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गणतंत्र दिवस के दिन तड़के से ही दिल्ली में बारिश हो रही थी। कभी यह घनघोर रूप ले लेती तो कभी पलभर में बिल्कुल शांत हो जाती। बादल उमड़-घुमड़ रहे थे। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। दूर-दूर तक अगर कुछ दिखाई दे रहा था तो सिर्फ पानी। ऐसे में लग ही नहीं रहा था कि कोई कार्यक्रम संपन्न भी हो पाएगा। लेकिन ऐसे विपरीत मौसम में भी न केवल दिल्ली प्रांत का गुणवत्ता पथ संचलन संपन्न हुआ बल्कि अपने आप में एक कीर्तिमान स्थापित कर गया। जिसने भी इस अद्भुत दृश्य को देखा, बिना प्रशंसा किए नहीं रह सका। स्थान-स्थान पर तेजी से होती वर्षा में भी लोग स्वयंसेवकों की झलक पाने के लिए लालायित दिखे क्योंकि जिस ठंड में दिल्लीवासी सर्दी से बचने के लिए स्वेटर से लेकर जैकेट तक पहने हुए थे, उसी में स्वयंसेवक संघ के गणवेश में कदम से कदम मिलाकर भारत माता की जय का उद्घोष कर रहे थे। स्थान-स्थान पर दिल्लीवासियों द्वारा उनके ऊपर पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया जा रहा था।
दरअसल, गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली प्रांत ने अजेय गणतंत्र संचलन का आयोजन किया था। भारी वर्षा के बीच संचलन एन.पी.बॉयस स्कूल, मंदिर मार्ग से तय समय से शुरू होकर पेशवा रोड, गोल मार्केट, भाई वीर सिंह मार्ग, बंगला साहिब गुरुद्वारा से कनॉट प्लेस सर्कल घूमते हुए बाबा खड़क सिंह मार्ग पर संपन हुआ। पथ संचलन में दिल्ली प्रांत से सिर्फ चुने हुए स्वयंसेवक भाग ले रहे थे। उन्हीं में से एक हैं ऋषु कुमार। ऋषु की उम्र यही कोई 25 बरस होगी। ऋषु स्नातक के छात्र हैं और आईटीओ के पास रहते हैं। हाड़ कंपा देने वाली ठंड और लगातार होती बारिश में उनका उत्साह देखते ही बनता था। संचलन के कारण उनका तन पूरा भीग चुका था लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही थी। इसी उत्साह और ऊर्जा के सवाल पर उन्होंने कहा,''आज का पथ संचलन जीवनभर याद रहेगा, क्योंकि यहां आने पर जो उत्साह और आनंद का आभास हुआ, ऐसा शायद कहीं भी नहीं हुआ। संघ के स्वयंसेवकों के लिए यह कोई नया कार्य नहीं है। आंधी, बारिश और तूफान—ये सामान्य लोगों को सताते होंगे लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता।'' ऐसे ही एक और स्वयंसेवक धनंजय मिश्र, आईटीओ के पास रहते हैं। बाल्यकाल से स्वयंसेवक हैं। ठंड से कांप रहे हैं, लेकिन चेहरे की लालिमा और उत्साह ठंड पर भारी पड़ रहा है। उन्होंने कहा,''इंद्र भगवान भी खुश होकर बारिश कर रहे हैं। इस बारिश ने तो हम सभी के मनोबल को और बढ़ा दिया है। ये छोटे-मोटे झंझावात हमारे मन को नहीं हिला सकते, क्योंकि संघ की साधना का जो तप है, वह हम सभी के साथ है।'' वहीं अधिकतर स्वयंसेवक यह कहते हुए दिखाई दिए कि हम सभी स्वयंसेवक राष्ट्र और मां भारती के लिए करते हैं।
पथ संचलन से पूर्व अजेय गणतंत्र के उपलक्ष्य में बंग मंदिर में एक गोष्ठी संपन्न हुई। इसमें प्रमुख रूप से रा.स्व.संघ के अ.भा.प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, अ.भा. सह प्रचार प्रमुख श्री जे.नंद कुमार, अ.भा.सह संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार एवं दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार उपस्थित रहे। इस अवसर पर श्री जे.नंद कुमार ने कहा कि आज हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, लेकिन स्वतंत्रता के बाद देश को आगे बढ़ाने की हमारी जिम्मेदारी क्या है? राष्ट्र के प्रति हमारा क्या दायित्व है एवं राष्ट्र के लिए हम क्या कर सकते हैं? ये तमाम प्रासंगिक सवाल हैं जिन पर आज गहनता से विचार करने की आवश्यकता है। गोष्ठी के बाद सभी अधिकारियों ने संचलन में शामिल स्वयंसेवकों का अभिनंदन किया। संचलन में दिल्ली के 1200 से ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में भाग ले रहे थे। करोलबाग में रहने वाले स्वयंसेवक आशीष कुमार करोल कहते हैं,''किसी भी अच्छे कार्य में छोटी-मोटी समस्याएं आती ही रहती हैं। लेकिन स्वयंसेवकों को इन समस्याओं को ही तो पार करना है और स्वयंसेवक इन्हें पार भी करते हैं। यह ऊर्जा हमें संघ की शाखा से मिलती है।'' राहुल न्यू अशोक नगर से हैं और युवा हैं। वे अपने कई साथियों के साथ पथ संचलन में भाग लेने आए थे। पूरे जोश और उत्साह से भरे हुए। संघ के प्रति समर्पण पर उन्होंने कहा,''यह समर्पण मुझे संघ की शाखा से मिला है। यहां से जो ऊर्जा, ज्ञान मिलता है वह अन्यत्र कहीं और नहीं। संघ सिखाता है कि किसी भी तरह की परिस्थिति हो, लेकिन उसमें अपने को टिकाए रखना है। चाहे आग बरसे या फिर
बारिश बरसे।''
स्वयंसेवक विनय भारी बारिश के बीच करीब 3.5 कि.मी. पैदल चलकर आए थे। संचलन में शामिल होकर वे बड़े जोश में थे। उन्होंने कहा कि शाखा से समाज के लिए कुछ करने की ताकत मिलती है। संचलन के समापन पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए श्री जे.नंद कुमार ने कहा,''संघ की पद्धति के अनुसार किसी भी प्रमुख त्योहार या राष्ट्रीय उत्सव के दिन समाज के अंदर संगठन और अनुशासन की भावना और आत्मविश्वास जगाने और एक तरह से स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के दृष्टिकोण से भी इस तरह का पथ संचलन करते रहते हैं। यह पथ संचलन एक तरह से गुणात्मक संचलन भी है। दिल्ली प्रांत के अंदर चुने हुए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देकर इस प्रकार का पथ संचलन गणतंत्र दिवस पर किया गया है। हम सभी को पता है कि गणतंत्र यानी समाज और देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए? यह केवल अधिकार की बात नहीं है। हम सभी को समाज के लिए कार्य करने की भी जरूरत है। इस पथ संचलन का यही संदेश है। इसलिए आज मुझे लगता है कि प्रतिकूल वातावरण में भी संघ के स्वयंसेवकों ने इतने अनुशासन से यह संचलन पूरा किया, इसका एक अच्छा संदेश समाज
में जाएगा।'' श्री कुमार ने आगे कहा कि जिस तरह से आज स्वयंसेवकों ने बड़े ही अनुशासित एवं सुंदर ढंग से यह संचलन संपन्न किया, उसके लिए वे सभी बधाई के पात्र हैं। वर्षा हो, तूफान हो या फिर अग्नि प्रलय हो, यहां तक कि संघ पर प्रतिबंध भी लगाया गया लेकिन संघ कार्य कभी भी बाधित नहीं हुआ। संघ इस देश को परम वैभव तक ले जाने के लिए हमेशा आगे बढ़ता रहेगा।
बहरहाल, दिल्ली प्रांत के इस अनूठे पथ संचलन ने समाज को यही संदेश दिया कि संघ कार्य और संघ के स्वयंसेवक एक बार जो ठान लेते हैं उसे करते ही हैं, फिर क्यों न कितनी ही बाधाएं रास्ते में हों। -अश्वनी मिश्र
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