मुद्दा/इस्लामी कायदा'पर्सनल' नहीं, लीगी लॉ बोर्ड
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

मुद्दा/इस्लामी कायदा'पर्सनल' नहीं, लीगी लॉ बोर्ड

by
Sep 12, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 12 Sep 2016 14:20:07

41 सदस्यीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करोड़ों लोगों के संवैधानिक अधिकारों को मध्ययुगीन सोच की डोर से जकड़ कर रखना चाहता है। यह बोर्ड अभी भी भारत में मुस्लिम लीगी सोच को ही आगे बढ़ाने का काम कर रहा है

ल्ल डॉ. गुलरेज शेख

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जिसे आप एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी कह सकते हैं। इसे केंद्र सरकार ने आज तक किसी आयोग या शासकीय बोर्ड से भी अधिक महत्व दिया है। शायद यही वजह है कि यह बोर्ड आज इस स्थिति में है कि सवार्ेच्च न्यायालय को भी अपने से दूर रहने की बात करता है। विडंबना यह है कि यह अफगानिस्तान की नहीं, अपितु विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की कहानी है, जहां 41 सदस्यों वाला यह एनजीओ लोगों के संवैधानिक अधिकारों को पुरुषप्रधानता की मध्ययुगीन व्यवस्था की जंजीरों में जकड़े रखने हेतु प्रतिबद्ध है। यह वही संस्था है जो वोट बैंक का रसीला पान चुसाकर एक प्रधानमंत्री से 62 वर्षीया बुजुर्ग मुसलमान महिला के मौलिक अधिकारों का हनन करा सकती है, 28 वर्षीया इमराना तथा पांच मासूमों को उसके ससुर द्वारा किए बलात्कार की सजा देने में सक्षम है, आतंकियों पर होने वाली कार्रवाई को मुस्लिम युवा विरोधी चश्मे से देखती है, जो यह मानती हो कि तलाक की कुप्रथा पर लगने वाला विराम मुस्लिम पुरुषों से अपनी पत्नियों की हत्या करा देगा।

यह वह एनजीओ है, जो संविधान की धारा 14 के पालन के मार्ग में अवरोधक का कार्य करता है। क्या ऐसे एनजीओ को लोकतंत्र में इतना महत्व प्राप्त होना लोकतांत्रिक मूल्यों का उपहास नहीं? उन महिलाओं तथा उनके बच्चों का क्या, जिन्हें ऐसी संस्थाएं पुरुषों के पैर की जूती मानती हैं? क्या ऐसी रूढि़वादी, मध्यकालीन-कट्टरवादी, पंथ-पिपासु संस्था का होना भारत के सामाजिक, राजनीतिक एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य हेतु

स्वीकार्य है?

वास्तव में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी संस्थाएं जितनी मुस्लिम समाज हेतु हानिकारक हैं, उससे भी अधिक हानिकारक राष्ट्र हेतु हैं। ये उसी पृथकतावादी बीज के पौधे हैं जो 'टू-नेशन थ्योरी' का जनक है तथा जो भारतीय मुसलमानों में स्वयं को देश के अन्य वासियों से पृथक होने के भाव को जागृत करने का कार्य करती है।

संविधान के जिस सिद्धांत 'आस्था की स्वतंत्रता' की मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बात करता है, वह वास्तव में व्यक्ति-विशेष हेतु है, न कि संस्था-विशेष हेतु या समुदाय-     विशेष हेतु।

यदि बोर्ड के पाखंडी चरित्र पर प्रकाश डाला जाए तो सवार्ेच्च न्यायालय के समक्ष रखी अपनी नवीनतम दलील में बोर्ड ने संविधान की धारा 14 (न्याय के समक्ष समानता 'समता') को हवा में उड़ाने का कार्य किया है। यह न केवल मुस्लिम महिलाओं का, अपितु संविधान तथा संविधान सभा की भावनाओं का भी अपमान है। पर कोई बड़ी बात नहीं कि बोर्ड पूर्व की भांति आज भी वोट बैंकरों की हिमायती जमात ढूंढ़ ले।

वास्तव में डॉ. आंबेडकर तथा संविधान सभा की अधिकांश ध्वनियां आरंभ से ही विधि में समता की समर्थक थीं, परन्तु नेहरू यदि उस समय समर्थन दे देते तो आज भारत का मुसलमान मुख्यधारा के संग होता।

यहां यह उल्लेखनीय है कि पृथक नागरिक संहिता तथा कश्मीर की धारा 370 दोनों नाजायज भाई हैं तथा दोनों के सामाजिक, राजनीतिक तथा राष्ट्रीय प्रभाव एकदम               समान हैं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है, 'वो (पत्नी) घर में उनका कत्ल कर दें, इससे अच्छा है कि उन्हें तलाक दे दिया जाए।', 'पुरुष ज्यादा समझदार होते हैं, उनका अपनी भावनाओं पर बेहतर कंट्रोल होता है, वो आनन-फानन में फैसले नहीं लेते, इसलिए तीन तलाक का न्यायसंगत इस्तेमाल कर सकते हैं।', 'किसी से अवैध संबंध रखने से बेहतर है कि पुरुष को घर में दूसरी वैध पत्नी रखने की इजाजत हो।' … इन टिप्पणियों पर बोर्ड को मुस्लिम महिलाओं से क्षमा याचना करनी चाहिए और जहां तक भारत की बात है, देशहित में इस प्रकार की समाजबांटू संस्थाओं को समाप्त कर उसे इतिहास के पृष्ठों में सीमित करना बहुत जरूरी है।

(लेखक इस्लामी मामलों के अध्येता और टिप्पणीकार हैं)

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies