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मध्यप्रदेश में संघ की प्रेरणा से चल रहे रचनात्मक कायोंर् को सरसंघचालक ने बताया भारत के उत्थान को समर्पित समाजकार्य। इनसे आ रहा है वनवासी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव
लोकेन्द्र सिंह
देश के वनवासी और पिछड़े क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयास से अनेक रचनात्मक कार्य किए जा रहे हैं ताकि वह समाज मुख्यधारा में शामिल हो सके। इन प्रकल्पों के माध्यम से वनवासी क्षेत्रों में शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक बदलाव आ रहे हैं। मध्यप्रदेश के वनवासी क्षेत्रों में भी संघ के स्वयंसेवक वंचित और वनवासी समाज के उत्थान में जुटे हुए हैं। बैतूल जिले में विशाल हिन्दू सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य ही था 'समाज के समग्र विकास का संदेश' देना। यही कारण है कि संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का मध्यप्रदेश में 8 दिवसीय प्रवास भी संगठनात्मक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से तय किया गया है। बैतूल के पुलिस परेड मैदान पर 8 फरवरी को हिन्दू सम्मलेन, 9 फरवरी को बनखेड़ी के समीप स्थित गोविंदनगर में भाऊसाहब भुस्कुटे न्यास का रजत जयंती समारोह, 10 फरवरी को भोपाल में रविदास जयंती पर सेवाभारती द्वारा आयोजित श्रम साधक संगम और 11 फरवरी को चरैवेती द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी पर आयोजित समारोह में शामिल होकर सरसंघचालक ने समाज के समग्र विकास में जुटे स्वयंसेवकों और संघ के आनुषंगिक संगठनों के प्रयासों को रेखांकित किया।
विविधताओं को सहन नहीं करना, बल्कि उनका सम्मान करना चाहिए, क्योंकि, सब एक ही हैं। सबमें एक ही तत्व है।
-श्री मोहनराव भागवत, सरसंघचालक
इस प्रवास के दौरान सरसंघचालक ने संगठित हिन्दू समाज की आवश्यकता को भी समाज के सामने रखा। बैतूल जिले के 1,470 गांवों से आए एक लाख से अधिक हिन्दू नागरिकों की उपस्थिति में उन्होंने कहा कि जब हम हिन्दू समाज कहते हैं तब उसका अर्थ होता है संगठित हिन्दू। यदि हममें किसी भी प्रकार का भेद और झगड़ा है, तब हम अस्वस्थ समाज हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए हमें संगठित रहना होगा। आज दुनिया संघर्षों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि इस देश में जाति-पंथ के आधार पर कोई भेद नहीं था, सबमें एक ही तत्व को देखा गया। सब एक ही राम के अंश हैं। उन्होंने कहा कि समाज के जो बंधु कमजोर हैं, उन्हें सबल और समर्थ बनाना हमारा दायित्व है।
बैतूल में हिन्दू सम्मेलन में श्री भागवत ने कहा कि यह प्राचीन भारत का केंद्र बिंदु है। समाज को सबल और भारत को विश्वगुरु बनाना इस हिंदू सम्मेलन का उद्देश्य है। इस अवसर पर प्रख्यात रामकथा वाचक पंडित श्याम स्वरूप मनावत ने कहा कि दुनिया में केवल भारत ही है, जिसने विश्व कल्याण का उद्घोष किया। उत्तराखण्ड से आए आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने महिला सशक्तिकरण के लिए समस्त समाज का आह्वान किया। इस अवसर पर संघ के सहसरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी, आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री बुधपाल सिंह ठाकुर, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. शैला मुले और गेंदूलाल वारस्कर भी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान में रहने वाला प्रत्येक हिंदू है
हिन्दू सम्मेलन में सरसंघचालक ने कहा कि जापान में रहने वाला जापानी, अमेरिका का निवासी अमेरिकी और जर्मनी का नागरिक जर्मन कहलाता है, इसी प्रकार हिंदुस्थान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है। भारत के मुसलमानों की राष्ट्रीयता भी हिन्दू है। मत-पंथ अलग होने के बाद भी हम एक हैं, इसलिए हमको मिलकर रहना चाहिए।
बैतूल जेल: जहां गुरुजी रहे थे कैद
प्रवास के दौरान सरसंघचालक बैतूल जेल भी गए। 68 साल पहले 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के झूठे मामले में षड्यंत्रपूर्वक संघ पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस मामले में संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य गुरुजी को तीन माह बैतूल जेल की जिस बैरक में रखा गया था, वहां आज भी उनका चित्र लगा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषंगिक संगठन विद्याभारती और सेवाभारती की ओर से बैतूल और होशंगाबाद के वनवासी क्षेत्रों में शिक्षा के लिए संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, आवासीय विद्यालय और वनवासी छात्रावास का संचालन किया जा रहा है। परिणामस्वरूप न केवल इन क्षेत्रों के विद्यार्थियों में सार्थक बदलाव आ रहा है, बल्कि उनके माध्यम से परिवार, परिवार के माध्यम से गांव एवं नगर में भी परिवर्तन दिखाई दे रहा है। केंद्रों और शाखाओं के माध्यम से चिकित्सा शिविर आयोजित करने के साथ स्वास्थ्य के प्रति समाज जागरण किया जा रहा है।
समग्र ग्राम विकास की अवधारणा को लेकर काम कर रहे संघ के स्वयंसेवकों के प्रयास से वनवासी क्षेत्रों के गांवों में जैविक खेती को प्रोत्साहन मिला है। कई गांव प्लास्टिक मुक्त हो गए हैं। घरों के पीछे अन्नपूर्णा मंडप बनाए गए हैं, जिनमें घर में उपयोग के लिए हरी सब्जी उगाई जा रही है। अन्नपूर्णा मंडप में लगे पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए अलग से पानी का प्रबंध नहीं करना होता, बल्कि घर से निकलने वाले पानी का ही उपयोग किया जाता है। इसके अलावा बोरी बंधान की मदद से किसानों ने बारिश के पानी को रोकने का प्रबंध किया है। बाद में इस पानी का उपयोग खेत की सिंचाई में किया जा रहा है।
समग्रशिक्षा प्रकल्प: भारत-भारती
सरसंघचालक श्री भागवत ने बैतूल स्थित विद्या भारती के प्रकल्प 'भारत-भारती' का भी अवलोकन किया। विद्याभारती का यह प्रकल्प गोसंवर्धन, कृषि विकास, जैविक कृषि, मूल्य आधारित शिक्षा, व्यावहारिक शिक्षा और अपशिष्ट प्रबंधन का आदर्श है। कृषि संकाय के विद्यार्थी लगभग 56 एकड़ जमीन में बने इस प्रकल्प में अपनी इच्छानुसार फसलें लगाते हैं और परंपरागत एवं नवीन तकनीक के सम्मिश्रण से उपज में वृद्धि करते हैं। विद्यार्थी पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं। इसके अलावा आसपास के किसानों को जैविक खेती और कृषि की आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण देने के लिए भारत-भारती में समय-समय पर कृषि शिविर आयोजित किए जाते हैं।
शिल्प केंद्र बना भाऊसाहब भुस्कुटे न्यास
होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी के समीप गोविंदनगर में भाऊसाहब भुस्कुटे न्यास प्रकल्प के माध्यम से बांस और मिट्टी शिल्प को प्रोत्साहन दिया जाता है। न्यास के 25 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित रजत जयंती समारोह में सरसंघचालक शामिल हुए। इस प्रकल्प के माध्यम से आसपास के गांवों में शैक्षिक और सामाजिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक बदलाव भी आया है।
भोपाल में श्रम साधक संगम
रविदास जयंती के अवसर पर सेवाभारती की ओर से भोपाल में लाल परेड मैदान पर श्रम साधक संगम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में न केवल सेवाभारती के संपर्कित बल्कि समाज में श्रम साधना में संलग्न सभी लोग शामिल हुए। संगम में सरसंघचालक ने समाजसेवा के क्षेत्र में संघ के प्रयासों को सबके सामने रखा, ताकि अन्य लोग भी इससे प्रेरित होकर समाजोन्मुखी कार्यक्रमों में संलग्न हों। उल्लेखनीय है कि सेवाभारती के द्वारा भोपाल की पिछड़ी बस्तियों में लगभग 140 शिक्षा और सेवा प्रकल्पों का संचालन किया जाता है। इनमें शिक्षा, संस्कार केंद्र और छात्रावास सहित समाज को स्वावलंबी बनाने के लिए सिलाई, कड़ाई, बुनाई केंद्र प्रमुख हैं। कोलार की अलकापुरी बस्ती में 20 बच्चों को पढ़ा रही दीदी अनीता बताती हैं कि वे भी सेवाभारती के ऐसे ही शिक्षा केंद्र में पढ़कर आगे बढ़ी हैं। यहां संस्कारित बच्चों के आग्रह पर उनके पिता और बड़े भाइयों ने व्यसन छोड़ा है। बुजुर्गों की सेवा के लिए आनंदधाम और शिशुओं के आश्रय के लिए मातृच्छाया जैसे प्रकल्प भी संचालित किए जाते हैं। आनंदधाम में रहने वाले बुजुगोंर् को इस बात का एहसास नहीं होने दिया जाता कि वह किसी वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। इसी प्रकार मातृच्छाया में भी सामान्य अनाथालयों से कहीं बढ़कर छोटे बच्चों का पूरा ध्यान रखा
जाता है।
सरसंघचालक ने कराए ये संकल्प
समाज के कमजोर बंधुओं को समर्थ बनाने का प्रयास करूंगा।
अपने घर-परिसर में पर्यावरण की रक्षा करूंगा।
अपने घर में अपने जीवन के आचरण, महापुरुषों के पे्ररक प्रसंग अपने परिवार को सुनाकर भारत माता की आरती करूंगा।
अपने देश का नाम दुनिया में ऊंचा करने के लिए जीवन में सभी कार्य परिश्रम के साथ निष्ठा और प्रामाणिकता से करूंगा।
भेदभाव नहीं करूंगा। समाज को संगठित रखने का प्रयास करूंगा।
संत समाज का यह दायित्व है कि आध्यात्मिक शक्ति के जागरण से पुन: इस देश में मातृशक्ति की प्रतिष्ठा को स्थापित करे। समाज को भी महिला सशक्तिकरण के लिए आगे आना होगा।
— संत सतपाल महाराज
वनवासी समाज ने स्वत:स्फूर्त होकर हिन्दू सम्मेलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और महीनों पहले से सम्मेलन की तैयारी में सहयोग किया। हिन्दू सम्मेलन की पूर्व संध्या और सरसंघचालक के नगर आगमन पर बैतूल निवासियों ने घर-द्वार पर दीप जलाए। शहर को रंगोली और पताकों से सजाया। मानो बैतूल में दीपावली एक बार फिर से मनाई जा रही हो।
— बुधपाल सिंह ठाकुर
अध्यक्ष, हिन्दू सम्मेलन आयोजन समिति
यह बैतूल के लिए गौरव का विषय है कि संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत यहां आए। उनके आने से बैतूल और संघ के रचनात्मक कार्य देशभर में पहुंचेंगे।
— मोहन नागर, अध्यक्ष, भारत-भारती
स्वस्थ भारत के निर्माण का प्रयास
वनवासी क्षेत्र के लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों और उन्हें समय पर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए बैतूल में विद्या भारती द्वारा 'भारत-भारती चिकित्सालय' का संचालन किया जाता है। 32 साल से चिकित्सालय को अपनी सेवाएं दे रहे डॉ़ रमापति मणि त्रिपाठी बताते हैं कि प्रारंभ में भारत-भारती चिकित्सालय की स्थापना वनवासी क्षेत्र के बच्चों के इलाज के लिए की गई थी। परन्तु, बाद में सभी के लिए चिकित्सालय की सेवा शुरू कर दी गई। आज बैतूल के आसपास के 70-80 गांवों के लोग इस चिकित्सालय की सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। यहां न्यूनतम शुल्क 30 रुपये की पर्ची बनाई जाती है और मलेरिया, क्षय रोग (टीबी), बुखार, डेंगू जैसी बीमारियों का ही उपचार नहीं किया जाता बल्कि कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों का भी इलाज किया जाता है। चिकित्सालय का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक सेवा देना और मानवहित में कार्य करना है।
गोसंवर्धन केंद्र : भारत भारती गोशाला
बैतूल स्थित विद्या भारती का प्रकल्प केवल भारतीय पद्धति से शिक्षा का अनुकरणीय आदर्श ही नहीं है, बल्कि गोसंवर्धन का भी बड़ा केंद्र बन गया है। गाय की उपयोगिता को देखते हुए ही 2008 में भारत-भारती में श्री गोपाल पाटीदार द्वारा गोशाला का शुभारम्भ किया गया। शुरुआत 22 गायों से हुई थी, आज 155 से भी ज्यादा गाय और नंदी हैं। गायें प्रतिदिन 14-16 लीटर दूध देती हैं जो पूरा आवासीय विद्यालय में जाता है। यहां आसपास के लोगों को गायों की देख-रेख हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे भी गो-पालन के लिए प्रोत्साहित हों और दुग्ध उत्पादन कर अपनी आजीविका भी चला सकें।
जनजाति वर्ग के छात्रों का छात्रावास
बैतूल में सतपुड़ा के पहाड़ों के बीच मेघा नदी के किनारे छोटा-सा गांव है धाबा। गांव में धोटे परिवार रहता है। परिवार के मुखिया और रूसी भाषा के जानकार डॉ़ रमेश धोटे हैदराबाद में उच्च प्रशासनिक पद पर कार्यरत थे, लेकिन सेवानिवृत्त होने पर गांव के लिए प्रेम उन्हें वापस ले आया। डॉ़ धोटे को लगा कि बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ किया जाना चाहिए। उन्होंने बच्चों के रहने के लिए धाबा गांव में एक भवन बनवाया, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं था, क्योंकि छात्रावास संचालन के लिए एक संचालक और अन्य व्यवस्थाएं भी चाहिए होती हैं। तब संघ के एक कार्यकर्ता से मुलाकात में उन्होंने अपनी योजना और समस्या उनके सामने रखी। उसके बाद डॉ़ धोटे ने वह भवन विद्या भारती को सौंप दिया। विद्या भारती ने 4 अप्रैल, 2011 को वहां प्रद्युम्न धोटे स्मृति सदन के नाम से जन-जाति छात्रावास की शुरुआत की। तब से यह छात्रावास वनवासी समाज के छात्रों के शैक्षिक और व्यक्तित्व विकास में अपना योगदान दे रहा है। वर्तमान में छात्रावास का कार्यभार रामनरेश धोहरे संभाल रहे हैं। यहां कक्षा 6 से 12वीं तक के 42 छात्र रह रहे हैं। सूयार्ेदय से पहले से ही इन छात्रों की दिनचर्या प्रारम्भ हो जाती है। दिनचर्या में वंदना, प्रार्थना, स्कूल, खेलकूद और स्वाध्याय सम्मिलित है। अधीक्षक रामनरेश धोहरे सुबह-शाम एक-एक घंटे इन छात्रों को कोचिंग देते हैं। श्री धोहरे बताते हैं कि शिक्षा के साथ-साथ छात्र कई प्रकार के खेल खेलते हैं, जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, कबड्डी, खो-खो आदि, जिससे उनका शारीरिक विकास होता है। उनका कहना है कि इस छात्रावास के शुरू होने से इस क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जाग्रति आई है।
सेवा के ऐसे अनेक केन्द्रों के माध्यम से भारत उत्थान का महती कार्य पूरे भारत में चल रहा है।
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