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नागपुर : 27 जून को लातूर के नागेश्वर मंदिर प्रांगण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने सार्वजनिक जलयुक्त लातूर व्यवस्थापन समिति की ओर से जलपूजन कार्यक्रम में सहभागिता की।
उल्लेखनीय है कि यहां जनभागीदारी द्वारा साई से नागझरी तक 15 किमी. क्षेत्र में माजरा नदी का पुनरुज्जीवन कार्य अंतिम चरण में है। श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि प्राकृतिक आपदा में हाथ पर हाथ धरे न बैठकर पूरे धैर्य एवं साहस के साथ जनभागीदारी का एक अद्वितीय उदाहरण इस नदी के पुनरुज्जीवन द्वारा लातूरवासियों ने प्रस्तुत किया है।
इस प्रयास की सराहना करते हुए श्री भागवत ने इसे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बताया।
इस अवसर पर लातूर जलयुक्त व्यवस्थापन समिति के अध्यक्ष डॉ. अशोक राव कुकड़े व समिति के 11 सदस्यों सहित आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े मकरंद जाधव व निलेशजी ठक्कर भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन जोगेन्द्र सिंह बिसेन ने और धन्यवाद ज्ञापन सुनील देशपांडे ने किया। प्रतिनिधि
रोगी सेवा : ईश सेवा
लखनऊ : सेवा भारती अवध प्रान्त की ओर से गत दिनोें विशिष्ट चिकित्सा सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने समारोह का उदघाटन करते हुए कहा कि चिकित्सकों के लिये रोगी का स्वास्थ्य लाभ एकमात्र लक्ष्य होना चाहिये। जरूरतमंद लोगों को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराना राष्ट्रसेवा है।
सेवानिवृृत्त न्यायमूर्ति रघुनाथ किशोर रस्तोगी ने कहा कि चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों के साथ आए दिन होने वाली मारपीट की घटनाएं दु:खद हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को भी मरीजों और उनके परिजनों के साथ सहहृदयता का व्यवहार करना चाहिए।
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री अशोक बेरी ने कहा कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मीठी और प्यारी भाषा होना चाहिए। रोगियों की आधी बीमारी इससे दूर हो जाती है।
इस अवसर पर सेवा भारती की ओर से 44 चिकित्सकों को चिकित्सा भूषण सम्मान व ग्यारह स्वास्थ्यकर्मियों को भी सम्मानित किया गया। सम्मानस्वरूप इन्हें रुद्राक्ष का पौधा और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। प्रतिनिधि
'डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का उचित मूल्यांकन हो'
नई दिल्ली। 29 जून को नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय तथा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय के सभागार में 'डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक नि:स्वार्थ देशभक्त' विषय पर एक चित्र प्रदर्शनी व विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
श्री अमित शाह ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जिसमें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन एवं विरासत के बहुमुखी पहलुओं को समेटा गया था। यह प्रदर्शनी 6 जुलाई तक चलेगी।
मुख्य अतिथि भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह ने कहा कि हम यदि अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपनी सभ्यता, अपनी नींव और अपने इतिहास को संरक्षित नहीं रख सकते तो हम देश का कदापि भला नहीं कर सकते। डॉ. मुखर्जी ने सत्ता छोड़कर सिद्धांतों एवं देश सेवा के लिए देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित राष्ट्र से पुनर्निर्माण के लिए जनसंघ की स्थापना की। यदि कोई भी निष्पक्ष और तटस्थ रूप से भारत का इतिहास लिखता है तो निसंदेह उसे डॉ. मुखर्जी को एक विस्तृत जगह देनी पड़ेगी।
त्रिपुरा के राज्यपाल प्रो़ तथागत राय ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर विशेष व्याख्यान देते हुए छोटे से जीवन में डॉ. मुखर्जी द्वारा हासिल की गई अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियों पर रोशनी डाली। संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने इस समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि समकालीन इतिहासकारों ने डॉ. मुखर्जी के योगदानों, विशेष रूप से बंगाल विभाजन योजना एवं कश्मीर से जुड़े मुद्दों में उनकी भूमिका की उपेक्षा की थी।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान के निदेशक डॉ. अनिर्बान गांगुली ने स्वागत भाषण दिया और एनएमएमएल के निदेशक श्री संजीव मित्तल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष और एनएमएमएल की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष प्रो़ लोकेश चंद्र, सांसद भूपेंद्र यादव,साक्षी महाराज, प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रतिनिधि
भारतीय अर्थचिंतन में विश्व परिवार का भाव
नई दिल्ली। 27 जून को कांस्टीट्यूशन क्लब नई दिल्ली में शिक्षाविद् व आर्थिक मामलों के अध्येता स्व. गोविंदराम साहनी द्वारा लिखित प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'प्राचीन भारतीय अर्थ चिंतन, एक झलक' का लोकार्पण पूर्व केन्द्रीय मंत्री व भाजपा मार्गदर्शक मंडल के सदस्य सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने किया। अपने वक्तव्य में डॉ. जोशी ने कहा कि भारतीय परंपरा में संसार या सृष्टि को समझने की दृष्टि बड़ी व्यापक
रही है। पश्चिम में प्राणीविज्ञान वाला क्रम भी असमंजस पूर्ण है। अर्थशास्त्र शुद्ध रूप से भौतिकतावादी है, समृद्धि के लिए वे लूट-खसोट से भी परहेज नहीं करते।
डॉ. जोशी ने कहा कि दु:ख की बात है कि हमारे यहां भी अब ध्येयनिष्ठ लोग कम हो रहे हैं, धर्मनिष्ठ की जगह अर्थनिष्ठ और व्यक्तिनिष्ठ पीढ़ी तैयार हो रही है। हमारा चिंतन सबकी आर्थिक स्वतंत्रता की बात करता है जबकि पश्चिम का अर्थशास्त्र आर्थिक गुलाम बनाने की। वे बाजार की बात करते हैं, हम परिवार की। पाश्चात्यों की दुनिया ही महज दो-ढाई हजार वर्ष पुरानी है जबकि हम सनातन परंपरा के वाहक हैं। हमारा अर्थचिंतन एडम स्मिथ से नहीं युगों-युगों से आकार-प्रकार ग्रहण करता रहा है। स्व. गोविंद राम साहनी ने अपनी इस पुस्तक को कालगणना से प्रारंभ कर भारतीय अर्थचिंतन की एक व्यापक परंपरा का उद्घाटन किया है।
पुस्तक पर चर्चा करते हुए इसके संकलनकर्ता डॉ. रमेशचन्द्र नागपाल ने कहा कि 35 वर्ष तक अर्थशास्त्र का अध्यापन करने वाले अर्थशास्त्र के अध्येता लेखक ने इस पुस्तक में वेद, उपनिषद्, वाल्मीकि रामायण, नारद स्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, श्रीमद्भगवद्गीता, कौटिल्य के अर्थशास्त्र व शुक्राचार्य की नीति से भी पर्याप्त सामग्री ली है।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व चिंतक डॉ. वी.आर. पंचमुखी ने कहा कि अर्थचिंतन के क्षेत्र में भारत ने विश्व को समग्र विकास की एक मौलिक सोच दी है। पश्चिम का अर्थशास्त्र केवल उपभोग पर जोर देता है जबकि गीता के संदेश वाली हमारी सोच समूची सृष्टि के कल्याण का संदेश देती है।समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध अर्थचिंतक व रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने कहा कि दुनिया के देश भारत में व्यापार करने भी आए और लूटने भी आए। बिना दृष्टि व दिशा के यह देश इतना समृद्ध कैसे हो सकता था! असली सच तो यह है कि धन और धन के चौखटे में बंद पश्चिम के अर्थशास्त्र को भारतीय दृष्टि ने बाहर निकालकर व्यापक रूपाकार दिया। हमारे यहां भी नारद ऋषि 'धनमूला क्रिया सर्वे' कहकर धन के महत्व को बताते हैं लेकिन मात्र भौतिक उपभोग की बात नहीं करते यहां इसे पुरुषार्थ चतुष्टय को जोड़कर व्यापक बनाया गया है।
मंच संचालन प्रभात प्रकाशन के श्री प्रभात कुमार ने किया। इस अवसर पर स्व. गोविंदराम साहनी के परिजनों सहित पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. विजय सोनकर शास्त्री, दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार, दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता, श्री जितेन्द्र बजाज, डॉ. राजकुमार भाटिया, श्री मांगेराम गर्ग सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रतिनिधि
अध्यात्म : भारत की सनातन पहचान
नई दिल्ली 24 जून को स्वाध्याय मंडल की ओर से दीनदयाल शोध संस्थान में एक गोष्ठी संपन्न हुई। मुख्य वक्ता रा.स्व. संघ दिल्ली के सह संघचालक श्री आलोक कुमार ने कहा कि हमको अपना मन बनाना पड़ेगा कि निर्जीव वस्तुओं के उत्पादन में सम्पूर्ण सुख है, हम इसको स्वीकार नहीं करते़ पश्चिम में मानव और बुद्घि को मिलाकर 'एक' किया गया है। शरीर, मन और बुद्घि इन तीनों का विचार करते हुए प्रसन्नता को हम देखते हैं। धर्म से अभिप्राय संस्कारी शिक्षा, अर्थ-पर्याप्त साधन, काम-आवश्यकता पूर्ति और इन तीनों की पूर्ती होते-होते व्यक्ति और समाज सामूहिक रूप से मुक्ति की ओर कैसे बढ़ेगा, यह मोक्ष से
हो जाएगा।
जो भारतीय दर्शन दीनदयाल जी ने हमें एकात्म मानव दर्शन के रूप में दिया, उसे जीवन में लाकर प्रसन्नता को भीतर से अनुभव कर सकते हैं।
इस अवसर पर संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन और स्वाध्याय मंडल के संयोजक डॉ. राजकुमार भाटिया व संगठन सचिव श्री अभय महाजन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रतिनिधि
जड़ों से जुड़ने के लिए ग्रामोत्सवों का आयोजन
देहरादून: उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा प्रवासियों को गांव से जोड़ने की मुहिम धीरे-धीरे रंग ला रही है। हरिद्वार, दिल्ली और मुम्बई के बाद इस वर्ष चौथी प्रवासी पचायत कानपुर में प्रस्तावित है।
उत्तराखंड में हाल ही में 50 गांवों में ग्रामोत्सव हुए हैं। इनमें टिहरी गढ़वाल के ऋषिधार, भिगुन, गाफर, भटवाड़ा व सेमल्थ, पौड़ी में गणी, चाई, पोखड़ा व सरखेतू, रुद्रप्रयाग के डांडा, चमसारी और दरम्वाड़ी, चमोली के तिलोड़ी व जसेड़, अल्मोड़ा के मासी, रानीखेत के ईडा आदि गांवों में बड़े स्तर पर ग्रामोत्सवों का आयोजन हुआ है।
परिषद् के उपाध्यक्ष श्री प्रेम बड़ाकोटी ने बताया कि अगले 2-3 वर्षों में प्रवासी युवाओं के माध्यम से गांवों में विकास सहभागिता का अभियान चलाया जाएगा।
परिषद के ग्रामोत्सव अभियान के संयोजक रमेश सेमवाल ने कहा कि प्रवासी युवाओं और गांवों के पंचायत प्रतिनिधियों का परस्पर संवाद करवाकर हमने गांवों के मार्गों को सुधारने और बंजर पड़े खेतों में चायबगान के प्रोजेक्ट चलाने की शुरुआत की है। ल्ल प्रतिनिधि
संस्कृत प्रचार-प्रसार के लिए शोभायात्रा
देहरादून, 20 जून को संस्कृत भारती उत्तराखण्ड द्वारा कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में दस दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण एवं भाषाबोधन वर्ग का आयोजन किया गया। 10वें दिन भव्य शोभायात्रा की शुरुआत संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री श्रीशदेव पुजारी ने ध्वज दिखाकर की। शोभायात्रा में वर्ग के 150 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। जो कन्या गुरुकुल से होते हुए पुन: दिलाराम बाजार से राजपुर रोड और फिर कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में जाकर
सम्पन्न हुई। प्रतिनिधि
मजदूर संघ की बैठक
नागपुर भारतीय मजदूर संघ के केन्द्रीय पदाधिकारियों की बैठक विगत दिनों सम्पन हुई। कर्मचारियों के भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, नई वस्त्र नीति, विमानन उद्योग नीति, मेरिटाईम पॉलिसी, नीति आयोग की सार्वजनिक उद्योगों के बारे में अनुशंसा, महंगाई, बैंकिंग उद्योग में सुधार, अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के श्रम मानकों, संविदा श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की दयनीय स्थिति पर उपेक्षा आदि विषयों पर बैठक में चर्चा हुई।
पारित प्रस्ताव में कहा गया कि भारतीय मजदूर संघ सरकार से अपेक्षा करता है कि त्रिपक्षीय परम्परा, चिरस्थापित श्रम तत्व, औद्योगिक शान्ति के उद्देश्य तथा आईएलओ के अन्तर्राष्ट्रीय श्रम मानकों की अनभिज्ञता को जल्दी से जल्दी दूर किया जाय। प्रतिनिधि
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