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पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जिस दल को सींचा, आज वह विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा तय कर चुका है। भारतीय जनता पार्टी उनकी गरीबों के कल्याण पर आधारित भेदभाव और शोषण से मुक्त समाज की कल्पना को साकार करने हेतु सतत प्रयासरत है
पाञ्चजन्य ब्यूरो
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय को विकल्प की राजनीति का प्रणेता बताते हुए कहा कि उनकी मजबूत नींव के सहारे ही अल्पावधि में भाजपा की विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा संभव हुई। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मशती वर्ष पर उनके सम्पूर्ण वाङ्मय का लोकार्पण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दीनदयाल जी ने अपने छोटे से जीवनकाल काल में एक विचार को विकल्प बना दिया। उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक पार्टी का विचार दिया और वर्ष 1967 में देश को कांग्रेस का विकल्प मिला।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सेना के सामर्थ्यवान होने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि दीनदयालजी कहते थे कि राष्ट्र की सेना अत्यंत सामर्थ्यवान होनी चाहिए तभी राष्ट्र भी सामर्थ्यवान बन पाता है। सेना अत्यंत सामर्थ्यवान हो, हमारा देश शक्तिमान हो और भारत सामर्थ्यवान हो, यह समय की मांग है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस बार विजयादशमी का पर्व भारत के लिए खास है। अगर कोई कसरत करके अपने को स्वस्थ और बलशाली बनाता है तो इससे पड़ोसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि गुजरात में लोग जनसंघ का मजाक उड़ाते हुए कहते थे कि क्या दीवार पर दीपक बनाने से जीत जाओगे। एक वक्त था जब जनसंघ के नेता जमानत बचने पर उस पैसे से पार्टी किया करते थे। यह पंडित जी के विश्वासों और प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि आज हमारी विचार यात्रा इस मुकाम तक आ पहुंची है। मैं चाहूंगा कि हिंदुस्थान का विश्लेषक वर्ग अब तक की सरकारों को कसौटी पर परखे। मुझे विश्वास है कि पंडित दीनदयाल ने जिस दल को सींचा है, वह जनता की अपेक्षाओं पर अवश्य खरा उतरेगा। जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल खड़ा करने में पंडित जी की भूमिका अहम रही। उन्होंने जो बीज बोए, उनका फल आज मिल रहा है। एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चन्द्र शर्मा द्वारा संपादित 15 खंडों वाला यह वाङ्मय एक महान युगद्रष्टा की विचार यात्रा, विकल्प यात्रा और संकल्प यात्रा की त्रिवेणी है। पंडित दीनदयालजी ने निर्धनता मुक्त, भेदभाव मुक्त और शोषण मुक्त समाज की कल्पना की थी। उनका व्यापक राजनीतिक चिंतन प्रमुख रूप से गरीबों पर ही केन्द्रित था। इसलिए उनके जन्मशती वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का निश्चय किया गया है। इस अवसर पर संपूर्ण वाङ्मय के संपादक डॉ. महेश चंद शर्मा ने कहा कि दीनदयाल जी ने कहा था कि स्वयंसेवक को राजनीति से अलिप्त रहना चाहिए। उनका मानना था कि वे राजनीति में राजनीति के लिए नहीं बल्कि राजनीति में संस्कृति के राजदूत थे। इस संस्कृति के राजदूतत्व को उन्होंने कैसे निभाया, उस कहानी को किंचित उकेरती है इस सम्पूर्ण वाङ्मय की रचना।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व एक विचार को लेकर राष्ट्र, समाज, राजनीति को जिन्होंने एक दिशा दी, देखते-देखते विश्व में एकात्म मानवदर्शन मान्यता प्राप्त कर चुका है। इस ऐतिहासिक कार्य के लिए डॉ़ महेश चन्द्र शर्मा एवं एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान को बधाइयां।
वाङ्मय के बारे में
दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय कुल मिलार 15 खंडों में है। इसके संपादक हैं-एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चन्द्र शर्मा। डॉ. शर्मा इससे पूर्व दीनदयाल उपाध्याय कृतत्व एवं विचार विषय पर शोध कर चुके हैं।
प्रस्तुत वाङ्मय में वर्ष 1940 में पं. दीनदयाल जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक बनाने से लेकर वर्ष 1968 में उनकी हत्या तक के संपूर्ण जीवन को समाहित किया गया है। सुविधा और स्पष्टता के लिए इन 15 खंडों को अलग-अलग कालावधि में विभाजित किया गया है। इस अवधि में देश में घटी विभिन्न घटनाओं पर दीनदयाल जी के विचारों और उनके प्रेरित आंदोलनों के विवरणों को समाहित किया गया है। इनके जरिए तत्कालीन राजनीतिक उथल-पुथल को गहराई से समझा जा सकता है।
वाङ्मय के खंड एक में वर्ष 1940 से 1950 तक एक दशक की सामग्री प्रकाशित की गई है। खंड दो में वर्ष 1951-52 और 1953 की गतिविधियों को शामिल किया गया है। खंड तीन में वर्ष 1954-1955, खंड चार 1956-1957, खंड पांच एवं छह 1958 से संबंधित हैं। खंड सात वर्ष 1959, खंड आठ 1960, खंड नौ 1961, खंड दस 1962, खंड ग्यारह 1963-64, खंड बारह 1965, खंड तेरह 1966 और खंड चौदह 1967-68 से संबंधित है। खंड पंद्रह में उनके कई बौद्धिक वगोंर् और उनकी हत्या से संबंधित सामग्री शामिल की गई है।
प्रधानमंत्री के वक्तव्य के प्रमुख बिन्दु
सेना सामर्थ्यवान होगी तभी होगा राष्ट्र सामर्थ्यवान
दीनदयाल जन्मशती वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का निश्चय
सरकार का हर विभाग अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में गरीबों के कल्याण को प्रमुखता देगा
डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी और राम मनोहर लोहिया भी पं. दीनदयाल जी की बौद्धिक राजनीतिक क्षमता के प्रशंसक
15 खंडों वाला यह वाङ्मय एक महान युगद्रष्टा की विचार यात्रा, विकल्प यात्रा और संकल्प यात्रा की त्रिवेणी
वाङ्मय के लिए प्रधानमंत्री ने एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चन्द्र शर्मा को दी बधाई
उन्होंने कहा कि हमने नए विचारों को सुना पर स्वीकार तब किया, जब वह मानव कल्याण के विचार बने। दीनदयाल जी का मानव दर्शन व्यक्ति की बुनियादी जरूरत को पूरा करने पर केंद्रित था। नेतृत्व आज उसी के क्रियान्वयन में लगा हुआ है। समाज के बारे में वे सहकारिता को उत्तम साधन मानते थे। इसी सूत्र की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी बनती है।
इस अवसर पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि 15 खंडों का यह सम्पूर्ण वाङ्मय निश्चित रूप से न केवल भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए बल्कि सामाजिक जीवन तथा राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले हरेक कार्यकर्ता के लिये महत्वपूर्ण है। दीनदयाल जी एक कुशल चिंतक, विचारक, संगठनकर्ता के साथ सफल राजनेता भी थे। उनके कालखंड में जनसंघ ने प्रगति ही की। उन्होंने सिद्धांत और राष्ट्रवाद की राजनीति की थी और हमारा कर्तव्य है कि हम उसे आगे लेकर जाएं। यह सौभाग्य है कि आज उनके जन्मशताब्दी वर्ष पर देश में भाजपा की सरकार है। श्री मोदी के नेतृत्व में यह सरकार कल्याण के कार्य कर रही है जिससे भारत प्रगति की ओर बढ़ रहा है। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि भारत विश्व में गौरवशाली राष्ट्र के रुप में उभरा है। उन्होंने दीनदयाल जी की दूरदर्शिता के बारे में कहा कि भविष्य में आने वाली समस्यायों के बारे में उन्हें पहले ही पता चल गया था। कार्यक्रम के शुभारंभ में प्रधानमंत्री श्री मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी और एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चन्द्र शर्मा ने दीप
प्रज्ज्वलन किया।
कार्यक्रम का संचालन एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के सचिव श्री अतुल जैन ने किया। इस अवसर पर केंद्रित दीनदयालजी पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई जिसके माध्यम से जीवन यात्रा और एकात्म मानव दर्शन पर प्रकाश डाला गया।
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