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समाजवादी पार्टी और अखिलेश-मुलायम लाख दावे कर लें पर राज्य में महिला उत्पीड़न की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। एक के बाद एक होती महिला उत्पीड़न की घटनाओं ने राज्य की कानून-व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है
अश्वनी मिश्र
पिछले साल से ऐसी छेड़खानी की घटनाएं चल रही हैं। लेकिन कुछ दिनों से मनचलों ने हद ही कर दी है। सीटी बजाते हैं, साइकिल गिरा देते हैं, पैदल जाओ तो मोटर साइकिल लगा देते हैं, मोबाइल पर गंदे-गंदे गाने बजाते हैं। हम लड़कियों से कहते हैं कि आओ, मेरे साथ चलो और यहां तक कि छींटाकशी से बिलकुल नहीं डरते। ऐसे माहौल में कोई कैसे स्कूल जायेगा।'' यह कहना है एक पीडि़त छात्रा रश्मि (परिवर्तित)का। रश्मि दुनका इंटर कॉलेज, बरेली की छात्रा है। लेकिन उसने कुछ दिनों से स्कूल जाना छोड़ रखा है। उसकी बहन भी इसी विद्यालय में पढ़ती है। उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में एक मां और बेटी के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को कुछ ज्यादा दिन नहीं हुए कि बरेली में उन्मादी किस्म के युवकों की हरकतों के चलते 50 लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया। जिले के शाही थाना क्षेत्र के धनेली और औरंगाबाद सहित अन्य गांवों की रहने वाली छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज जाते समय शोहदे मोटरसाइकिल आगे लगा देते हैं, छेड़खानी करते हैं, भद्दी फब्तियां और गलत-गलत इशारे करते हैं, जिसके कारण हम सभी ने स्कूल जाना बंद कर दिया है।
लगभग 1 वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान शुरू किया था। बेटियां आगे बढ़ें, और अच्छी तरह से पढ़ें इसके लिए सरकार ने यह योजना चलाई है। प्रधानमंत्री अपने भाषण में भी कहते हैं,''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ तभी तो भारत का भाग्य बदलेगा।'' पर बरेली में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उससे एक बात स्पष्ट है कि यहां बेटी पढ़ाना तो दूर की बात है पहले बेटी बचाना यहां की प्राथमिकता है।
पीडि़त छात्रा रश्मि के पिता अशोक कुमार कहते हैं,''दुनका इंटर कॉलेज में आस-पास की सैकड़ों लड़कियां पढ़ती हैं। छेड़छाड़ की घटनाएं पहले भी हुइंर्। हम अभिभावकों ने विद्यालय प्रबंधन से लेकर पुलिस तक में इसकी शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी कारण मनचलों के हौसले और बढ़ते गए। आज उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बेटियों के साथ होने वाली वीभत्स घटनाएं आम हो गई हैं। ऐसे में जब मुझे यह दिखाई दे रहा है कि लड़कियों के लिए माहौल ठीक नहीं है तो हम इन सयानी बेटियों को फिर कैसे स्कूल में भेज दें।'' एक और पीडि़त छात्रा की मां सुमन कहती हैं,''लड़कियां स्कूल जाती हैं, उनके लिए रास्ते में बहुत ही समस्या है। लफंगे किस्म के लड़के खुलेआम फब्तियां कसते हैं और छींटाकशी करने से भी नहीं चूकते। ऐसे माहौल को जानकर तो हम अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजेंगे।''
अशोक और सुमन की चिंता बिल्कुल सही है। कोई भी पिता या मां जान-बूझकर अपनी बेटी को इस प्रकार की स्थिति में स्कूल, क्या कहीं भी नहीं भेजेगी। जिन 50 लड़कियों ने स्कूल छोड़ा है उनमें 8वीं कक्षा में पढ़ने वाली रूपवती भी (बदला हुआ नाम) है। उसका सपना है कि वह खूब पढ़-लिखकर एक पुलिस अधिकारी बनेगी और समाज और देश की सेवा करेगी। पर इस संवाददाता के पूछे जाने पर कि क्या ऐसे माहौल में वह अपने सपने को पूरा कर पाएगी उसका कहना था,''जब ऐसे मनचले लड़के पढ़ने-लिखने नहीं देंगे तो हम कैसे कुछ आगे कर पाएंगे। हमारी पढ़ाई चौपट हो रही है।''
असल में उनके कॉजेल के आस-पास का क्षेत्र मुस्लिम बहुल है। यहां कई-कई किलोमीटर दूर तक मुस्लिम बस्तियां हैं। स्कूल के पास में ही शराब की दुकान है। इस सब के चलते यहां पर मुस्लिमों युवकों द्वारा गुंडागर्दी और मार-पीट हिन्दू लड़कियों के साथ छेड़खानी करना आम बात है। लेकिन कुछ दिनों से उन्मादी युवकों ने हिन्दू लड़कियों से छेड़खानी करने में हद ही कर दी तो छात्राओं ने विद्यालय जाना बंद कर दिया। कॉलेज में अधिकतर छात्राएं आस-पास के क्षेत्र की हैं। जब इन छात्राओं ने स्कूल जाना बंद किया तो मामला चर्चा में आया। परिजनों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। पहले तो पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की लेकिन जब अभिभावकों और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने दबाव डाला तो पुलिस की नींद खुली। कॉलेज के प्रधानाचार्य विनोद कुमार ने छात्राओं की शिकायत पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, थानाध्यक्ष और पुलिस क्षेत्राधिकारी को छात्राओं की सुरक्षा के लिए पत्र लिखा। पुलिस ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उसे दर्ज किया और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए दोनों आरोपी जाहिद और जफर नाबालिग हैं। बरेली के पुलिस उपमहानिरीक्षक आशुतोष इस मामले पर कहते हैं, ''विद्यालय की शिकायत आई है। लड़कियों ने अपनी शिकायत में कहा है कि कुछ लड़के विद्यालय जाने में परेशानी खड़ी करते हैं और छेड़ते हैं। पुलिस ने घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है और स्कूल के रास्ते में कुछ सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी है।'' लेकिन पुलिस उपमहानिरीक्षक के इस आश्वासन के बाद भी छात्राओं के परिवारवालों को भरोसा नहीं हो पा रहा। वे बेटियों की सुरक्षा के लिए उतने ही बेचैन हैं, जितना पहले थे। ग्राम प्रधान नौनेशी कुमारी इस पूरे मामले पर कहती हैं,''दुनका इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली मेरी दो बेटियों को भी अभी कुछ दिन पहले शोहदों ने रास्ते में जाते समय छेड़ा था। इस तरह के माहौल में हम कैसे मान लें कि हमारी बेटियां सुरक्षित हैं। जब तक पुलिस प्रशासन पूरी तरह से छात्राओं की सुरक्षा की इंतजाम नहीं करता है, तब तक हम बेटियों को स्कूल नहीं भेजेंगे।'' कॉलेज में पढ़ने वाली एक पीडि़त छात्रा अपना नाम न छापने की शर्त पर कहती है,''जो लड़के पकड़े गए हैं, इससे खतरा कम होने के बजाय और बढ़ गया है। छूटने के बाद ये लड़के खुन्नस निकालने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।'' वहीं एक पीडि़त छात्रा के भाई अनुराग कहते हैं,''कुछ लड़के खुलेआम धमकियां दे कर कह रहे हैं कि पुलिस तो हमारी खरीदी हुई है। उससे जो कहेंगे, वही करेगी।''
57% है प्रदेश में महिला साक्षरता दर
53 लाख महिलाएं ही हैं 10वीं पास
39 लाख महिलाओं ने ही की राज्य में12वीं पास
35 लाख महिलाएं ही हैं स्नातक या परास्नातक
22 हजार महिलाओं ने ही किया है तकनीकी डिप्लोमा
2014 में 38,467 महिलाओं के खिलाफ अपराध के
मामले आए सामने
105 अपराध हर रोज होते हैं महिलाओं के साथ
14 मिनट में एक बलात्कार होता है देश में
1 घंटे में एक महिला की जाती है देश में हत्या
असल में क्षेत्र के लोगों की चिंता जायज है। प्रत्यक्षदर्शियों और पीडि़त छात्राओं के परिवारवालो की मानें तो इस काम में तमाम मुस्लिम लड़के लिप्त हैं। पुलिस अगर दो आरोपियों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा रही है तो उनके पकड़ने से कुछ नहीं होने वाला। उनके जो साथी बाहर हैं वे घटना के बाद चुप बैठने वाले नहीं हैं और किसी न किसी दिन बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। हालांकि विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य ओंकार सिंह मामले कहते हैं,''कुछ संलिप्त लड़कों के नाम काटे हैं और भी मनचले लड़कों के परिवारों से शिकायत की है। अगर वे नहीं सुधरे तो उन पर भी कार्रवाई करेंगे।''गौरतलब है कि पूर्व के शेरगढ़ थाना क्षेत्र के अलावा जिले के करीब 5,000 की आबादी वाले कई गांवों-पहाड़पुर, पिपरिया, नूरमोहम्मद, गोंटिया,नयाजनगर गोटिया व रहमतनगर की अनेक लड़कियों ने शोहदों के आतंक की वजह से स्कूल जाना बंद कर दिया था। दरअसल यहां की लड़कियों को दुनका इंटर कालेज में पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है। इस कई किलोमीटर लंबे रास्ते में कुछ गांवों को जोड़ती धौरा नदी भी है जिसे पार करके लड़कियां जंगल और सूनसान रास्ते से होते हुए कॉलेज पहुंचती हैं। यह पूरा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है जिसके कारण खतरा बना ही रहता है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध ने राज्य की कानून-व्यवस्था की पहले से ही पोल खोल रखी है। अभी कुछ दिन पहले मानवता को शर्मसार करने वाली बुलंदशहर की घटना को लोग भूले भी नहीं थे कि बरेली में हुई इस तरह की घटना से समाज का प्रशासन से भरोसा ही उठने लगा है। ऊपर से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव इस घटना पर जब यह कहते हैं,''कहां से ऐसी खबरें ले आते हो, ऐसा कुछ भी नहीं है।'' तो समझा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी और उनके नेता महिला सुरक्षा को लेकर कितने चिंतित हैं।
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