राह दिखाती रामायण
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

राह दिखाती रामायण

by
Jan 2, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Jan 2017 15:08:30

 

विश्व रामायण सम्मेलन में दुनियाभर के रामायण विशेषज्ञों, मानसविदों का एक मंच पर आकर रामचरित्र की मीमांसा करना एक अनूठा अनुभव रहा

प्रशांत बाजपेई

रामायण और राम शताब्दियों से भारत और विश्व के बीच सेतु बनाते आये हैं। भारत और विश्व के बीच यह संबंध राजनयिक न होकर सांस्कृतिक स्तर पर फला-फूला है। यही भारत की शक्ति भी है। 21 से 23 दिसंबर के बीच जबलपुर में विश्व रामायण सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें विश्व के अनेक देशों से 250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें 55 विद्वानों और विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता रा. स्व. संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा,''मानस का हर संवाद एक दिशा देता है। राम कथा में अनेक-अनेक घाट हैं। राम का संवाद सीता के साथ, राम का संवाद कौशल्या के साथ, राम का संवाद कैकेयी के साथ, राम का संवाद भरत के साथ, राम का संवाद विभीषण के साथ, निषाद और केवट के साथ। ये सभी ज्ञान के घाट हैं। जब विभीषण श्रीराम से पूछते हैं कि आप कवच, रथ और पदत्राण के बिना रावण को कैसे पराजित करेंगे, तो राम कहते हैं, हे सखा! विजय रथ में दो पहिए होते हैं-शौर्य और धैर्य। सत्य और शील उसके ध्वज हैं। बल, विवेक, दम और परहित उसके चार घोड़े हैं। क्षमा, कृपा, और सबके साथ समता उसकी लगाम हैं। ईश भजन सारथि है। विरक्ति ढाल है। संतोष कृपाण है। दानशीलता फरसा है। बुद्धि धनुष है। अचल मन तुणीर है। यम और नियम इसके बाण हैं। गुरु और ज्ञानियों का सम्मान कवच है। जिसके पास ऐसा रथ, ऐसे साधन हैं, उसे कोई पराजित नहीं सकता।''

वैदिक विद्वान स्टीफन नैप ने कहा, ''रामायण हमें बताती है कि नेतृत्व कैसा होना चाहिए। राम राज्य का उदाहरण बताता है कि वास्तविक नेतृत्व समाज को दिशा देता है। समाज को कल्याण की दिशा में ले जाता है। ऐसे शासक का प्रभाव व्यापक होता है। रामायण बताती है कि किस प्रकार शासक को किसी भी प्रकार के अन्याय, अपराध और अनाचार का तत्काल शमन करना चाहिए। राम और रावण दोनों का उदाहरण विश्व के सामने है कि किस प्रकार नेतृत्व अपने लोगों को विनाश अथवा कल्याण की दिशा में ले जा सकता है। इसलिए रामायण कभी भी कालबाह्य नहीं हो सकती, रामायण व्यावहारिक शिक्षा देती है।''

मेजर जनरल (सेनि) जी.डी. बख्शी ने प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान पर अपनी प्रस्तुति दी। अयोध्या रिसर्च इंस्टीट्यूट की न्यासी इन्द्राणी रामप्रसाद ने कैरेबियाई रामलीला के बारे में बताते हुए कहा कि कैरेबिया में यह विधा 1838 से 1917 के बीच भारत से वहां पहुंचे हमारे पूर्वजों ने प्रारंभ की। उसका तरीका हमारे शहरों और कस्बों की रामलीला जैसा ही है।

थाईलैंड से आया विद्वत समूह सबका ध्यान खींचता रहा। थम्मसत विश्वविद्यालय, बैंकाक के भारत अध्ययन केंद्र तथा कई अन्य विभागों के निदेशक नोंगलुक्सान थेप्सावस्दी ने कहा, ''थाईलैंड में हम रामायण को रामकिन कहते हैं। वहां रामायण को सांस्कृतिक साहित्य माना जाता है, जो समाज को दिशा देता है। हर आयु के लोग रामलीला देखते हैं। खोन रामलीला बहुत उच्च कोटि की माना जाता है और थाईलैंड का राज परिवार अपने राजकीय अतिथियों के लिए इसका आयोजन करवाता है। खोन वास्तव में एक नृत्य नाट्य है। इस प्रकार रामायण थाईलैंड के साहित्य और कला जगत पर छाई हुई है। रामायण से जुड़ी अन्य कलाएं नैंग याई (परदे पर छाया प्रतिबिम्बों के माध्यम से प्रस्तुति), नैंग तालुंग तथा कठपुतली नृत्य है। इन प्रस्तुतियों से जुड़े गीत संगीत और वस्त्रालंकार आदि को अत्यंत सुंदर कलात्मक ढंग से तैयार किया जाता है। रामायण प्रसंगों से जुड़ी फिल्में, तैलचित्र, मूर्तियां आदि भी बहुत प्रचलित हैं। थाईलैंड के अलावा कंबोडिया, बर्मा, लाओस और अन्य कई एशियाई देशों की संस्कृति, कला एवं साहित्य को रामायण ने गहरे तक प्रभावित किया है।''

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्राध्यापक रामदास लैम्ब ने कहा कि रामचरित मानस दुनियाभर में फैले हिंदुओं द्वारा सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है, क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास ने इसे सरल भाषा में रचकर, गहन विषयों की सहज व्याख्या करके सर्वसामान्य के लिए ग्राह्य बनाया है। इसीलिए कुछ स्थानों पर मान्यता है कि तुलसीदास महर्षि वाल्मीकि का अवतार हैं

हैं। ये अंतर सामाजिक और दार्शनिक, दोनों स्तरों पर हैं। रामचरितमानस का साम्य मध्ययुग में रचित अध्यात्म रामायण से अधिक है। वास्तव में अध्यात्म रामायण और रामचरितमानस समय के साथ समाज में व्याप्त हुई भक्तिधारा का प्रकटीकरण हैं। इस भक्तिधारा ने आधी सहस्राब्दी तक समाज को आंदोलित किया।

आयोवा, अमेरिका से पहुंचे माइकल स्टर्नफील्ड ने धर्म के गहन और व्यापक अर्थ पर प्रकाश डालते हुए बताया, ''रामकथा धर्म के सूक्ष्म से सूक्ष्म स्तरों तक की यात्रा करवाती है। जब हम राम के जीवन का श्रवण करते हुए चलते हैं तो हमारा दृष्टिकोण धर्म की सर्वग्राह्यता और व्यापकता को आत्मसात करते हुए हर चरण के साथ व्यापक होता जाता है। धर्म का अर्थ मात्र कर्तव्य पालन नहीं है, जैसा कि पश्चिम में समझा जाता है। धर्म तो सारी सृष्टि को धारण करता है, और लगातार चेतना के उच्चतर आयामों की ओर ले जाता है। जितनी मात्रा में हम अपनी दृष्टि को धर्म की ओर फेरते हैं उतनी ही मात्रा में हम सृष्टि के स्वाभाविक प्रवाह के साथ जुड़ते जाते हैं। धर्म की अनेक तहें हैं, जो प्रकृति और चेतना की अधिक से अधिक अनुभूति ही हैं। हमारी आजीविका धर्म का एक स्तर है। हमारी व्यक्तिगत आवश्यकताएं हैं, जिम्मेदारियां हैं। फिर व्यक्ति के धर्म का आचरण परिवार-समाज-राष्ट्र और मानवता से जुड़ता है। सृष्टि का हर कण धर्म के दायरे में आता है। किसी तारे का धर्म संसार में प्रकाश और जीवन फैलाना है। ब्रह्माण्ड का धर्म आकाश के अनंत विस्तार की ओर बढ़ते जाना है।''

भारतीय दर्शन विश्व के अनेक वैज्ञानिकों को लगभग एक सदी से अपनी ओर आकर्षित करता आ रहा है। आइंस्टीन से लेकर अनेक मूर्धन्य वैज्ञानिकों के उद्गार काफी प्रचलित हैं। क्वांटम फील्ड सिद्धांत और भौतिक विज्ञान के दूसरे आयामों पर दशकों से कार्यरत वैज्ञानिक प्राध्यापक डॉ. डेविड शार्फ ने कहा, ''हालांकि रामायण की कथा लौकिक संदभार्े में वर्णित है जिसमें हम राजा दशरथ द्वारा राम के राज्याभिषेक की तैयारी, फिर राम वन गमन, सीता हरण, राम द्वारा लंका पर आक्रमण और रावण का वध, फिर राम, सीता और लक्ष्मण का वानर वीरों के साथ लंका वापस लौटना आदि देखते हैं। वहीं दूसरी ओर इस कालातीत कथा को आंतरिक जगत के मूल दर्शन को बताने वाली भी माना जाता रहा है जिसके तत्व को वह ही समझ सकता है जिसकी चेतना अत्यंत उन्नत हो। यह सनातन सामयिकता अद्भुत है। यह शाश्वतता, जिसे हम एंजेल टाइम कहते हैं, बताती है कि जिसे हम वास्तविक जगत समझते हैं, जिसे हम अपनी जाग्रत अवस्था समझते हैं, वह वास्तव में अत्यंत सीमित और अधूरी समझ का परिणाम है। हमें आवश्यकता है अधिक गहरी और व्यापक समझ की, जो सामान्य काल्पनिकता और कल्पना शक्ति को अलग करके देख सके। हमें अपनी जाग्रत अवस्था (जागते हुए) से भी अधिक जागने के लिए, अपनी वर्तमान समझ के परे झांकने के लिए गहरी दृष्टि की आवश्यकता है जो हमें इस सिद्धांत की गहराइयों में ले जा सके कि यह संसार (अथवा लोक) अनेक लोकों की श्रृंखला के बीच की एक कड़ी मात्र है, जिनमें से ज्यादातर हमारी चेतना की वर्तमान अवस्था (जाग्रत अवस्था) से अधिक सूक्ष्म हैं। यदि ये लोक वास्तविक हैं तो भौतिक विज्ञान को भी अपनी समझ को और विकसित करने की जरूरत है ताकि सृष्टि के इन आयामों के आंतरिक व्यवहार, परस्पर संबंध और लौकिक विसंगतियों को समझा जा सके। उन्नत भौतिक विज्ञान की नयी खोजें कई लौकिक विसंगतियों को सामने ला रही हैं, जिससे वास्तविक और अवास्तविक के अंतर को समझने में     सहायता मिलेगी।''

सम्मेलन में आए कई प्रतिनिधि यह मानते थे कि दुनिया के कल्याण की चाह ही उन्हें भारत खींच लाई है। वैदिक विज्ञान तथा कला अकादमी, वैंकुवर, कनाडा के संस्थापक जेफ्री आर्मस्ट्रांग अब कवीन्द्र ऋषि के नाम से जाने जाते हैं। वह कहते हैं, ''धरती और मानवता को बचाने के लिए मैंने हिन्दुत्व को स्वीकार किया है।'' विश्व रामायण सम्मलेन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ''धर्म के बिना शक्ति आसुरी हो जाती है। आधुनिक विज्ञान जाने-अनजाने मनुष्य को आसुरी बना रहा है, जिसके कारण दुनिया विनाश की ओर बढ़ रही है। मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि हम विश्व को एक विशाल लंका में परिवर्तित करने में लगे हैं जिस पर अनेक रावण शासन कर रहे हैं। हमें इसके विरुद्ध सात्विक युद्ध छेड़ने की आवश्यकता है। आज भोजन विषाक्त हो रहा है, अविवेकपूर्ण तकनीक, घातक हथियार, मीडिया का दुरुपयोग, ये सब धरती को बड़े खतरे की ओर धकेल रहे हैं। इस रावण के विरुद्ध शिक्षा और अर्थशास्त्र के शस्त्रों से लड़ने की जरूरत है और भारत को इस सात्विक समर में विश्व का नेतृत्व करना है।''

हिंदी शिक्षा संघ, दक्षिण अफ्रीका की सदस्य डॉ. ऊषा देवी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में रामकथा आज से डेढ़ दशक पहले खेतों में काम करने वाले भारतीय श्रमिकों के भजनों और मानस पाठ से प्रारंभ होकर अब विश्वविद्यालयों के शोध ग्रंथों, सेमिनारों, कला और मीडिया के विभिन्न स्वरूपों में अभिव्यक्त होती हुई भव्य राम मंदिर तक आ पहुंची है।

रामकथा के बारे में फैली भ्रांतियों पर प्रकाश डालते हुए मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग के मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि शैली परिवर्तन तथा अन्य विश्लेषणों के आधार पर कहा जा सकता है कि उत्तरकाण्ड मूल रामकथा का हिस्सा नहीं है बल्कि बाद में जोड़ा गया क्षेपक है। इसी प्रकार रामचरित मानस में आई चौपाई-ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी-को भी गलत ढंग से उद्धृत किया जाता है। अवधी भाषा में 'ताड़ना' का अर्थ देख-रेख करने से है। सम्मेलन के संयोजक डॉ. अखिलेश गुमाश्ता ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि विनय पत्रिका में गोस्वामी तुलसीदास ने राम और बुद्ध दोनों के लिए पाल (करुणा करने वाले) शब्द का प्रयोग किया है। बुद्ध के लिए वह अपनी आस्था 'वन्दे बुद्ध पाल' कहकर व्यक्त करते हैं। अनेक साधु-संत इस सम्मेलन में आये। स्वामी राजेश्वरानंद जी ने अपने उद्बोधन में रामकथा के आध्यात्मिक पक्ष पर प्रकाश डाला।

विश्व रामायण सम्मलेन के संरक्षक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने अपने संदेश में कहा कि राम-कथा विश्व-मानवता के लिए एक विशिष्ट मार्गदर्शक एवं त्राणदाता आश्रय है। भगवान श्रीराम भारत के प्रमाण और प्राण-पुरुष हैं। विश्व के अधिकांश देश न केवल उनसे परिचित हैं अपितु जीवन मूल्य संरक्षण के लिए उनसे प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं।

इस सम्मेलन का आयोजन गढ़ा रामलीला समिति के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में ब्रह्मर्षि मिशन समिति द्वारा भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् , विदेश विभाग, भारत सरकार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर वैदिक स्टडीज, टैक्सास, अमेरिका के सहभाग से किया गया।

इस अवसर पर चुलालन्गकर्न विश्वविद्यालय तथा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा इंडो-थाई रामायण फोरम भी स्थापित किया गया जो आगे भी अकादमिक आदान-प्रदान करता रहेगा। इस दौरान आईजीएनसीए द्वारा एक वृहद् रामायण प्रदर्शनी लगाई गई। रामायण पर अनेक कलात्मक प्रस्तुतियां हुईं, जिसमें कत्थक आदि अनेक पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किये गए। भजन गायक उस्मान मीर ने राम भजन गाए। तीन दिन तक संस्कारधानी जबलपुर के नागरिक समारोह भवन में उमड़ते रहे।

सम्मेलन के बाद अमेरिका लौट रहे माइकल स्टर्नफील्ड अभिभूत थे। उन्होंने कहा-''यह अपेक्षा से कहीं ज्यादा था। मैंने एक अकादमिक सम्मलेन की अपेक्षा की थी। परंतु यह बहुत अधिक था। एक शुभ कार्य जिसमें अकादमिक पहलु के अतिरिक्त सांस्कृतिक और सामाजिक प्रस्तुतियां एवं भागीदारी, कला अभिव्यक्तियों का प्रोत्साहन शामिल था। साथ ही यह राम भक्तों का संगम भी था।

मानस का हर संवाद एक दिशा देता है। राम कथा में अनेक घाट हैं। राम का संवाद सीता के साथ, राम का संवाद कौशल्या के साथ, राम का संवाद कैकेयी के साथ, राम का संवाद भरत के साथ, राम का संवाद विभीषण के साथ, निषाद और केवट के साथ। ये सभी ज्ञान के घाट हैं।

—डॉ. कृष्णगोपाल, सह सरकार्यवाह, रा. स्व. संघ

थाईलैंड में रामायण को सांस्कृतिक साहित्य माना जाता है। हर आयु के लोग रामलीला देखते हैं। थाईलैंड का राज परिवार अपने अतिथियों के लिए इसका आयोजन करवाता है। रामायण थाईलैंड के साहित्य और कला जगत पर छाई हुई है।

— नोंगलुक्सान थेप्सावस्दी, निदेशक , भारत अध्ययन केंद्र, थम्मसत विश्वविद्यालय, बैंकाक

रामायण हमें बताती है कि नेतृत्व कैसा होना चाहिए। वास्तविक नेतृत्व समाज को दिशा देता है। समाज को कल्याण की दिशा में ले जाता है। रामायण बताती है कि किस प्रकार शासक को किसी भी प्रकार के अन्याय, अपराध और अनाचार का तत्काल शमन करना चाहिए।

— स्टीफन नैप, वैदिक विद्वान

हम विश्व को एक विशाल लंका में परिवर्तित करने में लगे हैं जिस पर अनेक रावण शासन कर रहे हैं। ये सब धरती को बड़े खतरे की ओर धकेल रहे हैं। इस के विरुद्ध शिक्षा और अर्थशास्त्र के शस्त्रों से लड़ने की जरूरत है। भारत को इस सात्विक समर में विश्व का नेतृत्व करना है।

—जेफ्री आर्मस्ट्रांग , संस्थापक, वैदिक विज्ञान तथा कला अकादमी, वैंकुवर, कनाडा

हालांकि रामायण की कथा लौकिक संदभार्े में वर्णित है जिसमें हम राजा दशरथ द्वारा राम के राज्याभिषेक की तैयारी, फिर राम वन गमन, सीता हरण, राम द्वारा लंका पर आक्रमण और रावण का वध, फिर राम, सीता और लक्ष्मण का वानर वीरों के साथ लंका वापस लौटना आदि देखते हैं। वहीं दूसरी ओर इस कालातीत कथा को आंतरिक जगत के मूल दर्शन को बताने वाली भी माना जाता रहा है जिसके तत्व को वह ही समझ सकता है जिसकी चेतना अत्यंत उन्नत हो। यह सनातन सामयिकता अद्भुत है।

— डॉ. डेविड शार्फ, वैज्ञानिक

विश्व रामायण सम्मेलन से मैंने एक अकादमिक सम्मलेन की अपेक्षा की थी। परंतु यह बहुत अधिक था। इसमें अकादमिक पहलु के अतिरिक्त सांस्कृतिक और सामाजिक प्रस्तुतियां एवं भागीदारी, कला अभिव्यक्तियों का प्रोत्साहन शामिल था। साथ ही यह राम भक्तों का संगम भी था।

—स्टर्नफील्ड, आयोवा, अमेरिका

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies