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भाजपा के पक्ष में प्रबल बहुमत की तुरही बजाने के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सक्रियता और राहतकारी फैसलों की छांह में है। प्रदेश के सीमांत इलाकों से लखनऊ के गोमती नगर और विधानसभा के गलियारों तक परिवर्तन की तेज सरसराहट अनुभव की जा रही है। लखनऊ के डालीबाग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस के बाहर रात्रि 9 बजे भी करीब 1 हजार आगंतुकों की भीड़ अपने उस मुख्यमंत्री की झलक पाने के लिए व्याकुल थी जो सुबह 7 बजे से काम शुरू करने के बाद अब तक शासकीय तंत्र के ढीले पुर्जे कसने में जुटे थे। मीडिया को दिए अपने पहले साक्षात्कार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर और संवाददाता अश्वनी मिश्र से खुलकर बात की और हर उस प्रश्न का स्पष्टता से जवाब दिया जो देश और प्रदेश की जनता के मन में घुमड़ रहा है।
लंबे समय से जनता के मन में चल रही छटपटाहट भाजपा के पक्ष में भारी जनमत के रूप में सामने आयी है। जन-अपेक्षाओं की इस हिलोर को आप किस रूप में देखते हैं?
पाञ्चजन्य साप्ताहिक ने उत्तर प्रदेश के बारे में अपनी रपटों द्वारा जो आकलन प्रस्तुत किया वह गहन, अनुभूत और वास्तविकता पर आधारित था। इस वास्तविकता को वे लोग स्वीकार नहीं कर पाएंगे जो भारत की मूल परंपरा, सांस्कृतिक धरोहर पर गौरव के बजाय अपमानित महसूस करते थे। लेकिन पाञ्चजन्य ने अपने आकलन में इसको पहले ही व्यक्त कर दिया था। मैं इसके लिए पाञ्चजन्य परिवार को, संवाददाताओं को हृदय से शुभकामना देता हूं।
2012 में भारतीय जनता पार्टी कहां थी, उत्तर प्रदेश में, हर व्यक्ति जानता है। लेकिन 2014 में एक व्यापक परिवर्तन देखने को मिला। उत्तर प्रदेश के अंदर, देश के अंदर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व के रूप में देश के युवाओं, किसानों, गरीबों, आम नागरिकों को एक नयी राह और एक नई आशा की किरण के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी दिखे। पूरे देश में नया उत्साह देखने को मिला था। उस उत्साह को उत्तर प्रदेश के भीतर हम कैसे अपने पक्ष में कर सकें, इसके लिए एक कुशल संगठक के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने उस समय प्रभारी के रूप में श्री अमित शाह जी को प्रदेश में भेजा। पहली बार भारतीय जनता पार्टी के राष्टÑीय महासचिव और प्रदेश के प्रभारी ने उत्तर प्रदेश में निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद करके एक कार्यक्रम प्रारंभ किया। इसलिए 2014 के लोकसभा चुनाव में हमने 80 में से 73 सीटें जीतीं और वह भी विपरीत परिस्थितियों में। हम लोग इस बात पर आश्वस्त थे कि इसकी पुनरावृत्ति 2017 विधान सभा चुनाव में भी होगी क्योंकि उसी प्रकार की रणनीति थी। श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने उस प्रकार के कार्यक्रम किये जिनका चुनाव पूर्व वादा किया था। आजादी के बाद यह पहली सरकार है जिसने इतनी लोक कल्याणकारी योजनाएं घोषित कीं और उन्हें ईमानदारी से क्रियान्वित किया। स्वाभाविक रूप से हम लोग इस बात पर आश्वस्त थे कि हमें प्रचंड बहुमत मिलेगा, श्री मोदी के नेतृत्व में श्री अमित शाह की रणनीति के अंतर्गत। कार्यकर्ताओं की टीम को जिस उत्साह के साथ उन्होंने लगाया था, उससे यह परिणाम अपेक्षित ही था।
बहुमत तो मिला, मगर आपके बागडोर थामते ही विदेशी अखबारों में और भारत के भीतर भी एक तबके ने शोर भी मचाया। जनता के उत्साह के बरअक्स आलोचनाओं की इस लहर को आप कैसे देखते हैं?
देखिए, जिन्हें भारत की सुख-समृद्धि अच्छी नहीं लगती, जिन्हें इस देश में अंतिम व्यक्ति की खुशहाली देखकर अच्छा नहीं लगता, स्वाभाविक रूप से वे नकारात्मक टिप्पणियां करेंगे। भारतीय जनता पार्टी को मिला प्रचंड बहुमत हमें एक नयी जिम्मेदारी के साथ बांधता है। बताता है कि हमारे कार्य की दिशा क्या होनी चाहिए। स्वाभाविक रूप से पहले से स्पष्ट है कि हम उत्तर प्रदेश के अंदर एक प्रचंड जनादेश को हासिल करने में इसलिए सफल हुए हैं क्योंकि केन्द्र में मोदी जी के नेतृत्व की सरकार ने उस प्रकार के कार्यक्रम किये हैं। स्वाभाविक रूप से उसी नक्शेकदम पर उत्तर प्रदेश की सरकार भी चलेगी और उसी का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ेंगे। हम केन्द्र की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाएंगे ही, राज्य सरकार के स्तर पर भी इस प्रकार की योजनाओं को लेकर जाएंगे। जिससे समाज का अंतिम व्यक्ति बिना भेदभाव के लाभ पा सके और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित हो सके। साथ ही संगठन की जो रणनीति तैयार की गयी है, उसके साथ एक बेहतर समन्वय करके शासन की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाएंगे।
कदम-कदम पर कैमरे, पल-पल की खबरें। योगी आदित्यनाथ से जुड़े नए पुराने हर मुद्दे की बारीक खंगाल! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने बारे में मीडिया की इस अतिसक्रियता को कैसे देखते हैं?
देश के अंदर ऐसे बहुत लोग हैं जिन्हें भगवा रंग से एक प्रकार का परहेज है, स्वाभाविक रूप से उनको बुरा लगेगा कि यह भगवाधारी उत्तर प्रदेश में आ गया है। अब तक जो इस देश के अंदर सेकुलरिज्म के नाम पर, तुष्टीकरण के नाम पर देश की परंपरा और संस्कृति को अपमानित कर रहे थे, देश की राष्टÑीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, उनको अपने अस्तित्व पर खतरा दिखाई दे रहा है। स्वाभाविक रूप से वे हर प्रकार की नकारात्मक टिप्पणी करेंगे। मेरे बारे में अनेक प्रकार की भ्रांतियां पैदा की जाती हैं।
बहुत से लोग बोलते हैं कि यह भगवाधारी हैं, लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है। हमारा कार्य बताएगा, हम क्या हैं। हम अपनी कार्यपद्धति के मार्ग से समाज के हर तबके का दिल जीतेंगे। उनके सामने शासन की कार्ययोजना लेकर जाएंगे और अब तक हुए अन्याय का परिष्कार भी करेंगे। हम एक नये परिमार्जन के माध्यम से समाज को सुख और समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर करेंगे।
प्रदेश में पिछली सत्ता के दौरान भर्तियों का मामला हो या विकास योजनाओं का, चीजें बुरी तरह गड़बड़ा गर्इं। ऐसे में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं? सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा… विकास की चाबी क्या है?
मैंने अपनी पूरी मंत्री परिषद को साफ कहा है कि इस प्रदेश में पिछले पन्द्रह वर्षों में जो कुछ भी हुआ है, उसको एक बार आप देखें। हम लोगों ने समाज को प्राथमिकता भी दी और सबके सामने कहा भी कि सत्ता हमारे लिए मौज-मस्ती का साधन नहीं है। राजनीति में हम लोग इसलिए नहीं आये हैं कि किसी पद या प्रतिष्ठा के लिए भागें। महर्षि अरविंद ने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही थी कि आज के युग में हमारा प्रधान धर्म है-राष्टÑ रक्षा। यानी राष्टÑ ही धर्म का आधार है। अगर राष्टÑ रहेगा तो धर्म रहेगा। तो राष्टÑ रक्षा हमारा प्रधान धर्म है। यह मानवता का केन्द्रबिंदु भी है और यही नहीं, हम राष्टÑ रक्षा को ध्यान में रखकर कार्य कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अंदर भ्रष्टाचार मुक्त शासन देना, गुंडाराज से मुक्त व्यवस्था स्थापित करना हमारा लक्ष्य है। इसको लेकर कार्ययोजना बनानी प्रारंभ कर दी है, उसे तेजी के साथ लागू करना भी प्रारंभ कर दिया है। 2 महीने में आपको परिवर्तन दिखायी देगा।
बिहार से तो पलायन की खूब चर्चा होती है, मगर बुंदेलखंड जिसे देश का सबसे पिछड़ा हिस्सा माना जाता है, उसकी पर्याप्त चर्चा नहीं होती। संप्रग सरकार के समय की एक रपट बताती है कि करीब 32 लाख लोग यहां से पलायन को मजबूर हुए। अब तक चीजें दबी रहीं? क्या इसके लिए अलग से कोई कार्ययोजना है?
क्यों नहीं, बुंदेलखंड और पूर्वांचल सहित प्रदेश की 22 करोड़ की आबादी में सभी को ध्यान में रखकर योजनाएं बन रही हैं। लेकिन फिर भी पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड पर विशेष ध्यान देंगे। बुंदेलखंड विकास बोर्ड, पूर्वांचल विकास बोर्ड बनाकर हमने मंत्री परिषद की पहली बैठक में इस बात को रखा कि बुंदेलखंड में इस समय पानी की समस्या आएगी। वहां हमें ध्यान रखना है कि कोई व्यक्ति यहां तक कि पशु भी प्यासा न रहे। खेतों में पानी पहुंचाने को लेकर कार्ययोजना तैयार हो रही है। एक टीम दौरा करके आ चुकी है, दूसरी टीम पुन: वहां जा रही है। हम बुंदेलखंड की समस्या का समाधान निकालने में लगे हैं। समीक्षा का मेरा पहला दौरा बुंदेलखंड से ही प्रारंभ होने जा रहा है।
…तो इस मानसून में उम्मीद की जाए, राहत की पहली फुहार पड़ेंगी?
मेरी समीक्षा का आधार यही होगा कि हमारे मंत्रीमंडल के सहयोगियों ने वहां जाकर कार्ययोजनाओं का जो खाका तैयार किया होगा, उसके तहत वहां की जनता को राहत प्रदान करना हमारी प्राथमिकता होगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश की दृष्टि से भी पूर्वांचल विकास बोर्ड के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में जो भी समस्याएं हैं, बाढ़ की, बंद हो रही चीनी मीलों की, इनसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों की, तो हम लोग पूरी योजना के साथ इन सबके समाधान का मार्ग निकाल रहे हैं। उत्तर प्रदेश से पलायन रोकने के लिए हम यहां एक नयी औद्योगिक नीति लाने जा रहे हैं। मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि अभी हमने अपनी मंत्रिपरिषद में चर्चा की है। अब निवेशकों के फोन आने शुरू हो गये हैं, पर हमने कहा है कि पहले हम लोगों को बैठकर मानसिक रूप से तैयारी करने दीजिए। फिर लोगों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित करेंगे। प्रदेश में उन्हें सुरक्षा देंगे। उत्तर प्रदेश में पूंजी निवेश के लिए उन्हें उचित मंच देंगे। हम ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ लागू करने जा रहे हैं। इसके माध्यम से कहीं दिक्कत नहीं होगी। हमारी एक शर्त होगी कि 90 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिले। उन्हें हमें इसकी गारंटी देनी होगी।
नयी उद्योग नीति से चीनी मिलों की जुगलबंदी और गन्ना किसानों के दुर्भाग्य का चक्र टूटेगा या नहीं?
चीनी मिलों के बारे में हमारी नई कार्ययोजना आ रही है। अगले 6 महीनों में हम पांच से छह नयी मिलों का शिलान्यास करने जा रहे हैं। अभी गन्ना किसानों का सीजन चल रहा है। 14 दिन के अंदर गन्ना किसानों का भुगतान उनके खातों में हो, यह आदेश शासन दे चुका है। अगर इस समय सीमा का कोई उल्लंघन करेगा तो फिर आर.सी. जारी होगी और उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होगी जो उन चीनी मिलों के प्रबंधन से जुड़े हुए हैं।
विधानसभा में विपक्ष के नाम पर एक बड़ा खालीपन उत्पन्न हो गया है। ऐसे में स्वस्थ आलोचना उपलब्ध नहीं होगी। लोकतंत्र में स्वस्थ विपक्ष की, स्वस्थ आलोचना की आवश्यकता है। इसकी पूर्ति कैसे करेंगे?
लोकतंत्र सहमति और असहमति के बीच एक समन्वय है। जनता ने जो जनादेश दिया, उस जनादेश का सबको सम्मान करना होगा। दूसरा, यहां किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की नयी सरकार पर पार्टी के नेतृत्व ने, माननीय प्रधानमंत्री जी ने, माननीय अमित शाह जी ने पूरा विश्वास किया है। मैं आश्वस्त करता हूं कि हम जाति-पंथ, मजहब के आधार पर या पार्टी के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे। लेकिन उत्तर प्रदेश के विकास के प्रति उन लोगों का आग्रह होना चाहिए, जो भी इसमें सहयोग करना चाहेगा, हम सबका सहयोग लेंगे। हम उत्तर प्रदेश विधानसभा को संवाद का एक केन्द्र बनाना चाहते हैं। उस संवाद को जो यहां बाधित रहा है, जिसने यहां समस्या का समाधान करने की बजाय नयी-नयी समस्याएं पैदा की हैं, जिसने संघर्ष को जन्म दिया है, यहां जातीय संघर्ष हुए हैं, वर्ग संघर्ष हुए हैं, दंगे हुए हैं, लोगों ने पलायन किया है, व्यापार चौपट हुआ है, तमाम तरह का विकास ठप पड़ा है, सड़कें टूटी हुई हैं, बिजली बदहाल स्थिति में है। विकास के नाम पर पूंजीनिवेश होन की बजाय यहां के उद्योगपति पलायन करके दूसरे क्षेत्रों में गए हैं। हम विधानसभा को एक मंच का रूप देकर, संवाद का मंच बनाकर समस्याओं का समाधान करना चाह रहे हैं। इसके लिए कार्ययोजना प्रारंभ कर दी है। हम एक बार सभी विधायकों के दो दिवसीय प्रशिक्षण की कार्यवाही प्रारंभ करने जा रहे हैं ताकि उन्हें संसदीय ज्ञान, विधायिका के ज्ञान की जानकारी हो। ठोस कार्ययोजना तैयार हो चुकी है। सब देखेंगे कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ नया परिवर्तन हुआ है। यहां एक रचनात्मक, सकारात्मक ऊर्जा के साथ सरकार कार्य कर रही है।
आरोप लगे थे कि पिछली सरकार ने भर्तियों में जाति विशेष पर और छात्रवृत्तियों आदि में वर्ग विशेष पर ही सारी संपत्ति लुटा दी। इस पर आप क्या कहेंगे?
हमने अपने लोककल्याण पत्र में सारी बातें स्पष्ट कर दी हैं। हमें अफसोस है कि जब हम चुनाव लड़ रहे थे, आचार संहिता लागू थी तब भी पिछली सरकार से जुड़े लोग भर्तियां कर रहे थे। इन सबको समीक्षा के दायरे में लाये हैं। समीक्षा करके प्रभावी कार्रवाई होगी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार ‘ग्रुप थर्ड’ और ‘ग्रुप फोर्थ’ की नौकरियों में साक्षात्कार की प्रथा समाप्त करके एक पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देगी जिससे उत्तर प्रदेश के नौजवान को एहसास होगा कि ‘हां, मेरी प्रतिभा का अनादर नहीं होगा। मेरी मेरिट का अनादर नहीं होगा। मुझे यहां नौकरी और रोजगार मिल सकता है।’ सरकार यह व्यवस्था करने जा रही है। अन्य क्षेत्रों में भी हम पारदर्शी व्यवस्था देंगे। भ्रष्टाचार के लिए कहीं स्थान नहीं होगा।
पिछले शासन में लैपटॉप तो खूब बंटे मगर बिजली नहीं आयी। सरकार बदलने पर स्थिति बदलेगी? कम से कम, क्या कोई आश्वासन मिलेगा?
आश्वासन नहीं ठोस बात। पहली कैबिनेट बैठक में ही हमने तय कर लिया था कि हम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के जिला मुख्यालयों को चौबीसों घंटे बिजली देंगे। 20 घंटे तहसील मुख्यालयों को तो 18 घंटे गांवों में बिजली देने जा रहे हैं। इसकी कार्ययोजना तैयार हो चुकी है। 2019 तक पूरे प्रदेश में चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराएंगे। दूसरे, ट्रांसफार्मर खराब होने पर जिला मुख्यालयों में 48 घंटे के अंदर बदला जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में 72 घंटे के अंदर बदल जाएगा। इसमें कोई कोताही होगी तो जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।
बिजली की उपलब्धता रहेगी तो खपत भी निश्चित ही बढ़ेगी। खरीद बढ़ाने के जरूरी आकलन कब करने वाले हैं?
सिर्फ विद्युत खरीद ही नहीं, अधिकांश विषयों पर अच्छी तैयारी है। योजना से जुड़े ज्यादातर आकलन हो चुके हैं। सारा होमवर्क हो चुका है। अब बस निर्णय लेकर आगे बढ़ाना है।
आपने कहा, नई औद्योगिक नीति लाएंगे, तो जो उत्तर प्रदेश की पहचान हैं, जैसे अलीगढ़ का ताला उद्योग, कानपुर की मिलें, क्या इनके लिए अलग से कोई योजना है?
हमारे पास दोनों प्रकार की योजनाएं हैं। एक, नई औद्योगिक नीति के माध्यम से प्रदेश के अंदर जगह-जगह उद्योग लगें, पूंजी निवेश हो। दूसरे, हमारे यहां परंपरागत उद्योग हैं, जैसे मुरादाबाद का पीतल उद्योग, अलीगढ़ का ताला उद्योग, फिरोजाबाद की चूड़ियां और भदोही का कालीन उद्योग आदि। इन सब पर हम एक नयी योजना तैयार कर रहे हैं। हम परंपरागत उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उसे नयी तकनीक के साथ जोड़ने पर काम करेंगे। दूसरा, फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में आपने देखा होगा कि फल के समय किसान के पास आमों का ढेर लग जाता है, दाम गिर जाता है। हम प्रोसेसिंग करके कैसे उसे उसकी उपज का उचित और सम्मानजनक दाम दिला सकें, इस दृष्टि से हम प्रोसेसिंग उद्योग लगाकर जगह-जगह पर कार्य करने जा रहे हैं। हम यह भी सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले। राज्य के अंदर जितनी सहकारी समितियां थीं, सब ‘डिफाल्टर’ घोषित हुई हैं। हम निर्देश जारी कर चुके हैं कि दो बातें सुनिश्चित करें। पहला, सभी सहकारी समितियों की बहाली की व्यवस्था और दूसरा, किसानों की उपज का उनके माध्यम से क्रय। बीच में कोई बिचौलिया न हो। किसान का आधार कार्ड लीजिए, उसकी जोत वही ले लीजिए और उस आधार पर पैसा सीधे किसान के खाते में जाए। यह इसी वर्ष से गेहूं की खरीद के माध्यम से करने जा रहे हैं। हमारे यहां से एक टीम छत्तीसगढ़ गई है। क्योंकि इस संबंध में छत्तीसगढ़ में बहुत अच्छा काम हो रहा है। हम वैसा काम यहां पर दिखाने जा रहे हैं। साथ ही, पीडीएस तंत्र से खाद्यान्न गरीबों तक नहीं पहुंच पाता। गोदाम से ही वह नेपाल या बंगलादेश पहुंच जाता है। उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न का एक बहुत बड़ा घोटाला है। उसके लिए हमने एक व्यवस्था तैयार कर ली है। अब हर गरीब के घर में खाद्यान्न पहुंचेगा। शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचेगा। अब राज्य में कोई गरीब भूखा नहीं सोएगा, यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है। हमने सभी जिलाधिकारियों को कह दिया है कि यदि कोई भूख या किसी बीमारी से मरेगा तो यह आपकी जिम्मेदारी होगी।
कई राज्य प्रवासियों को, विदेशियों को अपने यहां बुलाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश आने वाले विदेशी ताजमहल देखकर लौट जाते हैं। उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश कब आएगा?
हमने एक एनआरआई विभाग बनाया है। अन्य राज्यों में यह नहीं होता, पर हमने यहां बनाया है। उसमें हमने एक मंत्री नियुक्त किया है। उ.प्र. सरकार राज्य के जितने भी आप्रवासी हैं, उन सबको पूंजी निवेश करने का आमंत्रण देगी। वाइबें्रट गुजरात की तर्ज पर वाइब्रेंट यूपी भी होगा, जिससे यहां भी एक नया वातावरण बने।
राज्य में सैकड़ों की संख्या में दंगे हुए। इनके पीछे प्रशासनिक ढिलाई रही या कुछ और वजह थी?
उत्तर प्रदेश में पिछली सरकार का मिजाज वैसा था। सत्ता गलत हाथों में थी। जब सत्ता दंगाइयों को संरक्षण देगी, जब दंगाइयों को राज्य के विमान से बुलाकर सम्मानित करेगी तो उस प्रकार के तत्वों का दुस्साहस बढ़ेगा। हमने प्रशासन से कह दिया है कि हर विभाग का फाइल इंडेक्स तैयार हो जाए कि फाइल कब आ रही, कब जा रही है। दूसरा, चेहरा देखकर कार्रवाई न करें। अपराधी कोई भी हो, सख्ती से निबटो, कहीं भेदभाव की शिकायत आएगी तो जवाबदेही सुनिश्चित कर लें। लोग बेचैन हैं कि हमने अभी तक किसी को नहीं बदला है। हमने कहा है कि यही प्रशासन काम कर सकता है, जरूरत बस काम देने की है। आवश्यकता होगी तो हम स्थानांतरण करेंगे लेकिन वह एक उद्योग न हो, कमाई का जरिया न बने। यह सब एक सिरे से खारिज होगा। जो काम कर सकता है वह यहां रहेगा, जो काम नहीं करेगा वह अपना रास्ता देखे।
कुछ लोग कहते हैं, अवैध मांस बेचने वालों पर सख्ती करके आपने कई लोगों के तय ढंग-ढर्रे और स्वाद में खलल डाल दिया। क्या कहेंगे इस बारे में?
मैं अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कर रहा हूं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2015 में और माननीय उच्चतम न्यायालय ने 2017 में उत्तर प्रदेश के अवैध बूचड़खानों पर तमाम टिप्पणियां कीं और राज्य सरकार को कुछ निर्देश दिये थे। हमने इसी तर्ज पर अपनी कार्रवाई प्रारंभ की है। अवैध को आप वैध नहीं बोल सकते। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं। जो मानक को पूरा कर रहा है, लाइसेंस है, उसे कोई नहीं छेड़ेगा। अगर छेड़ेगा तो दंड का अधिकारी होगा। लेकिन जो अवैध है वह तो अवैध है ही। दूसरे, अवैध बूचड़खाने के नाम पर जन स्वास्थ्य खराब करने की छूट नहीं दी जा सकती। हमने वैधानिक तरीके से कार्रवाई की है। एनजीटी और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखकर हमने यह किया है। निर्दोष को कोई परेशान नहीं कर सकता, इसके लिए मैं हरेक व्यक्ति को आश्वस्त कर सकता हूं। साथ ही यह भी कहता हूं कि प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।
अभी सोशल मीडिया पर किसी ने कहा, ‘‘पहली बार अलीगढ़ आया हूं और कद्दू की सब्जी खानी पड़ी’’…
यह तो अच्छी बात है। कोई शाकाहारी बनेगा तो स्वस्थ भी रहेगा। फिर भी लोगों की अपनी आवश्यकता हो सकती है। लेकिन मैं यह मानता हूं कि व्यक्ति जितना सात्विक होगा, उतना सदाचारित होकर काम करने में आनंदित हो सकता है। किन्तु हर व्यक्ति का अपना स्वाद हो सकता है। मैं किसी व्यक्ति पर कुछ बोल भी नहीं सकता और प्रतिबंध भी नहीं लगा सकता। मुझे कोई अधिकार नहीं है। भारत के संविधान ने उनको स्वतंत्रता दी है, पर एक दायरे में रहकर। जो चीजें अवैध हैं, उनके मामले में अदालत के आदेश का अक्षरश: पालन करने के लिए सरकार कटिबद्ध है। कानून का राज कैसे होना है, यह हम तय करेंगे।
देश में जगह-जगह से रिपोर्ट मिलती हैं कि अवैध बूचड़खानों का प्रदूषित पानी और खून बोरिंग के जरिए जमीन में वापस डाल दिया जाता है जो भूजल से मिलता है। इधर अवैध बूचड़खानों पर सख्ती के अतिरिक्त आपने कहा कि गोमती में गिरने वाले नालों को भी बंद कर देंगे। भूजल और नदियों के लिए आपकी विशेष चिंता है।
हमारे सामने दोनों प्रकार की चिंताएं हैं। प्रधानमंत्री जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है नमामि गंगे। तो गंगा मैया सर्वाधिक उत्तर प्रदेश से होकर बहती है, यह हम सबका सौभाग्य है। तो नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत गंगा और उसकी सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त करना है। गोमती तो लखनऊ की जान है। यहां की पहचान है। पीलीभीत से चलकर यह जौनपुर में आकर मिलती है। मैंने गोमती रिवर फ्रंट का स्वयं निरीक्षण किया है। यह देखकर बहुत अफसोस होता है कि इस प्रोजेक्ट में 1400 करोड़ रु. खर्च होने के बावजूद भी एक प्रकार का मजाक हुआ है। ताज्जुब होता है कि क्या विकास इसी को कहते हैं? इसकी जांच होनी चाहिए। जनता के पैसे की लूट की छूट किसी को भी नहीं मिलेगी। अगर इस प्रकार की लूट कहीं पाई गई तो देखना, उसकी संपत्ति जब्त करवा देंगे और सब सरकारी खजाने में चला जाएगा।
जो प्रशासनिक अमला सालों साल सोता रहा था उसमें चुनाव नतीजों के बाद अचानक स्फूर्ति आ गई। नौकरशाही को आपका तरीका बहुत जल्दी समझ में आ गया। इसे आप कैसे देखते हैं?
यह व्यक्ति के ऊपर निर्भर होता है। नेतृत्व क्या चाहता है। क्या वह स्वस्थ दिमाग से, सही अंत:करण से आदेश कर रहा है, इशारा कर रहा कि नहीं। आखिर टीम तो वही है। हमने कोई बदलाव नहीं किया है। यदि आप अनैतिक चीजों को कमाई का जरिया बना देंगे तो कार्य कैसे होगा? अब उत्तर प्रदेश में ये सब नहीं हो सकता है। अनैतिक, अवैध के लिए उत्तर प्रदेश में कोई स्थान नहीं होगा। हम ये सुनिश्चित कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश नई दिशा की ओर बढ़ चुका है।
भाजपा के विरुद्ध प्रदेश में महागठबंधन को आकार देने की छटपटाहट शुरू हो गयी है। इस पर आपका क्या कहना है?
ये जो महागठबंधन बनाने की कवायद है, यह इस बात को प्रदर्शित करती है कि वे लोग अपनी हार मान चुके हैं। जो वास्तविक रूप में हो नहीं सकता है, उसे बनाने की कवायद कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यों और जनता के प्रति अपने कर्तव्यों के माध्यम से 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ पुन: जीतेगी।
उत्तर प्रदेश में कहीं भी बड़ा काम दिखेगा तो साथ ही उससे बड़ा भ्रष्टाचार का गड्ढा भी दिखेगा। भ्रष्टाचार के लिए कोई कार्ययोजना या संकल्प जो आपने प्रेषित किया हो?
हमने अपने सभी प्रशासनिक अधिकारियों, जितने भी प्रमुख सचिव हैं और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि हमें भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था लागू करनी है जिसके लिए हम आपके प्रशासनिक अनुभव का लाभ लेना चाहते हैं। मैं आपका सहयोग लेकर चलना चाहता हूं। अगर किसी को कोई आपत्ति है तो अपना रास्ता देख ले। एक प्रशासनिक अधिकारी का दिमाग स्वाभाविक रूप से बहुत अच्छा होता है। हम उस दिमाग का उपयोग प्रदेश के विकास के लिए करने जा रहे हैं। भ्रष्टाचार से मुक्त व्यवस्था और भ्रष्टाचार के इन गड्ढों को भी दूर करने के लिए मैंने कहा कि 15 जून तक उत्तर प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करो। वह कार्य प्रारंभ हो रहा है। बारह-पन्द्रह वर्षों के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश की जनता देखेगी कि प्रदेश की सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी हैं और 24 घंटे बिजली मिल सकती है।
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का मसला फिर बातचीत के मोड़ पर लौट आया है। आपका क्या कहना है?
मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आब्जर्वेशन का स्वागत करूंगा। सरकार चूंकि वाद में नहीं है, तो जो दो पक्ष हैं दोनों बातचीत के माध्यम से कोई रास्ता निकालें। सरकार को कहीं सहयोग करना है, तो उस पर सरकार सहमत है। अच्छा होगा कि सौहार्दपूर्ण तरीके से इस समस्या का समाधान हो।
सब कुछ मौजूद है। जो लड़ाई थी उस पूरी लड़ाई को तो 30 सितंबर, 2010 का न्यायालय का फैसला स्पष्ट कर देता है। तो जब सब स्पष्ट हो चुका है तो मुझे लगता है कि विवाद का बातचीत से ही समाधान हो तो बहुत अच्छा होगा और अच्छा संदेश जाएगा। हमने दोनों पक्षों से आग्रह किया है कि संवाद बनाइये, समाधान का रास्ता निकालिए।
आपके एक विधायक का वीडियो वायरल हुआ है। स्कूलों में मिड डे मील की घटिया हालत, स्कूलों के बाहर शोहदों के खड़े होने, गाने-बजाने की खबर लेते हुए। वीडियो में उन्होंने कहा, वे दिन का भोजन किसी न किसी स्कूल में ही करेंगे। यह आपके निर्देश का असर है या चुने गए जनप्रतिनिधियों की ऐसी सक्रियता हर तरफ दिखेगी?
हमें सरकार की हर योजना को आमजन तक पहुंचाना है। कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्रों तक पहुंचाना है। यह चुने हुए हर प्रतिनिधि और हर प्रबुद्धजन का कर्तव्य है। मैंने साफ कहा है कि कोई भी जनप्रतिनिधि मेरे पास ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए नहीं आएगा। कोई भी जनप्रतिनिधि ठेका-पट्टा नहीं करेगा। उसकी सिफारिश नहीं करेगा। विकास योजनाओं के लिए जो आएगा, उसका मैं स्वागत करूंगा। वे सरकार की योजनाओं पर नजर रखें, उसका फीडबैक दें। कहां पर क्या अच्छा हो सकता है, उसमें वह क्या योगदान दे सकता है, उसका हम स्वागत करेंगे। मिड डे मील के बारे में तो हम अपनी प्राथमिक शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करना चाहते हैं। आजादी के बाद का जो सबसे बड़ा धक्का है वह यह है कि हम लोगों ने अपनी राष्टÑीयता से एक तरह से संबंध-विच्छेद सा कर दिया है। राष्टÑभक्ति से परिपूर्ण शिक्षा और आधुनिक शिक्षा इस देश के गांव के गरीब और किसान के बच्चे को कैसे दी जा सकती है, इसके बारे में हमारा व्यापक चिंतन प्रारंभ हुआ है। दूसरे, गरीब का बच्चा अच्छे कपड़े की वर्दी क्यों नहीं पहन सकता? हम उन्हें जूते भी उपलब्ध कराएंगे। उन्हें अच्छी शिक्षा देंगे। एनसीईआरटी की तरह अच्छी शिक्षा कैसी दी जा सके, पाठ्यक्रम कैसे अच्छा बने, इस सब पर भी हम कार्य कर रहे हैं। हमारा प्रयास होगा कि मिड डे मील का पैसा सीधे छात्र के खाते में डालें। हरेक छात्र को एक-एक टिफिन उपलब्ध करा देंगे और उनसे कहेंगे कि खाना अपने घर से लेकर आएं। मुझे लगता है, इससे स्कूल का समय बर्बाद होने से भी बच सकता है। इससे एक पारदर्शिता बनी रहेगी।
इस जनादेश का सबसे बड़ा मंत्र क्या है? क्या जातियों में बंटा अनदेखा रहा ‘वोट बैंक’ सुशासन के मुद्दे पर उस सबसे ऊपर आ रहा है?
इस जनादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि जातिवाद और तुष्टीकरण के लिए कोई स्थान नहीं है। जातिवाद और तुष्टीकरण के नाम पर कुछ लोगों ने धोखा दिया है, देश को लूटा है और लोगों की पीठ में छुरा भोंकने का कार्य भी किया है। मुझे लगता है, जातिवाद और तुष्टीकरण के दिन लद गये हैं। विकास और सुशासन के लिए लोग ईमानदारी से प्रयास कर सकते हैं। राष्टÑीयता को मजबूती प्रदान करने के लिए जो ईमानदारी से प्रयास कर सकते हैं, जनता उनके साथ खड़ी होगी। भारतीय जनता पार्टी उसी जनता का नेतृत्व कर रही है।
शासन का ‘योगी मंत्र’ क्या है?
हमें सुशासन लाना है। हम सब एक भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था, गुंडाराज से मुक्त समाज देंगे। इस दृष्टि से केन्द्र से मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार जो मार्गदर्शन कर रही है, वह हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
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