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पाञ्चजन्य के पन्नों से
वर्ष: 9 अंक: 46
9 जुलाई ,1956
निज संवाददाता द्वारा।
पटना:समस्त पूर्वी भारत में बाढ़ों के कारण भीषण हाहाकार मचा हुआ है। सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं। हजारों लोग बेघरबार हो गए हैं। फसलें नष्ट हो गई हैं। बच्चों और महिलाओं की दशा तो अत्यन्त दयनीय हो गई है। पशुओं की दुर्दशा का जितना वर्णन किया जाए थोड़ा है।
कोसी और गण्डक की बाढ़ के कारण कई हजार एकड़ भूमि बिहार में पूरी तरह पानी में डूब चुकी है। असम की भी यही दशा है। अनेक नगरों को बाढ़ के कारण भीषण खतरा है। उ.प्र. के देवरिया और बलिया जिलों में भी घाघरा और बूढ़ी गण्डक के कारण खतरा उत्पन्न हो गया है।
बिहार-बिहार के सहरसा जिले में किशनपुर थाने के अन्तर्गत 80 गांव कोसी की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए हैं। पहाड़ी नदियों के उमड़ आने के कारण पाकुड़ सब डिवीजन के अन्तर्गत महेशपुर थाने के 6 गांव जलमग्न हो गए हैं। गोड्डा सब डिवीजन की सभी नदियां उमड़ आई हैं।
कला नदी की बाढ़ से भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बांध के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है। जयनगर थाने के 10 गांव, जिनकी आबादी लगभग 12 हजार है, जलमग्न हो गए हैं। चम्पारण जिले में 6 नदियों की बाढ़ के कारण 100 गांव पानी में डूब गए हैं। हजार से अधिक लोग गृह-विहीन हो गए हैं। बागमती की बाढ़ का तीन स्थानों पर कुप्रभाव पड़ा है।
चानन और बरूआ नदियों की बाढ़ के कारण बांका सब-डिबीजन के प्राय: 50 गांव पानी में डूब गए हैं। रूपौली और सैदपुर में बने बांध टूट गए हैं। पानी तेजी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में घुस रहा है। धान और मक्का की फसलों को गंभीर क्षति पहुंची है। भागलपुर की दूसरी नदी गेरुआ में पानी बढ़ने के कारण 20 गांव संकटग्रस्त हो गए हैं। 200 से अधिक कच्चे मकान ढह गए हैं और लगभग हजार व्यक्ति बेघरबार हो गए हैं। सीतमाढ़ी सब डिवीजन के बैरगनिया क्षेत्र में बागमती की बाढ़ से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। फसलों को भारी क्षति पहुंची है। भागलपुर के नौगछिया थाने में गंगा और कोसी की बाढ़ से एक बड़ा क्षेत्र जलमग्न हो गया है। चार हजार एकड़ से अधिक जमीन पानी में डूब गई है, 200 से अधिक मकान ध्वस्त हो जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं।
पूर्णिया जिले की दशा भी बड़ी दयनीय है। सड़कों पर बाढ़ का पानी भर गया है। कच्ची सड़कें तथा पुल टूट रहे हैं। चारे के अभाव में पशु भूखे मर रहे हैं। जीविका का साधन प्राप्त न होने के कारण हजारों घरों में चूल्हे नहीं जल रहे हैं।
रा.स्व.संघ पर नेहरू जी के आरोप निराधार
सरसंघचालक श्री गुरुजी द्वारा आरोप निराधार
नागपुर। ''संघ का सरसंघचालक होने के कारण मुझे संघ के विषय में नेहरूजी से अधिक ज्ञान है,'' ये शब्द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (श्री गुरुजी) ने रोहतक में प्रधानमंत्री पं. नेहरू द्वारा रा.स्व.संघ पर लगाए गए आरोपों का खण्डन करते हुए हिन्दुस्थान समाचार समिति के प्रतिनिधि को दी गई एक भेंट में कहे।
श्री गुरुजी ने आगे कहा, 'नेहरू जी द्वारा लगाए गए आरोप आधारहीन और असत्य वक्तव्य का एक नूमना है। नेहरू जी गांधी जी के अनुयायी हैं, अत: उनके द्वारा प्रतिपादित 'सत्य' के इस स्वरूप से जनता के मन में यह आशंका होने की संभावना है कि क्या इसी 'सत्य' को अपनाने का गांधी जी ने जीवन भर उपदेश दिया था? 'नेहरू जी के ये उद्गार एक गणतंत्र के प्रधानमंत्री के लिए शोभा नहीं देते, अपितु किसी तानाशाह के मुंह में अधिक जंचते हैं।'
महाराष्ट्र कांग्रेस की कलाबाजियां
विरोधी दलों को मूर्ख बनाने की सुनिश्चित योजना
(निज प्रतिनिधि द्वारा)
महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी ने बम्बई सहित महाराष्ट्र की मांग पूरा कराने के विचार से महाराष्ट्रीय विधानसभाई तथा विधान परिषदीय तथा संसद सदस्यों को आदेश दिया था कि वे अपने 2 पदों से त्यागपत्र दे दें। किन्तु अब दिखता है कि महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी इस नीति को बदलकर अन्य कोई उपयुक्त नीति अंगीकृत करने वाली है। आशा यह की जाती है कि श्री कुण्डे तथा श्री हीरे ही प्रतीक स्वरूप अपने पदों से त्यागपत्र प्रस्तुत करेंगे। किन्तु ये लोग भी विधान मण्डलों की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं देंगे। पहले तो श्री एन.बी. गाडगिल ने भी संसद से त्यागपत्र देकर संयुक्त महाराष्ट्र के प्रश्न पर चुनाव लड़ने का निश्चय किया था। किन्तु अब जबकि उपचुनाव न होने की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जा चुकी है, उन्होंने त्यागपत्र न देकर संसद में रा. पुनर्गठन विधेयक के खिलाफ मतदान करने का निश्चय किया है। यदि कांग्रेस हाईकमान इसे अनुशासनहीनता समझे तो उनके खिलाफ कार्यवाही भले ही करें।
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