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मंदाकिनी नदी के किनारे चित्रकूट में नानाजी का ग्रामोत्थान प्रकल्प आज एक अनुपम उदाहरण बना है, स्वदेशी विचार पर विकास की संकल्पना का, स्वावलंबन का और आत्मगौरव का। वहां ग्रामोदय मेले से मिली लघु भारत की झलक
हर्षवर्धन त्रिपाठी
हजार सत्तरह के फरवरी महीने की आखिरी अमावस चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने वालों के लिए अनोखी-सी थी। वनवासी भगवान राम की इस नगरी में हर अमावस को बड़ा मेला लगता है। मेले में आसपास के इलाकों और पूरे देश से श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं। इस बार अमावस के वक्त एक और मेला चित्रकूट में लगा। और उस मेले की खास वजह रहा इस वर्ष का नानाजी देशमुख जन्मशताब्दी वर्ष होना। 24-27 फरवरी तक नानाजी की सामाजिक सरोकारों की कर्मभूमि चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के परिसर में ग्रामोदय मेला लगा। मेले में नानाजी के द्वारा खड़े किए गए विशद् कार्य की झलक थी और संपूर्ण ग्रामोदय के जरिये राष्ट्रोदय की संकल्पना साकार होती नजर आ रही थी। चित्रकूट धाम स्टेशन से उतरने के बाद कामदगिरि पर्वत की तरफ बढ़ते हुए चित्रकूट ग्रामोदय मेले के इस आयोजन का एहसास होता दिखा। मंदाकिनी नदी के रामघाट से लेकर गोदावरी नदी के स्थान गुप्त गोदावरी तक नानाजी देशमुख के ग्रामोदय की परिकल्पना उनकी सातवीं पुण्यतिथि पर साकार रूप लेती दिखी।
4 दिवसीय ग्रामोदय मेले का शुभारंभ बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविद के करकमलों से हुआ। कार्यक्रम की भूमिका राज्यसभा सदस्य प्रभात झा ने रखी। उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, सुदर्शन भगत, दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक एवं रा. स्व. संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास और कई विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद रहे। मेले के समापन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत मुख्य अतिथि रहे। समापन सत्र में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इसके अलावा भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्घे, मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस के साथ ही 6 राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्री भी उपस्थित थे।
चित्रकूट में दिखा सांस्कृतिक भारत
ग्रामोदय मेले में किसी भी तरफ जाने पर ऐसा एहसास होता था जैसे भारत की संस्कृति का एक छोटा स्वरूप वहां उतर आया हो। पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख के जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में संपन्न इस 4 दिवसीय मेले की रौनक पूरे चित्रकूट में दिखी। मेले की शुरुआत से पहले सुबह नगर में शोभायात्रा निकाली गई। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के समूह ने शोभायात्रा का नेतृत्व किया। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के 250 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया। नगर से गुजरती शोभा यात्रा में लघु भारत की झलक दिखाई दी। यात्रा में शामिल कलाकार अपने-अपने राज्यों की संस्कृति और परंपरा को झांकियों और लोकनृत्यों के माध्यम से अभिव्यक्त कर रहे थे। शोभायात्रा रामघाट से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए आयोजन स्थल ग्रामोदय मेला परिसर पहुंची। इस दौरान कलाकारों ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत कर सबका दिल जीत लिया। पंक्तिबद्ध होकर नृत्य करते इन कलाकारों का उत्साह देखते ही बन रहा था। हिमाचल प्रदेश से आए कलाकारों ने महाभारत युद्ध पर आधारित लोकनृत्य ठोडा प्रस्तुत किया। कौरव और पांडव दल में विभक्त इस झलकी में धनुष-बाण, फरसा, कटार और ढोल-नगाड़े का अनूठा चित्रण दिखा। सागर से आईं महिला कलाकारों ने लोकरंग बधाई नृत्य और चित्रकूट के कलाकारों ने लोकनृत्य राईकोलाईकर्मा प्रस्तुत किया। सागर की कलाकार निशा ने बताया कि ये लोकनृत्य शादियों एवं खुशी के अवसर पर किए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आये कलाकारों ने रामनामी, पंडवानी, नाचा और पंथी गायनशैली में प्रस्तुतियां दीं, जिसमें उन्होंने वहां की संस्कृति को अपने नृत्य के माध्यम से पेश किया। उत्तराखंड के कलाकारों ने हिलजामा नृत्य के माध्यम से सबका मन मोह लिया। केरल के कलाकारों ने पुलीकली टाइगर और कुमाठी प्रस्तुत किया।
लकड़ी से बने सामान का आकर्षण
ग्रामोदय मेले में एक छोटी-सी दुकान सबको आकर्षित कर रही थी। दुकान पर लकड़ी से बना घरेलू उपयोग का सामान था। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से आए इकाराम ने बताया कि उनकी दुकान पर ग्राहकों की खूब भीड़ लगी रही। दुकान में लकड़ी के बर्तन, रसोई का सामान, दीवार घड़ी, कलम और खिलौनों सहित अन्य उपयोगी और सजावटी सामग्री बिक्री के लिए उपलब्ध थी। इकाराम ने बताया कि वे पिछले10 साल से देश के विभिन्न हिस्सों मंे अपनी यह दुकान लगाते रहे हैं। उनके साथ काम करने वाले उनके सहयोगी ने बताया कि औसतन एक मेले में पांच से सात हजार रुपए तक की बचत हो जाती है।
जैविक पद्धति से बढ़ेगी उपज
ग्रामोदय मेले में कृषि प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को जैविक कृषि की विस्तृत जानकारी दी गई। कृषि वैज्ञानिकों ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि जैविक पद्धति से खेती करने पर अधिक उपज प्राप्त होती है। यहां किसानों की समस्याओं का समाधान भी किया गया। प्रदर्शनी का आयोजन कृषि विभाग की ओर से किया गया। कृषि प्रदर्शनी के प्रभारी एवं कृषि विशेषज्ञ रावेन्द्र सिंह ने बताया कि हमारे देश में कृषि की पैदावार अच्छे मानसून पर निर्भर है। मानसून पर खेती की निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने हर खेत में पानी पहुंचाने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की है। इस योजना में तीन मंत्रालय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुत्थान मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग एवं कृषि मंत्रालय शामिल हैं। उनका कहना है कि किसानों की समस्या दूर करने के लियेे सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हर किसान अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण मृदा परीक्षण केन्द्र पर जाकर कराए। इसके लिए सरकार एक गांव को चार भागों में बांटकर प्रत्येक किसान के खेतों की मिट्टी का परीक्षण करके अनेक तत्वों की पहचान करने के बाद सम्बधित सलाह देती है। इस तरीके से यह लाभ होगा कि खेतों की मिट्टी के अनुसार पैदावार की जाएगी। किसान भाइयों के लिये सरकार किफायती दर पर हायब्रिड बीज, जैविक खाद्य का सहकारी समितियों के माध्यम से वितरण करवाती है। कृषि जागरूकता के लिए दो गांवों में एक किसान मित्र की नियुक्ति की जा रही है, जो अन्य किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिये जागरूक करते हैं।
विद्यार्थियों को हुआ अपनेपन का एहसास
ग्रामोदय मेले में जनजातीय क्षेत्रों के छोटे-छोटे बच्चों की उपस्थिति और सहभागिता नानाजी की समग्र ग्रामीण विकास की सोच को साकार करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन रही है। नानाजी द्वारा चित्रकूट में स्थापित रामनाथ आश्रमशाला के विद्यार्थियों ने मेले में स्टालों के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति को करीब से महसूस किया। लगभग 50 किलोमीटर के दायरे में स्थित जनजातीय क्षेत्रों से यहां रहकर पढ़ने आए इन बच्चों की उपस्थिति ने अन्य लोगों को भी ग्रामीण संस्कृति से जुड़ने के लिए जागरूक करने का काम किया है। मेले में भ्रमण के दौरान अनुशासित बच्चों ने बाल उत्पीड़न की रोकथाम को लेकर संदेश भी प्रसारित किया। विद्यार्थियों के समन्वयक एवं शिक्षक शंकरसिंह ने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा से वंचित 300 विद्यार्थी इस आवासीय शाला में रहकर शिक्षा हासिल कर रहे हैं। शाला में करीब 200 छात्र एवं 100 छात्राएं अध्ययनरत हैं।
इस मौके पर ग्रामीण संस्कृति को करीब से जानने को लेकर छोटे-छोटे बच्चों में भी खासा उत्साह देखने को मिला। ऐसे ही एक स्कूली छात्र टीकम ने बताया कि मेले में आकर अच्छा लगा, जनजातीय संस्कृति की छटा देखकर उन्हें अपने गांव की याद ताजा हो गई। इसी तरह एक अन्य छात्र अनिल सिंह ने भी मेले को मनोरंजक और जानकारी से भरपूर बताया। बेहतर शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य की चाह में अपनेे घर और परिवार से दूर इन बच्चों के लिए ग्रामोदय मेला अपनेपन के कुछ लम्हे लेकर आया। मेला घूमने आए इन बच्चों की मुस्कान को देखकर चित्रकूट जैसे छोटे स्थान में लगे ग्रामोदय मेले की सार्थकता स्वत: ही प्रकट हो रही थी।
अनूठा आजीविका अभियान
मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का 'आजीविका अभियान' प्रदेश में स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहा है। मेले में स्वरोजगार के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए आजीविका मिशन का स्टाल भी देखने में आया। पन्ना से आईं दिव्यांग भागवती यादव तथा उनके पति दशरथ यादव ने बताया कि आजीविका मिशन से जुड़कर उन्होंने आंवले का मुरब्बा, अचार, कैण्डी, जूस और सुपारी का अपना छोटा-सा काम शुरू किया है। उन्होंने इसका प्रशिक्षण भोपाल और जबलपुर में प्राप्त किया है। अब वे दूसरों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं।
श्री यादव ने बताया कि उनके बनाए 'मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह' की अध्यक्ष उनकी पत्नी हैं। इस समूह में उनके साथ 10 अन्य महिलाएं भी कार्य करती हैं। अपने गांव के एक व्यक्ति से प्रेरित होकर 2002 से दशरथ सिंह इस कार्य से जुड़े हैं। एक वर्ष पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आजीविका अभियान से जुड़कर उन्होंने तीन लाख रुपये की सहायता प्राप्त की। आज वे अपनी पत्नी के सहयोग से प्रतिवर्ष डेढ़ से दो लाख रुपय तक की बचत कर लेते हैं। स्वयं के कार्य के साथ-साथ आज दशरथ यादव दूसरों को भी प्रशिक्षित कर स्वावलम्बी बना रहे हैं।
इस ग्रामोदय मेले की सबसे बड़ी बात यह रही कि इसमें मुख्य मेले के ईद-गिर्द ग्रामोदय से जुड़े विषयों पर अलग-अलग चर्चा, बहस के सत्र चले। 25-26 फरवरी को ग्रामोदय मेले में ही माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार तथा चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के छात्र, अध्यापक और देश भर से आए पत्रकार ग्रामोदय मीडिया चौपाल में शामिल हुए। भोपाल की स्पंदन संस्था ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। मुख्य धारा की पत्रकारिता में गायब हो गए गांव कैसे फिर से भारत के उदय में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं और किस तरह से पत्रकारों को अपना गांव सहेजकर रखने की जरूरत है, इस विषय पर भी अच्छी चर्चा हुई।
इस मेले में हर दिन एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 26 फरवरी को युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना विषय पर संगोष्ठी हुई। इसमें कई विषयों पर बातचीत हुई, जैसे सामाजिक समरसता एवं महिला सशक्तिकरण, पंचायतीराज की प्रासंगिकता, जन सुविधाओं का रखरखाव, स्वच्छता, जल संरक्षण और प्रबंधन, नशा एवं पाश्चात्य संस्कृति अनुकरण से युवा पीढ़ी पर पड़ने वाला प्रभाव, मंदाकिनी नदी का स्वास्थ्य (भूतकाल एवं वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में) और ग्रामीण विकास में सूचना संचार की भूमिका, मुद्रा रहित लेन-देन, जनकल्याणकारी योजनाएं और उनका क्रियान्वयन आदि।
जन सहभागिता से हुआ विशाल भंडारा
27 फरवरी को नानाजी की पुण्यतिथि पर ग्रामोदय मेले का समापन हुआ। इस मौके पर रामचरित मानस पाठ के बाद एक विशाल भंडारे का आयोजन हुआ। इसमें 40,000 से ज्यादा लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे का आयोजन स्थानीय लोगों के सहयोग से हुआ। चित्रकूट एवं सतना जिले के गांवों और शहर के अनेक परिवारों से सहयोग के तौर पर एक मुट्ठी अनाज और एक रुपया लेकर भंडारा किया गया था। कुल 10,518 परिवारों ने 9 लाख रुपये से ज्यादा का सहयोग दिया। साथ ही करीब 73 क्विंटल गेहूं, 13 क्विंटल चावल, 14 किलो दाल और 46 किलो से ज्यादा आलू का संग्रहण किया गया।
सर्वव्यापी हो गए हैं नानाजी
ग्रामोदय मेले के अंतर्गत आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में 'समग्र ग्रामीण विकास की चुनौतियां एवं समाधान' विषय पर बोलते हुए केंद्रीय जल एवं संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा, ''नानाजी देशमुख जब जीवित थे, तब एक आत्मा थे, अब सर्वव्यापी हो गए हैं। मैं नानाजी की बहुत लाड़ली थी। वे मुझमें हमेशा जीवित रहेंगे।''
सुश्री उमा भारती ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश देते हुए कहा कि जितना खर्च आप बेटी की शादी में करते हैं, उतना खर्च आप बेटी की पढ़ाई में कर दीजिए। आपको शादी में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा। बेटी खुद आत्मनिर्भर हो जाएगी। वहीं आजीवन स्वास्थ्य की परिकल्पना विषय पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा खाना जरूरी है। इससे तन और मन दोनों अच्छे रहते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ़ एऩ एऩ मेहरात्रा ने आजीवन स्वास्थ्य में आयुर्वेद विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उनके बाद डॉ. पी़ सी़ शर्मा एवं डॉ. आऱ एस़ शर्मा ने आयुर्वेद उपचार की लोकप्रियता और महत्व पर प्रकाश डाला। आयुर्वेद महाविद्यालय, रीवा के प्राचार्य डॉ. दीपक कुलश्रेष्ठ ने स्थानीय जड़ी-बूटियों एवं परंपरागत चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य उपचार विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
स्वयं के स्रोत से अर्जित आय में वृद्धि
नानाजी ने 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया और खासकर गांवों के उत्थान के काम में जुट गए। उसकी मूल संकल्पना ही यह थी कि गांव को इतना समृद्ध, आत्मनिर्भर बनाया जाए कि वहां रहने वालों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए शहरों में न जाना पड़े। इसी संकल्पना को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने दीनदयाल शोध संस्थान परिसर में 28 फरवरी से 1 मार्च तक एक संगोष्ठी का आयोजन किया। 'ग्राम पंचायतों के स्वयं के स्रोत से अर्जित आय में वृद्धि' संगोष्ठी का मुख्य विषय रहा। इस संगोष्ठी की सबसे सुखद बात यह रही कि यहां सिर्फ मंत्री और अधिकारियों के भाषण भर नहीं हुए। इस संगोष्ठी के अवसर पर ग्रामीण आय बढ़ाने के उदाहरण भी सामने आए। मंदसौर की दलौता चौपाटी के सरपंच विपिन जैन ने बताया कि उन्हें प्रधान बने 21 माह हुए हैं। इन 21 महीनों में ग्राम पंचायत ने 70 लाख रुपये अर्जित किए। शुरुआत गांव वालों को यह समझाने से की गई कि टैक्स समय पर भरने पर उन्हें 20 प्रतिशत की छूट मिलेगी। गांव वालों को टैक्स जमा करने से मिली छूट से ही 18 लाख रुपये अर्जित हुए। इसके अलावा पंचायत को 20 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से बिजली एवं पानी पर कर प्राप्त हुआ। गांव के कूड़े को जैविक खाद में बदला गया, इससे 20 टन जैविक खाद तैयार हुई। गांव के 1800 परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति से जोड़ा गया। अभी पंचायत के पास 25 लाख रुपये की एफडी है।
ऐसा ही उदाहरण मध्य प्रदेश के इंदौर की कुदरी पाल पंचायत का भी देखने, जानने को मिला। सरपंच श्रीमती अनुराधा जोशी ने बताया कि जब वे सरपंच बनीं तो पंचायत के पास करीब 600 रुपये जमा थे। 2 वर्ष में गांव वालों को दी गई सुविधाओं पर मिले टैक्स से पंचायत के पास 68 लाख रुपये जमा हो गए हैं। पंचायत गांव वालों की सहभागिता और सहयोग से महिला एवं बाल विकास की कई योजनाएं चला रही है।
ऐसे उदाहरणों को आगे रखकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि नानाजी इसी अवधारणा को लेकर चित्रकूट आए थे। उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से यह कर दिखाया कि कैसे ग्राम एवं व्यक्ति का सवांर्गीण विकास गांवों के जरिये ही हो सकता है। नानाजी ने 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाली 512 ग्राम पंचायतों के माध्यम से संस्कार और स्वावलंबन का अनोखा उदाहरण पेश किया है। ग्रामोदय मेले में सच में नाना जी की साधना का प्रतिफल बहुत सकारात्मक रूप से देखने में आया। आज चित्रकूट उनके सरल, सहज पर कर्मठ जीवन की जीतीजागती मिसाल के तौर पर देश के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
''नानाजी की तपस्या से आधुनिक तीर्थ बन गया है चित्रकूट''
ग्रामोदय के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि चित्रकूट का भारतीय समाज में विशेष स्थान है। वैसे तो चित्रकूट भारतीयों के लिए पहले से ही एक तीर्थ है, पर आधुनिक समय में नानाजी की तपस्या और लोगों के उद्यम से चित्रकूट आधुनिक युग का भी तीर्थ बन गया है। एक ऐसा तीर्थ जहां आकर ग्रामीण विकास की कल्पना को साकार होते हुए देखा जा सकता है। और ये विकास शुद्ध भारतीय दृष्टि से हुआ है।
उन्होंने कहा कि, विकास सब चाहते हैं लेकिन पहले यह तय करना जरूरी होता है कि हम कैसा विकास करना चाहते हैं। हर किसी का विकास एक सा नहीं होता। जब हम भारत के विकास की बात करते हैं तो विकास की दृष्टि लेकर विचार करने की जरूरत है। इस पर ठीक से विचार करना चाहिए कि कैसा विकास चाहिए।
सरसंघचालक ने कहा कि हमारी परम्परा में धन का महत्व दान से है और शक्ति का महत्व सुरक्षा से है। सरकार ढेर सारी नीतियां बनाती है लेकिन उसके अपेक्षित परिणाम नहीं निकल पाते। सरकारें हमेशा से रही हैं। योजनाएं पहले भी थीं, आज भी हैं। लेकिन लोगों को जगाने का जो काम सरकारी योजनाएं नहीं कर सकीं, वह काम नानाजी देशमुख ने कर दिखाया। नानाजी ने जो किया उसे भगवत्कृपा भी मिली। नानाजी ने ग्राम स्वराज, ग्रामोदय की संकल्पना को चित्रकूट में साकार करके दिखाया है। नानाजी ने समाज का काम किया। लोग कहते हैं कि हम समाज का काम करते हैं। समाज क्या है? हम ही समाज हैं, हमें यह बात समझनी चाहिए। हम अपना ही काम कर रहे होते हैं, जिसे समाज का काम कह देते हैं। नानाजी ने यही भावना सबमें जगाई और बड़ा काम खड़ा कर दिया। नानाजी ने ग्राम समितियां बनाईं। वहीं के और बाहर से आए लोगों को उसमें शामिल किया। दंपतियों को लेकर ग्रामोदय की संकल्पना पर काम किया। समाज शिल्पी दंपति के माध्यम से नानाजी ने वह कर दिखाया जो सरकारों की कई पंचवर्षीय योजनाओं के जरिए भी नहीं हो सका था। नानाजी ने ऐसा काम यहां के आसपास के गांवों में सिर्फ 3 साल में कर दिखाया। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के आगे बढ़ने के लिए शासन की नीति, प्रशासन की रीति और समाज का एक साथ होना जरूरी होता है। यही अवधारणा यहां साकार होती दिखती है। समाज के ये तीनों विकास स्तम्भ यहां खड़े हैं, चित्रकूट में नंदन वन तैयार हो गया है। श्री भागवत ने आह्वान किया कि नानाजी की तपस्या की यह गुप्त सरस्वती अविरल बहती रहे।'अब रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ता'
ग्रामोदय मेले में अनेक स्वयं सहायता समूहों ने अपनी प्रदर्शनी लगाई। भरतपुर की सुनीता भी अपने स्वयं सहायता समूह 'हथकरघा एवं दस्तकारी समिति मर्यादित' की प्रदर्शनी लेकर आईं। वे 5 वर्ष से मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी हैं। वर्तमान में उनके स्वयं सहायता समूह में लगभग 150 कर्मचारी काम कर रहे हैं। उनके प्रयास से अब आसपास के लोगों को रोजगार के लिए अन्य जगह पलायन नहीं करना पड़ता। लोग अपने ही गांव में रहकर कमाई कर रहे हैं। उनका समूह हाथ से वस्त्र बुनता है।
आठ हजार रुपये तक हुई आय
सुनीता बताती हैं कि इस समूह के प्रारंभ होने के बाद से वे लोग आत्मनिर्भर हो रहे हैं। उन्हें रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। उनका समूह पुरुषों के लिये कुर्ता-पाजामा, कमीज, गमछा सहित अन्य वस्त्र तैयार कर बिक्री करता है। महिलाओं के कपड़े भी बनाए जाते हैं। उनके यहां काम करने वालों की प्रति व्यक्ति आय सात से आठ हजार रुपये प्रति माह है। उन्होंने बताया कि उनके समूह के स्टाल देशभर में प्रतिवर्ष लगभग 40 स्थानों पर जाते हैं।
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