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बहन जी' की राह चले 'भैया जी'

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Jul 11, 2016, 12:00 am IST
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दिंनाक: 11 Jul 2016 16:59:22

अखिलेश यादव ने चुनावी वर्ष आते ही अपने कई मंत्रियों को बर्खास्त कर चार साल की कालिख और गुंडा–माफिया को संरक्षण के आरोप धोने की कोशिश तो की मगर तरकीब काम करेगी लगता नहीं

सुनील राय

उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  अपने चार साल के कार्यकाल में करीब एक दर्जन मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके हैं और कई बार मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर चुके हैं। अभी हाल ही में कौमी एकता दल के विलय के मसले पर नाराज मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री बलराम यादव को बर्खास्त कर दिया था। मगर कुछ ही दिनों में फिर से उनकी वापसी हो गई और इसके साथ ही तीन विधायकों को भी मंत्री पद की  शपथ दिलाई गई। जिस दिन यह शपथ ग्रहण कार्यक्रम हुआ उस दिन भी मुख्यमंत्री ने एक मंत्री मनोज पाण्डेय को बर्खास्त कर दिया।

सपा सरकार बने चार वर्ष हो चुके हं। चुनावी  वर्ष में सूबे के प्रमुख अखिलेश यादव राज्य की जनता के सामने फिसड्डी मंत्रियों को बर्खास्त कर यह जाहिर कर रह हैं कि सपा सरकार राज्य की जनता के हित में काम न करने वाले मंत्रियों को  बख्शेगी नहीं। कैबिनेट मंत्री बलराम यादव की बर्खास्तगी कौमी एकता दल के विलय के चक्कर में हुई।  माफिया छवि वाले मुख्तार अंसारी की पार्टी, का सपा में  विलय को लेकर काफी दिनों से मामला चल रहा था। विलय के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सहमति दे दी लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश की सहमति नहीं ली गई। इस बात से नाराज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री बलराम यादव को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। हालांकि राजनीति के जानकारों का कहना है कि सपा सरकार की चार साल बिगड़ी छवि को सुधारने के लिए यह टोटका किया गया। अपराधियों और गंुडों को शह देने के कारण वह पहले से ही बदनाम है। मुख्यमंत्री इस बहाने अपने को साफ सुथरा दिखाकर राज्य की जनता में यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी माफिया छवि वाले लोगों से दूरी बनाए हुए है।

आजमगढ़ जनपद के मूल निवासी बलराम यादव का पूरा राजनीतक जीवन सपा में ही गुजरा है। उनकी बर्खास्तगी के साथ पार्टी में अंदरूनी हलचल शुरू हो गई। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा के मुताबिक सपा में कौमी एकता दल का विलय कराने में शिवपाल यादव की बेहद दिलचस्पी थी। इस मामले में बलराम यादव ने मध्यस्थता की थी। लेकिन बाद में अचानक ऐसा माहौल बनाया गया कि सपा सुप्रीमों इस विलय से अखिलेश यादव नाराज हैं। लेकिन बाद में इस विलय से मुलायम सिंह यादव के हस्तक्षेप पर, मंत्रिमंडल में बलराम यादव की वापसी का निर्णय लिया गया।

गत वर्ष कैबिनेट मंत्री नारद राय को भी मंत्री पद से हटा दिया गया था। इस मौके पर उन्हें भी शपथ दिला कर एक तरीके से मंत्री पद पर पुन: बहाल कर दिया गया। इसके पहले वर्ष 2015 के अक्तूबर माह में अखिलेश यादव ने अपने 8 मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था और 9 मंत्रियों के विभाग बदले थे।

दरअसल यह सब उलटफेर 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार के बाद हुआ था। प्रदेश सरकार के मंत्रियांे से नाराज मुलायम सिंह ने मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल किया था। इसका एक कारण यह था कि मुलायम ने  लोकसभा का चुनाव आजमगढ़ से लड़ा  था और जीते भी। लेकिन जीत का अंतर बहुत अच्छा नहीं था। यही नहीं, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम और उनके परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त  कोई भी पार्टी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया। इस टीस की  गाज सीधे प्रदेश सरकार के मंत्रियों पर गिरी। आजमगढ़ से कैबिनेट मंत्री मंत्री बलराम यादव से पंचायती राज वापस ले कर उन्हें कारागार विभाग का मंत्री बनाया गया था। उसके कुछ समय बाद हुए एक फेरबदल में उनमें दूसरे विभाग कारागार वापस लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग दिया गया।

सपा के एक नेता इस फेरबदल पर कहते हैं, ''मुलायम सिंह ने पार्टी के नकारे मंत्रियों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि काम काज में सुधार नहीं हुआ तो कुर्सी जाते देर नहीं लगेगी।'' सपा  सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में मंत्रियांे के कामकाज को लेकर कई बार उंगली उठ चुकी है। खुद सपा मुखिया को यहां तक कहना पड़ा कि मंत्री सुधर जाए नहीं तो चुनाव में टिकट काट दूंगा।

 ऐसे में यह किसी से छिपा नहीं है कि चुनावी वर्ष में अखिलेश यादव 'डैमेज कंट्रोल' करने की कोशिश कर रहे मंत्रियों की बर्खास्तगी प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में नई नहीं है। वर्ष 2007 में मायावती ने भी चुनावी वर्ष में ऐसा किया था। उन्होंने अपनी कमजोर पड़ती हनक को संभालने का हर संभव प्रयास किया मगर उनके मंत्रियों    की कारगुजारी से सरकार की छवि पर बट्टा लग चुका था। विधायकांे का टिकट काटने और मंत्रियांे को बर्खास्त करने के बाद भी बसपा शासन को जनता ने वर्ष 2012 में नकार दिया था। चुनावी वर्ष में अखिलेश यादव की यह कार्यवाई कितना असर दिखाती है, यह आने वाला समय ही बताऐगा।

मुख्तार अंसारी की पार्टी के  विलय के बाद जिस तरह मुख्यमंत्री बगुलाभगत बनने की जो कोशिश कर रहे थे, वह अब जनता के सामने बेनकाब हो चुकी है। सपा अपराधियों को संरक्षण देने वाली पार्टी है।

–केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष, उ.प्र

सपा सरकार ने अपने शासनकाल में माफिया और गुंडों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की है। पार्टी जनता के हितों के  लिए काम कर रही है और करती रहेगी। कुछ लोग जान–बूझकर हमारी छवि धूमिल कर रहे हैं।

–अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री, उ.प्र.

 

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