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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन ने गत दिनों रांची प्रवास के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जिस तरह पुरानी बीमारियों से छुटकारा दिलाने के लिए कड़वी दवा देनी पड़ती है, उसी तरह भ्रष्टाचार एवं कालाधन को समाप्त करने के लिए विमुद्रीकरण कड़वी दवा ही है। प्रारंभ में यह कष्टप्रद लग रहा है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बेहतर होंगे। इसका लाभ सभी को दिखने लगेगा। जहां तक सरकार के कायोंर् की बात है तो इसका आकलन जनता करती है। पांच वर्ष बाद जनता इसका जवाब देगी। वैसे केंद्र सरकार के कायोंर् से समाज में अनुकूलता दिख रही है। उन्होंने आगेे कहा कि देश में भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है और कालाधन देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। लोग इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो कुछ कीमत तो चुकानी ही होगी। विमुद्रीकरण लागू होते ही महीनों से अशांत श्रीनगर शांत दिखने लगा है। नक्सली परेशान हो गए हैं। छापेमारी में अरबों रुपये बरामद हो रहे हैं। देश में शिक्षा व स्वास्थ्य की स्थिति पर उन्होंने कहा कि सरकार को सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के साथ-साथ उच्च संस्थानों में शुल्क की राशि कम रहे, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। संघ अपने शिशु विद्या मंदिर एवं एकल अभियान के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में सुधार पर ध्यान दे रहा है, लेकिन जब तक सरकारी स्कूलों की स्थिति नहीं सुधरेगी, शिक्षा का स्तर ठीक नहीं होगा। रांची (विसंकें)
'भौगोलिक स्थिति से बनें योजनाएं'
गत दिनों हिमाचल के शिमला-गेयटी थिएटर में राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने राष्ट्रीय पत्रिका 'चाणक्य वार्ता' का विमोचन किया। इस अवसर पर 'पहाड़ी राज्य हिमाचल और चुनौतियां' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। उत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति डॉ. कुलदीपचंद अग्निहोत्री बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने कहा कि हिमाचल में पारंपरिक ढंग से ही प्रादेशिक चुनौतियों से निबटा जा सकता है। हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार योजनाओं को बनाने की जरूरत है और इसे पाठ्यक्रम में भी शामिल करने की आवश्यकता है। शिमला (विसंकें)
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