कार्य का समय
July 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कार्य का समय

by
Nov 28, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Nov 2016 15:27:13

कार्यपालिका और न्यायपालिका

कार्य का समय

 

सर्वोच्च न्यायालय : 193 दिन

उच्च न्यायालय : 210 दिन

जिला न्यायालय : 245 दिन

 

न्यायाधीशों की संख्या

सर्वोच्च न्यायालय

स्वीकृत पद : 31

मौजूदा संख्या : 25

खाली पद : 6

 

उच्च न्यायालय

स्वीकृत पद-1056

मौजूदा संख्या : 592

खाली पद : 464

 

निचली अदालतें

स्वीकृत पद-20,358

मौजूदा संख्या : 15,360

खाली पद : 4,998

 

(3 मार्च 2016 को संसद में दिये गये एक लिखित प्रश्न के उत्तर में-29 फरवरी,2016 तक के आंकड़े)

न्याय का इंतजार

न्याय पाने के इंतजार में हैं 3 करोड़ मामले

न्याय की गति : लगभग 3 वर्ष तक औसतन उच्च न्यायालयों में लंबित रहते हैं मामले।

6 वर्ष निचली अदालतों में कोई भी मामला औसतन लंबित रहता है।

13 वर्ष और अधिक मामले के सर्वोच्च न्यायालय में जाने के बाद फैसला आने में वक्त लग जाता है।

70 मामलों की हर रोज औसतन सुनवाई करते हैं न्यायाधीश।

(मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर के 24 अप्रैल,2016 को दिये भाषण के अनुसार)

 

लंबित मामले

सर्वोच्च न्यायालय : 61,436

उच्च न्यायालय : 38,91,076

निचली अदालत : 2,30,79,723

 

अन्य देशों की व्यवस्थाएं

अमेरिका में, कार्यपालिका (राष्ट्रपति) को विधायिका (सीनेट) की सलाह और सहमति से जजों की नियुक्ति का अधिकार है। अमेरिका में दो प्रकार की अदालतें होती हैं। संघीय न्यायालय और राज्य न्यायालय। संघीय न्यायालयों में राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति सीनेट की सलाह और सहमति से करते हैं। राज्य न्यायालयों में नियुक्ति चुनाव के बाद होती है। ज्यादातर जज सीनेटरों की सलाह पर होते है और प्राय: सभी नियुक्तियाँ राजनीतिक होती हैं।

ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में जजों की नियुक्ति गवर्नर जनरल ( प्रकारांतर से प्रधानमंत्री) के हाथ में रहती है। वहां मुख्य न्यायाधीश समेत सेवारत जजों का इसमें कोई दखल नहीं होता। यूके में न्यायिक नियुक्ति आयोग (जेएसी) इस काम को करता है। इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 सदस्य न्यायिक समुदाय से होते हैं और अध्यक्ष सहित शेष 12 सदस्य खुली प्रतियोगिता से आते हैं। जेएसी द्वारा की गई नियुक्ति को लेकर यदि किसी को आपत्ति हो तो इसके लिए ओम्बुड्समैन नाम से एक और संस्था है। जर्मनी में नियुक्ति कार्यकारिणी करती है, पर इसमें न्यायपालिका की भागीदारी भी है।

दक्षिण अफ्रीका में जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। इसके लिए वे न्यायिक सेवा आयोग की सलाह लेते हैं, जिसके 23 सदस्य होते हैं। इसमें न्यायाधीश, वकील, कानून के प्राध्यापक, सांसद तथा राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रतिष्ठित व्यक्ति होते हैं। लैटिन अमेरिकी देशों में सामान्यत: राष्ट्रपति जजों को नियुक्त करते हैं, जिसके लिए सीनेट की स्वीकृति जरूरी होती है।

इटली के संघीय संवैधानिक न्यायालय के 15 जजों में से एक तिहाई की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, एक तिहाई की नियुक्ति संसद के संयुक्त सत्र की मार्फत होती है और शेष दूसरी अदालतों से आते हैं। फ्रांस में सरकार जजों की सूची बनाती है, जिसे स्वीकृति के लिए न्यायालय की उच्च परिषद के पास भेजा जाता है।

 

 

न्यायाधीशों की नियुक्ति

देश में कॅलेजियम व्यवस्था बनने में अदालत के तीन महत्वपूर्ण फैसलों की भूमिका है। एक है, एसपी गुप्ता बनाम भारतीय संघ-1981, दूसरा है सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन बनाम भारतीय संघ-1993 और तीसरा है सन् 1998 का राष्ट्रपति का संदर्भ। इन 'थ्री जजेस केस' के अलावा पिछले साल अक्तूबर में न्यायिक आयोग के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखें तो निष्कर्ष निकलेगा कि न्यायिक नियुक्तियों में राज्य की किसी अन्य शाखा की भूमिका नहीं है। न तो कार्यपालिका की और न विधायिका की।

संविधान सभा ने न्यायपालिका के संदर्भ में निम्नलिखित व्यवस्था की थी- अनुच्छेद 124 के अनुसार उच्चतम न्यायालय का प्रत्येक जज राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के ऐसे जजों से सलाह-मशविरे के बाद, जिनकी राय लेना इस काम में राष्ट्रपति आवश्यक समझेंगे। अनुच्छेद 217 में इसी तरह का प्रावधान उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों की बाबत है। संविधान के भाग 5 में अध्याय 4 संघ की न्यायपालिका से सम्बन्धित है और भाग 6 के अध्याय 5 में राज्यों के उच्च न्यायालयों के संबंध में उपबंध हैं।

सन् 1993 तक राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति करते थे। इसके लिए वे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और दो अन्य वरिष्ठतम जजों से सलाह लेते थे। मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा के नेतृत्व वाली सर्वोच्च न्यायालय के 9-सदस्यों की सांविधानिक खंडपीठ ने 6 अक्तूबर, 1993 को निर्णय किया कि न्यायाधीशों का स्थानांतरण और नियुक्तियां कॅलेजियम द्वारा की जाएंगी। मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पांच साल तक असमंजस रहा। पांच जजों की समिति में मुख्य न्यायाधीश का अन्य चार जजों की राय लेना जरूरी था। सन् 1998 में दिए गए एक अन्य निर्णय में भी इसकी पुष्टि की गई। कॅलेजियम के संचालन के लिए एक 9-सूत्री नियमावली भी बनाई गई।

न्यायाधीशों के चयन और स्थानान्तरण की इस व्यवस्था का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। संविधान के अनुसार न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार अब भी राष्ट्रपति के पास है, किन्तु उन्हें उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णयों को भी ध्यान में रखना पड़ता है। इससे न्यायाधीशों के चयन की वास्तविक शक्ति कार्यपालिका के हाथ से निकल कर न्यायाधीशों के एक समूह के पास चली गई है, जिसे 'न्यायालय का कलेजियम' कहा जाता है।

न्यायधीशों की नियुक्ति की एक तय प्रक्रिया है जिसके तहत इस पर काम किया जा रहा है।

-रविशंकर प्रसाद

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री, दिल्ली उच्च न्यायालय की स्थापना की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies