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पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रांगण में 'भारतीय अस्मिता की निरंतरता' विषय पर अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ के तत्वावधान में एक द्वि दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में अनुसंधान पीठ के संयोजक डॉ. चन्द्र प्रकाश सिंह ने भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह कौन-सा कारण है कि अनेक प्रकार की अनुकूलताओं एवं प्रतिकूलताओं के होते हुए भी भारतीय संस्कृति हजारों वर्षों से अपने अस्तित्व को बचाए हुए 'अहं अस्मि (मैं हूं)' की घोषणा कर रही है। यह संगोष्ठी शिक्षा, अर्थ-चिंतन, विधि, न्याय, राज्य व्यवस्था एवं विज्ञान व तकनीकी आदि क्षेत्रों में भारतीय चिंतन की उस अस्मिता पर विमर्श के लिए आयोजित की गई है जो इसके अस्तित्व का आधार है। अनुसंधान पीठ के अध्यक्ष डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बीज भाषण प्रस्तुत करते हुए नागरिकता और अस्मिता में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि 'नागरिकता राज्य के द्वारा प्रदान की जाती है जबकि अस्मिता' का संबंध राष्ट्र की चेतना से होता है, जिसे पं. दीनदयाल उपाध्याय ने चिति कहा है। उन्होंने कहा कि भारत के संदर्भ में इस सत्य को स्वीकार करना पड़ेगा कि यहां के विभिन्न मत, पंथ एवं मजहबों से जुड़े व्यक्तियों के पूर्वज हिन्दू ही थे। उद्घाटन भाषण में संवित सोमगिरी जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति नित्य निरंतर है। श्रुति, युक्ति और अनुभूति के समन्वय से ही भारतीय संस्कृति को समझा जा सकता है। आज सबसे प्रमुख आवश्यकता विकृत दर्शन और अवधारणाओं को सही करने की है। समापन सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि आज सबसे प्रमुख आवश्यकता है भारतीय मानस के अनौपनिवेशिकरण की, क्योंकि अनौपनिवेशिकरण के कारण ही हम आज यूरोप एवं पश्चिम के मापदंडों के आधार पर देखने के आदी हो चुके हैं। उन्होंने भारतीय अस्मिता को स्पष्ट करते हुए कहा कि जो विविधता में एकता और असहमतियों में सहमति स्थापित करे वही भारतीय अस्मिता है।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विहिप के महामंत्री श्री चंपत राय ने कहा कि मा. अशोक सिंहल जी चाहते थे कि देश की नीतियों के निर्धारण में देश के विद्वानों का योगदान हो।
ल्ल प्रतिनिधि
'प्रशिक्षण और ज्ञान दिलाएगा सफलता'
''त्रुटिरहित पत्रकारिता के लिए आवश्यक है कि पत्रकारों का समुचित प्रशिक्षण हो।'' गत दिनों पटना में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित 12 दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर दीघा के विधायक डॉ़ संजीव चौरसिया ने समापन अवसर पर उक्त विचार रखे। उन्होंने कहा कि आजकल आए दिन अखबारों में व्याकरणिक, तथ्यात्मक, प्रारूपात्मक गलतियां देखने को मिलती हैं। इसका कारण है, वर्तमान पीढ़ी के कुछ पत्रकारों में प्रशिक्षण का अभाव। इस संदर्भ में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा चलाया जा रहा पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम सराहनीय है। वरिष्ठ पत्रकार एसएन श्याम ने कहा कि मीडिया के क्षेत्र में लंबे समय तक बने रहने के लिए ठोस ज्ञान का होना आवश्यक है। यह काम उचित प्रशिक्षण द्वारा ही किया जा सकता है। जानकारी के अभाव में पत्रकार का विकास रुक जाता है। विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने आभार व्यक्त किया। मंच संचालन प्रशांत रंजन ने किया। ल्ल
वैशाली में संचलन
गणतंत्र दिवस पर एनसीआर, वैशाली महानगर द्वारा से.4 स्थित संतुष्टि पार्क में 'गुणात्मक संचलन' का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर संघ गणवेश में 500 से ज्यादा स्वयंसेवक बैंड की धुन पर कदम ताल कर रहे थे। कार्य्रकम में मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के प्रचार प्रमुख श्री कृपा शंकर ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। ल्ल
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