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श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के महामंत्री डॉ. राम अवतार पर मानो प्रभु श्रीराम की कृपा बरसती है। यदि ऐसा नहीं होता तो राम वनगमन मार्ग की यात्रा असंभव थी। वे मानते हैं कि रामजी ही उन्हें यात्रा के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हीं की कृपा से संसाधन भी जुट जाते हैं और जन समर्थन भी मिलता है। 11वीं यात्रा शुरू करने से पहले उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश –
यात्रा के उद्देश्य क्या हैं?
यात्रा के कई उद्देश्य हैं। सबसे पहला है, श्रीराम वन गमन के शेष स्थलों की खोज करना। दूसरा है, उन स्थलों के बारे में लोक कथाओं और प्राचीन ग्रंथों में मौजूद जानकारी लेना और उन्हें प्रकाशित और प्रचारित करना। तीसरा है, स्थलों के विकास की संभावना तलाशना। चौथा है, स्थलों पर स्तंभ और राम वाटिका की स्थापना के लिए स्थान चिह्नित करना। पांचवां है, स्थलों से संबंधित साहित्य का वितरण करना। छठा है, हर स्थल पर कार्यकर्ताओं की टोली
तैयार करना।
इससे पहले आप 10 यात्राएं कर चुके हैं। उन यात्राओं की उपलब्धियां क्या रहीं?
जो लोग भगवान राम को काल्पनिक मानते थे, उनकी धारणाएं टूटी हैं। जो स्थल लुप्त होने के कगार पर थे,अब वे पुनर्जीवित हो रहे हैं। इन स्थानों के आसपास रहने वालों को रोजगार मिल रहा है। किसी ने चाय की दुकान खोल ली है, तो किसी ने फूल माला की। इन स्थानों पर पहले पूजा नहीं होती थी, अब होने लगी है। अयोध्या से रामेश्वरम तक कार्यकर्ता खड़े हो गए हैं और अनेक श्रद्धालु अयोध्या से रामेश्वरम तक पैदल यात्रा भी करने लगे हैं। लोग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दस्यु प्रभावित क्षेत्रों में जाने लगे हैं। पहले वे उन जगहों पर जाने से डरते थे। इस यात्रा के बाद ही सरकार ने रामायण सर्किट बनाने की घोषणा की है।
जब आप पहली बार शोध यात्रा पर गए थे, उस समय किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा था?
वह इस तरह की पहली यात्रा थी और मार्ग भी अनजाने थे। इसलिए स्वाभाविक रूप से अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन हम प्रभु राम की कृपा से हर समस्या का सामना करने में सफल रहे। जंगलों, पहाड़ों और नदियों के बीच से शोध यात्रा निकली थी। एक बार डकैतों से भावपूर्ण भेंट हुई थी। कुछ लोगों ने विरोध भी किया। किसी ने तीर्थयात्री, तो किसी ने भिखारी, तो किसी ने पागल भी कहा। एक बार तो महाराष्ट्र में हम पर हमला भी हुआ। गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी, लेकिन यात्रियों को कुछ नहीं हुआ था। वहीं रामभक्तों ने स्वागत किया और संतों ने आशीर्वाद भी दिया। यह सब रामजी की कृपा से हो रहा है। वे यात्रा करवा रहे हैं और मैं कर रहा हूं।
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