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दिल्ली में शाखाओं की संख्या में 15 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य

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Mar 27, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 27 Mar 2017 15:10:04

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत आगामी वर्ष में दैनिक शाखाओं में वृद्धि के साथ ही सामाजिक समरसता को मजबूत करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में, खासकर युवाओं में, राष्ट्रीयता की भावना के और अधिक विस्तार की दिशा में काम करेगा। यह जानकारी 24 मार्च को दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी।
श्री कुमार ने बताया कि वर्तमान में देशभर में 36,729 स्थानों पर 57,185 शाखाएं चल रही हैं। साप्ताहिक मिलन तथा संघ मंडली मिलाकर कुल  59,216 स्थानों पर कार्य चल रहा है। इनमें से 90 प्रतिशत शाखाओं में 45 साल से कम आयु के स्वयंसेवक आ रहे हैं, जबकि विद्यार्थियों का अनुपात 53 प्रतिशत है। श्री कुमार ने बताया कि देशभर में पिछले वर्ष 1,04,000 स्वयंसेवकों ने प्राथमिक शिक्षा वर्ग में हिस्सा लिया। सात दिन का यह वर्ग स्वयंसेवकों को प्रतिबद्ध कार्यकर्ता के रूप में निर्माण करने की दिशा में पहली महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली प्रांत में इस समय 1,805 शाखाएं चल रही हैं और आगामी वर्ष में इनमें 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। दिल्ली में ही लगभग 462 सेवा प्रकल्प भी चल रहे हैं। जो मूलत: सेवा बस्तियों में रहने वालों के सशक्तिकरण का काम कर रहे हैं। दिल्ली में संघ का सामाजिक समरसता पर विशेष बल है। इसके लिए पिछले साल कई रामलीलाओं से संपर्क कर उनसे भगवान वाल्मीकि की आरती रामलीला मंचन के दौरान करने का आग्रह किया गया था। बड़ी संख्या में रामलीला समितियों ने इसे स्वीकार किया। इस वर्ष इस पहल का और अधिक विस्तार किया जाएगा। श्री कुमार ने कहा कि आने वाले साल में केरल तथा पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा तथा वहां राष्ट्र विरोधी ताकतों के प्रभाव और बढ़ती उपस्थिति के विरोध में दिल्ली प्रांत में भी देश के अन्य हिस्सों की तरह कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस संबंध में बीते 19-21 मार्च को कोयम्बटूर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पारित किए गए प्रस्तावों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों में केरल तथा पश्चिम बंगाल में राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा को अत्यंत चिंताजनक बताया गया है। केरल की परिस्थिति भी विचारणीय है। विधानसभा में साम्यवादी दल को प्राप्त विजय के पश्चात संघ प्रेरित कायोंर् के कार्यकर्ताओं पर हमलों की संख्या बढ़ी है। अमानवीय चेहरा खुलकर प्रकट हुआ है।  (इंविसंकें)

युवाओं में दिखा उत्साह
गत दिनों हिन्दू स्वयंसेवक संघ-ब्रिटेन (एचएसएस-यूके) द्वारा भारतीय खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें 25 शहरों के 750 स्वयंसेवकों ने
भाग लिया।

स्वयंसेवकों ने सवा लाख प्रेरक पुस्तकें बेचीं    
मेरठ प्रांत (पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 प्रशासनिक जिले) के स्वयंसेवकों ने एक दिवसीय अभियान में 1,26,000 प्रेरणादायी पुस्तकें जनता को बेचीं। इनका मुद्रित मूल्य लगभग 25 लाख रु. था, पर ये 40 प्रतिशत की छूट पर मात्र 14 लाख रु. में लोगों को दी गईं। कुल नौ पुस्तकों के 14,000 सेट बनाए गए थे। नौ में से सात पुस्तकें सुरुचि साहित्य, दिल्ली द्वारा प्रकाशित थीं। इनमें चार पुस्तकें महाराणा प्रताप, वीर हकीकत राय, सती सावित्री एवं महर्षि दयानंद सरस्वती की लघु जीवनियां थीं।
'ज्ञानमाला' शीर्षक से दो भागों में प्रकाशित पुस्तकों में महापुरुषों के प्रेरक जीवन प्रसंग संजोए गए हैं। 'राष्ट्रीय आंदोलन और संघ' नामक पुस्तक में स्वयंसेवकों द्वारा स्वातंत्र्य संघर्ष सहित विभिन्न राष्ट्रीय आंदोलनों में की गई सहभागिता का वर्णन है।
विद्या भारती के प्रकाशन 'हमारे राष्ट्र-निर्माता' पुस्तक में अनेक महान् व्यक्तित्वों की छोटी-छोटी जीवनियां संजोयी गई हैं। धरोहर प्रकाशन की 'आहार-विहार: स्वस्थ जीवन का आधार' में उत्तम स्वास्थ्य हेतु
उचित खानपान एवं आदतों का जिक्र किया गया है। अभियान के अंतर्गत 2,370 स्थानों पर 7,440 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
बस अड्डों, बाजारों, रेलवे स्टेशन, आवासीय कॉलोनियों-मोहल्लों में साहित्य बेचा गया। प्रतिवर्ष चलने वाले इस आयोजन का उद्देश्य जन-सामान्य में अच्छा साहित्य पढ़ने की रुचि जागृत करना और  उनमें राष्ट्र के बारे में अधिक से अधिक समझ बढ़ाना है।
    -अजय मित्तल              

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