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कैराना : कैराना के सच से सकते में सेकुलर

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Oct 3, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Oct 2016 14:21:56

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इन दिनों सेकुलर नेताओं और मीडिया के निशाने पर  है। वजह है कैराना से हिन्दुओं के पलायन पर आयोग की रपट। इस रपट में कहा गया है,  ''कमजोर कानून-व्यवस्था और मुजफ्फरनगर दंगांे के दौरान विस्थापित होकर कैराना आए 25 से 30,000 लोगों (मुसलमानों) के कारण वहां से दूसरे समुदाय (हिन्दुओं) के लोगों ने पलायन किया।''
आयोग के दल ने कैराना छोड़कर दूसरे राज्यों और शहरों में रह रहे लोगों से फोन के जरिए भी कैराना से पलायन की वजह जानी। उसने अपनी रपट में यह भी लिखा है कि इन विस्थापितों के युवा हिन्दू समुदाय की लड़कियों के साथ खराब बर्ताव करते हैं, जिससे दूसरे समुदाय के मन में डर पनपा, जो पलायन की बड़ी वजह बना। आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजकर इस मामले में अब तक हुई कार्रवाई की रपट मांगी है। आयोग ने इसके लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जून महीने में उत्तर प्रदेश के शामली जिले का कैराना कस्वा तब चर्चा में आ गया था, जब वहां के भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने 346 हिन्दू परिवारों की एक सूची सार्वजनिक करते हुए कहा था कि ये परिवार दूसरे समुदाय के डर से पलायन कर गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि मुस्लिम-बहुल कैराना में हिन्दुओं को जान-बूझकर निशाना बनाया जा रहा है। इसके बाद पूरे देश में कैराना की चर्चा होने लगी। जहां सेकुलर भाजपा सांसद के दावों को झुठलाने में लग गए , तो कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन कैराना मामले की जांच की मांग करने लगे। वहीं प्रदेश सरकार ने साफ कहा था कि कैराना से किसी भी हिन्दू ने पलायन नहीं किया है, बल्कि रोजगार के लिए कुछ हिन्दू दूसरी जगहों पर रह रहे हैं। साथ ही उसने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह प्रदेश के माहौल को खराब करना चाहती है, इसलिए इस मुद्दे को उठा रही है। सरकार ने शामली प्रशासन के जरिए सांसद की सूची को ही गलत ठहरा दिया था। प्रशासन ने कहा था कि जिन परिवारों के पलायन की बात कही गई है, उनमें से ज्यादातर कई वर्ष पहले रोजगार और अन्य कारणों से कैराना छोड़ चुके हैं। इसके बाद तो सेकुलर नेताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों में कैराना जाने की होड़ सी लग गई। शरद यादव, सीताराम येचुरी, डी. राजा जैसे सेकुलर नेताओं ने कैराना का दौरा किया और कहा कि वहां से किसी भी हिन्दू ने पलायन नहीं किया है। भाजपा झूठ बोल रही है। वह कैराना के बहाने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है। वहीं कुछ सेकुलर पत्रकारों ने भी कैराना जाकर यह बताने की कोशिश की कि वहां सब कुछ ठीक है। हिन्दू और मुसलमान भाईचारे के साथ रह रहे हैं। पर भाजपा सांसद हुकुम सिंह अपनी बात पर अडिग रहे और उन्होंने इस मुद्दे को केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाया। इसके बाद आयोग ने अपने एक जांच दल को कैराना भेजकर हकीकत जानने की कोशिश की।
अब जब आयोग ने अपनी रपट में साफ कहा है कि कैराना से हिन्दुओं का पलायन हुआ है तो सेकुलर जमात यह कह रही है कि आयोग ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर रपट बनाई है। वहीं हुकुम सिंह कहते हैं, ''मानवाधिकार आयोग ने अपनी रपट में मेरी बात की पुष्टि की है। जो लोग एक संवैधानिक संस्था की रपट पर अंगुली उठा रहे हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए।'' इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि जिन अधिकारियों ने कैराना पर झूठी रपट देकर देश को गुमराह किया था, उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने कैराना से पलायन किया है, उन्हें सम्मान के साथ वापस बुलाया जाए, सुरक्षा दी जाए और उनके नुकसान की भरपाई की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश पाकिस्तान बनने के कगार पर खड़ा है। हिन्दू जानो-माल की रक्षा के लिए पलायन कर रहे हैं। हिन्दुओं को सुरक्षा देकर पलायन से रोकना होगा, अन्यथा एक दिन पूरा इलाका हिन्दू-विहीन हो जाएगा। उनकी इस बात की पुष्टि 17 सितंबर को एक बार फिर से हुई है। उस दिन सहारनपुर के चिलकाना स्थित गोयल ज्वेलर्स से कुछ मुसलमान बदमाशों ने दिनदहाड़े 2.5 करोड़ रुपए के गहने लूट लिए। चिलकाना में हिन्दुओं की आबादी 7-8 प्रतिशत है, बाकी मुसलमान हैं। ज्वेलर्स के मालिक संजय गोयल कहते हैं, ''चिलकाना में हिन्दुओं का रहना और व्यवसाय करना बहुत मुश्किल हो गया है। हिन्दुओं की न तो पुलिस सुन रही है, न ही सरकार। रास्ता एक ही बचता है पलायन। जल्दी ही यहां से सभी हिन्दू सुरक्षित जगह के लिए पलायन कर जाएंगे।''
कैराना से पलायन कर शामली में रहने वाले अरविन्द सिंघल कहते हैं, ''कैराना में हिन्दू, खासकर व्यापारियों को निशाने पर रखा गया है। ऐसा लगता है कि कैराना के कुछ लोग व्यापारियों को वहां से भगाकर खुद व्यापार करना चाहते हैं।'' कैराना के गुंडों और वहां के दबंगों की मंशा चाहे जो भी हो, लेकिन यह बात सच है कि अब कैराना हिन्दुओं के लिए रहने लायक नहीं रह गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रपट भी कमोबेश यही बात कहती है। 

-अरुण कुमार सिंह 

 

मानवाधिकार आयोग ने अपनी रपट में मेरी बात की पुष्टि की है। जो लोग एक संवैधानिक संस्था की रपट पर अंगुली उठा रहे हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। जिन अधिकारियों ने कैराना पर झूठी रपट देकर देश को गुमराह किया था, उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी  चाहिए।                                 
-हुकुम सिंह, सांसद, कैराना

कैराना में गुंडागर्दी चरम पर है। गुंडों को नेताओं की शह मिली हुई है। वोट बैंक की राजनीति कैराना के हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर कर रही है। मानवाधिकार आयोग की रपट को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
-अभय मित्तल, कैराना के विस्थापित व्यापारी

चिलकाना और गंगोह की स्थिति कैराना से भी बदतर हो गई है। हिन्दू अपनी जन्मभूमि छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
-पीतम सिंह, वकील, सहारनपुर

जो लोग कैराना को 'स्वर्ग' बता रहे हैं, उन लोगों को दो-चार दिन वहां जाकर परिवार के साथ रहना चाहिए। उन्हें पता चल जाएगा  कि  कैराना के हिन्दू किन मुश्किलों में रह   रहे हैं।                                                                  
    —अरविन्द सैनी, कैराना से विस्थापित

कैराना में हिन्दू, खासकर व्यापारियों को निशाने पर रखा गया है। ऐसा लगता है कि कैराना के कुछ लोग व्यापारियों को वहां से भगाकर खुद व्यापार करना चाहते हैं।
-अरविन्द सिंघल, कैराना के व्यापारी

प्रदेश सरकार को हिन्दुओं की तनिक भी फ्रिक नहीं है। ऐसा लगता है कि हिन्दुओं के पलायन में ही कुछ लोगों की राजनीति चमकती है।
-डॉ. कुलदीप
 अध्यक्ष, चिलकाना व्यापार मंडल 

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