आस्था और विश्वास का उत्सव
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आस्था और विश्वास का उत्सव

by
Aug 29, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 29 Aug 2016 11:31:18

7 अगस्त,2016  
आवरण कथा 'श्रद्धा का सैलाब' से स्पष्ट है कि प्रत्येक वर्ष चारों ओर कांवडि़यों के हुजूम व हर-हर महादेव और बम बम भोले की जय-जयकार से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। कावंडि़ये सैकड़ों मील की पैदल यात्रा करके भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं। यह सब श्रद्धा, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। सावन माह में पूरा हिन्दुस्थान भक्तिमय  हो जाता है। इस दौरान विविधता में एकता के साक्षात् दर्शन होते हैं।
—बालकृष्ण शास्त्री,हापुड़ (उ.प्र.)

ङ्म    इस बार तिरंगा ध्वज कांवड़ यात्रा में विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा। चाहे कोई भी डाक कांवड़ हो या फिर पैदल चलने वाली टोलियां, तिरंगा बड़ी सभी के हाथों ही शान के साथ फहरा रहा था। आध्यात्मिकता के साथ देशभक्ति में सराबोर युवाओं का हुजूम देखते ही बनता था। इस दृश्य को जो भी देखता था, उत्साह से भर उठता था। धीरे-धीरे इस उत्सव के प्रति बढ़ता लोगों का आकर्षण आस्था के बढ़ने और अपनी संस्कृति के निकट आने का संदेश है।
—अश्विनी जागड़, महम (हरियाणा)
यादें हुईं ताजा
रपट 'ये आकशवाणी है'अच्छी लगी। ऐसा महसूस हुआ, जैसे आकाशवाणी के 80 वर्ष का सफर आंखों के सामने से सरसराते हुए गुजर रहा हो। एक बार फिर उन पुराने दिनों की याद में खो गई, जब रेडियो ही हमारे मनोरंजन का एकमात्र सहारा होता था। यह हमें देश-दुनिया से हर क्षण जोड़े रखता था। उस समय के प्रस्तोताओं की आवाज हमें सारे कामों से रोक देती थी। उसके लिए हम खस तौर से समय निकालते थे और विधिवत सुनते थे। आज भी उसकी याद ह्दय में बनी हुई है।
—अनन्या कृष्णवंती, पीतमपुरा (उ.प्र.)

ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ते कदम
रपट 'ताकत कल की' देश की बढ़ती ऊर्जा की मंाग की आत्मनिर्भरता के सच को बयां करती है। जिस तरह से कुछ ही दिनों में भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है, उससे देश की ऊर्जा क्षमता तो बढ़ी ही है साथ ही इस क्षेत्र में अनेक संभावनाएं भी पैदा हुई हैं। हम आज देश के वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इससे उजाला ही नहीं हो रहा बल्कि लोग रोजगार भी पा रहे हैं। लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आने वाले दिनों में यही ऊर्जा काम आऐगी।
          —मनोज कुमार त्रिपाठी, अमेठी (उ.प्र.)

ङ्म    केन्द्र सरकार वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी ही तेजी के साथ काम कर रही है। पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा एवं अन्य ऊर्जा स्रोतों पर आए दिन नए-नए शोध हो रहे हैं। यहां तक कि अपशिष्ट पदार्थों से भी कई स्थानों पर बिजली बनाई जा रही है।
—विनीता खंडेलवाल, बोरिवली(महा.)
जीवन का आधार
भारत में योग का प्राचीन समय से ही अहम स्थान रहा है। पतंजलि योग दर्शन में कहा गया है कि- योगश्चित्तवृत्त निरोध: अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। योग जहां प्रत्येक मनुष्य को रोगमुक्त करता है, वहीं यह हरेक मनुष्य को समरसता की ओर ले जाता है। योग मनुष्य की समता और ममता को मजबूती प्रदान करता है। यह एक प्रकार का शारारिक व्यायाम ही नहीं है बल्कि जीवात्मा का परमात्मा से पूर्णतया मिलन है। योग शरीर को स्वस्थ रखता है ही, इसके साथ-साथ मन और दिमाग को भी एकाग्र रखने में योगदान देता है।
 —ब्रह्मानंद राजपूत, आगरा(उ.प्र.)

ङ्म    योग दिवस में 'सूर्य नमस्कार' व 'ओम' उच्चारण की वजह से भारत में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे धर्म के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। लेकिन भारत सरकार ने 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस'' के दौरान विवाद से बचने के लिए 'सूर्य नमस्कार' व 'ओम' जप की अनिवार्यता को आधिकारिक योग कार्यक्रम से हटा दिया और मुसलमानों से इस आयोजन में भाग लेने की अपील की। असल में कहा जाए तो 'ओम'  शब्द योग के साथ जुड़ा हुआ है। योग को किसी एक मत-पंथ या मजहब से जोड़कर विवाद पैदा करना कहां से ठीक है? यह पूरी तरह से दुर्भावना है, और कुछ नहीं।
—रमेश कुमार, देहरादून (उत्तराखंड)
हिन्दू उत्पीड़न कब तक?
रपट 'अलीगढ़ भी चला कैराना की राह' मुस्लिम उन्मादियों के खौफ की दास्तान को बयां करती है। प्रदेश के कई स्थानों से आज कैराना जैसे पलायन की खबरें आ रही हैं। पर इन खबरों को समाजवादी पार्टी एवं अन्य सेकुलर दल बराबर झुठलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। जो पलायन कर रहे पीडि़तों की आवाज को उठाता है, उसे साम्प्रदायिक कहा जाता है। सपा मुसलमानों के वोट पाने के लिए हिन्दुओं पर जितना अत्याचार हो सकता है, कर रही है। लेकिन अब उसके पाप का घड़ा भर चुका है और जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव में उसे हिन्दुओं के साथ किये अत्याचारों का परिणाम मिलेगा।
—रचना दुबलिश, मेरठ (उ.प्र.)
इन पर हो सख्ती
रपट 'घाटी और सच से मंुह मोड़ता मीडिया' में पहलगांव के विधान परिषद सदस्य सोफी यूसुफ ने कश्मीर की पूरी स्थिति  को अच्छी तरह से पाठकों के समक्ष रखा है। उन्होंने ठीक ही कहा कि घाटी में पत्थरबाजी दुकानदारी बन चुकी है। कुछ मुल्ला-मौलवी और अलगाववादी नेता इसकी आड़ में अपनी दुकानदारी चलाते हैं और नेतागीरी करते हैं। इनका एक ही काम रह गया है कि यहां के नवयुवकों के मन में भारत और सेना के खिलाफ जहर भरो। क्योंकि इनकी आड़ में ही अपने मंसूबे पूरा कर पाते हैं। यहां तक कि जुमे की नमाज जिसमें अल्लाह की इबादत की जाती है और शांति की दुआ की जाती है, उसमें भी ये लोग कुरान की गलत ढंग से व्याख्या करके कश्मीरियों को भड़काते हैं। ऐसा एक दो मस्जिदों में नहीं बल्कि घाटी की अधिकतर मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद देखा जा सकता है। देश के ऐसे गद्दारों के
लिए पायलट गन का इस्तेमाल ही पूरी तरह जायज है, क्योंकि बिना भय के ये सुधरने वाले नहीं हैं।
—गगन बरुआ, गुवाहाटी (असम)

ङ्म    पिछले 6 दशक से ज्यादा समय से हम कश्मीर समस्या से जूझ रहे हैं और इसको सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन 1947-48 में तत्कालीन सरकार द्वारा की गई गलती को अब तक नहीं सुधार पाए। इसका प्रमुख कारण यह है कि हम सदा इस समस्या से बचने का प्रयास करते रहे और रक्षात्मक अवस्था में रहे। लेकिन आज जिस तरह के हालात समूचे कश्मीर में हैं, वह न  देश के लिए ठीक हैं और न ही जम्मू-कश्मीर के लिए। इसलिए केन्द्र सरकार को विश्व स्तर पर पाकिस्तान की घाटी में आतंकवादी हरकतों को उजागर करना होगा और उसके द्वारा कश्मीर में किए जा रहे अशांति प्रयासों का पर्दाफाश करना होगा।
—जगराज सिंह चौधरी, उदयपुर (राज.)

ङ्म    आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद मीडिया का जिस तरह का रुख  रहा, वह बेहद निंदनीय है। कुछ मीडिया संस्थानों को छोड़ दें तो अधिकतर सेकुलर मीडिया ने आतंकी और अलगाववादियों का समर्थन किया। उनके जुलूस को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया और ऐसा प्रदर्शित कराया जैसे आतंकी बुरहान शहीद हुआ हो। क्या देश के लोग मीडिया से यही उम्मीद करते हैं? मीडिया तो सच को लाता है लेकिन उसने झूठ को देश के सामने परोसा। हालांकि देश की जनता कश्मीरी मीडिया का सच जानती है, इसलिए वह इनके छलावे में नहीं आने वाली।
—राममोहन चंद्रवंशी, हरदा (म.प्र.)

ङ्म    कश्मीर में पनपे हालात के लिए पूरी तरह से पाकिस्तान और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई जिम्मेदार है। पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी घाटी में हरदम आतंक का माहौल बना रहे इसके लिए आतंकियों और अलगाववादियों की पूरी मदद करती है। लेकिन अब भारत को इससे सख्ती से निपटना होगा। भारत के जितने भी दुश्मन हैं वे, सभी पाकिस्तान में ही छिपे हैं। इसलिए भारत को आत्मविश्वास के साथ एवं विश्व के अन्य देशों को भरोसे में लेते हुए कूटनीतिक तरीके से पाक के घर में घुसकर आतंकियों का सफाया करना होगा।
—नंदलाल चौऋषि, खारघर, मंुबई(महा.)
ङ्म    मुसलमानों की मजहबी किताब कुरान की कई आयतें खुद मुसलमानों को पूरी स्पष्टता नहीं देतीं और अन्य मतावलंबियों को बुरी तरह उद्वेलित करती हैं। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर जोरदार बहस छिड़ी है और जिस बहस को पूरी दुनिया के अलग-अलग मंचों पर देखा जा सकता है। लोग आपस में पूछते हैं कि क्या कोई ईश्वर ऐसा कह सकता है जैसा इस किताब में कहा गया है? या असत्य बातों को अल्लाह का पैगाम बताकर मुल्ला-मौलवियों द्वारा लोगों को जबरदस्ती गुमराह किया जा रहा है! मुल्ला-मौलवियों की अधकचरी जहरीली बातें कच्ची और जड़ बुद्धिवाले मुसलमान युवकों को मानव बम बनने को प्रेरित करती हैं और देश-दुनिया में अशांति फैलाने के लिए ये हथियार उठाने में देर नहीं लगाते।
—जानकी लाल तोतला, भीलवाड़ा (राज.)

प्रतिकार का समय
हमारा इतिहास स्पष्ट करता है कि भारत भूमि कभी भी वीरों से विहीन नहीं रही। यहां एक से बढ़कर एक वीर हुए। लेकिन सैकड़ों ऐसे भी उदाहरण सामने आये हैं जब बड़े-बड़े वीरों के होते हुए भी एक गद्दार की वजह से हमें पराजय का सामना करना पड़ा। आज कश्मीर सहित देश के अन्य हिस्सों में भी कुछ मजहबी गुट भारत का अन्न खा रहे हैं लेकिन इसी से गददरी कर रहे हैं। रपट 'जिहादी आग से झुलसी दुनिया' इस्लामी आतंक से दुुनिया को रू-ब-रू कराने के लिए काफी है। कुछ समय से देश में कुछ अजीब हालात पनपे हैं। चाहे कश्मीर में एक आतंकी के मारे जाने के बाद घाटी में अलगाववादियों और आतंकियों द्वारा अशांति फैलाना हो, कैराना सहित विभिन्न स्थानों से हिन्दुओं का पलायन हो, मुस्लिमों द्वारा दंगा-फसाद करना हो, इन मामलों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसा लगता है कि मुस्लिमों द्वारा जान-बूझकर देश में ऐसे हालात बनाये जा रहे हैं। लेकिन जब कहीं किसी स्थान पर हिन्दू इन घटनाओं का प्रतिकार कर देता है तो सेकुलर गिरोह, एनजीओ गैंग, मुल्ला-मौलवी, वामपंथी साहित्यकार असहिष्णुता का रोना रोने लगते हैं। इससे एक बात स्पष्ट है कि मनुष्य की प्रवृत्ति को एकदम नहीं बदला जा सकता। हिन्दू परिवारों में बचपन से बच्चों को शिक्षा, संस्कार और सदाचार सिखाए जाते हैं। इसलिए वे सदैव ऐसे जुल्मों को भी सह लेते हैं और जवाब नहीं देते। लेकिन अब इन जुल्मों सहने का नहीं बल्कि जवाब देने का समय है। हिन्दू समाज को भयमुक्त रहना है तो तमाशबीन बनकर नहीं रहना होगा बल्कि हुंकार भरनी होगी। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो अपने ही देश में खून के आंसू रोने पड़ेंगे।
               —सुशील कुमार ध्यानी, 197 -प्रथम तल, सेक्टर-17,फरीदाबाद (हरियाणा) 

सही उठाया मुदृदा
पी़ ओ़ के के वास्ते, दिल में है सम्मान
हिंसा से पीडि़त बहुत, उधर बलूचिस्तान।
उधर बलूचिस्तान, नित्य हत्याएं जारी
गिलगित बाल्टिस्तान, सभी पर संकट भारी।
कह 'प्रशांत' ये सारा झंझट तभी मिटेगा
एक बार जब फिर से धूर्त पाक टूटेगा॥  
—प्रशांत

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