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गत 26 मार्च को नई दिल्ली स्थित बालयोगी सभागार में सातवां नानाजी देशमुख स्मृति व्याख्यान आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत तो विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार श्री रजत शर्मा उपस्थित थे। दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। व्याख्यान का विषय था 'एकात्म मानवदर्शन के संदर्भ में विकास का भारतीय प्रतिमान।' श्री मोहनराव भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपनी संस्कृति को छोड़कर विकास का कोई मतलब नहीं है। हर देश को अपनी संस्कृति के अनुसार विकास करना चाहिए। विकास एक ऐसा शब्द है, जिसकी कल्पना बदलती रहती है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण में द्वंद्व है। इनमें से एक (पर्यावरण) को दुनिया ने छोड़ दिया। दुनिया की मान्यता है कि जीवित रहना ही अपना काम है, इसलिए जितना ले सको ले लो। इसी प्रवृत्ति के कारण प्रकृति का शोषण होता है। जबकि भारतीय मान्यता है कि धर्म के अनुसार विकास हो। धर्म वही है, जो सबको एक साथ चलाता है। धर्म के अनुसार चलने से ही मोक्ष मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मप्राण देश है। जब तक भारत में धर्म है, तब तक उसे कोई मिटा नहीं सकता। यहां सब कुछ धर्मार्थ होता है।
धर्म तत्व ही भारत के अर्थ का आधार है और यही धर्म सबको ऊपर उठाता है। यही हमारे विकास की अवधारणा है। एक के विकास में दूसरे का विकास सन्निहित है। उन्होंने कहा कि अपना विकास भी करेंगे और सृष्टि का विनाश भी नहीं करेंगे। विकास पर्यावरण का मित्र होना चाहिए। 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा धर्म के अनुसार ही है। ऐसा नारा केवल भारत में ही दिया जा सकता है। इससे पूर्व श्री रजत शर्मा ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि भगवान राम विरोधाभासों का समन्वय करते थे। ठीक यही काम नानाजी भी करते थे। नानाजी जैसे लोग विरले ही होते हैं। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. महेश शर्मा ने किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, श्री रविशंकर प्रसाद, श्री विजय गोयल, दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री विरेन्द्रजीत सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री अतुल जैन ने किया।
-प्रतिनिधि
खेल प्रतिभाओं का सम्मान
भोपाल में 29 मार्च को खेल प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित हुआ। इसमें विद्या भारती, मध्य भारत प्रांत (मध्य प्रदेश 16 जिले) द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों के 20 विद्यालयों के खिलाडि़यों को सम्मानित किया गया। इन छात्रों को राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मानित किया। इन खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय शालेय खेलकूद समारोह में सहभागिता करते हुए 102 पदक (17 स्वर्ण, 28 रजत, 57 कांस्य) प्राप्त किए हैं। इस अवसर पर श्री चौहान ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर के खिलाड़ी छात्र आगामी ओलम्पिक में अपनी खेल प्रतिभा का श्रेष्ठ प्रदर्शन करें। उन्होंने कहा कि विद्या भारती केवल निजी संस्था ही नहीं, अपितु श्रेष्ठ पीढ़ी निर्माण की दृष्टि से समाज एवं राष्ट्र की शैक्षिक सम्पत्ति है। श्री चौहान ने घोषणा की कि मध्य प्रदेश शासन की ओर से सरस्वती शिशु मंदिर के खिलाडि़यांे को खेल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसमें खेल प्रशिक्षक (कोच) उपलब्ध कराना, खेल छात्रवृत्ति देना तथा खेल मैदानों एवं खेल संसाधनों के विकास हेतु अनुदान देना आदि शामिल है। समारोह को प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री विजय शाह, विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोविन्द प्रसाद शर्मा तथा एसज़ी.एफ़आई के महासचिव श्री राजेश मिश्र ने भी संबोधित किया। -प्रतिनिधि
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