सही मायने में क्या हम स्वतंत्र हुए?
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सही मायने में क्या हम स्वतंत्र हुए?

by
Sep 5, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 05 Sep 2016 11:36:51

14 अगस्त, 2016  

आवरण कथा 'स्वतंत्रता बनाम स्वच्छंदता' आजादी की 70वीं वर्षगांठ पर शिक्षा, उद्योग, साहित्य, कला, न्याय आदि विषयों पर बड़े ही सारगर्भित लेखों से पाठकों को रू-ब-रू कराती है। यह बात सही है कि हमने इतने वर्षों में जहां बहुत कुछ खोया है। वहीं बहुत कुछ पाया भी है। लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस स्वतंत्रता का भरपूर फायदा उठाया और अपने कर्तव्यों को भूल गए। इसका खामियाजा आज सभी को भुगतना पड़ रहा है। कुछ लोग स्वतंत्र होने के बाद भी अंग्रेजों की गुलामी में लगे हुए हैं। उनके मनों में अंग्रेजियत ही भरी है। क्या उन्हें यह कार्य शोभा देता है?
—अनूप वर्मा, पंचकुला (हरियाणा)

    आजादी के बाद सभी को आशा थी कि भारत की शिक्षा भारतीय भाषाओं में होगी। साथ ही शिक्षा में भारतीयता का समावेश होगा। लेकिन हुआ इसका उलटा। शिक्षा क्षेत्र में भारत के उत्कृष्ट इतिहास को पढ़ाने के बजाए भारत के विकृत इतिहास को पढ़ाया गया और आज भी यह कार्य जारी है। देश के महापुरुषों को चार पंक्तियों में समेट कर बाबर, औरंगजेब और अकबर का महिमा मंडन करके भारत के लोगों का 'ब्रेनवाश' किया गया। असल में स्वतंत्रता के बाद  कांग्रेसियों और वामपंथियों ने बड़ी ही कूूटनीति से इस कार्य को किया और सफल भी हुए। आज उसका दुष्परिणाम  समाज मंे दिखाई दे रहा है। हमें स्वतंत्रता इसलिए मिली थी कि हम इसका सही उपयोग करें और इसकी सही परिभाषा को देश और समाज के सामने रखें। पर ऐसा हुआ नहीं।
—नमिता वार्ष्णेय, भोपाल(म.प्र.)

ङ्म    स्वतंत्रता के बाद अनेक सरकारें आईं और गईं। कुछ अच्छी कहीं जा सकती हैं और कुछ खराब। असल में राजनैतिक दलों का एक बहुत बड़ा दायित्व होता है कि जो स्वतंत्रता इतनी कड़ी मेहनत से मिली हो, उसे बनाए रखने की खातिर वे एक उत्कृष्ट भारत का निर्माण करेंगी न कि देश को नुकसान पहुंचाएंगे। लेकिन भ्रष्टाचार के दलदल में डूबी कांग्रेस ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और जो मन में आया, वह किया। इससे देश को बहुत ही नुकसान हुआ।
—कृष्ण बोहरा, सिरसा (हरियाणा)

   हमें स्वाधीन हुए 70 वर्ष हो गए लेकिन अगर सही अर्थों में विचार करें तो क्या हम स्वाधीन हैं? हमारी सोच गुलामी का पीछा छोड़ पाई है? हम अंग्रेजी का प्रभुत्व समाप्त कर राष्ट्रभाषा हिंदी को उसका उचित स्थान दिला पाए हैं? बड़ा दुख होता है कि जिन क्षेत्रों में स्वतंत्रता के बाद बदलाव दिखाई देना चाहिए, वहां कुछ नहीं हुआ। उलटे अंग्रेजी मानसिकता और पश्चिम की मानसिकता को पालने-पोसने का काम किया गया। जिन्हें देश के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए था, वे ही इस इस स्वतंत्रता का उल्लंघन करने पर आमादा दिखाई दिये। ऐसे में सामान्य जनता को कहां से प्रेरणा मिले। असल में देश के एक वर्ग ने स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और मनमानी की।
—प्रभाकर कृष्णराव चिकटे, झांसी(उ.प्र.)

   आजादी के बाद वोट बैंक की राजनीति ने समाज में अराजकता बढ़ाने का ही काम किया है। वहीं एक वर्ग ऐसा भी सामने आया जिसने देश को तोड़ने के भरसक प्रयास किये और आज भी उनके द्वारा यह प्रयास जारी हैं। लाल सलाम और प्रगतिवाद के नाम पर देश की मान-मर्यादा और स्वच्छंदता का बेजा इस्तेमाल किया गया। असल में स्वतंत्रता के बाद जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चीजों के व्यवस्थित सुधार की आवश्यकता थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और तभी चहुं ओर अराजकता
छाई हुई है।
—रितुराज खंडेलवाल, जुहू, मुंबई(महा.)

ङ्म    भारत को आजादी दिलाने के लिए असंख्य लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। पता नहीं, कितने लोगों ने इस समाज के दुख को देखकर खुद के जीवन की परवाह किये बिना फांसी के फंदे को चूमा। तब कहीं जाकर यह देश आजाद हुआ। पर 70 वर्ष बाद भी देश में भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार, वोट बैंक की राजनीति ने इस देश को जड़ से खोखला करने का काम किया। क्या देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीर सेनानियों ने हमें इस दिन के लिए ही स्वतंत्रता दिलाई? हम सभी को स्वतंत्रता के सही अर्थों को समझना होगा। क्योंकि आज हम जिस समाज में देख रहे हैं वह, इस अर्थ के विपरीत है।
—डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)

 

    प्रस्तुत अंक के माध्यम पाञ्चजन्य ने  युवा पीढ़ी को उसके अतीत का भान कराया है। क्योंकि इसे अपने अतीत और इतिहास के बारे में न के बराबर पता है। आजादी के लिए हमारे देश के लोगों ने क्या-क्या पीड़ा सही, इसका उन्हें रत्तीभर भी अंदाजा नहीं है। उन्हें बस यही लगता है कि आजादी ऐसे ही मिल गई। आज उन्हें इसकी जानकारी देना समय की जरूरत है।       उन्हें बताना होगा कि हमारे देश के लोगों ने इस स्वतंत्रता की बड़ी कीमत चुकाई है और यह लाखों जानें खोने के बाद            प्राप्त हुई है।
—राम कृपाल सिंह, नैनी, इलाहाबाद (उ.प्र.)

     सच तो यह है कि आजादी के बाद भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी हुई। तभी आज ईमानदार को तुच्छ नजर और भ्रष्टाचारी को बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है। कभी-कभी तो लगता है कि ऐसी स्वतंत्रता से हमें क्या फायदा हुआ? क्या इसी दिन के लिए हमारे वीर सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी ? आज स्वतंत्रता की आड़ में जिसको जो मन आता है, बोलकर चल देता है। वह इसे ही स्वतंत्रता समझता है। असल में ऐसे लोगों ने स्वतंत्रता के साथ स्वच्छंदता का भी भरपूर दुरुपयोग किया और आज भी कर रहे हैं।
यह बात भी सत्य है कि हमारी विधानसभा एवं लोकसभा में सैकड़ों की संख्या में
ऐसे जनप्रतिनिधि मौजूद हैं जिन पर आपराधिक मुकदमे हैं। विचारणीय है
कि ये देश का क्या भला करेंगे? इन अव्यवस्थाओं से हम सब को मिलकर निपटना होगा।
—जगन्नाथ श्रीवास्तव, देवरिया (उ.प्र.)

वह भी एक दौर था
रिपोर्ट 'ये आकशवाणी है(7 अगस्त, 2016)' रपट अच्छी लगी। यह तथ्य निर्विवाद है कि आकाशवाणी ने अपने कार्यक्रमों से देश को भावनात्मक एकता प्रदान की। इन कार्यक्रमों में मर्यादा और देश की संस्कृति के प्रति झुकाव रहता था। उस दौर के प्रत्येक कार्यक्रम की अपनी अलग ही छाप थी जो आज भी भुलाए नहीं भूलती। सुनने के लिए ललक और घंटों एक-एक कार्यक्रमों को सुनते ही रहना, शायद आज के दौर में संभव भी नहीं है। कुछ प्रस्तोताआंे की प्रस्तुति और उनकी आवाज की गूंज आज भी कानों में याद
बनकर खनकती रहती है।
—मनोहर मंजुल, मेल से

बढ़ता कट्टरपंथ
रपट ' सत्य नकारते सेकुलर (14 अगस्त, 2016)' उन लोगों की पोल खोलती है जो इस्लाम को शंाति का मजहब कहकर समाज को बरगलाते हैं। जबकि सचाई आज देश ही नहीं बल्कि विश्व के सामने है। इस्लामी आतंकियों से पूरा विश्व त्रस्त है। आए दिन उनके द्वारा खून-खराबा किया जाता है। देश में विभिन्न स्थानों से उनके द्वारा किये जाने वाले उत्पात के समाचार आते ही रहते हैं। चाहे प.बंगाल हो या फिर केरल या उत्तर प्रदेश, सभी जगह पर मुस्लिम कट्टरपंथी हिन्दुओं का उत्पीड़न करने पर आमादा हैं और मौका मिलते ही खून-खराबा करने से नहीं चूकते। हर
जगह इनके द्वारा हिन्दू समाज को आतंकित किया जा रहा है। लेकिन जो लोग बात-बात पर आसमान सिर पर उठा लेते हैं, उन्हें हिन्दुओं का दुख-दर्द क्यों नहीं दिखाई देता?
इन कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने में उनका मुंह क्यों सिल जाता है?
—अनीता गौतम, पनकी,कानपुर (उ.प्र.)

ङ्म    हिन्दुओं में ही एक वर्ग ऐसा है जो कुछ लालच और अपने स्वार्थों के चलते कट्टरपंथी मुसलमानों की वकालत करता है और उन्हें शंतिदूत बताते नहीं थकता। असल में ऐसे कुछ मूर्ख लोगों के कारण ही समस्या होती है। इन हिमायती लोगों को दिखाई नहीं देता कि अपने वोट बैंक की खातिर सभी नेता कैसे उन जिहादियों का साथ देने के लिए लगे हुए हैं। जबकि वे भी सचाई से अवगत हैं। कश्मीर, केरल, उत्तर प्रदेश और बंगाल में इनके द्वारा किए जा रहे दंगे-फसाद इस बात का प्रमाण हैं। मानवता को तार-तार कर ये खून के प्यासे उन्मादी देश में अशंाति फैलाना चाहते हैं।
—दलजीत कौर, चंडीगढ़ (हरियाणा)

    दरअसल पााकिस्तान जान-बूझकर कश्मीर में अलगाव की आग को भड़का रहा है। वहीं देश के विभिन्न हिस्सों में संचालित मदरसे, कट्टर मुस्लिम मुल्ला-मौलवी देश को आघात पहुंचाने में सक्रिय हैं। देश के अंदर इनका बड़ा गिरोह है जो लगातार इस काम में लगा हुआ है और भारत को नुकसान पहुंचा रहा है।  केरल जैसा पढ़ा-लिखा राज्य तक आतंकवादियों के चंगुल में फंस चुका है।
—हरीश चन्द्र धानुक, लखनऊ (उ.प्र.)

स्वतंत्रता की राह के कांटे
देश को आजादी मिले 70 बरस हो गए। लेकिन हम सही मायने में सोचें तो क्या हमें आजादी मिली? और जो आजादी हमें मिली, उस आजादी का हमने सदुपयोग किया या दुरुपयोग? आवरण कथा 'स्वतंत्रता बनाम स्वच्छंदता (14 अगस्त,  2016)' पर केंद्रित लेखों में बड़े ही सटीक ढंग से विभिन्न विषयों का विश्लेषण किया गया है। स्वतंत्रता से पहले सभी का एक ही लक्ष्य था कि किसी तरह आजादी मिल जाए। इसके लिए हमारे देश के लाखों लोगों को कितना ही संघर्ष करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी अपने दायित्व से मुंह नहीं मोड़ा। तब जाकर देश को स्वतंत्रता मिली। लेकिन आजादी के बाद उनका वर्चस्व कायम हुआ जिनकी न जडें अपनी थीं और न ही सोच। इसे विडंबना कहे हैं या कुचक्र कि स्वतंत्रता के बाद लोगों को यही आशा थी कि भारत के अनुरूप सब कुछ होगा। शिक्षा, कला, साहित्य, कानून, रंगमंच, राजनीति में भारत की माटी की गंध महकेगी। पर शायद ऐसा नहीं हुआ। देश की सत्ता की डोर ऐसे हाथों में रही जिन्होंने भारत के इतिहास, संस्कृति, मूल्य, सभ्यता, परंपरा, खान-पान, रहन-सहन आदि का ताना-बाना तोड़कर रख दिया। हर उस क्षेत्र की अनेदखी की जहां से भारत-भारतीयता की बात हुई। साथ ही ऐसे लोगों को आगे बढ़ाया गया जो देश के खिलाफ थे, समाज को तोड़ रहे थे, भारत और भारतीयता को ठेस पहुंचा रहे थे। आज इसका परिणाम दिखाई दे रहा है। वामपंथी स्वतंत्रता की आड़ लेकर आए दिन समाज में खाईं खोदने का काम कर रहे हैं। इससे न केवल द्वेष की भावना पनप रही है बल्कि राष्ट्र को नुकसान हो रहा है।
—डॉ. निमिषा मुकुंद वैष्णव, ई-17, गांधी नगर, जयपुर (राज.)

शत्रु बैठा है सिर पर

पनडुब्बी की हो गयीं, सारी बातें लीक
नहीं सुरक्षा के लिए, यह दुर्घटना ठीक।
यह दुर्घटना ठीक, शत्रु बैठा है सिर पर
राज हमारे ऐसे में खुल जाएं उस पर।
कह 'प्रशांत' हल्के में जरा न इसको लीजे
इसका दोषी कौन, देश को उत्तर दीजे॥   
—प्रशांत

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies