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डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयां देने से लेकर मरीज की मरहम पट्टी करने, इंजेक्शन लगाने व उसकी साफ सफाई करने का सारा कार्य नर्स करती है। लोग विदेशों से यहां इलाज कराने आते हैं। ऐसे में नर्सिंग के क्षेत्र में कैरियर के ढेरों अवसर उपलब्ध हैं।
आदित्य भारद्वाज
नर्सिंग एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमेशा लोगों की जरूरत बनी रहती है। विशेषकर युवतियों के लिए इस क्षेत्र में करियर की भरपूर संभावनाएं हैं। डॉक्टर के अलावा नर्स की भी एक रोगी को स्वस्थ करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक अनुभवी नर्स रोगियों की भावनाओं एवं मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझकर उनकी उचित देखभाल कर उनके स्वस्थ होने में मदद करती है। डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयां देने से लेकर मरीज की मरहम पट्टी करने, इंजेक्शन लगाने व उसकी साफ सफाई करने का सारा कार्य नर्स ही करती है। दूसरे देशों के मुकाबले भारत में लगातार मेडिकल टूरिज्म बढ़ रहा है। लोग विदेशों से यहां इलाज कराने आते हैं। ऐसे में नर्सिंग के क्षेत्र में कैरियर के ढेरों अवसर उपलब्ध हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टरों के अलावा उनके सहायकों के तौर पर काम करने वाले कितने ही लोग होते हैं जो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े अन्य कोर्स करके आए होते हैं। जैसे लैब टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन, रेडियोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट एंड स्पीच थेरेपिस्ट, नसिंर्ग,ऑपरेशन थियेटर सहायक आदि। नर्सिंग भी एक ऐसा ही पेशा है। मानव सेवा के साथ चिकित्सा क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवकों और युवतियों के लिए नर्सिंग एक अच्छा करियर है।
योग्यता: एएनएम या हेल्थ वर्कर- इसके लिए योग्यता के रूप में अभ्यर्थी का 10वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि 18 माह की होती है। जनरल नसिंर्ग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम)- इस कोर्स के लिए अभ्यर्थी को 12वीं कक्षा में भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान विषय के साथ 40 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इस कोर्स की अवधि साढ़े तीन साल की होती है।
बीएससी इन नर्सिंग (बेसिक)- इसके लिए 12वीं में भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान के साथ 45 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इस कोर्स की अवधि 4 साल की होती है।
बीएससी इन नर्सिंग (पोस्ट बेसिक) – इस दो वर्ष की अवधि के कोर्स के लिए 12वीं के साथ-साथ जीएनएम की डिग्री भी होनी चाहिए। यदि 12वीं और जीएनएम के साथ कम से कम 2 साल का अनुभव भी हो तो इसे दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से 3 वर्षों में भी पूरा किया जा सकता है।
एमएससी इन नर्सिंग – नर्सिंग में एमएससी करने के लिए नर्सिंग में 55 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी की डिग्री के साथ-साथ एक साल का अनुभव भी आवश्यक है। इस कोर्स की अवधि 2 साल की होती है।
कोर्स के बारे में : नर्सिंग क्षेत्र में डिप्लोमा, अंडर ग्रेजुएट एवं सर्टिफिकेट आदि कोर्स होते हैं। नर्सिंग में बीएससी करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स भी किया जा सकता है। पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद इस क्षेत्र में एमफिल और पीएचडी करने की भी सुविधा रहती है। नर्सिंग में दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है।
अवसर : नर्सिंग क्षेत्र में अपने देश के अलावा विदेशों में भी नौकरी की ढेरों संभावनाएं हैं। खाड़ी और यूरोपीय देशों में भारतीय नर्सों की बहुत मांग है। केरल की तो हजारों नर्स इन देशों में नौकरी करती हैं। ब्रिटेन नेशनल हेल्थ सर्विस द्वारा हर वर्ष एक हजार से ज्यादा नर्सों की भर्ती की जाती है।
वेतन : देश में निजी नर्सिंग होम्स में काम करने वाली नर्सों को शुरुआत में 12 से 18 हजार रुपए मिल जाते हैं। अनुभव होने पर तनख्वाह बढ़ती जाती है। विदेशों में वहां की मुद्रा में तनख्वाह मिलती है जो भारतीय मुद्रा में लाखों तक हो सकती है।
संस्थान
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, कॉलेज ऑफ नसिंर्ग, नई दिल्ली
डॉं राम मनोहर लोहिया अस्पताल, स्कूल ऑफ नसिंर्ग, नई दिल्ली
जामिया हमदर्द कॉलेज ऑफ नर्सिग, नई दिल्ली
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज ऐंड सफदरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली
छत्रपति शाहूजी महाराज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, लुधियाना, पंजाब
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