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बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर प्रखर राष्ट्रवादी थे और जीवनभर राष्ट्रभाव से भरे रहे। भारत के संविधान को लिखते हुए भी उनकी यही राष्ट्रवादी सोच रही। गत दिनों हरियाणा के रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में डॉ. आंबेडकर शोधपीठ के तत्वावधान में आयोजित आईएचटीएम सभागार में 'राष्ट्रवाद के संदर्भ में डॉ. आंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता' व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने अपने उद्बोधन में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में डॉ. आंबेडकर की सोच और विचारधारा प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का जन एक है, ऐसी विचारधारा डॉ. साहेब की थी। वे एक जुझारू नेता, लेखक, प्रखर अर्थशास्त्री, संपादक, शिक्षक, समाज सुधारक, संविधान लेखक के तौर पर जाने गए, जिनका सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा। बाबा साहेब का सारा जीवन संघर्षमय और उन्होंने संपूर्ण जीवन राष्ट्र को जोड़ने का कार्य किया। मदवि के कुलपति प्रो. बिजेंद्र कुमार पूनिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि बाबा साहेब की सोच और कार्य राष्ट्र से ओतप्रोत थे। उन्होंने विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित बाबा मस्तनाथ विवि. के कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने कहा कि बाबा साहेब एक सोच थे, जिन्होंने राष्ट्रनिर्माण में विशेष योगदान दिया और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में विशेष प्रयास कर डूबते समाज को बचाने के लिए संघर्ष किया।
डॉ. आंबेडकर शोध पीठ के अध्यक्ष तथा इतिहास विभाग के प्रो.डॉ. विजय कायत ने स्वागत भाषण दिया और व्याख्यान कार्यक्रम की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की सोच एवं विचारधारा आज भी प्रासंगिक है। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से राष्ट्र और समाज का उत्थान होगा। प्रतिनिधि
''राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया बाबा साहेब ने''
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर प्रखर राष्ट्रवादी थे और जीवनभर राष्ट्रभाव से भरे रहे। भारत के संविधान को लिखते हुए भी उनकी यही राष्ट्रवादी सोच रही। गत दिनों हरियाणा के रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में डॉ. आंबेडकर शोधपीठ के तत्वावधान में आयोजित आईएचटीएम सभागार में 'राष्ट्रवाद के संदर्भ में डॉ. आंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता' व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने अपने उद्बोधन में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में डॉ. आंबेडकर की सोच और विचारधारा प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का जन एक है, ऐसी विचारधारा डॉ. साहेब की थी। वे एक जुझारू नेता, लेखक, प्रखर अर्थशास्त्री, संपादक, शिक्षक, समाज सुधारक, संविधान लेखक के तौर पर जाने गए, जिनका सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा। बाबा साहेब का सारा जीवन संघर्षमय और उन्होंने संपूर्ण जीवन राष्ट्र को जोड़ने का कार्य किया। मदवि के कुलपति प्रो. बिजेंद्र कुमार पूनिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि बाबा साहेब की सोच और कार्य राष्ट्र से ओतप्रोत थे। उन्होंने विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित बाबा मस्तनाथ विवि. के कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने कहा कि बाबा साहेब एक सोच थे, जिन्होंने राष्ट्रनिर्माण में विशेष योगदान दिया और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में विशेष प्रयास कर डूबते समाज को बचाने के लिए संघर्ष किया।
डॉ. आंबेडकर शोध पीठ के अध्यक्ष तथा इतिहास विभाग के प्रो.डॉ. विजय कायत ने स्वागत भाषण दिया और व्याख्यान कार्यक्रम की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की सोच एवं विचारधारा आज भी प्रासंगिक है। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से राष्ट्र और समाज का उत्थान होगा। प्रतिनिधि
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