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पर्यटन मंत्रालय ने चित्रकूट में पर्यटन विकास हेतु 43 करोड़ रु. का प्रावधान किया है। उसकी ओर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में 15 से 23 अक्तूबर तक ग्रामीण भारत पर आधारित राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2016 आयोजित किया जा रहा है
ग्राम विकास में अनूठे योगदान और अपने असाधारण आदर्श से दूसरों में प्रेरणा जगाने वाले चित्रकूट शिल्पी नाना जी की स्मृति में केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय ने गत 10 अक्तूबर को उनके जन्म जयंती वर्ष के उत्सव की शुरुआत की। यह उत्सव देश भर में विभिन्न आयोजनों के माध्यम से 11 अक्तूबर, 2017 तक जारी रहेगा। उद्घाटन कार्यक्रम नेहरू स्मृति पुस्तकालय और संग्रहालय के सभागार में संपन्न हुआ जिसमें रा. स्व. संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास, केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा, संस्कृति मंत्रालय सचिव एन. के. सिंह, दीनदयाल शोध संस्थान के महासचिव अतुल जैन सहित ग्राम विकास के क्षेत्र में काम कर रहीं अनेक विभूतियां उपस्थित थीं। इस अवसर पर एक चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इस मौके पर जन्म जयंती उत्सव का प्रतीक चिन्ह भी अनावृत्त किया गया।
यह अनूठा संयोग ही है कि नानाजी का जन्म जयंती वर्ष और पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म जयंती वर्ष एक साथ ही आरम्भ हुए हैं। नानाजी को राष्ट्रऋषि क्यों कहा जाता है, इस पर प्रकाश डालते हुए प्रो. सोलंकी ने कहा, ''राजनीति में होने के बावजूद नानाजी एक राजनीतिज्ञ से कहीं बढ़कर एक राजनेता थे। राजनीतिज्ञ तो सिर्फ 5 साल के बारे में सोचता है, जबकि राजनेता पीढि़यों तक की चिंता करता है। आज एक ऐसे गांव के बारे में कल्पना करना मुश्किल है जहां कोई भी विवाद न हो, लेकिन नानाजी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ऐसा एक गांव नहीं बल्कि सैकड़ों गांव गढे़ हैं।'' उन्होंने कहा कि शासन तभी सफल कहलाता है जब समाज के हर व्यक्ति को लगे कि सरकार वास्तव में उसकी चिंता करती है। प्रो. सोलंकी ने आगे कहा, ''नानाजी ने ग्राम विकास का आदर्श खड़ा किया है, जो सरकार पर आश्रित रहे बिना सही मायनों में समाज का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करता है।''
सुश्री उमा भारती ने कहा, ''नानाजी के जीवन का हर पल बहुमूल्य और अर्थपूर्ण था। वे चुनौतियों को अवसरों में बदलने की कला जानते थे। वे हर व्यक्ति से उचित कार्य कराना जानते थे, उस व्यक्ति से भी जिसे समाज आमतौर पर किसी काम का नहीं समझता था। वे हर काम को पूरे आत्मविश्वास के साथ करते थे। सतत कार्यरत रहने में उन्हें आनंद आता था।'' सुश्री भारती ने बताया कि वे नानाजी से पहली बार 1985 में मिली थीं। आगे चलकर नानाजी उन्हें 'अम्मा' कहकर संबोधित करते थे।
नानाजी देशमुख को युगद्रष्टा बताते हुए डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने भारत की सामाजिक चेतना को नया आयाम दिया था। वे कहा करते थे कि विकास का सुफल अगर समाज के आखिरी व्यक्ति तक नहीं पहंुचे तो ऐसा विकास निरर्थक है। उन्होंने हमें विकास का सुफल उन लोगों तक पहंुचाने के मार्ग बताए हैं जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है। डॉ. शर्मा ने बताया कि उनके मंत्रालय ने चित्रकूट में पर्यटन विकास हेतु 43 करोड़ रु. का प्रावधान किया है। मंत्रालय की ओर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में 15 से 23 अक्तूबर तक ग्रामीण भारत पर आधारित राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2016 आयोजित किया जा रहा है। प्रतिनिधि
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