ममता का फासीवाद
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

ममता का फासीवाद

by
Jan 24, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 24 Jan 2017 15:16:40

 

ममता बनर्जी किस तरह बौखलाई हुई हैं, यह उन्होंने मकर संक्रांति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम को रोककर बता दिया। लेकिन न्यायालय के आदेश के बाद आखिर ममता सरकार ने अपनी किरकिरी ही कराई और कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न हुआ

 

जिष्णु बसुसाथ में असीम कुमार मित्र

'लगता है, अब ममता डर गई हैं।' यह आज बंगाल के आमजन में चर्चा का विषय है। एक व्यक्तिगत बातचीत में राज्य के वरिष्ठ मंत्री तक यह कहते सुने जा चुके हैं। दरअसल इस बात के पीछे संघ का वह कार्यक्रम है जो अभी उच्च न्यायालय की अनुमति के बाद मकर संक्रांति पर संपन्न हुआ है। मकर संक्रांति कार्यक्रम को लेकर करीब 2 महीने पहले ही संघ की ओर से पुलिस को अनुमति के लिए आवेदन पत्र भेजा गया था। लेकिन पुलिस ने उसे दबाकर रखा और उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उधर संघ के कार्यकर्ताओं को बराबर चिंता बनी हुई थी क्योंकि प्रतिवर्ष संघ के सरसंघचालक की उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न होता रहा है। लेकिन कार्यक्रम को लेकर पुलिस का जिस तरह का रवैया अपनाए हुए थी वह कुछ ठीक नहीं लग रहा था और जैसा अंदेशा जताया जा रहा था, ठीक वैसा ही हुआ। कार्यक्रम के केवल एक सप्ताह पूर्व भू-कैलाश मैदान में पुलिस ने इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया। इसके पहले मोन्युमेंट मैदान में भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं थी। फिर संघ ने सेना के अधीन ब्रिगेड परेड ग्राउंड की अनुमति मांगी तो प्रतिरक्षा विभाग ने तुरंत यह अनुमति दे दी। संघ को फिर से कोलकाता पुलिस के पास जाना पड़ा, क्योंकि कानूनन यह जरूरी था। लेकिन यहां भी ममता के दबाव में पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने यह कहते हुए अनुमति देने से इंकार कर दिया कि 14 जनवरी को लाखों लोग कोलकाता होकर गंगा सागर में पुण्य स्नान के लिए जाते हैं, इस समय अगर संघ का आयोजन हुआ तो कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है। ऐसे में राज्य प्रशासन खतरा मोल लेने के लिए तैयार नहीं है। पुलिस आयुक्त ने यह कहते हुए स्पष्ट शब्दों में सम्मेलन करने की अनुमति रद्द कर दी। यह 12 जनवरी, 2017 की बात है, जब सम्मेलन के आयोजन में केवल एक ही दिन बचा था। कार्यक्रम 14 जनवरी को सरसंघचालक श्री मोहन भागवत की उपस्थित में होने वाला था। संघ ने कोई रास्ता न देखकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। मामले पर कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह से नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार छीना नहीं जा सकता। इसलिए सरसंघचालक श्री मोहन भागवत की उपस्थिति में यह कार्यक्रम होगा।

उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति बागची ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इसके पहले संघ के सम्मेलन के विषय में 24 घंटे के अंदर जो रिपोर्ट पेश करने के लिए बताया गया था, वह काम आयुक्त ने खुद न करके अतिरिक्त आयुक्त को सौंपा था जो कि सरासर अदालत की अवमानना है। न्यायमूर्ति बागची ने पुलिस आयुक्त कुमार पर अदालत की अवमानना का मुकदमा भी दर्ज किया। गौरतलब है कि राजीव कुमार राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास होने के कारण न तो किसी की सुनते थे और न ही किसी की परवाह करते थे। एक और घटना का उल्लेख करना जरूरी है। आसनसोल में केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के मामले में कोलकाता उच्च न्यायालय पहले भी पुलिस को फटकार लगा चुका है। ऐसे में अब राजनीतिक गलियारों से जो खबरें आ रही हैं उनकी मानें तो तृणमूल कांग्रेस में आपस में झगड़े हो रहे हैं। सुब्रत मुखर्जी जैसे मंजे हुए नेता भी नोटबंदी आंदोलन को लेकर ममता जहां पहुंची हैं, उसकी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ममता ने नोटबंदी आंदोलन को बेवजह इतना तूल दिया है। दीदी ममता की यह राजनीति न केवल तृणमूल को क्षति पहुंचायेगी बल्कि आगे चलकर वह पार्टी के भविष्य को खत्म भी कर सकती है।

राजनीति में विरोध करना कोई नई बात नहीं है। लेकिन किसी दल के द्वारा हरेक काम का विरोध किया जाए तो यह शंका जरूर पैदा करता है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि ममता अपने विरोधियों के प्रति एक सीमा से ज्यादा दुराभाव रखती हैं। और समय-समय पर उन्होंने इसे साबित भी किया है। बात 14 मार्च, 2007 की है। पुलिस और माकपा के संयुक्त अभियान में नंदीग्राम में अनेक ग्रामवासियों की मौत हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा कि 'नंदीग्राम में सूर्योदय हुआ' है। नंदीग्राम, जंगल महल जैसे कुछ स्थानों में माओवादियों की गतिविधि बढ़ी। विपक्षी नेता ममता बनर्जी ने उस समय कहा था कि राज्य में कहीं भी माओवादी नहीं दिखाई देते। नंदीग्राम में रास्ता रोकने से लेकर सिंगूर और धरमतल्ला के आमरण अनशन में ममता के साथ अतिवामपंथी भी नजर आते थे। उस समय कोलकाता के एक जाने-माने अखबार में वामपंथी स्तंभ लेखक का एक रोचक लेख सामने आया। उस वामपंथी बुद्धिजीवी ने वामफ्रंट के नेताओं को सुझाव दिया था कि वे जनता के साथ संपर्क बढ़ाएं। जनता ने उन नेताओं को भूलना शुरू कर दिया है नहीं तो ममता नामक एक फासिस्ट सत्ता में आ जाएगी। पश्चिम बंगाल के वामपंथी बुद्धिजीवी, नवद्वीप में इस्कॉन के कीर्तन में भी सीआईए की साजिश और कलकत्ता के यूद्धी केक की दुकान नाहूम में भी फासिज्म की छाया देखते हैं। तृणमूल के दूसरी बार सत्ता में आने पर उन वामपंथी बुद्धिजीवी की फिर से याद आ रही है। भले ही ममता के सारे कारक फांसीवादी भले न हों फिर भी उनकी गतिविधियां एक फासिस्ट नायक से मिलती-जुलती हैं। जर्मनी में नाजी दल एक साम्यवादी संगठन था। वह पूंजीवाद के विरोध में सत्ता में आया। हिटलर ने स्वयं बताया कि 'पूंजीवाद हानिकारक है, मैं पूंजीवाद से घृणा करते हुए भी जर्मनी को प्यार कर सकता हूं।'

ममता ने भी सत्ता में आने के लिए टाटा, जिंदल जैसे पूंजीपतियों का विरोध किया। बहुत दिन से उन्होंने 'वाइल्ड कैट ट्रेड यूनियनिज्म' के सहारे अपना दबदबा बढ़ाया। एक अतिवाम ट्रेड यूनियन नेता भी उनके दल से जुड़ी और सांसद भी बनीं। ममता ने अपने भाषण में भी बताया, ''असली वामपंथी मैं हूं।''

हिटलर ने सत्ता में आने के तुरंत बाद 'नाइट ऑफ नाइफ ऑपरेशन' के विरोधी नेताओं के साथ-साथ अपने काबू के बाहर रहने वाले नाजी नेताओं का भी कत्ल करवा दिया था।

नंदीग्राम आंदोलन के समय से ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशन जी पश्चिम बंगाल में डेरा डाले हुए था। एक मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई। बाद में ममता के भतीजे तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी ने पश्चिम मेदनीपुर के बेल पहाड़ी इलाके में 18 जुलाई, 2015 को बताया कि उनकी बुआ ने किशनजी को मारा। इसके साथ-साथ पिछले कई साल से मुख्यधारा के एक राजनीतिक दल के प्रभावी नेताओं का कत्ल हुआ है। उन पर लगातार आक्रमण हुआ और उनको डरा-धमकाकर राजनीति से बाहर करने की कोशिश जारी है। ममता की छवि एक नायक के रूप में पूरे राज्य में उभरी। पत्रकारों से लेकर उच्च अधिकारियों तक का कहना है कि 'तृणमूल में एक ही पोस्ट है और बाकी सारे लैप पोस्ट हैं'। पूरे बंगाल में जगह-जगह साथ ममता की छवि के यह भी लिखा मिलेगा कि मुख्यमंत्री की प्रेरणा से फलां कार्य हुआ। किसी भी जगह कोई चैम्बर ऑफ कॉमर्स, राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान, सामाजिक संगठन के ममता के नियंत्रण में न होने के कारण उनके मंत्री या अधिकारी, सांसद किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकते। एक तानाशाह व्यवस्था लागू करना, इस सरकार का मुख्य उद्देश्य है। कोलकाता के केंद्रबिंदु में धरमतल्ला है। धरमतल्ला के 'वाईचैनल' में ममता अपने सारे कार्यक्रम करती थीं। सत्ता में आने के बाद वहां किसी राजनीतिक या सामाजिक संगठन के कार्यक्रम की इजाजत नहीं है। किसी विषय में प्रतिवाद करना प्रदर्शन करना सिर्फ उनकी पार्टी का अधिकार है। किसी दूसरे दल या संगठन को एक भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है। यहां मीडिया पर पूरा नियंत्रण करने की हर कोशिश जारी है।

तृणमूल कांग्रेस का समर्थन न करने पर उस अखबार को एक भी विज्ञापन नहीं मिलेगा, ऐसा भी आदेश है। पिछले एक साल से हर एक विषय को गौर से देखने पर ऐसा ही दिखाई देता है। नोटबंदी के समय या चिटफंड संबंधित विषय में यह साफ दिखाई दिया। झूठा और हास्यास्पद विषय लेकर 'हेडलाइन' बनाना बंगला अखबारों की मजबूरी है।

न्यायालय ने भी एक के बाद दिए निर्णयों में इस फासीवाद पर कड़ा प्रहार किया है। 2013 में मस्जिदों के इमामों एवं मुअज्जिमों को भत्ता देने से लेकर 2016 में दुर्गा विसर्जन तक में सरकार के रुख की तीव्र आलोचना हुई। पुलिस प्रशासन भी इस फासीवाद के लपेटे में मजबूरन आ गया है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Chmaba Earthquake

Chamba Earthquake: 2.7 तीव्रता वाले भूकंप से कांपी हिमाचल की धरती, जान-माल का नुकसान नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

जबलपुर: अब्दुल रजाक गैंग पर बड़ी कार्रवाई, कई गिरफ्तार, लग्जरी गाड़ियां और हथियार बरामद

China Rare earth material India

चीन की आपूर्ति श्रृंखला रणनीति: भारत के लिए नया अवसर

भारत का सुप्रीम कोर्ट

बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से SC का इंकार, दस्तावेजों को लेकर दिया बड़ा सुझाव

भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब

CM भगवंत मान ने पीएम मोदी और भारत के मित्र देशों को लेकर की शर्मनाक टिप्पणी, विदेश मंत्रालय बोला- यह शोभा नहीं देता

India US tariff war

Tariff War: ट्रंप के नए टैरिफ और भारत का जवाब: क्या होगा आर्थिक प्रभाव?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Chmaba Earthquake

Chamba Earthquake: 2.7 तीव्रता वाले भूकंप से कांपी हिमाचल की धरती, जान-माल का नुकसान नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

जबलपुर: अब्दुल रजाक गैंग पर बड़ी कार्रवाई, कई गिरफ्तार, लग्जरी गाड़ियां और हथियार बरामद

China Rare earth material India

चीन की आपूर्ति श्रृंखला रणनीति: भारत के लिए नया अवसर

भारत का सुप्रीम कोर्ट

बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से SC का इंकार, दस्तावेजों को लेकर दिया बड़ा सुझाव

भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब

CM भगवंत मान ने पीएम मोदी और भारत के मित्र देशों को लेकर की शर्मनाक टिप्पणी, विदेश मंत्रालय बोला- यह शोभा नहीं देता

India US tariff war

Tariff War: ट्रंप के नए टैरिफ और भारत का जवाब: क्या होगा आर्थिक प्रभाव?

रील बनाने पर नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या कर दी गई

गुरुग्राम : रील बनाने से नाराज पिता ने टेनिस खिलाड़ी की हत्या की, नेशनल लेवल की खिलाड़ी थीं राधिका यादव

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies