|
इस्लाम गुलामी और यौन दास को मान्यता देता है? क्या यही कारण है कि इस्लामी देशों को ये कुरीतियां अमानवीय और अटपटी नहीं लगती। मध्यकाल में तो इस्लामी देशों में गुलाम और सेक्स गुलाम का व्यापार जोर-शोर से होता था। आईएसआईएस के आतंकवादी गैर-मुसलमानों को गुलाम बनाकर इस प्रथा को फिर से जीवित कर रहे
हम तुम्हारे रोम को जीतेंगे, तुम्हारे सलीब तोड़ंेगे, तुम्हारी महिलाओं को गुलाम बनाएंगे। अगर हम नहीं कर सके तो हमारे बेटे-पोते यह करके दिखाएंगे। वे तुम्हारे बेटों को गुलाम बनाकर गुलाम बाजार में बेचेंगे।
—अदनानी, प्रवक्ता, इस्लामिक राज्य
उनकी नजरों में हमें जीने का कोई हक नहीं है। हम यहूदी नहीं हैं, हम ईसाई नहीं हैं, हम मुस्लिम नहीं हैं और हमारे पास कोई ऐसी किताब नहीं है, जो हमें हमारे पंथ के बारे में बताती है। वे सोचते हैं कि हमारा खात्मा हो जाना चाहिए या हमें मत परिवर्तन कर लेना चाहिए। वे हमारे मत को ऐसे देखते हैं जैसे कि हमारा मत सच्चा मत नहीं है। वे हमें इस्लाम में बदल देना चाहते हैं।
—जूली, प्रवक्ता, एक यजीदी शिक्षिका
सतीश पेडणेकर
पख्तूनी सामाजिक कार्यकर्ता उमर खटक ने पिछले दिनों आरोप लगाया कि पाकिस्तान सरकार आतंकी शिविरों को आर्थिक मदद देने के लिए पख्तून लड़कियों का सेक्स गुलाम के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। उमर ने दावा किया है कि पाकिस्तानी सैनिक स्वात और वजीरिस्तान से सैकड़ों पख्तून लड़कियों को अपहरण कर लाहौर ले गए और उन्हें वहां सेक्स गुलाम बना दिया। यह सनसनीखेज रहस्योद्घाटन होने के बाद पाकिस्तान में इस पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं हुई। कुछ जानकार लोगों का कहना है कि इस्लाम गुलामी और सेक्स गुलामी को मान्यता देता है। इसलिए यह इस्लामी देशों को अमानवीय और अटपटी नहीं लगती। मध्यकाल में तो मुस्लिम शासन के दौरान गुलामों या दासों का बड़े पैमाने पर व्यापार होता था।
एक तरह से इस्लाम ने गुलामी और दास प्रथा को वैधता प्रदान की है।
डॉ़ आंबेडकर ने लिखा है, ''इस्लाम जब भाईचारे की बात करता है तब सबको लगता है कि वहां गुलामी नहीं है। …आज दुनियाभर से खत्म हो गई है मगर जब गुलामी थी तब उसके समर्थन की शुरुआत इस्लामी देशों से हुई थी। …कुरान गुलामों से मानवीय व्यवहार की बात करता है, उन्हें मुक्त करने की बात नहीं कहता। इस्लाम के मुताबिक मुसलमानों के लिए गुलामों को मुक्त करना बंधनकारक नहीं है। गुलामों से अच्छा बर्ताव करके उन्हें गुलाम बनाए रखा जाता है।''
इस कारण कई इस्लामी नेता गुलामी का पुरजोर समर्थन करते हैं। पिछले दिनों लंदन की कार्डिफ मस्जिद के इमाम ने यह कह कर सभी को चौंका दिया था कि सेक्स गुलाम रखना जायज है। पाकिस्तानी मूल के लेखक तारेक फतेह ने पिछले दिनों अपने ट्विटर अकाउंट में एक जिहादी मुस्लिम महिला का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि, हिजाबी नारीवादी अरबों के लिए सेक्स गुलाम चाहती हैं। शेखों ने उन्हें पाने के लिए इस्लामिक देशों को गैर- इस्लामिक देशों पर आक्रमण करने को कहा है। यह वीडियो यूटयूब पर फ्रीडम पोस्ट द्वारा अपलोड किया गया है, जिसमें एक मुस्लिम महिला अरबी भाषा में इस्लाम के नियमों के बारे में बताते हुए कह रही है कि इस्लाम में गैर मुस्लिम देशों पर आक्रमण कर वहीं की महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाना जायज है। इस्लाम में ऐसे नियमों की व्यवस्था है जिसके तहत गैर मुस्लिम देशों की महिलाओं को सेक्स गुलाम की तरह प्रयोग किया जा सकता है और उन्हें खरीदा-बेचा जा सकता है।
सने कहा कि गैर मुस्लिम महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाने के लिए ईसाई देश या फिर किसी गैर मुस्लिम देश पर आक्रमण किया जा सकता है और वहां की जीती हुई चीज पर उसके विजेता का हक है। ऐसा यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी मुस्लिम ने ऐसा कहा हो। इससे पहले भी कई मौलाना-मौलवियों ने कुछ इसी तरह के तर्क देकर कहा था कि इस्लाम गैर-मुस्लिम महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाने की इजाजत देता है। पिछले दिनों एक मुस्लिम महिला प्रोफेसर ने भी कहा था कि, इस्लाम गैर-मुस्लिम महिलाओं को सबक सिखाने के लिए उनके साथ बलात्कार करने की इजाजत देता है। हाल ही में पाकिस्तान के एक मौलवी ने भी इसी तरह की बात कही है।
इस्लामी कानून में गुलामी के बारे में विस्तार से कहा गया है। उसके मुताबिक केवल गैर-मुस्लिम ही गुलाम हो सकते हैं। इसलिए आईएसआईएस, जो इस्लाम की पहली पीढ़ी यानी मोहम्मद और उनके साथियों के समय के इस्लाम को लागू करना चाहता है, गुलामी की खुलकर वकालत कर रहा है और उसे पुनर्जीवित भी कर रहा है। इसलिए उसका कहर सबसे ज्यादा शियाओं, ईसाइयों और वहां के कबीलाई यजीदियों पर बरपा। यजीदी उत्तर-पश्चिमी इराक, उत्तर-पश्चिमी सीरिया और दक्षिण-पूर्वी तुर्की में छोटे-छोटे समुदायों में रहते रहे हैं। आईएस ने अपने इलाके के यजीदियों के नरसंहार में सारी हदें पार कर दीं। कहा जाता है कि उसने लगभग 2,000 यजीदी पुरुषों का कत्लेआम किया और 1,000 से ज्यादा बच्चांे को मार डाला। सैकड़ों यजीदी महिलाओं को बंधक बना लिया, ताकि उन्हें आतंकियों को बेचा जा सके या उनके साथ शादी कराई जा सके। आईएस इराक में सैकड़ों यजीदियों को जबरन मुसलमान बनाने की कोशिश करता रहा। उसके द्वारा जारी एक वीडियो मेंएक आतंकी अरबी भाषा में कहता दिखता है, ''हमने कई यजीदी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को इस्लाम कबूल करवाया है और वे सभी खुश हैं।'' आतंकी ने कहा, ''हम सभी यजीदियों को सलाह देते हैं कि वे सिंजार पर्वत से नीचे उतर आएं और कंवर्जन कर मुसलमान बन जाएं। अगर वे पहाड़ पर रुके रहेंगे तो भूख और प्यास से मर जाएंगे। पश्चिमी देशों से मिल रही मदद सिर्फ छलावा है। अगर यजीदी मुसलमान बन जाते हैं तो हम उन्हें सब कुछ देंगे। अभी आप लोग काफिर हो। जब आप मुस्लिम बन जाओगे, तो आपको सारे अधिकार मिल जाएंगे।''
यह बात तब सबसे पहले सामने आई जब मोसुल के पश्चिम में कोह संजारा के समीप यजीदिया कौम की 150 महिलाओं को केवल इसलिए मार दिया गया, क्योंकि उन्होंने जिहादियों से जबरन शादी करने से इंकार कर दिया। इससे पूर्व मोसुल शहर में 700 यजीदी महिलाओं को सरे बाजार बोली लगाकर बेच दिया गया। एक वीडियो में इन महिलाओं को जानवरों की तरह जंजीर में बांधकर हांकते हुए दिखाया गया था।
आईएस ने सीरिया और इराक में रहने वाले निरीह यजीदी संप्रदाय पर कंवर्जन के लिए जो अत्याचार किए हैं, उनसे किसी भी व्यक्ति के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। आईएस के आतंकियों ने हजारों निदार्ेष और मासूम यजीदियों की निर्मम हत्या की। पुरुषों की हत्या से पूर्व उनकी महिलाओं और बच्चियों से ये आतंकवादी सामूहिक बलात्कार करते और इस शर्मनाक दृश्य को देखने के लिए इन अबलाओं के परिवारजनों को बंदूक की नोक पर मजबूर किया जाता। सामूहिक बलात्कार के बाद पुरुषों और लड़कों को गोली मार दी जाती जबकि महिलाओं, किशोरियों और बच्चियों को गुलाम बनाकर बाजारों में भेड़-बकरियों की तरह बेचा जाता।
आईएस का रोंगटे खड़े कर देने वाला एक क्रूर मामला तब सामने आया जब उसके कब्जे वाले इराक के मोसुल में आतंकवादियों ने 19 यजीदी लड़कियों को जिंदा जला दिया। इन लड़कियों का कसूर इतना था कि उन्होंने आईएस आतंकियों की सेक्स गुलाम बनने से इंकार कर दिया था। इसके बाद उन सभी लड़कियों को लोहे के पिंजरे में बंद कर एक साथ आग के हवाले कर दिया गया। एक चश्मदीद ने बताया कि मोसुल में आईएस आतंकियों ने इस वारदात को सैकड़ों लोगों के सामने अंजाम दिया।
अगस्त, 2014 में आईएसआईएस ने नर्दर्न के यजीदी इलाके शिंगले पर हमला कर दिया था। इसके बाद चार लाख से ज्यादा लोगों को दोहुक, इरबिल और कुर्दिस्तान के इलाकों में भागना पड़ा। सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इन हमलों में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और कइयों को अगवा कर लिया गया। आतंकियों ने करीब 3000 यजीदी लड़कियों को सेक्स गुलाम बनाने के लिए अगवा किया।
खास बात यह है कि ये जिहादी इस दरिंदगी को कुरान और हदीस के अनुसार उचित ठहराते हैं। उनका कहना है कि कुरान के अनुसार गैर मुशरिक (गैर-मुसलमान) महिलाएं और लड़कियां इस्लाम के जिहादियों की संपत्ति होती हैं। हदीस और कुरान ने उनसे बलात्कार करने और उन्हें दासियों के रूप में बेचने की अनुमति दे रखी है। इन दरिंदों की नजर में छह-सात वर्ष की बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार करना इस्लाम के अनुसार जायज है। इन बेचारी लड़कियों को अत्याचारों का शिकार बनाने के मामले में भी वे कुरान और हदीस की दुहाई देते हैं। उनके अनुसार कुरान की स्पष्ट शब्दों में अनुमति है कि गुलाम महिलाओं के साथ उनके मालिक न सिर्फ बलात्कार कर सकते हैं, बल्कि उन्हें जो चाहे, सजा दे सकते हैं और इस सजा के दौरान इन बेचारियों की मौत हो जाए तो वह भी इस्लाम के अनुसार जायज है।
बाद में आईएस आतंकवादियों की गिरफ्त में फंसी यजीदी लड़कियों के बारे में रोजाना एक दिल दहलाने वाली कहानी सामने आती रही। 17 साल की एक यजीदी लड़की ने खुलासा किया कि कैसे कुंआरी लड़कियों की नीलामी की जाती है, कैसे अलग-अलग लोग उनका बलात्कार करते हैं। वह लड़की अल रशिया नाम के आतंकवादी के बच्चे की मां बनने वाली थी।
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने 250 लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया। इस जनसंहार को इराक के उत्तरी हिस्से में अंजाम दिया गया। इन लड़कियों को आईएस के आतंकियों के साथ शादी करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद जब उन्होंने इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल में सेक्स गुलाम बनने से इनकार कर दिया तो उन्हें गोली मार दी गई। इनमें से एक लड़की ने कहा कि उसका हर दिन 'मौत और मौत' के बीच में एक चुनाव होता था और आतंकवादी और उनके सहयोगी उससे हर रोज बलात्कार करते थे। उस लड़की का अपहरण कर लिया गया था और फिर दर्जनों लड़कियों के साथ उसके कंुआरेपन की अमानवीय तरीके से जांच की गई थी। उसके बाद उन लड़कियों को एक कमरे में ले जाया गया जहां 40 आतंकवादी मौजूद थे। उनमें से चेचेन्या के रहने वाले अल रशिया ने उसे, उसकी 10 साल की बहन और दो अन्य लड़कियों को दस मिनट के अंदर खरीद लिया। वह उन सबसे बलात्कार करता था। लेकिन उन लड़कियों को वहां से तब भागने का मौका मिल गया जब इस साल अप्रैल में अल रशिया और उसके बॉडीगार्ड मारे गए।
इस्लामिक स्टेट के दरिंदे किसी पर रहम नहीं करते। वे अपने हर काम की पूरी कीमत वसूलते हैं। आईएस के आतंकियों ने 10 महीने से बंधक बनाए गए 216 लोगों को रिहा कर दिया, लेकिन रिहाई की हकीकत अब सामने आई है। रिहाई के बाद उनके साथ वह सलूक हुआ जो शायद नरक में भी नहीं होता होगा। बंधकों में जितनी खूबसूरत लड़कियां थीं, उन्हें जिंदा लाश बनाकर वापस भेजा गया है।
इराक के अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय के लोग जुलाई, 2014 से इस्लामिक स्टेट के बंधक थे। काफी कोशिशों के बाद आईएस के आतंकियों ने यजीदी समुदाय के 216 लोगों को रिहा कर दिया। लेकिन रिहाई के बाद इन लोगों ने अपनी जो आपबीती सुनाई, उसे सुनकर सबकी रूह कांप सकती है। 216 बंधकों में से यजीदी समुदाय की 55 लड़कियों ने पिछले 10 महीने में जो देखा है, उसे सिर्फ और सिर्फ नरक ही कहा जा सकता है। आईएस के कब्जे से आजाद हुई लड़कियों के मुताबिक, उन्हें बार-बार सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाया गया। किसी कमरे में नहीं, बंद दरवाजे के भीतर नहीं, बल्कि सरेआम लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। कभी दो, तो कभी तीन-तीन दरिंदों ने उनके साथ बलात्कार किया। उनके अपनों के सामने, बंधकों के शिविरों में उन्हें वहशीपन का शिकार बनाया गया।
आईएस के दरिंदों ने 10 महीने तक यजीदी लड़कियों को सेक्स गुलाम बनाकर रखा। जुलाई, 2014 में इन बंधकों को सिंजर इलाके से बंधक बनाया गया था। इसके बाद इन बंधकों को आईएस के दरिंदे अपने इलाकों में ले गए। इनमें ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे थे। उनके साथ तो सिर्फ मारपीट की गई, उन्हें प्रताडि़त किया गया। लेकिन 55 महिलाएं और लड़कियों के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गईं। इन बंधकों को छुड़ाने में राइज फाउंडेशन नाम की संस्था ने अहम भूमिका निभाई। बंधकों को छुड़ाने के लिए एक बड़ा सौदा किया गया। इसके लिए आईएस को भारी रकम चुकाई गई। यजीदियों को इस्लामिक स्टेट शैतान का पुजारी मानता है। इराक, सीरिया और तुर्की की सीमा पर बसने वाले यजीदी समुदाय के साथ पहले भी कई बार दरिंदगी की गई है। लेकिन इस बार तो इन जीते-जागते शैतानों ने सारी हदें पार कर दीं। बंधक बनाई गई यजीदी लड़कियों में से कुछ को इनाम के तौर पर भी बांटा गया। आईएस के जिस आतंकवादी ने ज्यादा क्रूरता दिखाई, उसे इनाम के तौर पर यजीदी लड़कियां भेंट की जाती थीं। यहां तक कि आईएस की मदद करने वाले अरब कबीलों को भी लड़कियां भेंट की गईं। एनजीओ के एक अधिकारी के मुताबिक बार-बार हुए बलात्कार और यातनाओं की वजह से कुछ लड़कियां मानसिक संतुलन खो चुकी हैं।
आईएसआईएस इराक के नक्शे से यजीदियों का नाम तक मिटा देना चाहता है। यजीदियों का कहना है कि उनके साथ हुआ यह 74वां नरसंहार है। उन्हें आशंका है कि जल्द ही यजीदियों का मध्य-पूर्व से सफाया हो जाएगा। आईएस के आतंकी दिन में तीन-तीन बार आते थे और जबरन लड़कियों को उठाकर ले जाते थे। एक पीडि़त यजीदी लड़की कहती है, ''हम पूरी रात में सिर्फ एक घंटे ही सो पा रहे थे।'' आईएस के आतंकी लड़कियों को ले जा रहे थे और उनके साथ बलात्कार कर रहे थे।पेशे से शिक्षक जूली एक यजीदी हैं। जूली अपने समुदाय की मदद के लिए एक एनजीओ से जुड़ गईं। जूली कहती हैं, क्योंकि हम किताबों में पाए जाने वाले लोग नहीं हैं और उनकी नजरों में हमें जीने का कोई हक नहीं है। हम यहूदी नहीं हैं, हम ईसाई नहीं हैं, हम मुस्लिम नहीं हैं और हमारे पास कोई ऐसी किताब नहीं है, जो हमें हमारे पंथ के बारे में बताती है। वे सोचते हैं कि हमारा खात्मा हो जाना चाहिए या हमें मत परिवर्तन कर लेना चाहिए। वे हमारे मत को ऐसे देखते हैं जैसे कि हमारा मत सच्चा मत नहीं है। वे हमें इस्लाम में बदल देना चाहते हैं।''
ऐसी तस्वीरें भी मीडिया भी सामने आईं जिसमें आईएसआईएस के आतंकी महिलाओं की बोली लगाते देखे गए। पीडि़त जूली कहती है, ''दुर्भाग्य से हम वैसे लोग हैं जिन्हें हमेशा सताया गया, नरसंहार में मारा गया, चाहे मध्य-पूर्व में किसी की भी सरकार रही हो। यह आतंकी समूह बलात्कार के बाद इन महिलाओं का परित्याग नहीं करता बल्कि, उन्हें अपनी इच्छापूर्ति के लिए दास बना कर रखता है।'' खासतौर पर यजीदी महिलाओं के साथ ऐसा होता रहा है। यजीदी महिलाओं की तुलना में विदेशी महिलाओं को जिहादी वधू के रूप में अधिक उच्च स्थान प्राप्त है। यजीदी महिलाएं मूर्तिपूजक हैं, इसलिए आईएसआईएस इन महिलाओं को दंडस्वरूप सिर्फ सेक्स गुलाम का ही दर्जा देता है। यही वजह है कि बलात्कार के बाद अक्सर इन्हें गर्भपात जैसे पीड़ादायक क्षणों से गुजरने के लिए मजबूर किया जाता है।
इस्लामिक स्टेट कमिटी ऑफ रिसर्च ऐंड फतवा द्वारा 29 जनवरी, 2015 को जारी फतवा संख्या 64 में आईएसआईएस के आतंकवादियों और बंधक बनाई गईं महिलाओं के बीच यौन संबंध को संहिता में पहली बार शामिल किया गया। जो कि दासियों के साथ व्यवहार को लेकर साल 2014 में समूह द्वारा जारी पम्फलेट से आगे जाता है। हाईकेल बर्नार्ड कहते हैं, ''वे मुस्लिम महिलाओं को गुलाम नहीं बनाते,वे गैर-मुस्लिम महिलाओं को गुलाम बनाते हैं। उन्होंने विशेषकर यजीदी महिलाओं को गुलाम बनाया या ईसाइयों को। जो भागे नहीं और अधीनस्थ नागरिक बनने को तैयार नहीं हुए इसलिए उन्हें दुश्मन समझा जाता है। दुश्मन लड़ाके समझे जाते हैं इसलिए उन्हें गुलाम बनाया जा सकता है। इसलिए महिलाओं और बच्चांे को गुलाम बना सकते हैं,उन्हें बेच सकते हैं। इस रिवाज को आईएसआईएस खूब प्रचारित भी करता है। इसके पीछे उसका मकसद यह दिखाना है कि प्रारंभिक इस्लामी रिवाज के साथ उसका रिश्ता बना हुआ है क्योंकि प्रारंभिक मुस्लिमों का यही तरीका था।''
इस्लामिक राज्य ने लोगों को गुलाम बनाना शुरू किया तो कुछ लोगों ने विरोध जताया, लेकिन इसका उस पर कोई ऊपर नहीं पड़ा। उलटे इस्लामिक राज्य के प्रवक्ता अदनानी ने कहा, ''हम तुम्हारे रोम को जीतेंगे, तुम्हारे सलीब तोड़ंेगे, तुम्हारी महिलाओं को गुलाम बनाएंगे। अगर हम नहीं कर सके तो हमारे बेटे-पोते यह करके दिखाएंगे। वे तुम्हारे बेटों को गुलाम बनाकर गुलाम बाजार में बेचेंगे।'' इस्लामिक स्टेट की ऑनलाइन पत्रिका 'दबिक' में तो गुलामी की पुनस्स्थापना पर एक पूरा लेख है। इस लेख में लिखा गया है, ''यजीदी महिलाओं और बच्चों को शरिया के मुताबिक सींजर में भाग लेने वाले लड़ाकों के बीच बांट दिया गया है। काफिरों के परिवारों को गुलाम बनाकर उनकी महिलाओं को रखैल बनाना शरिया का स्थापित हिस्सा है। अगर कोई कुरान की इन आयतों और मोहम्मद की बातों को नकारेगा या उनका मजाक उड़ाएगा तोवह इस्लाम का द्रोही होगा।'' इन बातों का यही निष्कर्ष है कि कट्टरवादी मुसलमान और जिहादी तत्व गुलामी प्रथा को कुरीति नहीं मानते वरन् उस पर नाज करते हैं। और आईएसआईएस तो उस कुरीति को पूरे जोर-शोर से पुनर्जीवित करने की कोशिश में मुब्तिला है।
टिप्पणियाँ