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सिर पर सवार खून

by
May 30, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 30 May 2016 12:28:24

 

चुनावी जीत के बाद जश्न ठीक है लेकिन इसकी आड़ में वामपंथियों द्वारा हिंसा और आतंक को खुली छूट बताती है कि यह और कुछ नहीं बल्कि कन्नूर मॉडल को पूरे केरल में लागू करने की शुरुआत है

टी़ सतीशन, कोच्चि
केरल में विजयपर्व मनाना तो स्वाभाविक था लेकिन चुनाव बाद की हिंसा से एक स्पष्ट संकेत है कि पूरे केरल में एक बार फिर कन्नूर मॉडल वाली हिंसा दोहराई जा रही है।  प्रश्न यह उठता है कि एक राजनैतिक ताकत के रूप में भाजपा के उभरने के बाद कम्युनिस्टों की पुरानी हरकतें क्या बदरस्तूर जारी रहेंगी।
केरल की जनता ने अपना जनादेश दे दिया है। बेशक सीटों की संख्या की दृष्टि से लेकिन कम्युनिस्टों को ही निर्णायक बढ़त मिली है। भाजपा के मत प्रतिशत में हुई बढ़ोतरी, यूडीएफ और एनडीएफ दोनों के माथे पर चिंता की लकीरें लाने वाली है। इसका प्रमाण राज्य में हुई श्रंृखला हिंसा  में मिल जाता है। 2016 के विधानसभा चुनावों में विजय के बावजूद कम्युनिस्टों ने जमकर हिंसा की। केरल मेें जिस प्रकार वे अब तक संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाते आ रहे थे, उसी उन्माद में आकर माकपा कार्यकर्ताओं ने इस बार भी जीतने के बाद हिंसा का तांडव रचाया। पिनराई विजयन ऐसा चेहरा हैं जो स्वयं फासीवादी शैली और विपक्षी दलों के विरोध में हद तक गुजरने के पर्याय माने जाते हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने से राज्य में शांति स्थापित करने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। केरल में जैसे-जैसे चुनावी नतीजे घोषित हो रहे थे माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के केरल में सत्ता में आने के संकेत मिल रहे थे वैसे ही वामपंथियों ने राज्य के कई हिस्सों विशेषकर कन्नूर और त्रिशूर जिलों में अशांति का वातावरण बनाना शुरू कर दिया था। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां राजग को 15 प्रतिशत से भी अधिक मत मिल रहे थे।
सबसे पहले पिनरायी विजयन ने माकपा के जुलूस में 'पार्टी गांव' पिनरायी में हुए धमाके का आरोप रा.स्व.संघ पर लगाने की कोशिश की थी। 33 वर्षीय भाजपा कार्यकर्ता प्रमोद को माकपाइयों ने ईंटों से मारकर बुरी तरह घायल कर दिया था। वामपंथियों के सत्ता में आने के बाद के इस हिंसक कृत्य का संज्ञान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लिया और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं का शिष्ट मंडल इस संबंध में राष्ट्रपति से मिला और केरल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर उन्हें एक ज्ञापन दिया। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि इस मामले को गंभीरता से देखें। माकपा कार्यकर्ताओं द्वारा केरल के इदाविलांगु में 19 मई 2016 को विजयी रैली में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई।
बेशक केरल में किसी बड़ी हिंसक घटना के बिना चुनाव संपन्न हो गए हों लेकिन वडक्करा विधानसभा क्षेत्र की प्रत्याशी केके रमा पर हमला किया गया जो विद्रोही कम्युनिस्ट नेता टीपी चंद्रशेखरन की विधवा हैं। राज्य में हुई राजनैतिक हिंसा में शेखरन की हत्या माकपाई गुंडों द्वारा निर्ममता से की गई। उनके शरीर पर 51 घाव थे। यह घटना चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हुई थी। अर्थात चुनाव के समय भी माकपाइयों की हिंसक वारदात व धमकियां आम थी।
भाजपा ने मांग की है कि त्रिकारीकुर के विधायक एके कुन्नीरामन को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। भाजपा के दो बूथ एजेंटों पर हुए हमले के मद्देनजर उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। एक वीडियो में कुन्नीरामन को सफेद कागज लहराते हुए यह कहते हुए देखा जा सकता है-'उन्होंने यह लिखकर दे दिया है कि वे किसी राजनैतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे'। उत्तरी मालाबार क्षेत्र में माकपा कार्यकर्ताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान ही भाजपा-संघ कार्यकर्ताओं के विरुद्ध हिंसा का खेल जारी रखा। उन्होंने माकपा प्रमुख पिनरायी विजयन के क्षेत्र धर्मादम में भाजपा के पोस्टर, होर्डिंग और अन्य प्रचार सामग्री को नष्ट किया। इतना सब होने के बाद भी पुलिस ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
पिनरायी, जो कि एक  'पार्टी गांव' है, के एक छोटे स्थान पुथेंगकंदम में माकपा की अनुमति के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता। वहां विजयन के कई नजदीकी संबंधी भाजपा से जुड़ गए। यह स्थिति उनके लिए  असहनीय थी।
जब मतगणना समाप्त हो गई तो धर्मादम विधानसभा में सभी जगह भाजपा के  झंडे  बोर्ड और बैनर नष्ट कर दिए गए भाजपा कार्यकर्ताओं पर बमों से हमला किया गया। जब एक कार्यकर्ता ने हमले का विरोध किया तो माकपाई गुंडों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं के 23 मकान और 15 मोटरसाइकिल पूरी तरह से नष्ट कर दी गईं। माकपाइयों ने इन मोटरसाइकिलों को भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों के नजदीक स्थित कुंओं में डाल दिया। यही नहीं उन्होंने नाइयों की दुकान से बाल भरकर कुंओं में डाल दिए जिसके कारण आज तक भी इन कुंओं में पानी पीने लायक नहीं हो पाया। बरसों पूर्व उत्थमन नामक एक संघ कार्यकर्ता की इरिट्टी में हत्या कर दी गई। वह गाड़ी का चालक था। अब उनकी पत्नी के घर को पिनरायी में पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। इसी प्रकार भाजपा के प्रमुख कार्यकर्ता रंजीत पर हमला किया गया और वह बुरी तरह घायल हुए। कोड्डकल्लम बूथ पर थलासिरी विधानसभा के तहत बूथ एजेंट रमेश पर हमला किया गया क्योंकि उन्होंने माकपा के एक नकली मतदाता को पकड़ा था। मत्तामा में एक दुग्ध विपणन सोसाइटी को ध्वस्त कर दिया गया। इसी प्रकार श्रीनारायण गुरु जयंती कार्यालय को भी नष्ट कर दिया गया। कोलिक्कादायु में कई स्वयंसेवक अस्पताल में भर्ती हुए। कोलासेरी में रा.स्व.संघ मंडल शारीरिक प्रमुख के घर को बम से उड़ा दिया गया। कथिरूर में माकपा अपराधी बाइक पर आए और बम से हमले किए जिसमें दो स्वयंसेवक घायल होकर अस्पताल गए।
कासरगोड जिले की उदुमा विधानसभा सीट से विधायक कुन्नीरामन के नेतृत्व में सैकड़ों माकपाइयों ने भाजपा के बूथ एजेंट को यातना दी और उन्हें लिखित में यह देने को मजबूर किया कि वह इस क्षेत्र में चुनाव के दौरान भाजपा के लिए काम नहीं करेगा। उन्होंने कई दुकानों पर हमले किए और पाइप और सीमेंट की एक बड़ी दुकान को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। इस कारण सैकड़ों सीमेंट के कट्टे नष्ट हो गए।  पूर्व संघ प्रचारक गोविंदम के भाई के मकान को नष्ट कर दिया गया हमलावरों ने बीयर की बोतलों से खिड़कियों के शीशे तोड़ डाले। एक बड़े सिलाई केंद्र में रखी मशीनों को नष्ट कर दिया गया इसके पीछे एक छोटा सा कारण था कि इसे भाजपा कार्यकर्ता की नजदीकी रिश्तेदार चलाती थीं। नादापुरम, कोझीकोड और पल्लकड़ में कई भाजपा कार्यकर्त्ता गंभीर रूप से घायल हुए। मालाबार क्षेत्र के रा.स्व.संघ के समभाग कार्यकर्ता पीपी सुरेश बाबू कहते हैं माकपा के दमनकारी रवैये के बाद भी संघ और भाजपा के कार्यकर्ता अपने संगठन और विचारधारा पर दृढ़ रहेंगे और पहले की तरह अपना संगठानात्मक कार्य बढ़ाते रहेंगे।
ऐसी ही घटनाएं केरल के दक्षिणी हिस्सों में भी सुनने को मिली हैं। अल्लपुझा जिले में हरिपाद नामक जगह पर ऐसे घिनौने हमले की रिपोर्ट मिली है। माकपा कार्यकर्ताओं ने वंचित समाज के लड़के को और उसके भाई को बुरी तरह प्रताडि़त किया क्योंकि वह रा.स्व.संघ की शाखा में जा रहा था अविजीत कृष्णन और अविलाश कृष्णन अस्पताल में भर्ती कर दिए गए हैं। यह घटना निवर्तमान गृहमंत्री और कांगे्रस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला के विधानसभा क्षेत्र में हुई। पिछले 50 वर्षों में रा.स्व.संघ 267 कार्यकर्त्ताओं की हत्या की जा चुकी है।      ल्ल 

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