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जब शिबतला में मजहबी उन्मादी हिन्दुओं के घर फूंक रहे थे तो वहां मौजूद पुलिस दल आंखें बंद किए खड़ा रहा था। उसे शायद कोलकाता से 'निर्देश' था कि कट्टरवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करनी है। मीडिया तक को धूलागढ़ जाकर तथ्य पता करने से रोका गया। लेकिन फिर भी कुछ लोग हिम्मत करके वहां गए और उन्होेंने जो देखा वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है
विशेष प्रतिनिधि
कोलकाता से 28 कि़ मी़ और राष्ट्रीय राजमार्ग-6 के निकट। नबन्ना के राज्य सचिवालय से मात्र 14 कि़ मी. की दूरी पर है यह धूलागढ़। धूलागढ़ के विभिन्न गांवों में जनसंख्या को देखें तो, पंचला में 51 प्रतिशत मुसलमान हैं तो 49 प्रतिशत हिंदू। संक्रेल में 60 प्रतिशत हिंदू हैं तो 40 प्रतिशत मुस्लिम। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार यहां पिछले 10 वषार्ें में ही मुस्लिम आबादी में लगभग 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। धूलागढ़ में 12 से 13 दिसंबर को हिन्दू समाज को जिस तरह निशाना बनाया गया, उनके घर-दुकान जलाए गए और उन्हें घातक हिंसा का शिकार होना पड़ा, उसकी तथ्यपरक जांच के लिए विशेषज्ञों का एक चार सदस्यीय दल वहां लोगों से मिलकर वास्तविक स्थिति का जायजा लेने गया था। दल में कर्नल दिप्तांग्शु चौधरी, रक्षा विश्लेषक श्री विनय जोशी, विधि विशेषज्ञ श्री संजय सोम एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री नयन चौधरी शामिल थे। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, गत13 दिसंबर 2016 को मुस्लिम समुदाय ने मिलाद-उन-नबी के अवसर पर ताजिया निकालने के लिए ऐसे मार्ग का चुनाव किया था जिसकी इजाजत पश्चिम बंगाल पुलिस ने नहीं दी थी। यह जुलूस धूलागढ़ के शिबतला के स्थानीय अन्नपूर्णा क्लब के निकट पहुंच कर रुक गया था। जुलूस के साथ चल रहे युवाओं ने बिना किसी उकसावे के क्लब के सदस्यों के साथ गाली-गलौज की, जिस कारण दोनों गुटों के बीच हाथापाई की नौबत आ पहुंची थी। दंगा भड़कने के कारण जुलूस के सदस्यों ने निकटवर्ती 7 दुकानों में आगजनी और लूटपाट की। ये दुकानें हिंदू समुदाय के लोगों की थीं। जुलूस के साथ-साथ चल रही पुलिस पूरे घटनाक्रम की मूकदर्शक बनी रही। घटना के तुरंत बाद क्षेत्र की मस्जिदों से लाउडस्पीकरों पर हिंदू विरोधी नारे लगाए जाने लगे, कहा जाने लगा कि क्षेत्र में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक मुहिम तेज की जाए। भड़काऊ नारों के साथ-साथ 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे भी सुनाई दिए। क्लब के हिंदू सदस्यों पर मुस्लिम युवाओं ने देशी बम फेंके जिस कारण भय व्याप्त हो गया और हिंदुओं को जान बचाने को वहां से चले जाना पड़ा।
अगले दिन 14 दिसंबर को सुबह से ही संक्रेल और पंचला इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होना शुरू कर दिया था। उन्होंने धूलागढ़ के बनर्जी पोल, शिबतला, जयरामपुर एवं पश्चिम पाड़ा इलाकों को निशाना बनाया गया। इन सब क्षेत्रों में सबसे अधिक नुकसान बनर्जी पोल को पहुंचा। सैकड़ों पेट्रोल बम फेंके जाने के कारण बनर्जी पोल के सभी घर और दुकानें राख हो गए थे। 900 से1000 की संख्या में मुस्लिमों द्वारा हमला किए जाने के कारण हिन्दुओं के अधिकांश घर, दुकानें एवं अन्य संपत्ति तहस-नहस हो गई। इसमें कुल 128 घर और दुकानें जलकर राख हुईं और लगभग 85 हिंदू परिवार बेघर हो गए थे। यही नहीं, तीन मंजिला पक्के मकान भी आगजनी और लूटपाट के शिकार हुए। अपुष्ट सूचनाओं के अनुसार वृद्ध एवं अधेड़ उम्र की महिलाएं जोर-जबरदस्ती की शिकार हुईं और उन्हें सड़क पर बेरहमी के साथ घसीटा गया। पुलिस पूरी घटना की मूकदर्शक बनी रही। हालांकि, हावड़ा (ग्रामीण) क्षेत्र के एसपी एवं डीएसपी 14 दिसंबर 2016 को घटनास्थल पर मौजूद थे। हमले के दौरान डीएसपी एक बम की चपेट में आए जिस कारण उनकी टांग की हड्डी टूट गई। पुलिस बनर्जी पोल में दंगे के दौरान ध्वस्त हुए घरों एवं अन्नपूर्णा क्लब के निकट जली दुकानों के मालिकों को जबरन चुप रहने को कह रही थी। वह समूची घटना के निशान मिटाने के काम में लगी थी।
मुस्लिम समुदाय द्वारा उन 186 हिंदुओं के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई जो खुद दंगे का शिकार हुए हैं। गैर जमानती धारा के अंतर्गत ऐसे हिंदुओं के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है जिनमें से कुछ अब जिंदा ही नहीं हैं। इनमें से कुछ दूसरे राज्यों में काम करते हैं और क्षेत्र में रहते ही नहीं हैं। यहां तक कि एक व्यक्ति, जो पिछले लगभग एक महीने से पीजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती है, उसका नाम भी शिकायत में दर्ज किया गया है।
समूचा क्षेत्र पश्चिम बंगाल पुलिस के घेरे में है जहां विपक्ष के किसी राजनीतिक दल या सामाजिक कार्यकर्ता को जाने की अनुमति नहीं है। मीडिया द्वारा घटना की रिपोर्टिंग किए जाने पर पूरी पाबंदी है। रपट में कहा गया है कि आवश्यक है कि गृह मंत्रालय के संयुक्त-सचिव एवं ऊपरी पद के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजा जाए क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार इस मामले की अधूरी रिपोर्ट ही दाखिल करेगी। घटनास्थल पर तथ्य इकट्ठे करने और जांच के लिए सीबीआई/एनआईए की एक विशेष टीम भेजी जाए। दोषी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा कार्रवाई की जाए।
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