अपनी बात-सिंधु और सरस्वती का संगम
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अपनी बात-सिंधु और सरस्वती का संगम

by
Jun 6, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 06 Jun 2016 12:09:35

पहली बात यह कि आर्य भारत में बाहर से आए, दूसरी बात यह कि वे 2400 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व के कालखंड में भारत आए, तीसरी बात यह कि उन्होंने उत्तर भारत की द्रविड़ सभ्यता (दक्षिण में महाराष्ट्र तक फैली, सिन्धु घाटी सभ्यता) को नष्ट करने का काम किया… किन्तु चौथी और अंतिम बात यह कि उपरोक्त सारे झूठ एक-एक कर पकड़े जा चुके हैं।

पहले औपनिवेशिक और फिर राजनैतिक कारणों से इतिहास को खास दिशा में मोड़ने वालों पर सवाल उठते रहे, जब-तब किरकिरी भी हुई लेकिन साक्ष्यों की ताजा चोट सबसे जबरदस्त है। हरियाणा के राखीगढ़ी और भिराणा में सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद आदि मानव के अफ्रीकी उद्भव से लेकर आयार्ें के भारत पर हमले तक के सिद्धांत एकाएक धसक गए हैं।
भारत में इतिहास के नाम पर बिछाई गई बारूदी सुरंगों के यह सूत्र ऐसे थे जिन्होंने समाज में विद्वेष-वैमनस्य की खाई को और चौड़ा करने का ही काम किया।
दिलचस्प बात यह कि औपनिवेशिक इतिहासकारों और बाहर से आकर एकाएक भारतविद् (इंडोलॉजिस्ट) के तौर पर स्थापित हुए व्याख्याकारों का यह सिलसिला किसी 'रिले रेस' सरीखा है। क्या यह विशुद्ध संयोग है कि ब्रिटिश राजशाही से शक्ति के हस्तांतरण के साथ ही इतिहास की भ्रामक और राजनीतिक रूप से समाजघाती व्याख्याओं का जुआ न केवल भारतीय कंधों पर आ गया बल्कि सत्ता का प्रश्रय प्राप्त वामपंथी इतिहासकारों द्वारा इसे खुशी-खुशी ढोया भी जाने लगा।
सवाल है, इतिहास का भी कोई दक्षिण और वाम होता है क्या? यदि कहा जाता है कि ज्ञान का हर सूत्र पश्चिम से खोजने और जोड़ने की चाह ने ही सभ्यताओं के संदिग्ध उद्गम और इन्हें काल्पनिक संघषार्ें के खांचे में कसने-देखने का काम किया, तो इस बात में दम है। आर्य-द्रविड़ संघर्ष की परिभाषा को आगे बढ़ाने-जमाने का मामला इस नजर से और दिलचस्प है कि यहां अटपटे और स्वार्थपरक तकार्ें का निवेश पूंजीवाद ने किया और वामपंथी-समाजवादी बुद्धिजीवियों ने इसे अंखुए का पेड़ बनाने के लिए दिन-रात मजूरी की, पसीना बहाया।
दरअसल, यह हितों का असामान्य साझापन था जिसमें सच और भारत के हित के लिए गुंजाइश नहीं थी। ज्ञान परंपरा और आर्य शुद्धता पर 'हिटलरी' दावे की सनक और भारत में आर्य-द्रविड़ संघर्ष के सिद्धांत को पोसते हुए 'बांटो और राज करो' की चाल…यह सब क्या था? एक ही समय में एक काल्पनिक सिद्धांत देश और पूरी दुनिया को बुरी तरह मथ रहा था।
निर्विवाद रूप से वेद विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ हैं। संस्कृत ऋचाएं यदि इतिहास में हिब्रू के हिज्जों से पीछे जाती हैं तो, यहूदियों को किनारे करते हुए सबसे समझदार पुरखों पर ईसाई दावा कैसे हो?
-भारत के लोग यदि अपनी परंपरा और पुरखों को, इस मातृभूमि को एक मानते हुए ब्रिटिश राजशाही (या बाद की लोकतंात्रिक व्यवस्था में वंशवाद के विरुद्ध) एकजुट रहे तो, उस प्रबल जनशक्ति का प्रतिकार कैसे हो?
इन डरावने सवालों का जवाब एक काल्पनिक सिद्धांत में खोजा गया। यह तथ्य है कि इतिहास की भारतीय पाठ्यपुस्तकों में आयार्ें द्वारा भारत पर आक्रमण का सिद्धांत अंग्रेजों द्वारा जोड़ा गया था। और यह भी कि जिन श्रीमान फ्रेडरिक मैक्समूलर ने वेद को, 'आर्य मानव का पहला शब्द', कहा, वे खुद कभी भारत नहीं आए। उन्हें संस्कृत सिखाने वाले अलेक्जेंडर हेमिल्टन ने खुद कभी संस्कृत नहीं सीखी थी। और मैक्समूलर वेदों का अनुवाद स्वाध्याय के लिए नहीं बल्कि ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए तत्कालीन दरों के मुकाबले चार गुना वेतन पर कर रहे थे।
बारीकी से देखें तो यह साफ तौर पर दोहरे हितों से जुड़ा सीधा मामला था। शायद इसीलिए इतिहास की मैक्समूलर व्याख्या के भी दो पक्ष उभरते हैं। पहला-आर्य श्रेष्ठ थे, गोरे थे, ज्ञान से परिपूर्ण थे और ज्ञान भारत का नहीं था, आर्य बाहर से आए थे…। दूसरा- जिस तरह हम बाहर से आए हैं, गोरे हैं, श्रेष्ठ हैं, ज्ञानी हैं।
जाहिर है, प्रमाणों से परे, कल्पनाओं पर आधारित एक ऐसा सिद्धांत जो समाज को संघर्ष की तरफ ठेलता हो, राजनीति की राह आसान करता हो, 1947 के बाद की राजसत्ताओं का भी दुलारा रहा तो अचरज नहीं करना चाहिए।
द्रविड़-आर्य, उत्तर-दक्षिण, दलित-ब्राह्मण, हिन्दी बनाम अन्य भारतीय भाषाएं… इस देश के समाज को बांटने-लड़ाने के कितने षड्यंत्र इस एक हवाई सिद्धांत की आड़ में खड़े किए जाते रहे। इस देश में एक ऐसे संघर्ष को सच बताता सिद्धांत जिसे खुद इस देश के लोग नहीं जानते। ऐसा भीषण, रक्तरंजित टकराव जिसका और जिसकी वजहों का उल्लेख मात्र भी किसी भारतीय ग्रंथ में नहीं है? सदियों दबाए सच की खुदाई शुरू करें तो विसंगतियों और विरोधाभासों की पूरी शृंखलाएं खुलती जाती हैं।
बहरहाल, राखीगढ़ी के साक्ष्य-संकेत बता रहे हैं कि विकृति और विस्मृतीकरण की तमाम कोशिशें के बाद भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का इतिहास राख नहीं हुआ। भले ऊपरी तौर पर निर्जीव लगे किन्तु जमीन के नीचे वह सरस्वती के साथ-साथ, आस-पास सांसें लेता रहा है। सिन्धु के तार सरस्वती से जा जुड़े हैं।
जय आदिबद्री, जय सोमनाथ।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies