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-पवन निशांत-
समाजवादी पार्टी के लिए गले की फांस बन चुके जवाहर बाग कांड के बाद जांच के नाम पर लीपापोती शुरू हो गयी है। रामवृक्ष के साथी राकेश गुप्ता और चंदन बोस पकड़े तो गए हैं, लेकिन न्यायिक आयोग ने घटना के एक पखवाड़े बाद भी मथुरा आकर जांच शुरू नहीं की है। इस बीच जवाहर बाग कांड पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहमागहमी जारी है। जवाहर बाग ऑपरेशन के बाद अब पुलिस जांच में कई तथ्य सामने आ रहे हैं, लेकिन सत्ता में बैठे रामवृक्ष के संरक्षकों के दबाव में पुलिस रिपोर्ट तैयार हो रही है। ऑपरेशन के बाद बम निरोधक दस्ते ने अमेरिका में बने रॉकेट लॉन्चर का बैरल बरामद किया था और सदर थाने में दर्ज रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था। लेकिन इस बात का खुलासा होने के 24 घंटे बाद ही रिपोर्ट बदल दी गयी।
चंदन बोस और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर मथुरा लाया गया है। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि जब उसने देखा कि रामवृक्ष यादव को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया है और बचने का कोई रास्ता नहीं है तो वह रामवृक्ष को छोड़कर अपनी पत्नी को लेकर वहां से निकल भागा। उसने मथुरा से टैक्सी की, वहां से दिल्ली आया और फिर अपने ससुराल भाग गया। लेकिन स्वाट टीम ने चंदन बोस की गिरफ्तारी बस्ती जिले के परशुरामपुर थाना क्षेत्र के कैथेलिया गांव से की।
पुलिस की मानें तो चंदन बोस की पत्नी भी उसकी हर आपराधिक गतिविधि में समान रूप से साझीदार थी और रामवृक्ष के गिरोह में महिला विंग की कमांडर थी। चन्दन बोस पर शहर पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष फरह संतोष यादव को गोली मारने का आरोप है।
राकेश गुप्ता को बदायूं पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस पूछताछ में उसने यह जरूर बताया कि पुलिस से संघर्ष के दौरान उसकी पिस्तौल घटनास्थल पर ही गिर गयी थी। हालांकि मौके से पुलिस को कोई पिस्तौल बरामद नहीं हुई है। जांच के दौरान पुलिस ने शहर पुलिस अधीक्षक और थानाध्यक्ष की हत्या के मामले में 80 फर्रे (पर्चे) काटे हैं। अपराध शाखा के अधिकारी जांच करने में स्वयं को असमर्थ बता रहे हैं।
वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शहर पुलिस अधीक्षक की तेरहवीं पर मथुरा आकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। साथ ही अखिलेश ने उनकी पत्नी को 50 लाख का चेक और ओएसडी पद पर नियुक्ति का पत्र भी सौंपा। इस मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। लेकिन मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि मथुरा के जवाहर बाग को लखनऊ के लोहिया पार्क जैसा विकसित किया जायेगा। इससे पहले शासन ने मथुरा के पुलिस उपाधीक्षक राकेश सिंह और जिलाधिकारी राजेश कुमार को लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है। इस मामले में सरकार इतने दवाब में थी कि जिलाधिकारी नरेश चंद्र शुक्ला और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार को हेलीकॉप्टर से मथुरा भेजा गया था।
गौरतलब है कि अब तक जांच के घेरे में 20 से ज्यादा अधिकारी आ रहे हैं। मार्च, 2014 से 2 जून, 2016 तक जिन-जिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती थी उनकी रिपोर्ट ली जा रही है। न्यायिक आयोग 6 बिन्दुओं पर जांच कर रहा है। इनमें जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका, जवाहर बाग को खाली कराने के लिए क्या-क्या प्रयास हुए, खाली कराने से पहले क्या रणनीति और योजना बनाई गई, कहां अनदेखी की गई जिससे कब्जा बढ़ता गया, आगे इस तरह के कब्जे न हों इस पर सुझाव व गृह विभाग को समय-समय पर दी जाने वाली रिपोर्ट जांच के प्रमुख बिन्दु हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने इस पूरे प्रकरण पर अखिलेश सरकार पर निशाना साधा है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री प्रो.रामशंकर कठेरिया ने एक सभा में कहा कि जवाहर बाग कांड की मुखिया प्रदेश सरकार है। वहां रामवृक्ष तो सिर्फ चौकीदार था। मुख्यमंत्री सीबीआई जांच कराने से इसलिए डर रहे हैं कि अगर ऐसा हुआ तो सैफई परिवार की पोल खुल जाएगी। प्रदेश सरकार बवालियों की मदद कर रही है।' जवाहर बाग कांड पर अभी भी वास्तव में कई सवाल हैं जिनका उत्तर प्रदेशवासी चाहते हैं। लेकिन बड़ी कम ही आश्ंाका है कि यह सच सामने आ पाएगा क्योंकि अब तक की पुलिसिया कार्रवाई यही बताती है। ल्ल
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