गजब मेधा, अजब ऊर्जा
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गजब मेधा, अजब ऊर्जा

by
Aug 8, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 08 Aug 2016 15:57:37

किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति के अंदर जज्बा, हुनर और लगन का होना जरूरी है। इन सभी के लिए जरूरी है शिक्षा और शिक्षा के लिए जरूरी है योग्य शिक्षक। भारतीय शिक्षा पद्धति में सदैव शिक्षक का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। अच्छा गुरु वही होता है जो अपने शिष्य को इस तरह से गढ़े कि जब उसका सामना समाज से हो तो उसकी योग्यता पर किसी को रत्तीभर भी संदेह न हो बल्कि उसका प्रदर्शन कुछ इस तरह का हो कि उसे पढ़ाने वाले शिक्षक और उसके गुरूकुल की प्रसंशा किये बिना समाज रह न पाएं।
गुजरात स्थित अमदाबाद के आचार्य हेमचंद्र संस्कृत पाठशाला में पढ़ने वाला 12 वर्षीय तुषार तलावर ऐसा ही एक छात्र है, जिसकी प्रशंसा देश ही नहीं विदेशों में हो रही है। तुषार हाल ही में सुर्खियों में रहा। सुर्खी बनने का कारण था कि उसने इंडोनेशिया में आयोजित अंकगणित प्रतियोगिता में कंप्यूटर से भी तेज गति से गणना कर दुनियाभर के अंग्रेजी स्कूलों से आए 1,200 छात्रों को हराकर पहला स्थान पाया था। मूल रूप से चेन्नै का रहना वाला तुषार आठ वर्ष की आयु में गुरुकुल में आया था। यहां प तुषार को आचार्यों द्वारा वैदिक गणित पद्धति से अंकगणित के कठिन से कठिन सवालों को हल करना सिखाया गया। उसको यहां के प्रवीण आचार्यों ने कुछ इस तरह से ढाल दिया कि तुषार बड़ी से बड़ी गणना कुछ ही सेकेंड में अंगुलियों से कर देता है, जबकि इतनी बड़ी गणना करने के लिए कंप्यूटर और कैल्क्यूलेटर भी समय लेता है। तुषार इससे पहले भी अंचभित करने वाले काम कर चुका है। उसने अलोहा इंटरनेशनल संस्था द्वारा चेन्नै में आयोजित प्रतियोगिता में जोड़ व घटाने के 70 सवालों के उत्तर कंप्यूटर से भी तेज गति से महज 3 मिनट 10 सेकेंड में दे दिए थे। इसके बाद ही वह प्रतियोगिता के लिए इंडोनेशिया गया और दुनियाभर के स्कूलों से आए छात्रों को वैदिक गणित के ज्ञान की बदौलत हरा दिया।
तुषार तो महज एक उदाहरण है जो आज सबके सामने आया है जबकि आचार्य हेमचंद्र संस्कृत पाठशाला 'गुरुकुलम्' दर्जनों बच्चों को इसी तरह से गढ़ने में लगा हुआ है। गुरुकुल में कुल 150 आचार्य हैं, जो पूरी दक्षता के साथ बच्चों को पढ़ाने काम कर रहे हैं। यहां की शिक्षा पद्धति पूरी तरह से भारतीय शिक्षा पद्धति पर आधारित है। यहां पढ़ने वाले छात्रों से किसी भी तरह का कोई शुल्क गुरुकुल की ओर से नहीं लिया जाता है। बच्चों की सभी मूलभूत जरूरत गुरुकुल द्वारा ही पूरी की जाती हैं। यह सब होता है बिना किसी सरकारी मदद के। पाठशाला समाज के सहयोग और दान से संचालित होती है।
आचार्य हेमचंद्र संस्कृत पाठशाला में छात्रों की तुलना में आचार्य ज्यादा हैं। यहां छात्रों की संख्या महज 100 है। गुरुकुलम् के प्राचार्य डॉ. दीपक कोइराला बताते हैं,''तुषार जब यहां आया था तो एक सामान्य छात्र था, लेकिन गणित विषय में रुचि को देखते हुए हमारे आचार्यों ने उसे वैदिक गणित पद्धति के माध्यम से पढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे वह इस विषय में प्रवीण होता गया। आज परिणाम सबके सामने है। तुषार के साथ कैलक्यूलेटर लेकर गणना के लिए बैठे गणित के विद्धान भी उससे तेज गणना नहीं कर पाए। आज उसने दुनियाभर में गुरुकुल का नाम रोशन किया है साथ ही विदेशी विद्वानों को भारतीय शिक्षा पद्धति का लोहा मानने के लिए भी मजबूर किया है।'' वहीं तुषार कहते हैं,''उनका उद्देश्य विश्वभर में वैदिक गणित पद्धति को बढ़ावा देना है। वह वैदिक गणित के आचार्य के तौर पर अपना भविष्य देखते हैं, इसलिए वह वैदिक गणित का अध्ययन कर रहे हैं।''
गुरुकुल में तुषार के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता जीतकर आए, बहुत से ऐसे छात्र हैं, जिन्होंने अपने रुचि के विषयों में अनेक प्रतियोगिताएं जीती हैं। ऐसे ही एक छात्र हैं हेत मोरखिया। 12 वर्ष के हेत सात वर्ष की आयु में गुरुकुल आए थे। संगीत में रुचि रखने वाले हेत संतूर और तबला बजाते हैं। वह संतूर में संगीत की ऐसी-ऐसी स्वरलहरियां निकालते हैं कि जो भी सुनता है वह मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पाता। हेत कहते हैं,''मैं पांचवीं तक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ा। जब शुरुआत में गुरुकुल आया था तो मन नहीं लगता था। बस एक ही मन करता था कि कैसे भी करके यहां से घर वापस चला जाऊं। पर कुछ दिन बाद यहां मन लगने लगा। मैंने गुरुकुल में आने के बाद संस्कृत सीखी और संगीत सीखा। अब यहां से जाने का मन नहीं करता है। मैं संगीत के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहता हूं।''  मीत जय मोदी अभी 13 वर्ष के हैं और जब वह गुरुकुल आए थे उस समय उनकी उम्र महज छह वर्ष की थी। मीत की विशेषता      यह है कि उन्हें 3 हजार वर्ष का कलेंडर     मुंहजबानी याद है। अंगुलियों पर गणना करके वह हजारों वर्ष की तारीख व दिन ऐसे ही बात देता है। इसमें रत्तीभर भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती। जब वह गणना करता है तो उसकी गणना कंप्यूटर से भी तेज होती है। यह सब कुछ उसने इसी गुरुकुल से सीखा है। खासबात यह है कि मीत को 300 तक उल्टे और सीधे पहाड़े भी याद हैं। मीत अपने बारे में बताते हैं,'' मेरे पिताजी  चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। मेरा भी मन है कि मैं भी इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाऊं। इसके लिए मैं गुरुकुल में अध्ययन के साथ-साथ 10वीं की परीक्षा देने के बाद 12वीं पास करूं गा। इसके बाद एकाउंटेंसी के क्षेत्र में जाऊंगा। ''
गुरुकुल के 17 वर्षीय छात्र वत्सल के पिता हीरों का व्यापार करते हैं। अगर वह चाहे तो उनके पिता उन्हें दुनियाभर में कहीं भी उच्च शिक्षा के लिए भेज सकते हैं। पर वत्सल संस्कृत के आचार्य बनना चाहते हैं। वह छह साल पहले गुरुकुल आए थे और तो तभी से संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं। वत्सल व्याकरण में निपुण है। साथ ही 500 से ज्यादा संस्कृत के श्लोक उसे कंठस्थ हैं। अभी वह चाणक्य नीति शास्त्र का अध्ययन कर रहे हैं। वत्सल बताते हैं,''संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है। इसी भाषा के माध्यम से हमारे ऋषियों ने दुनिया को ज्ञान और विज्ञान के बारे में जानकारी दी। संस्कृत में आज शोध की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए मैं संस्कृत में ही अपना भविष्य बनाना चाहता हूं।''
कैसे हुई स्थापना
आचार्य हेमचंद्र संस्कृत पाठशाला की स्थापना सूरत के तीन गांवों के सरपंच रह चुके उत्तमभाई जवान मलशाह ने 2008 में की थी। वर्तमान में वह इस संस्था के कुलपति हैं। दो वर्ष पहले भारतीय शिक्षण मंडल ने 'गुरुकुलम्' के साथ मिलकर गुरुकुल शिक्षण पद्धति को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत जोधपुर, कोल्हापुर और बंगलुरू में गुरुकुल की स्थापना की गई है। गुरुकुल के प्राचार्य डॉ. कोइराला बताते हैं, '' हमारे हर गुरुकुल में गोमाता हैं। यहां रहने वाले छात्र और आचार्य सिर्फ गोमाता के दूध का ही सेवन करते हैं। गुरुकुल की दिनचर्या सुबह साढ़े चार बजे शुरू होती है और रात को साढ़े नौ बजे विश्राम होता है।'' वह दिनचर्या  के बारे में बताते हैं,''गुरुकुल में प्रात: साढ़े चार बजे जागरण होता है। नित्यकर्म से निवृत्त होकर सभी छात्र 5 से 7 बजे तक संस्कृत श्लोकों का अभ्यास करते हैं। इसके बाद आठ बजे तक योग होता है। बाद में स्नान आदि के लिए एक घंटे का समय दिया जाता है। 9 बजे अल्पाहार। 10 बजे से 12 बजे तक अध्ययन, फिर एक घंटा भोजन के लिए। इसके बाद एक घंटा विश्राम। ढाई से साढ़े चार बजे तक फिर से अध्ययन। इसके के बाद संगीत और खेल की कक्षाएं होती हैं। इसमें जिस छात्र की जो रुचि है वह अपनी इच्छानुसार उसका चुनाव कर सकता है। यहां सभी छात्रों को घुड़सवारी अनिवार्य रूप से सिखाई जाती है। इसके अलावा मलखंभ, कुश्ती व मार्शल आर्ट्स का भी प्रशिक्षण आचार्यों द्वारा दिया जाता है।'' डॉ. कोइराला कहते हैं,''गुरुकुलम् का उद्देश्य योग्य नागरिक तैयार करना हैं जिन्हें भारत और भारतीयता पर हमेशा गर्व हो। भारतीय ज्ञान पूरे विश्व में फैले और भारत विश्वगुरु पद पर प्रतिष्ठत हो यही हमारा संकल्प है।'' अहमदाबाद का यह गुरुकुल आज देश के लिए प्रेरणा रूप में है। यहां के प्रवीण छात्रों को देख कोई भी इनकी सराहना किये बिना नहीं रह सकता। भारत की माटी के ये पुत्र भारत को विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए तैयार हैं। कम उम्र में ही इन्होंने भारतीय शिक्षा पद्धति का जो लोहा मनवाया है वह किसी भी मायने में कम नहीं है।     -पाञ्चजन्य ब्यूरो

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies