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गुरु गोबिन्द सिंह की जन्मस्थली पटना साहिब की महत्ता अनूठी ही है। यहां गुरु महाराज का प्रकाश (जन्म) हुआ था। 5 जनवरी को 350वें प्रकाश पर्व पर यहां उत्साह देखते ही बनता था। धर्म ध्वजा को सदैव ऊंचा रखने वाले गुरु गोबिन्द सिंह जी के जन्मोत्वस के इस आनंद में शामिल होने देश-दुनिया के लाखों श्रद्धालु जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रकाशोत्सव का उद्घाटन किया और माहौल में गूंज उठा-सत् श्री अकाल
संजीव कुमार
दशमेश गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम और बिहारवासियों के सेवा भाव को देखकर सिख श्रद्धालु भाव-विभोर हैं। 30 दिसंबर से पूरा पटना गुरु गोबिन्द सिंह के प्रकाश से जगमग हो उठा है। पटना शहर में प्रवेश करते ही व्यक्ति आस्था के प्रवाह में बरबस खिंचा चला रहा है। और ऐसा हो भी क्यों न, धर्म के लिए सब कुछ न्योछावर कर देने वाले गुरु गोबिन्द सिंह जी का प्रकाश (जन्म) तो पटना में ही हुआ था। 5 जनवरी (पौष सुदी सप्तमी) को गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पटना में अवतरित होकर पटनावासियों को धन्य किया था।
5 जनवरी को श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज वीरता के साथ धीरता और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। समय के अनुसार उन्होंने शिष्यों को संघर्ष करने की प्रेरणा दी, लेकिन धैर्यपूर्वक अपने कायार्ें की रचना भी की। अपना सब कुछ अर्पण करने के बाद भी उन्होंने परंपरा को सवार्ेपरि माना। खालसा पंथ की स्थापना की परंतु पंज प्यारों से अमृत छककर खालसा पंथ को सवार्ेपरि माना।
पटना के गांधी मैदान में अस्थायी रूप से बनाये गये टेन्ट सिटी के दरबार हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकाश पर्व का केन्द्र भले ही पटना साहिब हो परंतु इसका संदेश पूरे विश्व के लिए है। मानवता का जो संदेश श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने दिया था वह आज भी प्रासांगिक है। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पूरे देश की एकता और अखंडता को ध्यान में रखा। शंकराचार्य ने देश के चार कोनों पर चार मठों की स्थापना की थी। गोबिन्द सिंह जी ने भी देश के अलग-अलग कोने से पंज प्यारों का चयन किया। उन्होंने कहा कि गुजरात के द्वारिका से भी एक शिष्य इन पंज प्यारों में थे। तलवार की परीक्षा के बाद उन्होंने पंज प्यारों का चयन किया था। पिता शहीद हुए, चारों पुत्र मारे गये। वे चाहते तो गुरु परंपरा को आगे बढ़ा सकते थे, लेकिन उन्होंने गुरुओं के संदेश को सवार्ेपरि माना और ज्ञान के प्रकाश को सबका गुरु बताया। संदेश दिया- गुरु मानयो ग्रंथ। उन्होंने एक संतुलित समाज व्यवस्था की नींव डाली।
मोदी ने इस अवसर पर केन्द्र सरकार द्वारा की जा रही प्रकाश पर्व की तैयारियों के बारे में भी बताया। इस प्रकाशपर्व के लिए केन्द्र सरकार ने 100 करोड़ रु. खर्च किये हैं। 40 करोड़ रेलवे एवं 40 करोड़ संस्कृति मंत्रालय प्रकाश पर्व को सफल बनाने के लिए खर्च कर रहा है। उन्होंने प्रकाश पर्व की सुंदर व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया तथा नशामुक्त समाज बनाने के उनके संकल्प को सराहा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक डाक टिकट भी जारी किया।
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इस अवसर पर पटना साहिब के गुरु का बाग के समीप एक बहुउद्देशीय प्रकाश केन्द्र बनाये जाने की घोषणा की। कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोबिंद, पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल, केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, श्री रामविलास पासवान तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष प्रो. कृपाल सिंह बंडुरंग समेत कई गणमान्य जन उपस्थित थे।
प्रकाश पर्व के निमित्त पटना के सामान्य नागरिकों, विभिन्न संस्थाओं तथा सरकारी संस्थाओं ने अपने स्तर पर कई तैयारियां की हैं। बिहार सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से आगंतुक श्रद्धालुओं के लिए न सिर्फ ठहरने, भोजन इत्यादि बल्कि आवागमन, मनोरंजन एवं सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की है। पूरे पटना में 'जी आया नूं' (आपका स्वागत है) के पोस्टर लगे हैं। शहर में 80 से अधिक सहायता केन्द्र खोले गये हैं। आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष बस और रेल सेवाएं शुरू की गई हैं। पटना जंक्शन से हर घंटे विशेष ट्रेन की व्यवस्था पटना साहिब तथा पटना घाट के लिए की गई है। प्रतिदिन हाजीपुर से पटना जंक्शन 4 विशेष ट्रेन चलाई जा रही हैं। इसके अलावा पटना जंक्शन से गांधी मैदान स्थित टेन्ट सिटी तक पहुंचाने के लिए विशेष बसों की व्यवस्था है। श्रद्धालुओं को पटना के विभिन्न गुरुद्वारों के दर्शन कराने के लिए भी राज्य सरकार ने विशेष बस उपलब्ध कराई हैं। पटना में 6 स्थान ऐसे हैं जहां गुरु महाराज ने अपना दर्शन दिया था।
पटना स्थित हरिमंदिर साहिब को सिखों का दूसरा तख्त माना जाता है। अकाल तख्त के बाद पटना साहिब की ही महत्ता है। यहां गुरु महाराज का प्रकाश (जन्म) हुआ था। यहां कई चीजें आज भी गुरु जी की स्मृत्ति को संजोए हैं। सालिस राय जौहरी का पुराना मकान, जहां गुजरी माई रहती थीं, गुरु गोबन्दि सिंह जी के खड़ाऊं ,अस्त्र-शस्त्र, वस्त्र इत्यादि आज भी संरक्षित हैं। गुरु जी द्वारा लिखी हुई एक छोटी ग्रंथ साहिब भी यहां रखी गई है। माता गुजरी जिस कुएं से पानी भरती थीं वह ऐतिहासिक कुआं आज भी मौजूद है। तख्त हरिमंदिर साहिब के समीप ही कंगन घाट है जहां गुरु महाराज ने बाल्य अवस्था में खेलते-खेलते अपना कंगन फेंक दिया था।
माता गुजरी के पूछने पर उन्होंने अपने दूसरे हाथ का कंगन भी उसी जगह फेंक दिया जहां उन्होंने पहला कंगन फेंका था। जब गोताखोर नदी के अंदर गये तो देखा कि वहां हजारों सोने के कंगन पड़े हैं। तब बाला प्रीतम गुरु गोबन्दि सिंह जी ने कहा कि अगर मेरा कंगन ढूंढ पाओ तभी कंगन लाना अन्यथा सारे कंगन वहीं पड़े रहने देना। इस घटना के महत्व के कारण ही उस स्थान को कंगन घाट गुरुद्वारा या गोबन्दि सिंह घाट गुरुद्वारा कहते हैं। तख्त हरिमंदिर साहिब के समीप एक और ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, गुरुद्वारा बाल लीला; जहां गुरुजी खेला करते थे। चार किलोमीटर पूरब में स्थित है गुरु का बाग। गुरु तेग बहादुर जी के असम से लौटने के बाद यहीं पर उनकी भेंट गुरु गोबन्दि सिंह जी से हुई थी। गुरु कृपा से यह सूखा बाग हरा-भरा हो गया था। तख्त साहब से पश्चिम में लगभग चार किलोमीटर दूर है गुरुद्वारा गायघाट। इस स्थान को गुरु नानक देव तथा गुरु तेग बहादुर ने पवत्रि किया था। दल्लिी लौटने के क्रम में गुरु गोबन्दि सिंह ने पटना के दानापुर में खिचड़ी प्रसाद ग्रहण किया था। इस गुरुद्वारे का नाम गुरुद्वारा हांडी साहिब है।
प्रकाशोत्सव में तीन दिनों तक गांधी मैदान भी एक प्रमुख केन्द्र बन गया है। यहां टेन्ट सिटी में स्वर्ण मंदिर की आकृति वाला अस्थायी गुरुद्वारा बनाया गया है। 160 मीटर लंबे और 100 मीटर चौड़े इस गुरुद्वारे में ग्रंथ साहब का प्रकाश भी कराया गया। बेंगलुरु और मुंबई से गेंदा और गुलाब सहित कई आकर्षक और सुगंधित पुष्पों से सभा मंडप को सजाया गया है। दुनिया के विभन्नि कोने से सिख श्रद्घालु यहां पहुंच रहे हैं। ब्रिटेन से लगभग 300, कनाडा से भी सैंकड़ों श्रद्धालु आये हैं।
सेवा समागम का उद्घाटन 1 जनवरी को पटना सिटी (पटना साहिब) स्थित 'रामदेव महतो सामुदायिक भवन' में बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोबिंद ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सिख संगत के संयोजक अविनाश जायसवाल, स्थानीय विधायक तथा बिहार के पूर्व मंत्री श्री नंद किशोर यादव, पटना के वरष्ठि चिकत्सिक तथा समाजसेवी डॉ़ शाह अद्वैत कृष्ण, रा़ स्व. संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ़ मोहन सिंह, प्रांत प्रचारक श्री रामनवमी प्रसाद समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
सेवा समागम के माध्यम से 25 स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए अल्पाहार, चाय-कॉफी तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है। बिहार के ऐतिहासिक गुरुद्वारों की जानकारी डॉक्युमेंट्री फल्मिों के माध्यम से दी जा रही है। सेवा भारती के द्वारा प्रतिदिन प्रात:काल नगर की सफाई की जा रही है।
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