''पटरी पर लाए हैं विकास की गाड़ी''
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आपको लगता है कि इस बार यह पारित हो जाएगा?
हम तो यही सोचते हैं कि इस बार यह पारित हो जाएगा। ये हमारी अपेक्षाएं हैं और इसीलिए हम इसे पेश करके इस पर बहस और वोट चाहते हैं। हमारे वित्त मंत्री ने पिछली बार बजट पर जवाब देते हुए साफ कहा था कि कांग्रेस की इस पर तीन शर्तें बिल्कुल गलत हैं। इसलिए हमको उन शर्तों को नहीं मानना चाहिए। हमने उनकी एक शर्त 1 प्रतिशत सप्लाई टैक्स वाली मानी है।
आर्थिक मोर्चे पर चार प्रमुख संकटों की बात हुई। चार प्रमुख सफलताएं क्या रहीं आपकी?
नंबर एक सफलता तो हमारा आर्थिक स्थिति में सुधार लाना ही है। हमें सरकार की कमान मिली तो विकास पटरी पर नहीं था। उसे हम पटरी पर लाए। इतना ही नहीं, विकास की पैसेंजर ट्रेन को हमने राजधानी एक्सप्रेस बनाया। हम जिन आंकड़ों के आधार पर विकास की समीक्षा करते हैं, चाहे वह आर्थिक घाटा हो, चालू खाता घाटा हो, मुद्रास्फीति हो, जीडीपी प्रगति दर हो, पूंजी निवेश की दर हो, ये सारे सूचक बिगड़ी हालत में थे। यानी विकास की रेल पटरी से उतरी पड़ी थी। हमने इसे संकट के दौर से न सिर्फ उबारा, बल्कि इसे पूरे विश्व में चमकता सितारा बनाया। यह हुआ नंबर एक यानी-मेक्रो इकोनोमिक स्टेबिलाइजेशन यानी आर्थिक स्थायित्व के लिए बड़े उपाय। आर्थिक घाटे को हम 4.4 से 3.5 प्रतिशत पर ले आए, मुद्रास्फीति को 10 से 5.6 प्रतिशत पर ले आए, चालू खाता घाटा 5 प्रतिशत था, उसे 1-1.5 प्रतिशत कर दिया।
नंबर दो है सामाजिक सुरक्षा का मोर्चा, जिसके अंतर्गत जन-धन योजना, जीवन ज्योति, सुरक्षा बीमा, मुद्रा आदि आते हैं। सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से ये ऐतिहासिक काम हैं।
नंबर तीन-जन-निवेश में क्रांति आई है। चाहे हम सड़कों के माध्यम से देखें, सिंचाई, रेल या ऊर्जा के माध्यम से देखें।
नंबर चार है-ग्रामीण क्रांति। हर गांव में सड़क, बिजली, शौचालय, हर खेत को पानी, इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्र में क्रांति लाए हैं हम। गांवों में हम इन बुनियादी सुविधाओं को युद्ध स्तर पर पूरा कर रहे हैं।
इस सरकार से लोगों की सबसे बड़ी उम्मीद भ्रष्टाचार को समाप्त करने की रही है, आपके अभियान की क्या स्थिति है?
निस्संदेह हमलोग भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते हैं। कालाधन भ्रष्टाचार का ही एक चिन्ह है।दोनों एक दूसरे पर आश्रित हैं। कालाधन कम करें तो भ्रष्टाचार भी कम होगा। इसलिए हमने दोनों में दबाव बनाया है। भ्रष्टाचार को लेकर हमारे किए कामों को सब जानते ही हैं, पर काले धन पर हमारे काम के दो पहलू हैं। पहला, किसी का काला धन देश में हो या विदेश में, हमने एक कम्प्लायंस विंडो खोलकर लोगों को एक मौका दिया है जिसमें वे जो भी पैसा सार्वजनिक करना चाहते हैं, कर दें। इसके साथ हमने एक जुर्माना दर भी जोड़ी। अगर कालाधन विदेश में था तो जुर्माना 30 प्रतिशत था, देश में था तो यह दर 15 प्रतिशत थी। यानी बचने का रास्ता नहीं था। साथ ही हमने एक शॉर्ट कम्प्लायंस विंडो भी दी दोनों तरह के कालेधन के लिए, 1 जून से 30 सितंबर तक की। इस दौरान काले धन को सार्वजनिक करें। इससे हमें बहुत ज्यादा पैसा मिलने की अपेक्षा नहीं थी, न ही यह हमारा लक्ष्य था। हमारा लक्ष्य था, लोगों को एक मौका देना ताकि बाद में कोई यह न कह सके कि उसे न्याय का मौका नहीं दिया गया। अब हमने वह विंडो बंद कर दी है, चाहे किसी के पास विदेशी काला धन हो, या देश में। अब जो कानून बना है वह बहुत सख्त है। हमने बाजार में जो कालाधन घूम रहा था, उस पर भी लगाम लगाई है। नगद ही नहीं, बड़ी मात्रा में गैर नकद लेन-देन पर भी हमारी नजर रहेगी, हमने रियल एस्टेट में 20 हजार से ज्यादा नगद राशि देना बंद करा दिया है। इससे भ्रष्टाचारियों का भ्रष्टाचार करना मुश्किल हो गया है।
रोजगार का अकाल है। क्या यह बात सच है?
अभी इसके पूरे आंकड़े नहीं आए हैं क्योंकि इससे संबंधित डाटा उपलब्ध ही नहीं है। आज भी लोग 2011-13 के आंकड़े ही देख रहेे हैं। जो आंकड़े आए हैं, उनमें दो बड़ी कमियां हैं। यह जरूर है कि मुद्रा के तहत करीब 3.48 करोड़ लोगों में डेढ़ लाख करोड़ के आस-पास राशि वितरित हुई है।
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