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'संस्कारों से ही जीवित है हिन्दू जीवन पद्धति'

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Mar 6, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 06 Mar 2017 16:04:23

''देश की हजारों वषोंर् की गुलामी के बाद भी हिन्दू जीवन पद्धति जीवित है, इसका मूल कारण हमारी परिवार व्यवस्था से मिलने वाले संस्कार हैं। डॉ़ ईश्वरचंद विद्यासागर, विनोबा भावे में जो समाज सेवा भाव आया, उसका स्रोत परिवार में मां ही थी, किन्तु आज इस परिवार व्यवस्था पर ही बड़ा संकट खड़ा है।'' उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने दिया। वे गोरखपुर के माधव धाम में जन कल्याण न्यास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 'कमाने वाला ही खाएगा' के स्थान पर प्राचीन हिन्दू पारिवारिक परम्परा कमाने वाला ही खिलाएगा, की धारणा आज के बहुत से संकटों का समाधान है। जीवन में छोटे को स्नेह, वृद्धों की सुरक्षा हमारा संस्कार है।
कार्यक्रम के शुभारंभ में क्षेत्र कार्यकारणी सदस्य रामाशीष ने बताया कि संघ कार्यालय माधवधाम का मात्र 6 माह में ही निर्माण पूर्ण हो जाने के पीछे पूज्य श्रीगुरुजी का आशीर्वाद ही है। सन् 2001 से अब तक प्रत्येक वर्ष श्रीगुरुजी की जयन्ती पर कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, हम उनके प्रतिभा संपन्न जीवन की चर्चा करते हैं।
कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक श्री शिवनारायण, प्रान्त प्रचारक श्री मुकेश विनायक खाडेकर, सह प्रान्त प्रचारक श्री कौशल सहित अन्य गणमान्यजन, कार्यकर्ता व स्वयंसेवक उपस्थित थे।     गोरखपुर (विसंकें)

'जागरूकता से ही रुकेगा कैंसर'
गत दिनों जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के तत्वावधान में 'इंडो ग्लोबल समिट ऑन हैड एवं नैक कैंसर' सेमीनार आयोजित किया गया। सेमीनार का उद्घाटन विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगडि़या ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुंह एवं गले के कैंसर के 90 प्रतिशत रोगी ग्रामीण परिवेश एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के होते हैं। कैंसर की जांच एवं उपचार सुविधाओं के अधिकांश शहरों में उपलब्ध न होने से ग्रामीण रोगियों के इलाज में देरी होती है। मौजूदा समय में कैंसर के बारे में जनजागरूकता अभियान में सरकारी एवं गैरसरकारी, स्वयंसेवी संस्थाओं, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक भारतीय नागरिक को इसमें लगना होगा। तभी इससे लड़ा जा सकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ ने कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की एवं इस भयावह रोग के रोकथाम, जल्द अवस्था में जांच एवं उचित इलाज पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को अपने-अपने स्थान पर कार्यशालाएं एवं संगोष्ठी के माध्यम से ग्रामीणों तक इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां पहुंचाने की आवश्यकता है ताकि वे इस रोग से बच सकें। भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय न्यास के अध्यक्ष नवरतन कोठारी ने कहा हमारे चिकित्सालय की
ओर से जनकल्याण करने के प्रयास बराबर किए जा रहे हैं और आगे भी किए जाते रहेंगे।                      
 जयपुर (विसंकें)

'ध्येयनिष्ठता के साथ जिया संपूर्ण जीवन'
केवल युद्ध करना ही पुरुषार्थ नहीं होता, अपितु अंत:करण की सभी भावनाओं को, संपूर्ण जीवन को केवल एक ध्येय के लिए समर्पित करना, यह भी पुरुषार्थ होता है। श्री रामभाऊ हल्देकर जी, जब 1954 में संघ के प्रचारक बने, वह समय संघ के लिए सब प्रकार से विरोध का कालखण्ड था। जो जो बंधु श्री हल्देकर जी के संपर्क में आए, उनको संघ के उद्देश्य समझाने के लिए किसी बौद्धिक चर्चा की आवश्यकता नहीं हुई, क्योंकि उनका जीवन ही संघ जीवन के नाते सबके सामने रहा है। स्व. हल्देकर जी की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए भगवान से प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं है, ईश्वर का यह दायित्व बनता है कि ऐसी पवित्र आत्मा को शांतिगति प्रदान करते हुए, वेे स्वयं उन्हें अपनी योजना से ईश्वरीय कार्य करने के लिए पुन: पृथ्वी पर भेजें।
  —श्री सुरेश जोशी, सरकार्यवाह,रा.स्व.संघ

'भारत दुनिया में शाति का मार्ग प्रशस्त  करने में सक्षम'
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, विज्ञान संकाय के सभागार में धर्म-संस्कृति संगम, काशी एवं काशी विद्वत परिषद के संयुक्त तत्वावधान में 'सर्वधर्म समभाव एवं विश्व शांति' विषयक संगोष्ठी सम्पन्न हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है। वसुधैव कुटुम्बकम् का सन्देश भारत ने ही दिया। भारत दुनिया में शांति का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम है। इस रचनात्मक सृष्टि में सभी धर्म एक हैं। यहां राम-कृष्ण, अल्लाह, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, आदि अनेक पंथ हैं, लेकिन धर्म एक है, भगवान एक है। सभी मत-पंथों का उपदेश लगभग एक समान होता है। जैसे चोरी नहीं करना, झूठ नहीं बोलना, हिंसा नहीं करना आदि। धर्म के अनुसार आचरण संस्कृति है। सभी की अपनी-अपनी पूजा पद्धति है। पूजा पद्धति कट्टर नहीं होनी चाहिए। ऐसी पद्धति हो, जिससे शांति मिले। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि धर्म का मूल सत्य है। आज धर्म के मूल को स्थापित करने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ यदुनाथ दुबे ने कहा कि अनेकत्व में जब एकत्व आता है, वही समभाव है। भारतीय संस्कार को देखना और संवारना होगा, भारत ही सर्वस्व है जिसमें अनेकत्व में एकत्व है। अत: मानवता की रक्षा के लिए सभी धर्मों के लोग आपस में मिलकर कार्य करें।
विशिष्ट अतिथि आचार्य भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत भाषा का विस्तार नहीं हो रहा है, इसलिए अपनी संस्कृति का विस्तार नहीं हो पा रहा है। सांस्कृतिक आक्रमण को हमें संस्कृति से ही प्रतिक्रिया देनी चाहिए। हमें यहां अपने गुणों को ही नहीं दोषों को भी देखना चाहिए। विशिष्ट अतिथि प्रो़ अशोक कुमार जैन ने कहा कि धर्म सर्वश्रेष्ठ मंगल कार्य है, जो सीधा कार्य करे धर्म है, जो काटने का कार्य करे अधर्म है। जैन संस्कृति में समभाव है, जो विश्व शांति के हेतु योगदान दे सकती है। स्वागत भाषण सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, पूर्व कल्याण संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष रमेश कुमार द्विवेदी ने दिया।  प्रतिनिधि

'शाखाओं के खेल में छिपा राष्ट्र पे्रम'
'जीवन के गंभीर रहस्य, ज्ञान, अनुशासन और संस्कारों का संगम होते हैं खेल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा पर खेले जाने वाले खेलों के पीछे भी यही भाव छिपा होता है। संघ शाखाओं ने खेल-खेल में देशभक्ति के भावों को जीवन में अपनाने की अनूठी पद्धति विकसित की है।' यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हरियाणा प्रांत प्रचारक श्री सुधीर कुमार का। वे नीमका स्थित स्टेडियम में आयोजित हरियाणा खेल संगम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हरियाणा प्रांत में सभी सात विभागों में 7 स्थानों पर इसी प्रकार खेल संगम आयोजित किए गए हैं, जिनमें सभी खंड, नगरों से कबड्डी, खो-खो की टीमें आई थीं। लगभग 4000 स्वयंसेवकों ने खेलों में भाग लिया। ये सभी टीमें पहले अपने जिलों में खंड स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजयी होकर विभाग स्तर पर आई थीं। किशोरावस्था में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग में अनेक मेडल जीत चुके फरीदाबाद के उभरते सितारे अनमोल जैन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि खेल सदैव खेल भावना और सद्भावना के साथ ही खेला जाना चाहिए और देश का नाम रोशन करना ही मेरा उद्देश्य है।     प्रतिनिधि

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