चक्रवर्ती केसरिया
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चक्रवर्ती केसरिया

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Mar 20, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 20 Mar 2017 15:21:13

इसमें कोई संदेह नहीं कि आसेतु हिमाचल या आसिन्धु-सिन्धु पर्यन्ता भाजपा को जो व्यापक समर्थन मिला है उसके पीछे हमारी प्रखर देशभक्ति और हिन्दू संस्कृति के प्रति असंदिग्ध निष्ठा की आभा है

तरुण विजय
रतीय सर्वेक्षण विभाग के प्रतीक चिन्ह पर भारत को व्याख्यायित करने वाली पंक्ति है— ‘आ सेतु- हिमाचलम्!’ वीर सावरकर ने इसी व्याख्या को अन्दमान कारावास के समय 1905 में इन शब्दों में उतारा— ‘आ सिन्धु सिन्धु पर्यन्ता।’ अर्थात् सिन्धु नदी से हिन्द महासागर तक। नरेन्द्र मोदी ने इस व्याख्या से भाजपा को एक रूप करते हुए अक्षरश: चक्रवर्ती राज्य के रूप में केसरिया को स्थापित कर दिया।
कल्पना में नहीं, कविता में नहीं। अक्षरश:। लेह से कन्याकुमारी और तवांग से ओखा तक। सिन्धु तट से हिन्द महासागर और वैष्णो देवी के तीर्थ क्षेत्र से मां कामाख्या दिव्य क्षेत्र और अब मंगेश देव के गोमांतक से गोविन्द जी के मणिपुर तक हिन्दू सभ्यता, संस्कृति एवं उदार विचार की धारा के प्रति निष्ठावान दल का विस्तार चक्रवर्ती भाजपा का नया रूप दिखाता है। और वस्तुत: यह तो प्रारंभ है। इस विस्तार का अर्थ है शक्तिवर्धन और लोकतांत्रिक पराक्रम। इसका अर्थ है उन कुचले, घायल सपनों की वापसी जो गत सदियों के आक्रमणों एवं आजादी के बाद वैचारिक शत्रुओं के आघातों से लगातार घायल किए जाते रहे। जहां कभी भिखारी नहीं थे, वहां हर चौराहे, रेस्तरां, मंदिर और सड़कों पर बच्चे, बूढ़े भीख मांगते, पटरियों पर जीवन बिताते, असहाय, दीनहीन दिखें तो भारत अधूरा ही कहा जाएगा। गांवों में रोशनी, पानी, विद्यालय, सड़कें पहुंचें— बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। देश केवल भौतिक संसाधनों की प्रचुरता से नहीं बनता। वे काया का रूप ले सकते हैं— प्राण तो संस्कृति और शौर्य से मिलता है। वह संस्कृति और शौर्य की धारा ही गत दशकों में खंडित हुई है।
असम की बेटी नाहिद आफरीन के खिलाफ कायर, बुजदिल और अरब अंधकूप में रहने वाले छियालीस मुल्लाओं ने जो फतवा दिया, वह हमारी परंपराओं और आस्था पर वही अरब-हमला है जो कश्मीर के हिन्दुओं पर जिहादियों ने किया था। छत्तीसगढ़ में सुकमा में केन्द्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ) के बारह जवानों को धोखे से मारने वाले कम्युनिस्ट विचारधारा के आतंकवादी भी उसी हमले की कड़ी हैं तो केरल में रा.स्व.संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्याएं भी उसी जघन्य हिन्दू विरोधी आक्रमण का हिस्सा हैं। हमें इस वैचारिक पाखंड से उबरना होगा कि ये हमले आर्थिक या राजनीतिक षड्यंत्रों का हिस्सा हैं।
इस बारे में तनिक भी संदेह नहीं रखना चाहिए कि आसेतु हिमाचल या आसिन्धु-सिन्धु पर्यन्ता भाजपा को जो व्यापक समर्थन मिला है उसके पीछे हमारी प्रखर देशभक्ति और हिन्दू संस्कृति के प्रति असंदिग्ध निष्ठा की आभा है। वह न हो तो काया प्रभाहीन है। जनता को विश्वास है कि हमारी राजभक्ति और राष्टÑभक्ति एकरूप है— हम वहाबी-सेकुलर जमात नहीं, हम वोट के लिए मुल्क का सौदा नहीं करते, हमारे लिए गंगा नदी नहीं, मां है और भारतीय होना हमारी पहली पहचान और प्राथमिकता है, अंतिम नहीं।
यदि विश्व में कहीं भी हिन्दू पर आघात होता है तो दर्द भारत को होता है। यदि जेद्दाह या जकार्ता में किसी मुस्लिम, ईसाई भारतीय को पीड़ा होती है तो कराहती भारत माता है। वह वेदना और अपमान का दंश किसी भी भारतीय को न सहना पड़े, भारतीय होना न केवल गर्व की बात हो बल्कि भारतीय होना सुरक्षा की भी गारंटी हो— दुनिया में किसी भारतीय को याकि किसी भारतीय मूल के व्यक्ति को भी अपने माथे पर खुद ‘भारत’ के कारण तिरस्कार या आघात न सहना पड़े, वैसे शक्तिशाली भारत के निर्माण का प्रारंभ हुआ दिखता है। इस राष्टÑनिष्ठ जनसमर्थन का आभार मानना चाहिए कि पंजाब और गोवा से आआपा गायब होती दिखी- वरना आशंका ही थी कि जिनकी आंखों में देश नहीं, वे कैसा जनादेश पाएंगे। उत्तर प्रदेश को जिन्होंने पारिवारिक जमींदारी की राजनीतिक लूट का शिकार बनाया, वे भी तिरोहित हुए। धन्यवाद। अयोध्या, काशी, मथुरा जहां हों, वह प्रदेश भारत की आत्मा कहा जाए तो क्या गलत होगा। इसी को लेकर समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने कहा था कि भारत के तीन स्वप्न हैं— राम, कृष्ण और शिव। यह लोहिया वाणी और इस लंबे निबंध को सैफई छाप समाजवादी भूल गए। वे स्वप्न सबके, हम सब भारतीयों के स्वप्न हैं— आस्था भिन्न होने से न पूर्वज बदलते हैं, न सपने। और फिर उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने यह सिद्ध किया कि भारतनिष्ठ भाजपा का ईमानदार चेहरा उन्हें पाखंडी, बेईमान सेकुलरों से ज्यादा वरेण्य है। उत्तर प्रदेश राम कृष्ण का प्रदेश है, शिव का पुण्य क्षेत्र और त्रिवेणी का प्रवाह उसे जो वैशिष्ट्य देता है, उसे संभालना अब भाजपा का धर्म है। यह त्रिवेणी वोट-बैंक के संकीर्ण व्यापारियों और हिन्दू-मुस्लिम दंगों के सेकुलर-वहाबियों द्वारा आहत की गई। उसे सबको साथ लेकर गांधी-दीनदयाल- लोहिया की वैचारिक त्रिवेणी बचाएगी ही।
मणिपुर में भाजपा का आना वस्तुत: राष्टÑीयता की रक्षा के यज्ञ का सफल होना है। यहां गत दो दशकों से आतंकवादी विद्रोही संगठनों का बोलबाला रहा। हिन्दी का तो एक पोस्टर तक लगाने की इजाजत नहीं, हिन्दी फिल्में बीस साल से प्रतिबंधित हैं। 14 आतंकी संगठन गृह मंत्रालय की सूची में हैं। एक संगठन- जो प्रमुख है— उसका नाम है पीपुल्स लिबरेशन आर्मी— जो चीन की सेना का नाम है। भाजपा सरकार वहां भारत की आत्मा का पुन: उन्मेष बन कर आई है। यह भारत के विक्रम का उदय पर्व शुरू हुआ है। केसरिया होली इस बार यहां हुई तो केसरिया पोंगल और केसरिया ओणम भी दूर नहीं होना चाहिए।    (लेखक राज्यसभा के पूर्व सांसद हैं)

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