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पश्चिम बंगाल कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों का अड्डा बन गया है। राज्य में शिक्षा का इस्लामीकरण करके बंगला भाषा को भुलाया जा रहा है। कट्टरपंथियों के तुष्टीकरण के लिए ऐसे और भी षड्यंत्रकारी काम किये जा रहे हैं
जिष्णु बसु / बासुदेव झुनझुनवाला
पश्चिम बंगाल कट़्टरपंथी इस्लामी संगठनों का अड्डा बन गया है। इसका सबसे ज्यादा असर राज्य की शिक्षा पर पड़ रहा है। साथ ही, राज्य का स्वरूप भी बदलकर कट़्टरवादी हो गया है।
सिद्दीकुला चौधरी वैसे तो राज्य की तृणमूल कांग्रेस की सरकार में गणशिक्षा विभाग में राज्यमंत्री हैं। लेकिन बीते 15 वर्षों से जमात-उल-उलेमा-हिंद में पश्चिम बंगाल के संगठन मंत्री भी हैं। उनके कार्यकाल के दौरान 2014 में बर्दवान जिले के खागड़ागढ़ में आतंकियों ने विस्फोट किया था। इस धमाके के बाद जमात ने बर्दवान में एक विराट उकसाऊ-उन्मादी सभा का आयोजन भी किया था। इसमें विस्फोट से जुड़े आतंकियों की मदद के लिए सिद्दीकुला चौधरी ने धन संग्रह करने का आह्वान किया था।
इस्लामी कट़्टरवाद पश्चिम बंगाल में स्कूली शिक्षा को भी अपने शिकंजे में ले रहा है। बच्चों के पाठ्यपुस्तकों में 'आकाश में रामधनु' (इंद्रधनुष का बंगला नाम रामधनु) को बदलकर 'आसमान में रंगधनु' कर दिया गया है। यानी रवींद्रनाथ टैगोर, बंकिमचंद्र चटर्जी और काजी नजरुल इस्लाम द्वारा 'रामधनु' लिखना 'सांप्रदायिक' कार्य था। कट्टरपंथियों की तुष्टीकरण के चलते ऐसे ही अन्य दुर्बुद्धि के कार्य हो रहे हैं।
इसी साल जमात-उल-उलेमा-हिंद ने राज्य के स्कूलों में मिलाद-उल-नबी उत्सव मनाने का फरमान जारी किया। हालांकि किसी स्कूल ने इस फरमान को नहीं माना। इसकी वजह यह थी कि आजादी के पहले से अब तक राज्य के किसी भी स्कूल में ऐसा उत्सव नहीं मनाया गया। फरमान नहीं मानने पर बाहर से आए कट्टरपंथी जबरदस्ती स्कूलों में घुसे और शिक्षकों तथा छात्रों के साथ बदतमीजी की। कट्टरपंथियों द्वारा लगाई आग में जलते हुए हावड़ा जिले के उलूबेरिया थानान्तर्गत तेहट्ट हाई स्कूल अनिश्चित काल के लिए बंद हो गया।
उलूबेरिया थानान्तर्गत तेहट्ट गांव में शुइयां एक सम्पन्न परिवार था। इस परिवार ने श्री श्री जगन्नाथ देव के नाम अच्छी खासी जमीन देवोत्तर (दान) कर दी थी। इसी देवोत्तर जमीन पर 1952 में तेहट्ट हाई स्कूल खोला गया। पिछले कई दशकों के दौरान हावड़ा में बडे़ पैमाने पर बंगलादेशियों ने घुसपैठ की। इसके कारण असंतुलित अनुपात में आबादी बढ़ी है। साथ ही, तेहट्ट जैसे कई जगहों पर आतंकी हमलों के डर के कारण उल्लेखनीय रूप से हिंदुओं की तादाद घटी है। अब ये इलाके जमात जैसे कट्टरवादी संगठनों के अड्डे हो गये हैं। पिछले साल दिसंबर में, तेहट्ट में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा ताहा सिद्दीकी के भाई कासिम सिद्दीकी ने तेहट्ट स्कूल के प्रधान शिक्षक श्री उत्पल भौमिक के नाम फतवा जारी किया। इसमें कहा गया कि अगर स्कूल में नबी दिवस नहीं मनाने दिया गया तो प्रधान शिक्षक को जाने नहीं दिया जाएगा। ताहा सिद्दीकी और कासिम सिद्दीकी तृणमूल के राज्य स्तरीय नेताओं के बहुत करीबी हैं। बता दें कि पिछली बार चुनाव के दौरान ताहा सिद्दीकी ने कोलकाता में बड़े गर्व से कहा था कि वे चाहें तो मुख्यमंत्री को एक झटके में कुर्सी से हटा सकते हैं। उस समय माननीया मुख्यमंत्री उनके साथ ही बैठी हुई थीं। इसी तरह 13 दिसंबर को बाहर से आए कट्टरपंथियों ने स्कूल पर हमला किया। उन्होंने के मैदान में जमात का हरे रंग का झंडा फहरा दिया। इसके अगले ही दिन से स्कूल को बंद कर दिया गया। इस स्कूल में फिलहाल दो हजार छात्र-छात्राएं हैं। इस घटना के बाद पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई और 6 जनवरी को स्कूल खोला गया। लेकिन इतनी सुरक्षा के बावजूद मामला शांत नहीं हुआ।
बीते 27 जनवरी को कट्टरपंथी दोबारा पंडाल बनाने का सामान लेकर स्कूल में घुस गए। उन्होंने पूरे दिन शिक्षकों-शिक्षिकाओं को एक कमरे में बंद रखा। प्रधान शिक्षक या स्कूल कमेटी की मिन्नतों के बाद भी पुलिस उस दिन मदद के लिए नहीं आई। इस तरह शाम हो गई। अंधेरे कमरे में बंद शिक्षिकाएं रोने लगीं और उनके परिवार के लोगों ने जब आकर हाथ-पैर जोड़े तब कट्टरपंथियों ने स्कूल की चाभी दी और सभी को घर जाने दिया।
उधर, कट्टरपंथियों से निपटने में प्रशासन ने एक विचित्र फैसला लिया। उसी दिन डिस्ट्रक्टि इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल्स, सेकेंडरी एजुकेशन ने अनिश्चित काल के लिए तेहट्ट स्कूल को बंद करने का आदेश दे दिया। साथ ही, स्कूल के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को वहां से पांच किलोमीटर दूर स्थित वासुदेवपुर रामकृष्ण विद्या मंदिर में हाजिरी देने का निर्देश दिया गया। इस आदेश के खिलाफ छात्र-छात्राओं ने 31 जनवरी 2016 को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या छह को अवरुद्ध कर दिया। जाम हटाने के लिए पुलिस ने बेधड़क लाठियां चलाईं, जिसमें दसवीं कक्षा की एक छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
पश्चिम बंगाल कट्टरवादियों का खुला अखाड़ा बन गया है। इस्लामीकरण करके बंगला भाषा को भुलाया जा रहा है। कट्टरवादियों का पाठ्यक्रम इतिहास को ही बदल दे रहा है। तेहट्ट स्कूल के घटनाक्रम ने बता दिया है कि शिक्षिकाएं कितनी असुरक्षित हैं, कट्टरपंथियों के सामने कितने असहाय हैं ये निष्पाप छात्र-छात्री गण।
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