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2 अक्तूबर, 2016
आवरण कथा'… अब बस' से एक बात स्पष्ट हो गई कि पाकिस्तान ने भारत को अशांत करने के लिए उरी हमला कराया। जिस तरह से पाकिस्तान आएदिन छद्म युद्ध कर रहा है, उससे देश के लोगों का गुस्सा चरम पर है। भारत की सहिष्णुता को नवाज शरीफ ने कमजोरी समझ लिया है जिससे वह आए दिन हमलों को अंजाम दे रहा है। अब भारत के लोग पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे हमलों को किसी भी कीमत पर सहन करने वाले नहीं हैं।
—रामेन्दु पंकज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
सारा विश्व आज आतंकवाद से पीडि़त है। आतंकवाद फैलाने वाले सोचते होंगे कि उन्हें इसके बाद सुख मिलेगा तो यह उनकी कोरी कल्पना है। किसी को दुख देकर आज तक कोई सुख से नहीं रह पाया है।
—नरसिंह सोनी, बीकानेर (राज.)
उरी हमले में हमारे 19 जवान बलिदान हो गए। हर साल पाकिस्तान की ओर से ऐसे छोटे बड़े हमलों में सैकड़ों सैनिक शहीद हो जाते हैं। लेकिन कभी किसी ने यह सोचा कि एक सेनानी बनता कैसे है? एक सैनिक को प्रशिक्षित करने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है। हमारा एक-एक सैनिक हजारों लोगों के बराबर है। इसलिए एक भी जवान की शहादत को देश जाया नहीं जाने देगा। भारत सरकार को तत्काल पाकिस्तान पर कड़ी से कड़ी कार्रवाही करके पाक को मंुहतोड़ जवाब देना होगा। क्योंकि अब बहुत
हो गया।
—शशि प्रिया, ग्वालियर(म.प्र.)
एक तरफ देश में उरी जैसा हमला पाकिस्तानी आतंकियों ने किया तो दूसरी ओर देश के सेकुलर नेता इस पर भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते दिखाई दिए। ये नेता कभी नहीं सुधरने वाले। उन्हें तो वोटों की राजनीति जो करनी है। उन्होंने देश और सेना के साथ खड़े होने के समय में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की। ऐसे नेताओं को देश का जनमानस पहचान रहा है। यह सोचने का वक्त है कि क्या ऐसे नेता देशहित में कार्य करे हैं?
—अनिरुद्ध नौटियाल, देहारादून (उत्तराखंड)
कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भाषा बोलते हुए दिखाई दिए। कश्मीर के हालात पर कांग्रेस के नेता द्वारा ऐसी भाषा बोलने का मतलब है कि आतंकवाद को प्रत्यक्ष रूप से समर्थन देना। कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए। जब पूरा देश पाकिस्तान और आतंकवाद से प्रताडि़त है ऐसे में आतंकवाद को समर्थन देने वाले की भाषा बोलना क्या दर्शाता है?
—शुभम गौतम, रामपुर (उ.प्र.)
कश्मीर को आग में झुलसाने वाला पाकिस्तान कब सुधरेगा? जिस आतंकवाद को वह पाल-पोस रहा है, कुछ दिन बाद वह उसी के लिए काल साबित होगा। इसका उदाहरण भी संपूर्ण विश्व में दिखाई दे रहा है। कई मुस्लिम देश आपस में लड़कर समाप्त हुए जा रहे हैं। तो वहीं जिस इस्लाम को शांति का मजहब कहते हुए लोगों के मुंह नहीं थकते आज उनकी भी कलई खुलती दिखाई दे रही है। पूरा विश्व इस्लामी आतंकवाद से परेशान है और अब अनेक देश इसे मानने भी लगे हैं।
—अनुज राठौर, पानीपत (हरियाणा)
उरी में पाक की नापाक हरकत से जहां पूरे देश में आक्रोश था वहीं भारत ने इसका माकूल जवाब देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। इस पूरे घटनाक्रम से विश्व पटल पर पाकिस्तान अलग-थलग हो गया है। पाकिस्तान की हालत तो कुछ ऐसी है कि वहां न तालीम है और न ही तरक्की। मजहब के नाम पर उन्माद, कट़्टरता ने अमन पसंद लोगा का जीना मुश्किल कर रखा है। अब उनके ही सांसद द्वारा यह कहना कि हाफिज सईद हमें क्या देता है जो हमने इसे पाल रखा है। शायद यह पाकिस्तान की आंख खोलने के लिए काफी होगा।
—मनोहर मंजुल, प.निमाड (म.प्र.)
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान की नापाक करतूत और पाक प्रधानमंत्री की शरारत फिर से सामने आ गई। उन्होंने कश्मीर के बहाने कुबूल किया कि वह कश्मीरियों की आजादी के लिए खुल्लम-खुल्ला आतंकी घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। आतंकी बुरहान वानी को हीरों जैसा बताकर वह अपने ही बुने जाल में फंस गए।
—जमालपुरकर गंगाधर, हैदराबाद (तेलंगाना)
आज अब विश्व जान चुका है कि पाकिस्तान आतंक का अड्डा है। सीमा पार से आए दिन होते आतंकवादी हमले को देश अब किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करने वाला। इनको मुंहतोड़ जवाब दिए बिना समझ में नहीं आने वाला है। आखिर हम कब तक अपने सैनिकों की शहादत पर आंसू बहाते रहेंगे? अब बड़ी दमदारी के साथ पाक को उसका जबाव देना होगा और विश्व में उसके कारनामों को उजागर करते हुए अलग-थलग करना है।
—राममोहन चन्द्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
ङ्म एक तरफ हमारे देश के वीरे सैनिक देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर रहे थे तो दूसरी ओर जाने-माने फिल्म अभिनेता ओमपुरी कह रहे थे कि किसने इन्हें बोला सेना में जाने के लिए। अब इस बात से समझ लीजिए कि फिल्म जगत में कितने लोग पाकिस्तान परस्त बैठे हुए हैं। जिन्हें हम 'हीरो' मानते हैं असल में वह 'देश के विलेन' हैं। ओमपुरी ने देश और सेना का अपमान किया है। ऐसे लोगों को देश की जनता समझे और समय आने पर जवाब दे।
—सुमन रस्तोगी, पीरागढ़ी (नई दिल्ली)
उरी हमले के बाद देश के ही कुछ राजनीतिक वर्ग व कलाकर गंदी बयानबाजी में उलझ रहे हैं। जो अपने आपको बुद्धिजीवी कहते हैं, उन्हें जनता की भावनाओं को समझना और कद्र करना चाहिए। जहां बात देश और देशभक्ति की हो, हर अभिव्यक्ति देशहित में एक स्वर में उठनी चाहिए। देश से बढ़कर कुछ नहीं होता है। सेना पर हम सभी को गर्व करना चाहिए क्योंकि इनके कारण ही हम घरों मंे चैन से सोते हैं। अपने राजनीतिक मतभेदों को देश के नाम पर भुनाने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। जनता को ऐसे स्तरहीन नेताओं और कलाकारों को समय आने पर धूल चटानी होगी।
—इंद्र कुमार भंसाली, जयपुर (राज.)
दिखावेे की लड़ाई
रपट 'अखिलेश चेहरा या मोहरा (2 अक्तूबर, 2016)' से एक बात स्पष्ट हो गई कि कुनबे की जो लड़ाई है वह मात्र दिखावे की लड़ाई है। पांच साल राज्य करने के बाद अब लोगों को दिखाने के लिए ये चचा-भतीजे द्वारा खेली जा रही राजनीति है। वे समझते हैं कि ऐसा करने से राज्य की जनता फिर से उनके छलावे में आ जाएगी, तो यह उनकी भूल ही है। यहां की जनता ने पांच सालों में जो जुल्म शहे हैं, उसका दर्द वह अच्छी तरह से जानती है। कैराना का पलायन उसे रुक-रुक कर याद आता है। हिन्दुओं पर आएदिन होते हमले उसे सताते हैं। तुष्टीकरण की राजनीतिक उसे हर दम कचोटती है।
—ईश्वर माथुर, पटना (बिहार)
राष्ट्रीय मनवाधिकार आयोग की रपट ने आखिरकार कैराना के सच को उजागर कर दिया। अब बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि मुस्लिमों के आतंक के कारण हजारों हिन्दू परिवार अपने घरों से पलायन करने पर मजबूर हुए हैं। इस रिपोर्ट से उन सेकुलर नेताओं व झूठे बुद्धिजीवियों के कुतर्क का पर्दाफाश हुआ है जो यह कहते हुए नहीं थक रहे थे कि कैराना से हिन्दुओं का पलायन नहीं हुआ है, वे काम के सिलसिले में अपना घर छोड़कर गए थे। अब सपा सरकार को बोलते नहीं बन रहा है। वह पूरे मामले पर लीपापोती करने में जुट गई है। पर अब कुछ होने वाला नहीं है। सच सबके सामने है।
—रमेश कुमार मिश्र, अंबेडकरनगर (उ.प्र.)
ङ्म कुनबे की लड़ाई से राजनीति में शह-मात का खेल चल रहा है। लेकिन पार्टी और परिवार में जो कुछ चल रहा है वह अखिलेश-मुलायम के लिए ठीक नहीं है। अब विपक्ष को सपा पर तीखे हमले करने और उसे तोड़ने का अच्छा समय है। अगर वह इसका फायदा उठा लेते हैं तो आने वाला समय उसके लिए शुभ होगा और राज्य की जनता को भी विकास की सौगात मिलेगी।
—हरिहर सिंह चौहान, इंदौर(म.प्र.)
अनिवार्य मतदान व्यावहारिक नहीं
कुछ देशों की तरह यहां भी अनिवार्य मतदान चर्चा का विषय बना हुआ है। हमें यह विचार इतना व्यावहारिक नहीं लगा,लेकिन हम इस बारे में दूसरों की राय सुनना चाहेंगे। यह तय है कि जुर्माना लगाकर या कुछ समय के लिए मतदान का अधिकार छीनकर लोगों को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
-नसीम जैदी,
मुख्य चुनाव आयुक्त,मतदाता जागरूकता पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मेंअनिवार्य मतदान व्यावहारिक नहीं
चयनित
भारत के पर्यावरणविद् राजंेद्र शेंडे को संयुक्तराष्ट्र विशेषज्ञ समिति में चुना गया है। चीन, पाकिस्तान सहित दुनिया भर के देशों ने शेंडे के नाम पर अपनी स्वीकृति दे दी हैं। आईआईटी मुंबई से स्नातक शेंडे जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति की वर्ष 2007 की रपट के प्रमुख लेखक रहे हैं।
विवादित बयान
कभी 50 लाख रुपये में विधायक बिकते थे,लेकिन आज इतने में एक पार्षद भी बिकने को तैयार नहीं।
—अजित पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री, सोलापुर के करमाला में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को
संबोधित करते हुये
रक्षा मंत्री मनोहर परिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद् ने अरसे से लंबित एम-777 हॉवित्जर तोप सौदे को 20 अक्तूबर को मंजूरी दे दी। इसी के साथ चर्चित बोफोर्स तोप के बाद अब सेना को एक कारगर तोप मिलने का रास्ता साफ हो गया है। परिषद ने अमेरिका से 145 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपों के सौदों को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही सेना का 30 साल का पुराना इंतजार शीघ्र ही खत्म होने के आसार हैं। 7000 करोड़ रुपये के इस सौदे के तहत अमेरिका भारत को 145 तोपें देगा। ऑप्टिकल फायर कंट्रोल वाली हॉवित्जर तोप से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा जा सकता है। यह एक मिनट में 5 राउंड फायर करने में यह सक्षम है। 155 एमएम की यह हल्की तोप सेना के लिए काफी अहम है,क्योंकि इसे जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से ले जाया जा
सकता है।
प्रधानाचार्य पर कार्रवाई
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने एक बडा़ कदम उठाते हुये इस साल का12 वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम खराब होने के कारण 240 स्कूलों के प्रधानाचार्यों के खिलाफ कार्रवाई की है। जून माह में इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देने वाले प्रधानाचार्यों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का फैसला लिया गया है। 50 प्रधानाचार्यों को सजा के तौर पर दूर-दराज के स्कूलों में स्थानांतरित किया गया है। जिन्होंने आदेश को मानने से इनकार किया, उनका प्रमोशन निरस्त कर दिया गया है। इसका उद्देश्य स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को छात्रों के प्रति जिम्मेदार बनाना है। हालांकि सिर्फ उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिनके स्कूलों का परिणाम 90 प्रतिशत से कम है। देश भर में 1135 केंद्रीय विद्यालय हैं, जिनमें लगभग 12 लाख छात्र पढ़ते हैं।
दवाएं होंगी सस्ती
इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (इमटेक) चंडीगढ़ के वैज्ञानिकों ने मधुमेह व हेपेटाइटिस बी के रोगियों के लिए स्वदेशी तकनीकी ईजाद की है। इसमें प्रोटीन आधारित दवाएं जैसे इंसुलिन, स्ट्रेपटोकाइनेज और हेपेटाइटिस बी का टीका व दवाएं कम कीमत पर बनाया जा सकेगा। स्वदेशी तकनीकी से दवाओं की कीमत में तीन से चार गुना तक कमी आएगी।
सहिष्णुता दिखाने का समय नहीं
पूरी दुनिया में पैर पसार रहे इस्लामी आतंकवाद ने बड़े-बड़े विचारकों को भी यह कहने पर मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद की जड़ें इस्लामिक विचारधारा की देन है। जब तक इसमें बदलाव नहीं होगा तब तक आतंकवाद पनपता और फलता-फूलता रहेगा और दूसरे मत-पंथों के ऊपर हमले बदस्तूर जारी रहेंगे। जो भी देश सेकुलरवाद के छलावे में रहेगा वह अलगाववाद, आतंकवाद, सांप्रदायिकता और विभाजन का दंश सहने को मजबूर होगा। भारत ने सदैव इस्लाम को शांति का मजहब बताया, अपनी सहिष्णुता दिखाई, आतंकवाद पर नरमी बरती, पाकिस्तान द्वारा सैकड़ों बार छद्म युद्ध किया गया पर हमने उसका कोई प्रतिकार नहीं किया। अगर हम इसका प्रतिकार कर देते तो आज भारत जो आतंकवाद से झुलस रहा है वह नहीं झुलसता। भारत ने यह दंश झेला है, विभाजन के नासूर अभी तक भरे नहीं हैं। इसके बाद भी हमारी नीतियां लचर रहीं। अभी उरी में आतंकवादियों ने जो हमला किया उसके पीछे के भी सूत्र तलाशने चाहिए, क्योंकि सैन्य ठिकाने पर हमला करना आसान नहीं होता है। जरूर इसमें किसी की मिलीभगत है जिसकी मुखबीरी से हमारे देश के 19 वीर सपूत बलिदान हो गए। इसके बाद भी कुछ सेकुलर नेता आतंकवादियों की भाषा बोलते दिखाई दे रहे हैं। यह एक तरह से उनको समर्थन और बढ़ावा ही है। ऐसे लोग भी घर में छिपे आतंकवादी से कम नहीं हैं, क्योंकि अपराध को पोषित करने वाला भी उतना ही बड़ा अपराधी होता है, जितना अपराध करने वाला।
लेकिन यह भी सच है कि पाकिस्तान आज जो आतंकवाद भारत में फैला रहा है वह एक दिन उसको ही लील लेगा, क्योंकि आतंकवाद किसी भी देश के लिए ठीक नहीं हो सकता। विश्व स्तर पर पाकिस्तान की जो एक आतंकवादी देश के रूप में छवि बनी है, वह पाकिस्तान के लिए आने वाले समय में किसी कठिन डगर से कम नहीं है। पर भारत को भी अब सहिष्णुता का लबादा उतारकर सख्त होना होगा क्योंकि उसका यह लबादा लोगों को कमजोरी लगने लगा है। पाकिस्तान को सहिष्णुता की भाषा समझ में नहीं आने वाली, उसे उसी की भाषा समझ में आने वाली है।
—राम पाण्डेय, ग्राम व पोस्ट-शिवगढ़, रायबरेली(उ.प्र.)
रहा दलाली ही सदा, जिनका असली काम
लगा रहे बेशर्म वे, मोदी पर इल्जाम।
मोदी पर इल्जाम, लाज उनको ना आती
वीर सैनिकों की यह सुनकर फटती छाती।
कह 'प्रशांत' जिसने खायी बोफोर्स दलाली
घर में जाकर देखो उसकी सूरत काली॥
—प्रशांत
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