री। सबसे अधिक प्रांतों की सरकारों में भाजपा। इतना ही नहीं, जिला पंचायतों व नगर निगमों में भी भाजपा बहुत अच्छी स्थिति है। सदस्यता की दृष्टि से भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में बनी है। आज पार्टी के पास नरेन्द्र मोदी के रूप में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं जिन पर जनता का भरोसा है। केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद अधिकांश प्रांतों के चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव व उपचुनावों में भाजपा का विजय रथ आगे बढ़ा है। अभी 5 राज्यों के चुनावों में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में तीन चौथाई से अधिक बहुमत मिलना निश्चित ही प्रसन्नता व उत्साहवर्धन का विषय है। गोवा व मणिपुर में भी कुछ सीट कम अंतर से छूट जाने से भले सीट कम मिली होंगी, परंतु भाजपा का वोट प्रतिशत सबसे अधिक रहा। इस नाते वहां सरकार बनाने के नाम पर क्षेत्रीय दल कांग्रेस की गलत छवि के कारण उनके साथ नहीं जाना चाहते थे सो भाजपा के साथ आने की तैयार हो गये तो इसमें भाजपा को दोष देने का कोई कारण होना नहीं चाहिए। लोकतंत्र में जिस दल के साथ अधिक विधायक हैं, सरकार उसी की बनती है। इसी में स्थायित्व भी है। हमें विश्वास है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व में बनीं सरकारें तेज विकास करके जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगी। परिवर्तन तुरंत दिखता है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, अवैध कारोबार पर रोक स्पष्ट दिख रही है। सभी स्थानों पर स्वच्छता का वातावरण बन रहा है। आने वाले समय में सभी तरह की गंदगी से उत्तर प्रदेश मुक्त होगा। मणिपुर में 5 महीने से आर्थिक संकट था। नई सरकार ने तत्परता दिखाई, सभी से संवाद किया और 5 दिन में यह समाप्त हो गया।
भाजपा की स्थापना एक नई शुरुआत थी। आज देश के हर हिस्से में भाजपा की पहुंच है। यह सब कैसे हुआ?
निश्चित ही 1984 में भाजपा के मात्र दो सांसद आये थे। परंतु तत्कालीन नेतृत्व व कार्यकर्ता हिम्मत हार कर नहीं बैठे। कमियों को समझकर आगे की तैयारी प्रारंभ कर दी। परिणामस्वरूप हम निरंतर बढ़ रहे हैं। 2004 व 2009 में थोड़ा पीछे आये, किंतु 10 वर्षों तक कांग्रेस के कुशासन, भ्रष्टाचार व उनकी सांप्रदायिक राजनीति के विरुद्ध लगातार संघर्ष किया। साथ ही जिन प्रदेशों में भाजपा शासन में रही वहां सुशासन व विकास के द्वारा जनता का विश्वास जीता। इस कारण उन प्रांतों में लगातार जीतते रहे तथा देश में भी यह वातावरण बना कि केन्द्र में भाजपा सत्ता में आई तो निश्चित ही सुशासन व विकास मिलेगा। इस विश्वास में से ही भाजपा विकल्प बनी। विशेषकर गुजरात में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वहां की जनता ने तथा देश की जनता ने भी जिस सुशासन व विकास का अनुभव किया उस कारण भाजपा के साथ-साथ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व पर भी भरोसा बन गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी सहित सभी बूथ तक के कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर कड़ी मेहनत की, जनता ने पूरा समर्थन व विश्वास किया। परिणामस्वरूप 30 वर्ष पश्चात किसी एक दल की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। किसी एक गैर कांग्रेसी दल ने आजादी के पश्चात पहली बार बहुमत प्राप्त किया। नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने इन तीन वर्षों में सफलता को विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया है, लगातार कड़ी मेहनत की तथा अपनी दूरदृष्टि, समझ व सबके साथ की भावना के आधार पर काम किया। सबका साथ, सबका विकास की सोच के साथ देश की जनता का ही नहीं विश्व बिरादरी का भी दिल जीता। योग दिवस का195 देशों द्वारा समर्थन तथा 200 से अधिक देशों द्वारा उसे अपनाना अपने आप में एक सुखद आश्चर्य है। यह मोदी जी के संपर्क, संवाद व समन्वयवादी दृष्टिकोण का परिणाम है। दुनिया के देशों से उन्होंने आर्थिक-व्यापारिक ही नहीं, सांस्कृतिक संबंध भी निर्माण किये। नेताओं से निजी संबंध बनाने में वे सफल हुए। आज दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय यह देखकर अपने को पहले से अधिक गौरवान्वित अनुभव करते हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान के क्षेत्र में अनेक ऊंचाइयों को छूते हुए महिलाओं, युवाओं को सुरक्षा व रोजगार के अवसर प्रदान किये। गांव-गरीब-किसान के कल्याण को उन्होंने अपने कार्यक्रमों में लिया। फसल बीमा तथा भूमि स्वास्थ्य कार्ड, नीम कोटिड यूरिया जैसे प्रयोगों से जहां कृषि सुरक्षित ही रही है, वहीं कृषक की आय बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। मनरेगा का बजट बढ़ाकर ग्रामीण रोजगार को प्रोत्साहन, सभी गांवों को बिजली युक्त करने के प्रयास, आदर्श गांव योजना, 12 रुपए वार्षिक किश्त के द्वारा 2 लाख का दुर्घटना बीमा, 330 रु. वार्षिक में जीवन बीमा, मुद्रा योजना के अंतर्गत ऋण, गरीब माताओं को नि:शुल्क गैस चूल्हा आदि कितनी ही योजनाओं को कार्यान्वित करके गरीबों का मन मोदी जी ने जीता है। देश की गरीब जनता, वह चाहे किसी भी वर्ग की हो, मोदी जी की प्रशंसक है, उन पर भरोसा करती है।
मोदी जी का भी स्पष्ट मानना है कि जो सरकार गरीबों का कल्याण न कर सके उसे रहने व चलने का अधिकार नहीं है। उनकी सरकार गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित सरकार है। इस आधार पर हमें विश्वास है कि भाजपा का विजय रथ निरंतर बढ़ेगा।
सत्ता में आने के बाद संगठन की भूमिका बदल और बढ़ भी जाती है। संगठन के वैचारिक विषयों के साथ, सरकार के कामकाज को भी ध्यान में रखना पड़ता है। आप इस भूमिका को कैसे निभा रहे हैं?
सत्ता में आने के बाद संगठन की भूमिका बदलती नहीं है, हां, जिम्मेदारी व कार्य अवश्य बढ़ता है। एकजुटता बढ़ाकर, उसकी कार्य क्षमता बढ़ाकर इस जिम्मेदारी को पूर्ण करने का प्रयास होता है। भाजपा में संगठन व सरकार प्रतिद्वंद्वी नहीं, पूरक व पोषक हैं। सरकार की जन कल्याण योजनाओं को सरकार के साथ-साथ संगठन के द्वारा गांव-गली तक पहुंचाने का प्रयास होता है। जब कार्यकर्ता सत्ता के शिखर पर हों तब विचारधारा व समन्वय का द्वंद्व नहीं होता। सब कुछ एक सहज पद्धति से चलता है। ‘सबका साथ-सबका विकास’, यह भारतीय चिंतन व पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिये सिद्धांत एकात्म मानवदर्शन (सभी के सुख व संपूर्ण सुख) से निकला हुआ विचार है। गरीब कल्याण भी पं. दीनदयालजी द्वारा दिये गये अन्त्योदय (सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास) से निकला विचार है। सरकार भी, संगठन भी अपनी-अपनी भूमिका का निर्वाह पूरे समन्वय के साथ कर रहे हैं। समविचारी सामाजिक संगठनों से भी समन्वय की अच्छी व्यवस्था बनी है। प्रतिदिन कोई एक मंत्री केन्द्रीय कार्यालय पर दो घंटे के लिए बैठते हैं। हर माह के प्रथम व तृतीय सोमवार को राष्टÑीय अध्यक्ष श्री अमित शाह व महामंत्री कार्यालय पर सभी के लिये उपलब्ध रहते हैं। कोई भी कार्यकर्ता बिना पूर्व समय लिये सहज मिल सकता है। वह अपनी समस्या, सुझाव बताने के साथ संवाद कर सकता है। निश्चित रूप से भाजपा विचारधारा केन्द्रित तथा कार्यकर्ता आधारित पार्टी रही है। यहां बूथ पर कार्य करने वाला कार्यकर्ता भी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्टÑीय अध्यक्ष तक बन सकता है। विधायक, सांसद से लेकर मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बन सकता है। कार्यकर्ता आधारित पार्टी होने के साथ ही जब हमें चुनाव लड़ना है तो जन समर्थन भी आवश्यक है। पार्टी सर्वव्यापी व सर्वस्पर्शी बने, यह हमारा लक्ष्य है। इसलिए आज लेह-लद्दाख से लेकर अंदमान निकोबार तक तथा कामाख्या से कच्छ तक पार्टी का संगठन है। मंडल ही नहीं, अधिकांश बूथ तक पार्टी का कार्य है। आज पार्टी पूरे देश की पार्टी तथा सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी बनी है।
चुनावी राजनीति के साथ-साथ भाजपा को एक वैचारिक भूमिका भी निभानी पड़ती है। आज भाजपा में और दलों से आने वालों नेताओं की संख्या बढ़ रही है। वैचारिक और चुनावी राजनीति के बीच की चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं?
जब पार्टी का विस्तार होता है तो अनेक नये लोगों का जुड़ना तथा हमारे द्वारा जोड़े जाना स्वाभाविक है। पार्टी को प्रभावी बनाने हेतु समाज जीवन के प्रभावी लोगों को जोड़ना भी आवश्यक है। वे जुड़ेंगे तो उनकी क्षमतानुसार उन्हें दायित्व मिलना भी स्वाभाविक है। पार्टी की आंतरिक संरचना ऐसी है कि बहुत कम समय में ही नये लोग भी यहां पारिवारिक भाव अनुभव करने लगते हैं। ऐसा होने पर पार्टी की रीति-नीति को समझने व उसमें रचने-बसने में उन्हें समय नहीं लगता। हमने पार्टी में प्रशिक्षण की भी योजनापूर्वक व्यवस्था की है। 1, 2 व 3 दिन का अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार किया है। मंडल स्तर से लेकर अ. भा. स्तर तक के पदाधिकारी इसमें रहते हैं। विधायकों, सांसदों, मंत्रियों के भी अलग-अलग अभ्यास वर्ग समय-समय पर होते रहते हैं। पंचायत व नगर निकाय, सहकारिता क्षेत्र के प्रतिनिधियों के भी वर्ग होते हैं। इतना ही नहीं कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों व जनप्रतिनिधियों के निजी सहायकों आदि के भी वर्ग होते हैं। इसमें नये-पुराने सभी एक साथ हिस्सा लेते हैं। और सभी सामूहिक वातावरण में एकरस होकर कार्य करने का अभ्यास करते हैं। इस वर्ष अभी तक 9 लाख लोगों का प्रशिक्षण हो चुका है। इसलिए चिंता मत करिये, भाजपा-भाजपा ही रहेगी।
सांगठनिक तौर पर भाजपा का विस्तार बहुत बढ़ गया है, ऐसे में गठबंधन की राजनीति को लेकर क्या सोच रहेगी?
निश्चित रूप से संगठन का विस्तार पर्याप्त हुआ है। किन्तु संगठन विस्तार व चुनावी सफलता हमारे लिए जहां उत्साह का विषय है वहीं आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा भी है। हम एक पड़ाव तक पहुंचकर संतोषी बनकर ठहरने वाले नहीं हैं। निरंतर आगे बढ़ते जाना हमारा स्वभाव है। इतना विस्तार व राजनीतिक प्रभाव होने के बाद भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां अकेले सफलता मिलने में अभी कठिनाई दिखती है। वहां हम समविचारी दलों के साथ मिलकर सफलता पाने का प्रयास करते हैं। कई प्रांतों में हमारे गठबंधन के पुराने साथी हैं। कई प्रांतों में वहां के स्थानीय दल हमारे साथ जुड़ रहे हैं। असम, नागालैंड, मणिपुर, गोवा आदि इसके उदाहरण हैं। गत चुनावों में तमिलनाडु, केरल आदि में हमने कई दलों को साथ जोड़ा है।
शिवसेना के साथ नोंक-झोंक होती रहती है। एक और पुराना साथी अकाली दल पंजाब में चुनाव हर चुका है। ऐसे में भाजपा नए साथियों की तलाश करेगी?
हम अपनी ओर से किसी के साथ नोक-झोंक नहीं करते। हमारा सकारात्मक राजनीति में विश्वास है। साथ-साथ चलते हुए कभी-कभी कुछ ऐसा होता भी है तो मिल बैठकर ठीक कर लेते हैं। इसलिए आप देख रहे हैं कि कई दल तो लंबे समय से गठबंधन में साथ हैं।
हम सभी पर भरोसा रखते हैं तथा सभी का भरोसा जीतने का प्रयास करते हैं। उत्तर प्रदेश में तीन चौथाई बहुमत अकेले भाजपा को मिलने के बाद भी हमने दो साथी दलों को मंत्रिमंडल में उचित स्थान दिया है। असम सहित अन्य कई प्रांत भी इसके उदाहरण हैं। केन्द्र में भी सभी गठबंधन साथियों के मंत्री हैं।
ल्ल हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में जबर्दस्त लहर थी, जिसे विरोधी या आलोचक देख नहीं पाए। क्या संगठन को इसका अंदाजा था?
उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में इतनी बड़ी जीत नरेन्द्र मोदी के प्रति जनता का भरोसा, केन्द्र सरकार की गरीब कल्याण की योजनाएं तथा नेताओं व कार्यकर्ताओं के परिश्रम का परिणाम है। विधान सभा चुनावों के बीच ध्यान में आ रहा था कि जाति वर्ग से ऊपर उठकर गरीब मतदाता मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा से जुड़ चुका है। उसी का परिणाम है इतनी बड़ी सफलता। यह जीत इन प्रदेशों की गरीब जनता को ही समर्पित है। उनके उत्थान के लिए हम संकल्पित हैं। केन्द्र सरकार द्वारा मोदी जी के नेतृत्व में देश की सुरक्षा को लेकर जिस दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया गया, उसी के परिणामस्वरूप भारतीय सैनिक अपने शौर्य को प्रकट कर पाये और उन्होंने सफल सर्जीकल स्ट्राइक करके देश की सुरक्षा के प्रति जनता के मन में विश्वास पैदा किया तथा दुनिया को भी यह संदेश दिया कि भारत को कोई कमजोर न समझे। राष्टÑीय गौरव के साथ नोटबंदी (विमुद्रीकरण) ने भी जहां भारत को कालाधन से मुक्ति देने तथा आर्थिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने का संकेत गया वहीं गरीबों को लगा कि हमारे कल्याण के लिए अब नये रास्ते खुलेंगे। इस सबसे देश का राष्टÑवादी मन गौरवान्वित हुआ तथा गरीबों में कल्याण के प्रति आशा जगी। यही मन मत में भी परिवर्तित हुआ। आलोचकों का हतप्रभ व आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। वे राष्टÑीय मन को न समझ पायें तो क्या कहा जा सकता है?
आने वाले समय में संगठन के विस्तार, विचार और कार्यक्रम को लेकर क्या योजना है?
देखिए भाजपा ने 6 अप्रैल को अपनी स्थापना के 37 वर्ष पूर्ण किए हैं। संयोग से यह वर्ष पार्टी के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्मशताब्दी वर्ष भी है। हमारा प्रयास है कि विभिन्न कार्यक्रमों व उपक्रमों के माध्यम से हम हर बूथ तक ही नहीं, हर घर तक दस्तक दें। पार्टी का विचार, केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को हर परिवार तक पहुंचाने का प्रयास रहेगा। इसके लिए हर प्रांत 6 अप्रैल से 6 जुलाई (डॉ. मुखर्जी का जन्मदविस) के मध्य 15 दिन का समय निश्चित करके संगठन का संदेश घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
इस हेतु 3000 जन्मशताब्दी विस्तारक (6 माह से 1 वर्ष तक के लिए) तथा 1 लाख जन्मशताब्दी अल्पकालीन विस्तारक (15 दिन हेतु) निकलने वाले हैं। इन सभी का 1 दिन का प्रशिक्षण करके कार्यक्षेत्र में भेजा जायेगा। जिन राज्यों में अभी हम अपेक्षानुरूप पहुंच नहीं बना पाये हैं उन्हें चिन्हित किया गया है। वहां वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिम्मेदारी देकर विशेष प्रयत्न करने की चरणबद्ध योजना है। आज दुनिया में भारत का सम्मान, सीमाओं की सुरक्षा, महिलाओं का सम्मान, युवाओं को रोजगार, गरीबों का कल्याण पार्टी नेतृत्व व पार्टी की पहचान बने हैं। जनता का हमारे प्रति विश्वास बढ़ा है। इस विश्वास को सरकार व संगठन के स्तर पर कायम रखते हुए दीनदयाल जनमशताब्दी में और अधिक परिश्रम का संकल्प लेते हुए हम सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ेंगे तथा विजय प्राप्त करते हुए कल्याणकारी राज्य की स्थापना करेंगे यह विश्वास है।
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