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युवा सांसद अनुराग ठाकुर ने कुछ सप्ताह पूर्व ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला है। 41वर्षीय ठाकुर सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने हैं। भारतीय क्रिकेट के सामने मौजूद चुनौतियों और अध्यक्ष होने के नाते उनकी क्या भावी योजनाएं होंगी, इन सभी विषयों पर विस्तृत बातचीत की पाञ्चजन्य संवाददाता अश्वनी मिश्र ने। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
मैं पिछले 16 वर्षों से बीसीसीआई के साथ जुड़ा हुआ हूं। वर्ष 2000 में मैं राज्य इकाई का अध्यक्ष रहा। इसलिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। उम्र एक तरफ है और मेरे 16 साल का अनुभव एक तरफ। मैंने कई स्तरों पर कार्य किया—चयन समिति, वित्त समिति और इसके बाद अन्य समितियों सहित संयुक्त सचिव और सचिव बनने के बाद आखिर में अध्यक्ष बना हूं। केवल पद का बदलाव है। जिम्मेदारी बढ़ी हैं लेकिन कुल मिलाकर पहले भी भूमिका क्रिकेट को बढ़ावा देने की थी और अभी भी क्रिकेट को ही बढ़ावा देने का काम इसके माध्यम से होगा।
ल्ल लोढ़ा समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन को लेकर आपका क्या मत है?
देखिये शशांक मनोहर ने अपने संवाददाता सम्मेलन में बहुत सारी बातें कहीं और उस समय कहीं जब वे आईसीसी के अध्यक्ष थे। तो इंटरनेशल क्रिकेट काउंसिल भी मानती है कि यह इतना आसान नहीं होगा और बहुत मुश्किल होगा, इससे क्रिकेट को नुकसान हो सकता है। अगर आईसीसी भी इसे लेकर चिंतित है तो मुझे लगता है कि न्यायालय को भी जरूर देखना चाहिए कि क्या लागू हो सकता है, क्या नहीं। और इसको दबावपूर्ण तरीके से लागू कराने के बजाय ठोस सुझाव के तौर पर देना चाहिए।
लोढ़ा समिति ने भारत में क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध बनाने की बात कही है। इस पर आपका क्या कहना है?
कई ऐसी चीजें हैं, जो लोढ़ा समिति ने सुझाई हैं, उनको बीसीसीआई तय नहीं कर सकता। इसके लिए सरकार है जिसे निर्णय लेना है। सट्टेबाजी को वैध बनाना अथवा आरटीआई को क्रियान्वित करना है, इन चीजों को बीसीसीआई तय नहीं कर सकता। हमें अपनी न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा हैै कि न्याय पालिका हम पर किसी चीज के लिए दबाव नहीं डालेगी। आज ऐसा समय है कि अभिभावक भी अपने बच्चों पर अपने विचार नहीं थोप सकते।
आरोप है कि बोर्ड द्वारा सट्टेबाजों और स्पॉट फिक्सिंग मामले में ढुलमुल रवैया अपनाया जाता है। आप इस पर क्या सोचते हैं?
देखिये, मैंने एक 'निजी सदस्य बिल' संसद में प्रस्तुत किया, जहां पर मैच फिक्सिंग करने वालों को दस साल तक की सजा की बात है। आज तक किसी व्यक्ति ने यह नहीं कहा है, मैंने कहा है। अब बैटिंग और फिक्सिंग में अंतर है, देश को यह जानना होगा। सट्टेबाजी दस चीजों पर होती है। पुलिस का काम है, उसे रोकना। जहां तक मैच फिक्सिंग की बात है कि कोई अपनी क्षमता से कम तो नहीं खेल रहा। कहीं मैच के जो निर्णय हैं, उन्हें बदलने में उसकी कोई बड़ी भूमिका तो नहीं। अगर कोई खिलाड़ी इस तरह का कदम उठाता है तो हमने उसके खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाए हैं। चाहे वह अजहरुद्दीन रहे हों या अब तक श्रीसंत का मामला हो, हम किसी भी मामले में पीछे नहीं रहे हैं। दुनिया भर में बीसीसीआई की इस बात पर सराहना हुई है। हां मैं यह मानता हूं कि यह हमारे सामने एक चुनौती है।
फटाफट क्रिकेट यानी आईपीएल और टी–ट्वेंटी के ग्लैमर में पांच दिन का क्रिकेट कहीं घुटकर तो नहीं रह गया है?
देखिये, ये फैन तय करता है कि उसको क्या देखना है। ये मैं और आप बैठकर तय नहीं कर सकते, टी.वी. तय नहीं कर सकता। हम टी.वी. पर दिखाते हैं कि कितने लोग टी-ट्वेंटी को देखते हैं और कितने दूसरे को। मुझे लगता है जरूरी है कि जो युवा या बच्चे हैं, उन्हें टेस्ट मैच में ज्यादा बुलाना चाहिए, इसलिए मैंने 10 फीसद टिकट मुफ्त करने की बात कही है। उससे क्या होगा कि जब नए बच्चे क्रिकेट की तरफ आएंगे, ज्यादा समय लगाएंगे तो फटाफट की बजाय टेस्ट क्रिकेट की तरफ भी उनका ध्यान आकर्षित होगा। मैं एक अगला प्रयास यह करने वाला हूं कि टेस्ट मैच खेलने वाले खिलाडि़यों को ज्यादा पैसे कैसे दिये जाएं, मैं उस पर काम कर रहा हूं। कुछ ही महीने के अंदर इस पर निर्णय हो जायेगा।
अक्सर यह बात सामने आती है कि खिलाडि़यों के चयन में रसूखदार लोगों को वरीयता दी जाती है और प्रतिभा को दरकिनार कर दिया जाता है। खिलाडि़यों के चयन पर उठते सवाल पर आप क्या कहेंगे?
यह स्पष्ट दिखाई देता है कि पिछले कई वर्षों में जो खिलाड़ी आए हैं, वे गरीब परिवारों से हैं, छोटे शहरों और गांव से आ रहे हैं। इसलिए यह कहना ठीक नहीं है। महेन्द्र सिंह धोनी से लेकर वीरेन्द्र सहवाग तक। ये सभी मध्यवर्गीय परिवारों से आए। इनमें से किसी के पिता करोड़पति नहीं हैं। बेटे के खेलने के बाद परिवार करोड़पति हुए होंगे पर पहले नहीं थे।
क्रिकेट में प्रशासनिक और ढांचागत बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है। बीसीसीआई के माध्यम से भारत में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आपके पास और क्या योजना है?
ज्यादातर राज्य एसोसिएशनों ने देशभर में खेल के मैदानों के निर्माण की बात कही है। आईपीएल के फाइनल के बाद मैं आन्ध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन विजयवाड़ा के पदाधिकारियों से मिला। मुलापड्डु और मंगलागिरि दो ऐसी जगह हैं जहां उन्होंने तीन नए मैदान बनाए हैं। भाजपा सांसद और आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव गंगाराजू ने बहुत अच्छा काम किया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर में भी बहुत अच्छे स्टेडियम बनाये गए हैं। बीसीसीआई की योजना है कि इंडोर अभ्यास के लिए शिलांग और दीमापुर में ऐसे स्थान बनाए जाएं।
बीसीसीआई की कार्य पद्धति में पारदर्शिता लाने के लिए आप क्या करेंगे?
मेरे विचार में यदि हम कुल मिलाकर देखें तो बीसीसीआई सारी दुनिया में एक सुसंगठित संस्था है। भारत में भी बीसीसीआई सभी खेल संस्थाओं और संगठनों के लिए एक आदर्श प्रतिरूप (रोल मॉडल) कहा जा सकता है। पारदर्शिता के लिए बैठक में आज जितने भी निर्णय लिए जाते हैं वे सभी मीडिया प्लेटफार्म पर दे दिये जाते हैं। पहले से इसमें बड़ी पारदर्शिता, और जिम्मेदारी का भाव बढ़ा है। भविष्य में भी इसी तरह से अधिक से अधिक चीजों को पारदर्शिता के दायरे में लाया जायेगा।
क्रिकेट खेल का कम, पैसे बनाने का जरिया ज्यादा बनता जा रहा है। खेल की आत्मा कहीं बाधित न हो, इसके लिए आप क्या करेंगे?
यह एक अच्छे खेल और संस्था का नतीजा है कि पैसा ज्यादा आ रहा है। हॉकी राष्ट्रीय खेल है लेकिन आप कहां तक पहुंच पा रहे हैं। हम बाकी खेलों में भी क्या उतने स्टार खड़े कर पाए, जितने आपने क्रिकेट में खड़े किये हैं। मुझे लगता है कि इसको अच्छी तरह से देखना चाहिए। अब ये नहीं कहना चाहिए कि श्री नरेन्द्र मोदी के आने के बाद हिन्दुस्थान की इकॉनमी में 40 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ तो ये खराब बात हुई या अच्छी बात हुई। कुल मिलाकर छवि सुधरी है। तो उसको इस दृष्टि से लेना चाहिए। एक अच्छी लीग आईपीएल बीसीसीआई ने खड़ी की, जिसके तौर पर हॉकी इंडिया लीग से लेकर, कुश्ती, फुटबॉल, कबड्डी, टेनिस, बैडमिंटन लीग की शुरुआत हुई। इसलिए यह संस्था एक रोल मॉडल के तौर पर देश में कार्य कर रही है।
संजय बांगड़ को अभी जिम्बावे दौरे पर कोच बनाया गया है। जबकि बहुत से वरिष्ठ खिलाड़ी हैं जो अनुभवी हैं और कोच बनने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं। कोच के चयन का आधार क्या है?
रवि शास्त्री का बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है। राहुल द्रविड़ का भी इसी तरह बड़ा ही उम्दा प्रदर्शन था। बीसीसीआई उनका स्वागत भी करती है। मुझसे कुछ समय पहले यह सवाल पूछा जा रहा था कि रवि शास्त्री कब तक। तो मैंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह निदेशक के तौर पर वे और उनका सहायक स्टॉफ टी-ट्वेंटी विश्वकप तक वे रहेंगे। उसके बाद हम आईपीएल के बाद नया चयन करेंगे।
हमने प्रक्रिया को और पारदर्शी करते हुए विज्ञापन दिए हैं एवं बहुत ज्यादा लोगों का इसमें विश्वास भी है और इसमें लोग प्रतिवेदन भी कर रहे हैं। हम इसके बाद बैठकर उचित निर्णय लेंगे कि कौन टीम इंडिया के लिए भविष्य का कोच होगा। इसके अलावा आज संजय बांगड़ या अभय शर्मा क्यों गए। अभय शर्मा टीम इंडिया-ए के साथ फील्डिंग कोच थे और संजय बांगड़ बल्लेबाजी कोच थे। तो छोटा दौरा था, इसलिए दो लोगों को भेजना उचित था।
क्या आप अन्तरराष्ट्रीय मैचों में भारतीय टीम के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं?
निश्चित तौर पर भारतीय टीम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। अधिकतर प्रारूप में एक दो और चार क्रम पर हंै। लेकिन भारत को केवल वित्तीय तौर पर सबसे बड़ा नहीं होना है। हमें टी-ट्वेंटी, एकदिवसीय और टेस्ट मैंचों में और महिला क्रिकेट को भी नवंर वन बनाना है। इसके साथ ही अपने घरेलू किक्रेट को और लोकप्रिय बनाने के लिए मैं कई अहम कदम उठाने वाला हूं।
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