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सेवा संकल्प जैसा नहीं विकल्प

by
Oct 10, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Oct 2016 12:17:33

सेवा शब्द वैसे तो अत्यंत संक्षिप्त है लेकिन इसका आयाम बहुत व्यापक है। सेवा भारती के कार्यकर्ता इसी उदात्त भावना को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में 'नर सेवा, नारायण सेवा' के संकल्प के साथ पीडि़तों और जरूरतमंद लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में जुटे हैं

अश्वनी मिश्र

पेशे से व्यवसायी राजकुमार भाटिया दिल्ली में 'रोटी बैंक' नाम से संस्था चलाते हैं। हालांकि संस्था को शुरू हुए अभी 18 माह हुए हैं। लेकिन इतनी कम अवधि में संस्था ने लगभग 1,50,000 निराश्रित, असहाय या दिव्यांग लोगों, जो सड़क किनारे रहते हैं, को भोजन करा चुकी है। संस्था का ध्येय वाक्य है- कोई भूखा न रहे। संचालक भाटिया संस्था के शुरू होने के पीछे कहते हैं, ''एक दिन एक व्यक्ति आजादपुर में मेरे पास काम मांगने आया। मैं उसे काम देने में समर्थ नहीं था। मैंने जेब से कुछ पैसे निकालकर उसे देने चाहे तो उसने कहा कि मुझे पैसे नहीं, खाना चाहिए। यह सुनकर मुझे बहुत पीड़ा हुई। मैंने उसे भोजन कराया लेकिन मेरे मन में यह पीड़ा थी कि ऐसे कितने लोग होंगे जो भूख से तड़पते होंगे। यहीं से मैंने प्रण किया कि ऐसे भूखे लोगों के लिए कुछ करना है। मैंने अपने कुछ साथियों को साथ लेकर इसकी शुरुआत की।'' वे आगे कहते हैं,''पहले दिन 7 पैकेट एकत्र हुए लेकिन एक महीने से भी कम समय में यह आंकड़ा सैकड़ों में पहुंच गया। अब प्रतिदिन 24 केंद्रों में लगभग 1,000 पैकेट एकत्रित होते हैं और जरूरतमंदों तक पहुंचाए जाते हैं।'' भाटिया बताते हैं कि इस कार्य के लिए 50 कार्यकर्ताओं की टोली है जो प्रतिदिन यह कार्य करती है। इस सबके पीछे हमारा एक ही उद्देश्य है कोई भी भूखा न रहे और किसी को भोजन भीख या खैरात में न मिले।
पिछले 3 अक्तूबर को नई दिल्ली में भाटिया जैसे अनेक सेवा भावी लोगों से मिलना हुआ। अवसर था एनडीएमसी कन्वेंशन हॉल में सेवा भारती, दिल्ली प्रांत द्वारा आयोजित सेवा संगम का। संगम में दिल्ली के विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे सेवार्थियों एवं संस्थाओं ने भाग लिया। विभिन्न जिलों में कार्य कर रही संस्थाओं और सेवा भावी कार्यकर्ताओं की एक बड़ी संख्या कार्यक्रम में उपस्थित थी। इस संगम में जो भी संस्थाएं आईं, वे छोटे रूप से जरूर शुरू हुईं पर वर्तमान में बड़ा काम कर रही हैं।
संगम का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव हिरेमठ, रा.स्व.संघ दिल्ली प्रांत के संघचालक-श्री कुलभूषण आहूजा, माता अमृतानंदमयी मठ, दिल्ली के प्रमुख स्वामी निजामृतानंद, राष्ट्रीय सेवा भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री ऋषिपाल डंडवाल एवं सेवा भारती, दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री तरुण गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष थे श्री अनिल कंसल।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में राष्ट्रीय सेवा भारती के संगठन मंत्री श्री राकेश ने कहा,''आज से 37 वर्ष पहले यानी 1979 में दिल्ली में सेवा भारती का कार्य प्रारंभ हुआ था। संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री विष्णु कुमार कानपुर से यहां आए और एकरस होकर रह गए। सेवा भारती के गठन का प्रमुख उद्देश्य समाज का एक ऐसा वर्ग जो बिछड़ गया है और मुख्य धारा से कटा हुआ है, का सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक स्तर ऊंचा करना है। हमारे अपने आस-पास एवं विभिन्न प्रांतों में वनवासी क्षेत्रों में ऐसे लोगों का एक बहुत बड़ा समूह है जो हमारी ओर आस लगाए हुए है। ऐसे वर्ग की दु:ख और पीड़ा को हरना, उन्हें अपना मानना, उनके दु:ख-सुख में भागी बनना यही हमारा कार्य है और सेवा भारती अपने गठन के समय से 'नर सेवा नारायण सेवा' के ध्येय वाक्य के साथ इस कार्य में लगी हुई है।''

अनूठे उदाहरण
सबको मिलेगा आश्रय
अपना घर सुन कर ही मन को आनंद मिलता है। लेकिन जिनका घर नहीं है उनके लिए यह किसी स्वप्न से कम नहीं है। दिल्ली के बवाना में 'अपना घर' नाम से एक संस्था कार्यरत है। इसका मुख्यालय राजस्थान के भरतपुर में है। यह ऐसा आश्रय स्थल है जो दीनहीन, अनाथ, लावारिश और निराश्रितों को आश्रय उपलब्ध कराता है। यहां के कार्यकर्ता बताते हैं कि दिल्ली के किसी भी कोने में अगर किसी को कोई भी असहाय, अपंग, बीमार, लाचार दिखाई देता है तो वह अपना घर के नंबर 09810212213 व मेल आईडी ेेु५२२@ॅें्र'.ूङ्मे पर संपर्क करें। 'अपना घर' के कार्यकर्ता ऐसे व्यक्तियों को आश्रम ले जाते हैं और उनकी समुचित देखभाल, इलाज, खाना-पीना मुहैया कराते हैं।यह सेवाकार्य बिलकुल मुफ्त में किया जाता है।
सेवा यात्रा
1979 में सेवा भारती की शुरुआत हुई।
मातृछाया की ओर से अब तक 560 बच्चों को गोद लिया जा चुका है।
दिल्ली में 21 स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं।
चल चिकित्सा द्वारा 22 हजार से ज्यादा मरीजों को प्रतिवर्ष चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
2001 से दिल्ली की सेवा बस्तियों में कंप्यूटर का प्रशिक्षण
वर्ष, 2016 में 7,000 बच्चों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण देकर उनमें से सैकड़ों को स्वरोजगार से जोड़ा।
106 कन्याओं का विवाह अलग-अलग विभागों द्वारा कराया गया।
हर व्यक्ति जिए अच्छी जिंदगी
जनकल्याण हेल्थ केयर सेंटर, नई दिल्ली के देशबंधु गुप्ता रोड, करोलबाग के पास स्थित है। यह स्वयंसेवी संस्था स्वास्थ्य क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है। संस्था के अध्यक्ष अशोक गुप्त बताते हैं कि हमारे यहां मात्र 1 रुपए में मरीज को दवा के साथ अनेक चिकित्सा सुविधाएं दी जाती हैं। तमाम तरह की जांच जैसे-अल्ट्रासोनोग्राफी, डायलिसिस, शरीर की पूरी जांच जैसी अन्य कई जांच बहुत ही कम कीमत पर की जाती हैं। वे कहते हैं कि हमारा उदद्ेश्य सिर्फ यह है कि जो गरीब, लाचार व पैसे के अभाव में हंै और अपना इलाज नहीं करा पा रहे हैं, उन्हें हमारे छोटे से प्रयास से राहत मिले। कोई भी व्यक्ति 011-23535141, 09212003880, ईमेल- ्न'ूँ_िी'ँ्र@१ी्रिाों्र'.ूङ्मे पर संपर्क करके अपने आस-पास के ऐसे व्यक्ति जो किसी अभाव के चलते चिकित्सा से वंचित हैं, उन्हें यहां के बारे में बताकर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
पुस्तक के अभाव में न बाधित हो शिक्षा

नई दिल्ली के अनिल अग्रवाल ने पहाड़गंज में 'हमारा बुक बैंक' नाम से एक संस्था की शुरुआत की। यह एक ऐसा बैंक है जो किसी को भी नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराता है। यह उन लोगों से पुस्तक लेता है जिनके लिए उनका कोई उपयोग नहीं रह गया है। इनसे पुस्तक लेकर दूसरे जरूरतमंद विद्यार्थियों तक पुस्तकें उपलब्ध कराना इसका काम है। अनिल कहते हैं, ''एक साल पहले शु्ररू किए गए इस सेवा कार्य द्वारा हमने अब तक करीब 30 लाख रुपये की पुस्तकें जरूरतमंदों तक पहुंचाई हैं। मेरा उद्देश्य यह है कि कोई भी विद्यार्थी पुस्तकों के अभाव के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। हम कक्षा से 1 से लेकर उच्च शिक्षा एवं प्रोफेसनल कोर्स तक की पुस्तकें जरूरतंदों तक उपलब्ध कराने का काम करते हैं। अगर किसी को पुस्तकें देनी या लेनी हों तो वह इस नंबर पर संपर्क कर सकता है।
संपर्क: 886004166,011-23634779 Email- hamarabookbank@gmail.com

 

इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए माता अमृतानंदमयी मठ, दिल्ली के प्रमुख स्वामी श्री निजामृतानंद ने अपने संबोधन में कहा, ''हम सभी किसी न किसी रूप में सेवा कर रहे हैं। सेवा के क्षेत्र में विभिन्न उपक्रम भी चले रहे हैं। लेकिन हमारा सेवाभाव तभी सार्थक होगा जब हम ठीक ढंग से यह समझें कि हम जिसकी सेवा कर रहे हैं, उसकी जरूरत क्या है? अगर हम उसकी जरूरत को जान लें तो हमारा सेवा करना सफल हो जाएगा। इसके लिए हमें उस व्यक्ति के स्तर तक उतरना होगा।'' उन्होंने आगेे कहा, ''हम किसी की भी सेवा करते हैं तो वह किसी पराये की नहीं बल्कि अपने की ही सेवा करते हैं। आपने अपने जीवन में अगर किसी के आंसू पोंछ दिए तो इससे बड़ा पुण्य कोई नहीं होगा। हमारे बहुत से भाई-बंधु दु:ख झेल रहे हैं, अभाव की जिंदगी जी रहे हैं, उनमें ईश्वर का रूप देखकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार हर किसी को सेवा का हाथ बढ़ाना चाहिए, क्योंकि हमारी छोटी-सी सेवा उनके दु:खों पर मरहम लगाने का कार्य करेगी। हम उनकी पीड़ा को समझें, यहीं हमारा मंतव्य होना चाहिए।''
रा.स्व.संघ के दिल्ली प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम सभी नर सेवा नारायण सेवा में विश्वास रखते हैं। हमारे मन में हर किसी के दु:ख और पीड़ा को हरने का विचार होना चाहिए। हम सभी को निरंतर सेवा का कार्य करते रहना है।''
ऐसी ही एक संस्था है 'स्ट्रीट चिल्ड्रन प्रोजेक्ट।' कोमल, खुशबू और स्नेहा 10 से 12 बरस की छोटी-छोटी बच्चियां इससे जुड़ी हैं। 1 बरस पहले तक ये कुछ नहीं करती थीं। लेकिन जब से 'स्ट्रीट चिल्ड्रन प्रोजेक्ट' से जुड़ी हैं तब से ये बहुत से काम जान गईं हैं और उस काम को करके धन भी अर्जित कर लेती हंै। यह प्रोजेक्ट दिल्ली में कार्यरत हैं। दिल्ली में इसके 6 केंद्र हैं। संस्था का उद्देश्य जो बच्चे असहाय हैं, भीख मांगते या निराश्रित हैं, को स्वावलंबन के क्षेत्र में ले आना और उन्हें वह सिखाना जिससे वे कुछ दिन में ही यहां से सिखकर धन अर्जित कर सकें। यहां बिजली का काम, कंप्यूटर शिक्षा, ब्यूटी पार्लर, कचरे से विभिन्न सजावटी सामग्री बनाना, अखबारों से विभिन्न चीजें बनाना, सिलाई, मोमबत्ती बनाना जैसे बहुत से काम सिखाए जाते हैं। इस समय अलग-अलग केंद्रों पर 550 से ज्यादा बच्चे सीख रहे हैं।
संस्था के कार्यकर्ता मनोज कहते हैं, ''संस्था का प्रमुख कार्य उन बच्चों में आत्मनिर्भरता पैदा करना है जो सड़कों पर भीख मांगते हैं। संस्था ऐसे बच्चों के परिवार वालों से मिलती है और उन्हें केंद्र पर आने के लिए प्रेरित करती है। क्योंकि हमारा एक ही उद्देश्य है कि कैसे इन बच्चों में संस्कार आए और वे भीख मांगना छोड़ें।'' वे गर्व से कहते हैं कि हमारे प्रयास का यह परिणाम हुआ कि बच्चे संस्कारवान हो गए हैं और भीख मांगने से घृणा करने लगे हैं।
संगम में ऐसे दर्जनों संस्थाएं थीं जो अपने-अपने क्षेत्रों में समाज सेवा के कार्य में लगी हुई थीं। कार्यक्रम के समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव हिरेमठ ने सेवा भारती की बेवसाइट का उद्घाटन किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा,''आज लाखों लोग सेवाक्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। यहां तक कि भ्रष्टाचार करने वालों से सेवा करने वाले ज्यादा हैं। सेवा संवेदना का विषय है और यहां जन्म से ही हर व्यक्ति के अंदर संवेदना होती है। एक छोटे से व्यक्ति से लेकर अरबपति तक में सेवा का भाव है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो खुद दिव्यांग हैं लेकिन उनके मन मंे सेवा की भावना है।'' उन्होंने आगे कहा,''सेवा क्षेत्र में अगर संवेदना नहीं है तो बेटा माता तक की सेवा नहीं कर सकता। लेकिन जैसे ही किसी की संवेदना जाग्रत होती है, उसे पीड़ा और दु:खों का आभास होता है और वह असहाय और पीडि़तों की सेवा में लग जाता है। हमारे देश में ऐसे लाखों लोग हैं जो सेवा करने में जुटे हैं। लेकिन यह संख्या बहुत ही कम है। दिल्ली प्रांत की ही बात करें तो हम अभी बहुत से लोगों तक नहीं पहुंचे हैं, जहां पहुंचना चाहिए। जिस भूमि को हम अन्नपूर्णा कहते हैं, उसके लाखों पुत्र देश में दो समय के भोजन के लिए तरसते हैं। हम सभी ऐसे लोगों के लिए कार्य करें, उनकी पीड़ा हरें।'' उन्होंने कहा, ''हमारा उद्देश्य यह है कि आज सेवा लेने वाला कल सेवा करने वाला बने। हमें इस क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को जगाना है ताकि हम उन तक पहुंच सके जो हमारी राह देख रहे हैं।
इसमें कोई दोराय नहीं कि दिल्ली प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों से सेवा संगम में सैकड़ों की संख्या में आए सेवाभावी कार्यकर्ता अपने छोटे-छोटे प्रयासों के सहारे बड़ा कार्य रहे हैं। उनका प्रयास दिखाई भी दे रहा है। आने वाले दिनों में वे और तेज गति से कार्य कर सकें, इसके लिए वे नई ऊर्जा, जोश और उत्साह से लैस हो अपने-अपने क्षेत्रों को वापस गए।

 

''नि:स्वार्थ भाव से करें हम सभी की सेवा''
सेवा संवेदना का विषय है। जब व्यक्ति के अंदर संवेदना जाग्रत होती है तो उसे दूसरे की पीड़ा का आभास होता है। और पीड़ा का आभास होते ही वह सेवा क्षेत्र में जुट जाता है। पाञ्चजन्य संवाददाता अश्वनी मिश्र ने सेवा भारती, दिल्ली प्रांत के संगम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव हिरेमठ से विस्तृत बातचीत की, प्रस्तुत हंै बातचीत के प्रमुख अंश:-
दिल्ली प्रांत का सेवा संगम संपन्न हुआ। संगम में जुटे सेवार्थियों के लिए आपका क्या संदेश है?
देशभर में जो लोग सेवा के पुण्य कार्य में लगे हुए हैं उनको नमन है। मेरा उन सभी को एक ही संदेश है कि वे अपने कार्य को बहुआयामी करें, अलग-अलग तरह से करें। साथ ही सेवा करते समय हमारा उद्देश्य सेवा ही रहे, हम कभी इस पथ से दिग्भ्रमित न हों।
सेवा करते समय क्या-क्या चुनौतियां और बाधाएं आती हैं?
अगर हम कोई व्यक्तिगत हेतु रखकर कार्य करते हैं तो हो सकता है कि हम सफल न हों। लेकिन हम सच्चे और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं तो हमारा संकल्प अवश्य पूरा होगा। यानी सेवाक्षेत्र में हमारा कोई व्यक्तिगत हेतु नहीं होना चाहिए। दूसरा एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे सेवा की आवश्यकता है लेकिन हम उन तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। हमारे सेवाभावी कार्यकर्ताओं के सामने यह चुनौती है कि काम की संख्या बढ़ाते हुए जहां तक कोई नहीं पहुंचा है या सेवा कार्य की वहां जरूरत है, उस क्षेत्र का अध्ययन करते हुए वहां आवश्यकता अनुरूप सेवा कार्य शुरू करें। यही अति-आवश्यकता भी है और चुनौती भी है।
कोई ऐसे दो सेवा कार्यों के अनूठे उदाहरण जो प्रेरक लगे हों?
सेवा क्षेत्र में एक नहीं, अनेक उदाहरण हंै जो प्रेरक ही हैं। यहां हर व्यक्ति के अंदर सेवाभाव है, फिर वह कोई भी हो। सेवा करना यहां के समाज का सहज स्वभाव है। पहला, आंध्र प्रदेश में आई एक प्राकृतिक आपदा का उदाहरण है। आपदा के कारण राज्य में कठिन हालात थे। संंस्थाएं पीडि़तों तक सेवा पहुंचाने के लिए चंदा एकत्र कर रही थीं। ऐसे में एक दिव्यांग जो भीख मांग रहा था सेवाभावी संस्था के वाहन के सामने आकर अपना 'पैसे मांगने का पात्र' एक कार्यकर्ता के आगे कर देता है और बोलता है कि इसमें जो भी है, वह आप ले लें। यह मेरे पूरे दिन की कमाई है। मैं आज भूखा रह लूंगा पर कम से कम इस आपदा में मेरे अंश से भी कुछ लगेगा।
दूसरा उदाहरण मदुरई का। एक लड़का विदेश में पांच सितारा होटल में मास्टर सेफ का काम कर रहा था। कुछ दिनों बाद वह अपने घर छुट्टियों में आया और अवकाश समाप्त होने के बाद कार से हवाई अड्डे को निकला। हवाई अड्डे वाले रास्ते में देखता है कि एक व्यक्ति जो दिखने में निर्बल है और भूख के चलते गंदगी खा रहा है। उस लड़के ने यह दृश्य देखा तो उसके हृदय को लगा कि इनका कौन हैं, इनको छोड़कर मैं विदेश अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को पूरा करने के लिए चला जाऊंगा पर ऐसे लोगों का क्या होगा? इनकी चिंता कौन करेगा? इस सब को देखकर उसके मन में सेवा की भावना जाग्रत हो गई और उसने तत्काल गाड़ी रुकवाकर पास की दुकान से खाने की सामग्री लाकर उसे खाने को दी। भूख से व्याकुल उस व्यक्ति ने भोजन करने के बाद कहा कि ऐसा भोजन मैंने पहली बार खाया है। यह दृश्य देखकर उस व्यक्ति ने विदेश न जाने का प्रण किया और सेवा के क्षेत्र में लग गया। आज भी वह नि:स्वार्थ भाव से मदुरई में सेवा क्षेत्र में लगा हुआ है।
संगम में आए कार्यकर्ता क्या उद्देश्य और प्रेरणा लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में वापस गए?
सेवा करने वाले हम अकेले नहीं बल्कि बहुत बड़ी संख्या में सेवाभावी कार्यकर्ता हैं। यहां जो भी कार्यकर्ता और संस्थाएं आईं उन्होंने यहां दूसरी संस्थाओं का कार्य देखा, विशिष्ट लोगों के उद्बोधन से ऊर्जा प्राप्त की। साथ ही नए तरीके से अपने कार्य को और अच्छा कैसे किया जा सकता है, वह भी यहां से सीखा। यहां सभी सेवा भावी कार्यकर्ता एक साथ जुड़े ताकि समाज का कोई भी वंचित, पीडि़त व अभावग्रस्त हमसे दूर न रहे और उसकी दु:ख पीड़ा में हम सहभागी हों।

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सेवा यात्रा
1979 में सेवा भारती की शुरुआत हुई।
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2001 से दिल्ली की सेवा बस्तियों में कंप्यूटर का प्रशिक्षण
वर्ष, 2016 में 7,000 बच्चों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण देकर उनमें से सैकड़ों को स्वरोजगार से जोड़ा।
106 कन्याओं का विवाह अलग-अलग विभागों द्वारा कराया गया।
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पुस्तक के अभाव में न बाधित हो शिक्षा

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